Tuesday, April 27, 2010

सानिया मिर्ज़ा

खेल जगत में सानिया मिर्ज़ा को कौन नहीं जानता । हाल ही में जब उसकी पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ी शोएब मल्लिक से शादी की खबर आई तो वह चर्चा में आ गई । जैसे ही शोएब शादी के लिए हैदराबाद आया तो हैदराबाद की ही एक औरत आयशा ने उसकी पहली बीवी होने का अपना दावा पेश कर दिया। जब शाोएब ने इस बात से इन्कार किया तो आयशा ने पुलिस में शिकायत कर दी। पुलिस भी फौरन हरकत में आ गई और पड़ताल शुरू हो गई । शोएब से उसका पासपोर्ट ले लिया गया। आए तो थे शादी करने, फंस गए हालात की गर्दिश में। खैर मौके की नज़ाकत को देखते हुए शोएब ने आयशा का दावा कबूल कर लिया। समझौते के तहत शोएब को आयशा से तलाक लेना/देना पड़ा। तब कहीं जाकर उसकी शादी सानिया से हो सकी। यह सब बड़ी तेज़ी से हुआ। आखिर ऐसा कियूं  हुआ ? इसके लिए ग्रहों पर नज़र डालनी होगी।


सानिया की कुण्डली में ज्यादतर ग्रह अच्छी हालत के हैं। जिसकी वजह से उसे छोटी उम्र में शोहरत और दौलत हासिल हो गई । जहां तक शादी विवाह की बात है तो शुक्र खाना नं0 10 में सूरज और बुध के साथ बैठा है। अब बुध का खाली चक्र सूरज की मदद लेकर शुक्र को  बर्बाद करेगा। शुक्र और सुरज आपस में दुश्मन हैं। लिहाज़ा 22 साला सूरज की उम्र ता 25 साला शुक्र की उम्र की शादी का कोई एतबार नही होगा। इस साल (24) का वर्षफल बनाया गया। वर्षफल में शुक्र, बुध, सूरज खाना नं0 9 में हैं। केतू खाना नं0 3 से शुक्र बुध को मदद दे रहा है मगर सूरज के खिलाफ है। शनि भी खाना नं0 5 से शुक्र बुध को मदद दे रहा है मगर सूरज के घर में बैठा हुआ सूरज के खिलाफ है। अब सूरज का फल (राज दरबार वगैरह) मन्दा ही होगा। केतु और शनि खाना नं0 11 के चन्द्र के खिलाफ हैं। राहु गृहस्थ के घर खाना नं0 7 में रूकावट डाल रहा है। (पुलिस का महकमा भी राहु से ताल्लुक रखता है) सानिया की शादी तो हो गई मगर मन्दे ग्रहों का उपाय भी लाल किताब के मुताबिक कर लेना चाहिए ताकि यह शादी खुशी की बजाए कहीं गम का बहाना न बन जाए।

Thursday, April 15, 2010

शनि दुश्मन नही दोस्त भी

शनि का ज्रिक्र आते ही दिल में खौफ की लहर सी दौड़ जाती है। ज़िन्दगी के हर मंदे नतीजे को अकसर शनि ग्रह से जोड़ दिया जाता है। पहले तो शनि की साढ़सती की बात होती थी, अब शनि के काल सर्प योग का चर्चा भी आम है। ऐसा लगता है कि जैसे सब बुरे कामों का ठेका शनि ने लिया हो । गोया सब परेशानियां, शनि की मिहरबानियां । तो क्या शनि हमारा दुश्मन है ? इसका जवाब गौरो खोज से मिलेगा।
ज्योतिष में शनि को सांप भी माना गया हैं । सांप का नाम आते ही दिल में डर सा पैदा होने लगता है। हालांकि हर सांप ज़हरीला नही होता। शनि का सांप खज़ाने का रखवाला भी होता है। चन्द्र नगद रूपया तो शनि खजांची है। शनि के सांप के बिना गरीबी का कुत्ताा भौंकता होगा। अगर खाना नं0 3 में शनि कंगाल है तो खाना नं0 9 में मकान जायदाद का मालिक भी है। अगर खाना नं0 6 में शनि खतरनाक ज़हरीला सांप है तो खाना नं0 12 मे साया करने वाला शेषनाग भी है। दूसरे लफज़ों में, दोस्ती और दुश्मनी शनि के दोनों पहलू हैं। दरअसल शनि बद कम बदनाम ज्यादा है।

