Monday, July 19, 2010

सूरज

आकाश में रौशनी, ज़मीन के अन्दर गर्मी, राजा फकीर में सच्चाई, ज़माने में परर्विश और उन्नति की ताकत को सूरज के नाम से पुकारा गया है। जिसकी मौजूदगी का नाम दिन और गैरहाज़िरी का वक्त अंधेरी रात का दौर दौरा होगा। इन्सानी वजूद में रूह की हरकत और अपने जिस्म से दूसरे की मदद की हिम्मत इसका करिश्मा है। चलते चले जाना मगर अपना आखीर न बताना बल्कि पीछे हटे या रास्ता बदले बगैर फिर उसी जगह ही आकर हर रोज़ सुबह शाम करते जाना, इसका एक अजूबा है।


उत्तम सूरज वाला कुल दुनिया को रौशन करता और हर एक दौलत बख्शता है। लम्बी उम्र का मालिक होगा। तबीयत में अन्दर बाहर दोनों ही तरफ से सच्चा होगा। मन्दे वक्त पर बुरा असर रात के ख्वाब की तरह निहायत छुपे ढंग पर ज़ाहिर करेगा। किसी का सवाली न होगा बल्कि अगर हो सके तो किसी का सवाल पूरा कर देगा। खैरात न देवे तो बेशक मगर उल्टा फकीर की झोली से माल हरगिज़ न निकालेगा। खुद चोट खायेगा और बढ़ेगा मगर किसी को चोट न मारेगा । गो मौत को किसी ने भला नही गिना मगर सूरज उत्तम के वक्त मौत भी भली होगी ।


राज दरबार से खुद अपने हाथों धन-दौलत कमाने का और बालिग होने का 22 साला उम्र का अहद जवानी का जोश हर तरफ नई रौशनी देगा। सूरज की रौशनी और धूप में गर्मी का दर्जा हरारत राहु केतु की हालत से पता चलेगा। उत्तम सूरज के वक्त चन्द,्र शुक्र और बुध का फल अमूमन भला ही होगा। केतु खाना नं0 1 या मंगल नं0 6 में हो तो सूरज का असर नेक बल्कि ऊँच हालत का होगा ख्वाह सूरज किसी भी घर में और कैसा भी बैठा हो। जन्म कुण्डली के खाना नं0 1, 5, 11 में सूरज होने के वक्त टेवा बालिग ग्रहों का होगा जो बच्चे के माता के पेट में आने के वक्त ही से अपना असर शुरू कर देगा।


मन्दे असर का उपाय


अगर सूरज का खुद अपना ही असर दूसरे ग्रहों पर बुरा हो रहा हो तो सूरज के दोस्त ग्रह चन्द्र, मंगल, बृहस्पति को नेक कर लेना मददगार होगा। खाना नं0 6,7 में बैठा होने के वक्त आम मन्दी हालत में बुध का किसी उपाय से नेक कर लेना मददगार होगा। जब कोई ग्रह सूरज से नष्ट या बर्बाद हो रहा हो तो खुद सूरज का उपाय करें। जब सूरज का खुद अपना असर नष्ट या बर्बाद हो रहा हो तो दुश्मन ग्रह को, जो उसके असर को बर्बाद कर रहा हो, नेक करें।


जन्म 14-11-1889



मिसाल के तौर पर मरहूम जवाहर लाल नेहरू जी की कुण्डली में सूरज अपने घर अपने खाना नं0 5 में । शुक्र बुध मुश्तरका भी मसनुई सूरज । लिहाज़ा सूरज काफी ताकतवर । राहु केतु की वजह से सूरज का असर होने में ज़रा देर हुई। नेहरू जी सन् 1947 में आज़ाद मुलक के पहले वज़ीर-ए-आज़म बने और मरते दम सन् 1964 तक इसी ओहदे पर बने रहे। इस दौरान कोई भी दूसरा नेता उनका सामना न कर सका। यह उत्तम सूरज की एक बढ़िया मिसाल है।


Tuesday, June 22, 2010

शुक्र की दो रंगी मिट्टी

खाना नं01
काग रेखा या मच्छ रेखा, यक तरफा ख्याल का मालिक, तख्त का मालिक, रज़िया बेगम रानी मगर एक हब्शी गुलाम पर मर मिटी।


खाना नं02
उम्दा ग्रहस्थ हर तरफ से सिवाये बच्चे बनाने के, अपनी ही खूबसूरती और तबीयत के आप मालिक, खुद परस्ती, स्कूल मिस्टरैस, हर एक की दिलदादा औरत मगर वह खुद किसी को पसंद न करे।

