Friday, January 5, 2018

बुध-शुक्र-शनि


बुध शुक्र शनि  जब मुश्तर्का, मालिक होवे  धन दौलत का
ग्रह   तीनो  नेक  हों  टेवे, उम्र  ग्रहस्त   औलाद  देवे।
अगर  रोशनी छत  से आये, चोरी हो  धन  दौलत जाये।
गऊ  ग्रास जो  देता  जावे, सुख  दुनियावी  तीनो पावे।
पर उल्ट कभी जब होता हो, पराया दुख दलिद्र ढोता हो।

बुध शुक्र और शुक्र शनि आपस में दोस्त हैं। बुध शुक्र शनि मुश्तर्का हो तो कुण्डली वाला गृहस्त, औलाद और उम्र तीनो ही दुनियावी सुखों का मालिक होगा। गऊ ग्रास यानि गाय कौवा और कुत्ता, तीनों को अपनी खुराक से रोटी का टुकड़ा देते रहना मुबारक होगा। मकान में स्काई लाईट (ऊपर आसमान की तरफ से रोशनी के लिए मौघा, रोशनदान) धन दौलत की चोरी व तबाही का सबूत होगा। काली गाय और काले कुत्ते को रोटी देते जाना मददगार होगा। अगर काली गाय और काला कुत्ता अपने ही घर का पालतू हो तो उनको बाहर से किसी और शख़्स की तरफ से रोटी न मिलने देवे वर्ना फायदे की बजाय नुक्सान होगा। यानि बाहर वालों के दुख दलिद्र काली गाय और काले कुत्ते की मार्फ़त खुद अपने ही घर में जमा होते रहेंगे। बुध शुक्र शनि मुश्तर्का की कुछ मिसालें दिलचस्पी का सबब होंगी। समझदार के लिए इशारा ही काफी।
       



कुण्डली नम्बर 1 वाले का घर परिवार है और छत से रोशनी भी आती है जो बन्द न हो सकी। फज़ूल खर्च और नुक्सान होता रहता है। रोशनी छत से आती रहे, दौलत घर से जाती रहे। 
कुण्डली नम्बर 2 वाले का भी मिलता जुलता हाल।  लिहाज़ा छत से आने वाली रोशनी पक्के तौर पर बन्द करवा दी गई तो ग्रह चाल भी बदल गई। रोशनी छत से कर दी बन्द, धन का फिर नुक्सान भी बन्द।