लाल किताब के फरमान नं0 15 के मुताबिक:-

'' पाप नैया न हर दम चलती, न ही माला ग्रह कुल की,

शनि होता न मुंसिफ दुनिया, बेड़ी गर्क थी सब की'' ।

अगर शनि दुनिया का मुंसिफ न होता तो सब की बेड़ी गर्क हो जाती। मतलब यह कि दुनियावी काम काज़ चलाने के लिये शनि की ज़रूरत है। सन्यास या मकान-जायदाद, चालाकी से धन दौलत कमाने का ज़माना, 36 साला उम्र, शनि की पहचान है।

तमाम मकानों, इन्सान की बिनाई और हरेक की नेकी और बदी का हिसाब किताब लिखने वाले एजेन्टों का मालिक, हाकिम शनि देवता ज़ाहिरा पीर है। इसी लिये कई मन्दिरों में शनि की पूजा होती है। नेक हालत में जब अपने जाती स्वभाव के असूल के मुताबिक नेक असर का हो तो बृहस्पति के घरों (खाना नं0 2,5,9,12) में कभी बुरा असर नही देता। शनि का ऐजण्ट केतु, उम्र की किश्ती का मल्लाह है। बुध के दायरे मे राहु केतु की तरफ से जिस कार्रवाई की लिखत लिखाई हो, शनि उस पर धर्म से फैसला करता है। नेक असर के वक्त शनि इन्सानी उम्र के 10,19, 37 साल में उत्ताम फल देता है। अगर कुंडली में एक दो तीन की तरकीब और दृष्टि के असूल पर पहले घरों में केतु हो और शनि के बाद में तो शनि एक इच्छाधारी तारने वाला सांप होगा। शनि को अगर सांप माना जाये तो उसकी दुम केतु बैठा होने वाले घर में होगी और सर उसका राहु बैठा होने वाले घर में गिना जायेगा। बृहस्पति कायम हो तो शनि एक ठंडा सर सब्ज पहाड़ होगा, खासकर जब चन्द्र भी दुरूस्त हो। बृहस्पति के घराें में शनि का असर वैद धन्वतरि की हैसियत का उम्दा होगा। हामला औरत, इकलौते या खानदान में अकेले लड़के के सामने शनि का सांप खुद अन्धा होगा और डंक न मारेगा।

मंदी हालत के वक्त मौत का फन्दा फैलाये दिन दिहाड़े सब के सामने सरे बाज़ार कत्ल करने की तरह मंदा ज़माना खड़ा कर देगा। फकीर को खैरात देने की बजाये उल्ट उसकी झोली में माल निकाल लेगा। सब से धन की चोरी करता कराता फिर भी निर्धन ही होगा। हरेक के आगे सवाली फिर उसी पर चोट मार देना इसका काम होगा। मंदी हालत में शनि का एजेंट राहु होगा जो ज़हर का भण्डारी है।

दो या दो से ज्याद नर ग्रहों (बृहस्पति,सूरज, मंगल) के साथ शनि काबू में हो जाता है और ज़हर नही उगल सकता। जिस कदर मुकाबले पर दुश्मन ग्रहों (सूरज, चन्द्र, मंगल) का साथ बढ़ता जाये शनि और भी मन्दा हो जाता है। मंदी हालत में शनि की चीज़ों का दान मददगार होगा।

बृहस्पति के घराें में शनि बुरा फल नही देता मगर बृहस्पति खुद शनि के घर खाना नं.0 10 में नीच हो जाता है। मंगल अकेला शनि के घर खाना नं0 10 में राजा है मगर मंगल के घर खाना नं0 3 में शनि नगद माया से दूर कंगाल हो जाता है। सूरज के घर खाना नं0 5 में शनि बच्चे खाने वाला सांप है मगर शनि के घर खाना नं0 11 में सूरज उत्ताम, धर्मी हो जाता है। चन्द्र के घर खाना नं0 4 में शनि पानी में डूबा हुआ सांप जो अधरंग से मरे हुये को शफ़ा (सेहत) दे मगर शनि के हैडक्वाटर खाना नं0 8 में, जो मंगल की मौतों का घर है, चन्द्र नीच हो जाता है। शुक्र ने शनि से आंख उधार ली है इसलिये शुक्र घर खाना नं0 7 में शनि उच्च है। राहु बदी का एजेण्ट है मगर राहु के घर खाना नं0 12 में शनि हरेक का भला ही करता है। केतु नेकी का फरिशता है मगर केतु के घर खाना नं0 6 में शनि मन्दे लड़के और खोटे पैसे की तरह कभी न कभी काम काम आ ही जाने वाला मगर मन्दा ज़हरीला सांप होता है। इस तरह कुण्डली के जुदा जुदा खानों मे शनि का जुदा जुदा अच्छा या बुरा फल होता है।