खाना नं03
मर्द की हिम्मत-हैसियत,गाय की जगह बैल का काम देवे, ऐसी कशिश कि ऐसे टेवे वाले पर कोई न कोई औरत फरेफता (मोहित) हो ही जाया करती है।

खाना नं0 4
एक जगह दो औरत या दो मर्द मगर मर्द औरत दोनों ही ऐसी दो गाय या दो बैल कि बच्चा दोनो ही से न बने ।


खाना नं0 5
बच्चों भरा परिवार या ऐसे बच्चों का पैदा करने वाला जो उसे बाप न कहे या न कह सके।

खाना नं0 6
न औरत न मर्द, लक्ष्मी भी ऐसी जिसकी कोई कीमत न देवे या खुसरा मर्द या बांझ औरत ।


शुक्र खाना नं0 1 से 6 तक उठती जवानी में ऐश व इश्क की लहरों से मिटट्ी की पूजना में अन्धा होगा।

खाना नं0 7
सिर्फ साथी का असर, जो और जैसे तुम वह और वैसे ही हम ।


खाना नं0 8
जलती मिटट्ी और हर सुख में नाशुकरा, उत्तम तो भवसागर से पार कर दे।

खाना नं0 9
खुद शुक्र की अपनी बिमारी के ज़रिए धन हानि मगर घर में ऐश व आराम के सामान या धन की कमी न होगी।


खाना नं0 10
खुद सनीचर मगर औरत तो ऐसी जो मर्द को निकाल कर ले जावे, अगर मर्द तो ऐसा कि वह किसी न किसी दूसरी औरत जात को अपनी मन्जूरे नज़र रखा ही करता है।

खाना नं0 11
लट्टू की तरह घूम जाने वाली हालत मगर बचपन की मोह माया की भोली भाली तबीयत की मूरत और रिज़क के चश्मा का निकास।


खाना नं0 12
भवसागर से पार करने वाली गाय, औरत,लक्ष्मी जिसकी खुद अपनी सेहत के ताल्लुक में या सारी ही उम्र रोते निकल गई ।

शुक्र खाना नं0 7 से 12 तक बुढ़ापे में नसीहतें करे।

हेमा मालिनी




यह कुण्डली बालीवुड सुन्दरी हेमा मालिनी जी की है। शुक्र खाना नं0 2, अपनी ही खूबसूरती और तबीयत की आप मालिक, हर एक की दिलदादा औरत मगर वह खुद किसी को पसन्द न करे। अपने वक्त की ड्रीम गर्ल यानि सपनों की रानी जो आज भी लाखों दिलों की धड़कन है।

Tuesday, June 8, 2010

महात्मा गांधी

महात्मा गांधी जी मुल्क की एक महान शख्सियत थे जिनको आदर से बापू भी कहा जाता था। आज़ादी के बाद उनको बाबा-ए-कौम भी माना गया। यकीनन उनकी जन्म कुण्डली भी खास होनी चाहिए जो इस तरह हैं ।





कुण्डली में 9 में से 7 ग्रह केन्द्र के चारों खानों में । एक मज़बूत कुण्डली किसी गैर मामूली हस्ती की। बृहस्पति खाना न0 7, पिछले जन्म का साधु जो तपस्या के लिए जंगल में नही गया पर अपनी 45 साला उम्र तक कुछ खास नही। मंगल बुध शुक्र खाना नं0 1, पानी मे तैरने वाला पत्थर, राजा की हैसियत का मालिक और शुक्र, शुक्र का पतंग। खाना 10 में चन्द्र ग्रहण, धन दौलत से दूर। सूर्य खाना नं0 12, पराई आग में जल मरने वाला। शनि खाना नं0 2 से सन्यास और केतु खाना नं0 4 से सबर।


गांधी जी ने अपनी 45 साला उम्र के बाद ही अन्दोलन शुरू किये और मुल्क की सियासत को एक नई विचारधारा दी। बृहस्पति की वजह से घर परिवार की बजाय आश्रम में रहने लगे और धर्मी हो गये। शुक्र की वजह से अक्सर औरतों से घिरे रहते थे, जैसे सरला देवी, मीरा बेन, सुशीला नैयर, आभा, मनी गांधी वगैरह - वगैरह । कहा जाता है कि सरला देवी पर तो गांधी जी कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो गये थे और उनको भी गांधी जी में गहरी दिलचस्पी हो गई थी। दरअसल इस महान आदमी की ज़िन्दगी के कई पहलू थे जैसा कि कुण्डली में नज़र आता है।


