Sunday, June 16, 2013

गीता

हर शख्स अपने मुस्तक्बिल के बारे अच्छा हीं तसव्वुर करता है। मगर कई बार हो कुछ और ही जाता है। कुछ ऐसा ही गीता के साथ हुआ। कुछ दिन पहले जब मुझे पता चला कि उसका अचानक इन्तकाल हो गया तो मन उदास सा हो गया। वह एक अच्छी और मेहनती लड़की थी। उसने भी अपने आने वाले कल के लिये सुहाने ख्वाब देखे थे। मगर उसके घर के हालात ठीक न थे। जिसकी वजह से उसे 14-15 साला उम्र से रोज़ी रोटी के लिये काम काज करना पड़ा। 17-18 साला उम्र में बिमार बाप का इन्तकाल हो गया जिससे उसकी जिम्मेदारी बढ़ गई। उसने इस साल मार्च में मुझे अपनी कुण्डली दिखाई। ग्रहों का जायजा लेते हुये मैंने कहा कि इस साल सेहत का खास ख्याल रखने की ज़रूरत है। उसकी कुण्डली इस तरह है।



समझदार के लिए इशारा ही काफी। चन्द्र खाना नं0 7 में और उसके घर खाना नं0 4 में शनि । खाना नं0 1 खाली। बृहस्पत मंगल मुश्तर्का खाना नं0 9 में और खाना नं0 3, 5 खाली। सूर्य शुक्र बुध राहु मुश्तर्का खाना नं0 6 पाताल में। उसपे सूर्य को ग्रहण। खाना नं0 6 में ग्रहों का मन्दा असर। आप और बाप का साथ लम्बा न चले। अगर चले तो बाप की सेहत खराब रहे। राहु खाना नं0 6 में साथी ग्रहों का फल खराब कर रहा है। ऐसी हालत में नतीजा अच्छा कैसे हो सकता है ?

कुण्डली के खाना नं0 6 के ग्रह इस साल वर्षफल में खाना नं0 8 मुकाम फानी में। शनि खाना नं0 3 राहे रवानगी यानि दुनिया  से चले जाने का रास्ता। ऐसे में मौत नहीं तो मौत का बहाना ज़रूर बने। नतीजा 31 मई 2013 को गीता की अचानक मौत हो गई। ज़िन्दगी बेवफा ही निकली।