शनि की अदालत

लाल किताब के मुताबिक राहु अगर मुल्ज़िम का चालान पेश करने का शहादती हो तो केतु उसके बचाने के लिये मददगार वकील होगा। दोनों के दरमियान बात का धर्मी फैसला करने के लिये शनि हाकिम, वक्त की कचहरी का सब से बड़ा जज होगा। पापी ग्रहों (राहु, केतु, शनि ) ने दुनियावी पापियों गुनाहगारों को सीधे रास्ते पर लाने और गृहस्थी निज़ाम को कायम रखने के लिये अपनी ही पंचायत बना रखी है। इस बात के मद्दे नज़र रखते हुये ज़माने के गुरू और तमाम ग्रहों को पेशवा बृहस्पति ने शनि के घर खाना नं0 11 में अपनी धर्म अदालत मुकर्रर की है। जहां शनि अपनी माता के दूध को याद करके, बृहस्पति का हल्फ उठाने के बाद राहु और केतु की की शहादत के मुताबिक फैसला करता है।

शनि खुद बुराई नही करता बल्कि उसके एजेण्ट राहु केतु बुराई वाले काम उसके पास फैसले के लिये लाते हैं। लिहाज़ा बुरो कामों के (बुरे) फैंसले करते करते शनि खुद बदनाम हो गया। लोग बदनाम को ही बुरा कहते हैं । अगर दुनिया में पाप न हो तो राहु कोई चालान पेश न करेगा। कर भी दे तो केतु की मदद से शनि का फैसला हक में होगा। फिर शनि को कोई बुरा भी न कहेगा।

आखिर नतीजा यही निकलता है कि शनि दुश्मन नही दोस्त भी है।

Sunday, April 4, 2010

राहु-केतु

लाल किताब के मुताबिक राहु केतु दोनों पापी ग्रह हैं । राहु खुफिया पाप तो केतु ज़ाहिरा पाप है। सूरज डूबने के बाद शाम मगर शनि की रात शुरू होने से पहले का वक्त राहु और रात खत्म होने के बाद सुबह मगर सूरज निकलने से पहले का वक्त केतु है। राहु सिर का साया तो केतु सिर के बिना धड़ (जिस्म) का साया है। लेकिन इन्सानी जिस्म में नाभि के ऊपर सिर की तरफ का हिस्सा राहु का राज्य और नाभि के नीचे पांव की तरफ के हिस्से पर केतु का राज होगा। राहु कुंडली के खाना नं0 12 में आसमानी हद बृहस्पाति के साथ मुकर्र हुआ तो केतु खाना नं0 6 पाताल के बुध का साथी हुआ। दोनों की मुश्तरका बैठक कुंडली का खाना नं0 2 है। दोनों के बाहम मिलने की जगह शारा आम यानि जिस जगह दो तरफ से आकर रास्ता बन्द हो जाता हो, वहां दोनों ग्रहों का ज़रूर मंदा असर या दोनों मन्दे या पाप की वारदातें या नाहक तोहमत और बदनामी के वाक्यात या ग्रहस्थी के बेगुनाह धक्के लग रहे होंगे। लाल किताब के मुताबिक:-

'' केतु कुत्ता हो पापी घड़ी का, चाबी राहु जा बनता हो।

चन्द्र सूरज से भेद हो खुलता, ज़ेर शनि दो होता हो ॥''