जब गांधी जी की मौत हुई तो उनको 79वां साल चल रहा था। वर्षफल में चन्द्र ग्रहण के इलावा सूरज ग्रहण भी लग गया और राहु के हाथी ने मंगल के महावत को ज़मीन पर पटक दिया। लिहाज़ा पिस्तौल की गोली (राहु) का निशान बन गये। मरते वक्त बापू ने कहा राम ! राम ! राम ।

Tuesday, June 1, 2010

वरूण गांधी

यह कुण्डली गांधी परिवार के दूसरे नौजवान वरूण गांधी की है। उम्र 30 साल हो चुकी है । पहला सवाल, क्या शादी होगी ? दूसरा सवाल, सियासत में क्या मुकाम होगा? दोनों सवालों का जवाब कुण्डली क ग्रहों से मिलेगा।



जन्म: 13-3-1980
खाना नं0 1 और 7 खाली , कुण्डली में न राजा न वज़ीर । किस्मत की बुनियाद का मैदान खाना नं0 10 में सूरज ग्रहण और खाना नं0 2 खाली । बृहस्पति मंगल राहु खाना नं0 4, अब बृहस्पति का सोना भी पीतल। मंगल बद जो पानी में भी आग लगा दे, जिसने कोई बदी न छोड़ी, अपने ही परिवार की औरतों पर मंदा और शनि खाना नं0 5 की बुरी नज़र चन्द्र खाना नं0 9 पर । माता जवानी में बेवा हो गई फिर बेवा दादी मारी गई। बाद में ताई भी बेवा हो गई ।
जहां तक पहला सवाल है, शादी के लिए मंगल बद का उपाय ज़रूरी । जहां तक दूसरा सवाल है, सियासत में तरक्की के लिए ग्रहण का उपाय करना होगा। वर्ना नतीजे कुछ खास न होंगे।

Tuesday, May 25, 2010

वासदेव

वासदेव जी पेशे से इन्जीनियर, एक कम्पनी में आला ओहदे पर काम करते थे। कम्पनी ने उनको विदेश भेजा, जहां उन्होने काफी धन कमाया । जब वापिस वतन लौटे तो दौलत और तजुर्बा दोनो उनके पास थे। उनके मन में अपना कारोबार करने की बात आई। लिहाज़ा सन् 1973 के आस पास नौकरी छोड़कर ऊना में अपनी रबड़ प्लास्टिक की फैक्टरी लगाने में जुट गये। बैंक से कर्ज़ा भी लेना पड़ा । फैक्टरी लग गई और काम शुरू हो गया। खर्चा बहुत हो गया मगर कामयाबी न मिली । बल्कि नुक्सान होने लगा। आखिर फैक्टरी बन्द करनी पड़ी। लाखों रूपए के कर्ज़े की वापसी भी मुश्किल हो गई। अपना भी सब कुछ लगा दिया था। इस तरह अर्श से फर्श पर आ गए।


सन् 1996 में उन्होने अपनी कुण्डली मेरे आगे रख दी। मैने कहा कि आप तो खुद ज्योतिष जानते हैं। लाल किताब आपके पास है। आप पण्डित जी के भी करीब थे। उन्होने कुछ तो बताया होगा । वासदेव जी बोले कि पण्डित जी ने कहा था कि बुध को ठीक कर लो। बुध के उपाय दो-दो तीन-तीन बार कर लिए मगर कोई फायदा न हुआ। मैने कहा कि मंगल से काम लिया होता ।

खैर वासदेव जी ने मंगल के उपाय कर लिये पर कोई फायदा न हुआ। कुछ महीने बाद मैने ऊना जाकर उनकी बन्द फैक्टरी देखी। एक जगह छत में से रोशनी आ रही थी। मैने उनको रोशनी बन्द करवाके दोबारा मंगल के उपाय करने की सलाह दी। दोबारा उपाय करने के कुछ देर बाद फायदा शुरू हो गया। रफता रफता उनके हालात बदलने लगे। बेटी का रिश्ता कैनेडा में हो गया। जिसकी वजह से बेटे भी कैनेडा चले गये। कुछ सालों में सारे कर्ज़े उतर गये। खुद भी दो बार कैनेडा घूम आए । यानि फिर से कुशल मंगल हो गया।