राहु केतु हमेशा बुध (घड़ी) के दायरे में घूमते हैं। अगर यह देखना हो कि राहु कैसा है तो चन्द्र का उपाय करें यानि खालिस चांदी का टुकड़ा अपने पास रखें और केतु की नीयत का पता लगाने के लिये सूरज का उपायें करें यानि सुर्ख तांबा अपने पास रखें । इस तरह दोनों ग्रहों का दिली पाप खुद व खुद पकड़ा जायेगा। यानि उस ग्रह के ताल्लुक के वाक्यात होने लगेगें। राहु और केतु में से अगर कोई भी खाना नं0 8 में हो तो शनि भी उस वक्त खाना नं0 8 में गिना जायेगा। यानि जैसा शनि वैसा ही फैसला समझा जायेगा। अगर राहु केतु दोनों खराब असर करना शुरू कर दें तो राहु 42 साल और केतु 48 साल तक और दोनो मुश्तरका 45 साल का मन्दा असर कर सकतें हैं। कुंडली में सूरज राहु मुश्तरका से सूरज ग्रहण और चन्द्र केतु मुश्तरका से चन्द्र ग्रहण होगा। लिहाज़ा ग्रहण से राहु केतु के मन्दे असर का ज़माना लम्बा हो सकता है। जिसके लिये ग्रहण के वक्त और वैसे भी पापी ग्रहों की चीज़ें (नारियल वगैरह) चलते पानी (दरिया या नदी) में बहाते रहना मददगार होगा।

राहु:- रहनुमाए गरीबां मुसाफिरां ।

मस्त हाथी ज़िन्दा (नीच) कीमत एक लाख, मुर्दा (उच्च) सवा लाख ।

दुनियां के फर्ज़ी अन्देशे की सोच विचार और जागते हुये ही इन्सानी दिमाग में ख्वाबी लहर और क्यासी ख्यालात की नकल व हरकत का 42 साला उम्र का ज़माना राहु का अहद है। सब कुछ होते हुये कुछ भी न होना राहु शरीफ़ की असलियत है। दिमागी लहर का मालिक सब दुश्मनों से बचाव और उनका नाश करने वाला माना गया है। उत्ताम असर के वक्त चोट लगने से नीला रंग हो चुके जिस्म को फूंक से ही तन्दरूस्त करने वाला मानिंद हाथी मगर सफेद रंग का । राहु जिसकी मदद पर हो जाये कुल दुनिया का सिर उसके सामने झुक जाये। कुंडली में अगर मंगल शनि मुश्तरका या राहु अकेला खाना नं0 4 में या चन्द्र उत्ताम हो या मंगल खाना नं0 12 में हो तो राहु मन्दा असर न देगा। अगर राहु कुण्डली में शनि के बाद के घरों में बैठा हो तो शनि से हुकम लेकर काम करेगा। लेकिन जब शनि से पहले घरों में हो तो खुद हाकिम होगा और शनि को हुक्म देगा।

राहु मन्दे के वक्त इसका मन्दा असर राहु की कुल मियाद 42 साला उम्र के पूरा होने पर दूर होगा। फालतू धन दौलत, दुनियावी आराम व बरकत 42 के बाद फौरन बहाल हाेंगे। कड़कती हुई बिजली, भूचाल, आतिशी खेज़ मादा पाप की एजेन्सी में बदी का मालिक हर मन्दे काम में मौत का बहाना घड़ने वाली ताकत, ठगी, चोरी और अयारी का सरगना चोट मारके नीला रंग कर देने वाली गैबी लहर का नामी फ़रिशता कभी छिपा नही रहता। कुंडली में सूरज शुक्र मुश्तरका होंतो राहु अमूमन मन्दा असर देगा। अगर सूरज शनि मुश्तरका और मन्दे हों तो राहु नीच फल बल्कि मंगल भी मंगल बद ही होगा। अगर केतु पहले घरों में और राहु बाद के घरों में हो तो राहु का असर मन्दा और केतु सिफर होगा। अगर राहु अपने दुश्मन ग्रहों (सूरज, शुक्र, मंगल) को साथ लेकर केतु को देखे तो नर औलाद, केतु की चीज़ें, कारोबार या रिश्तेदार मतल्का केतु बर्बाद होंगे। सूरज की दृष्टि या साथ से राहु का असर न सिर्फ बैठा होने वाले घर पर मन्दा होगा बल्कि साथ लगता हुआ घर भी बर्बाद होगा। मन्दे राहु के वक्त दक्षिण के दरवाज़े का साथ न सिफ माली नुक्सान देगा बल्कि इसका ताकतवार हाथी भी मामली चींटी से मर जायेगा। मन्दे राहु के वक्त यानि जब बुखार, दुनियावी दुश्मन या अचानक उलझन पर उलझन खड़ी होती जाये तो:-

1. चांदी का उपाये मददगार जब दिल की शांति बरबाद हो रही हो।

2. मसूर की दाल सुर्ख रंग दली हुई, भंगी को सुबह देवें या वैसे ही भंगी को पैसे की खैरात करते रहें।

3. मरीज के वज़न के बराबर जौं (अनाज, कनक) चलते पानी में बहा देवें।

4. जौं रात को सिरहाने रखकर सुबह जानवरों या गरीबों में तकसीम करदें।

5. राज दरबार या व्यापार के आये दिन झगड़े और नुकसानों के वक्त अपने जिस्म के वज़न के बराबर कच्चे कोयले दरिया में बहाना मदद देगा।

केतु:- दरवेश आकबत अन्देश

दुनिया की आवाज़ दरगाह में पहुंचाने वाला दरवेश कुत्ता,

मौत के यम की आमद पहले बताये।

दुनियावी कारोबार के हल करने के लिये इधर उधर सलाह मशवरे के लिये दौड़ धूप का 48 साला उम्र का ज़माना केतु का दौर दौरा है। ज़र्द बृहस्पति, सुर्ख मंगल, अण्डे का रंग बुध तीनों ग्रहों का मजमुआ केतु तीनो ही ज़मानों का मालिक होगा। जान से मारने की बजाये आखिर कब्र तक (चारपाई, तख्ता) मदद होगा। केतु नेकी का फरिशता, सफर का मलिक और आखीर तक मदद देने वाला ग्रह है। केतु से मुराद सफेद व काला दो रंगा कुत्ता है। कुत्तिया का नर बच्चा जो एक ही पैदा हुआ हो, खानदानी नस्ल कायम कर जायेगा।

1. मन्दे केतु के वक्त अपनी कमज़ोरी दूसरों को बताना, दूसरों के आगे रोना और भी मन्दी मुसीबत देगा। बृहस्पति का उपाय मददगार होगा।

2. मन्दी सेहत के वक्त चन्द्र का उपाय मददगार मगर लड़का मन्दा हो तो धर्म स्थान में काला व सफेद कम्बल देना मुबारक होगा।

3. पांव या पेशाब की तकलीफ के वक्त पांवों के दोनों अगूंठों में खालिस रेशम का सफेद धागा बांधना या चांदी छल्ला डालना मददगार साबित होगा।

4. केतु की चारपाई भी मानी गई है। मगर ग्रहचाल में चूंकि केतु को शुक्र का फल माना है इसलिये चारपाई दरअसल वह जो शादी के वक्त दहेज में मामा या माता पिता की तरफ से लड़की को बतौर दान दी गई हो। ऐसी चारपाई को औलाद की पैदायश के लिये इस्तेमाल करना उत्ताम फल देगा चाहे केतु कुंडली में कितना भी नीच मन्दा या बर्बाद ही क्यों न हो। जब तक वह चारपाई घर में मौजूद और इस्तेमाल में रहे, केतु का फल कभी मन्दा ना होगा।

5. मन्दी हालत में केतु दुनिया का धोखेबाज छलावा होगा। जब तक बुध अच्छा, केतु बर्बाद ही होगा। केतु का मकान, बच्चे व औरत जात की हालत मन्दी ही रखेगा। बृहस्पति या सूरज जब दुश्मन ग्रहों से खुद ही मर रहे हों तो केतु बर्बाद होगा। केतु मन्दे के वक्त खासकर जब कुंडली में चन्द्र और शुक्र इकट्ठे हो रहे हों तो बच्चे का जिस्म सूखने लग जाता है। ऐसे वक्त में बच्चे के जिस्म पर दरिया, नदी, नाले की मिट्टी, मुलतानी मिट्टी या गाचनी मलकर खुश्क होने दें। जब कुछ अर्सा हो जाये तो बच्चे को मौसम के मुताबिक सर्द या गर्म पानी से नहलाकर साफ कर देवें। ऐसा 40-43 दिन लगातार करने से जिस्म का सूखना ठीक हो जायेगा।