कुण्डली पर गौर करें तो बुध की 34 साला उम्र से मन्दा ज़माना शुरू हुआ जो तकरीबन ग्रहण की मियाद तक जारी रहा । बुध शुक्र शनि, छत से रोशनी मन्दी जिसको हटाया गया। बुध को मंगल से ठीक किया गया। ग्रहण का उपाय भी किया। ग्रहचाल दुरूस्त होने से सब फिर ठीक हो गया।

वासदेव जी सन् 2006 में बा-इज्ज़त दुनिया से कूच कर गए।

Monday, May 17, 2010

राहुल गांधी

                                                                       
राहुल गांधी जी की उम्र 40 साल के आस पास है। पहला सवाल, क्या शादी होगी ? क्योंकि शादी में कुछ देर हो गई है । दूसरा सवाल, क्या मुल्क के प्रधानमन्त्री बनेंगे ? या वहां भी देर हो जायेगी । इन सवालो के जवाब के लिए ग्रहों का जायज़ा लेना पड़ेगा।

सूरज मंगल खाना नं0 1 राजयोग मगर खाना नं0 7 और 10 खाली । खाना नं0 7 का मालिक शुक्र खाना नं0 2 में स्कूल मिस्टरैस हर एक की दिलदादा औरत मगर खुद किसी को पसंद न करे। शनि खाना नं0 11 शराब न पिए तो बेहतर । राहु का हाथी खाना नं0 9 में धर्म की ढोलक अपनी सूंड से बजा रहा है मगर कब तक ? बृहस्पति खाना नं0 5 में खामोश । बुध खाना नं0 12 में ज़हर से भरा हुआ जिसका ज़हरीला असर चन्द्र खाना नं0 6 पर । यह असर 17 या 21 साला उम्र में ज़ाहिर होना था। हां ! 21 साला उम्र के आस पास माता बेवा हो गई । कुण्डली में बुध और राहु दोनों मन्दे।

जहां तक पहला सवाल है, 39 साला उम्र तक शादी में रूकावट। शुक्र की पालना मददगार। जहां तक दूसरा सवाल है बुध का कोई एतबार नही। लिहाज़ा बुध का उपाय ज़रूरी। वर्ना कुछ कहना ठीक न होगा।

Thursday, May 6, 2010

पूर्णिमा

पिछले हफते 12-13 साल बाद पूर्णिमा मिलने आई । मैंने सोचा ग्रहों के बारे कुछ पूछना होगा। मगर उसने ऐसा कुछ न पूछा बल्कि इधर उधर की बातें करने लगी। आखिर मैंने ही पूछ लिया, ज़िन्दगी कैसे चल रही है ? उसने बताया, '' पति का कारोबार बढ़ गया है। दो बेटे हैं जो अब स्कूल जाते हैं। कुल मिलाकर सब ठीक ठाक हैं। आप ने जो उपाय बताया था, कर लेती हूं।'' उसके मन में विश्वास और इज्ज़त की भावना थी। शायद इसलिए मिलने आई।
जब मैनें उसकी कुण्डली देखी थी तो उसका एक ही सवाल था, शादी के बारे में। क्योंकि उम्र 29 साल के करीब हो चुकी थी। 2 साल के फर्क पर छोटी बहन थी। इसलिए मां-बाप को भी चिन्ता थी। पूर्णिमा की कुण्डली इस तरह है।



बृहस्पति, मंगल, केतु खाना नं0 4, क्या भाई लंगड़ा है ? हां । चाचा, बाप का भाई भी लंगड़ा है। शुक्र खाना नं0 6 नीच और मंगल खाना नं0 4 बद, शादी में रूकावट या देरी। पहला उपाय चीनी से भरा बर्तन 6 दिन लगातार धर्म स्थान में रखना। दूसरा उपाय पेशाबगाह को दहीं से धोना।


कुछ दिनो बाद पूर्णिमा ने फोन पर बताया कि उसने पहला उपाय कर लिया और दूसरा शुरू कर दिया। कुछ महीनों बाद उसका बाप मुझे उसकी शादी का कार्ड देने आया। मेरा शुक्रिया करने के बाद उसने पूछा, '' अब और कोई उपाय तो नही करना ? '' मैने बताया कि शादी के वक्त उसके सिर पर सोने का जेवर होना चाहिए। यह सब उपाय हो गए थे। अब नतीजा सामने है। लाल किताब की कृपा से पूर्णिमा अब सुखी जीवन बिता रही है।