Friday, March 26, 2010

ऋण पितरी

ऋण पितरी से मुराद कुण्डली वाले पर उसके अपने बज़ुर्गों के पाप का खुफिया असर होता है । यानि गुनाह तो कोई करे मगर सज़ा उसकी कोई और भुगते मगर भुगतेगा उस गुनाह करने वाले का असल करीबी ताल्लुकदार ही ।
'' घर 9वें हो ग्रह कोई बैठा, बुध बैठा जड़ साथी जो।
ऋण पितरी उस घर से होगा, असर ग्रह सब निष्फल हो।

साथी ग्रह जब जड़ कोई काटे, दृष्टि मगर वह छुपता हो।

5 ,12, 2, 9, कोई मन्दे, ऋण पितरी बन जाता हो ॥''

जन्म कुण्डली में जिस ग्रह की जड़ (उसकी अपनी राशि) में उसका दुश्मन ग्रह बैठकर उसका फल रद्दी कर रहा हो और साथ ही वह ग्रह खुद भी मन्दा हो रहा हो तो ऋण पितरी होगा । जिसकी आम निशानी यह होगी कि बाबे, बाप, बेटे, भाई वगैरह सब के सब या कई एक की जन्म कुण्डलियों में मन्दा ग्रह एक ही या ऐसे किसी दूसरे घर में जहां कि वह ग्रह पूरा मन्दा गिना जा रहा हो, ज़ाहिर होता चला आ रहा होगा। मसलन् राहु नम्बर 11 या सनीचर 4, 6 या बुध 2 , 3, 8, 11, 12 उस खानदान में कई एक ही जन्म कुण्डलियों में ज़ाहिर होता चला आ रहा होगा।


दर असल यह हालत खाना नम्बर 9 के ग्रहों से मुराद होती है । यानि जब उस घर के मालिक ग्रह यानि बृहस्पति के किसी दूसरे घर में कोई और ग्रह एक या एक से ज्यादा बैठे हुये बाहम दुश्मनी पर हों या वह बाहम या हर एक बृहस्पति की ताकत को खराब करते या बृहस्पति के असर में ज़हर मिलाते हों तो पितरी ऋण होगा। राहु को बृहस्पति चुप कराने वाला गिना है । वह अगर बृहस्पति का मुंह बन्द करके खुद मन्दी हालत का असर बृहस्पति के ताल्लुक से यानि या तो बृहस्पति के घरों में या बृहस्पति के पक्के घर में देवे तो भी पितरी ऋण का बोझ होगा। इसी तरह ही और ग्रह भी यानि चन्द्र की खराबी में माता तरफ के मातरी ऋण वगैरह का बहाना हो सकते है, ऐसे शख्स के (कुण्डली वाले के) अपने ग्रह चाहे लाख राजयोग ही क्यों न हों । बुरा असर दो ग्रहों का ही होगा और उपाये भी दो ही ग्रहों का करना होगा । जैसे कुण्डली वाले के बाप ने बिना वजह कुत्तो मारे या मरवाये तो उस पर बृहस्पति और केतु दो ही ग्रहों का पितरी ऋण होगा। जो कुण्डली वाले पर उसकी 16 से 24 साल उम्र तक या बालिग होने की उम्र से 16 से 24 साल तक रह सकता है ।


इसी तरह ही बाकी सब ग्रहों का उपाये होगा। यानि एक तो उस ग्रह का उपाये करेंगे जो खुद निकम्मा हो गया हो और दूसरा उस ग्रह का उपाय करेंगे जो उसकी जड़ की राशि (जो उसके लिए बाहैसियत मालकियत ग्रह मुकर्र हो) में बैठकर उसको निकम्मा कर रहा हो ।


मसलन् बृहस्पति खाना नम्बर 9 में बैठा हो और राहु नम्बर 11 में बैठ जावे तो एक उपाये राहु नम्बर 11 की मन्दी हालत का करेंगे और दूसरा बृहस्पति नम्बर 9 के बरबाद का मददगार होगा। मियाद उपाये अब 40-43 दिन की बजाये 40-43 हफते लगातार होगी जो तमाम खानदान की बेहतरी के लिए होगा। एक वक्त में दो उपाये करने ठीक न होंगे। इसलिए पहले एक उपाये करें फिर कुछ हफते छोड़कर दूसरा उपाये करें । ऋण पितरी के वक्त खुद उस ग्रह का जो मन्दा हो गया हो और जिस ग्रह ने जड़ राशि से बरबाद किया हो, दोनो का ही उपाये और दोनो ही की मियाद तक करना मददगार होगा।


ऋणों की किस्में


जैसी करनी वैसी भरनी । नहीं की तूने तो करके देख ।


1. बृहस्पति: पितरी ऋण : खाना नम्बर 2, 5, 9, 12 में शुक्र, बुध, राहु।

पाप की वजह: बज़ुर्गों का पाप । खानदानी कुल पुरोहित से बदल गया होगा। चाहे बावजह लावल्दी खानदान कुल पुरोहित ।

आम निशानी: हमसाया धर्म मन्दिर या बृहस्पति की अशिया पीपल वगैरह को तबाह बरबाद ही कर चुके या करते होंगे ।


2 सूरज: जाती (अपना) ऋण : खाना नम्बर 5 में शुक्र या पापी ।
पाप की वजह : अन्त खराब । नास्तिकपन, पुरानी रस्मों पर पेशाब की धार मारने के कौल का आदमी होना । आम निशानी: उस घर में ज़मीन के नीचे अग्नि कुण्ड आम होंगे या आसमान की तरफ से छत में से रोशनी के रास्ते आम होंगे।
 3 चन्द्र : मातरी ऋण : खाना नम्बर 4 में केतु।

पाप की वजह: माता नीयत बद। अपनी औलाद पैदा होने के बाद अपनी माता को दर बदर जुदा या दुखी करना या उसके दुखी हो जाने पर लापरवाही करना ।

आम निशानी: हमसाया कुंआ, नदी, नाला पूजने की बजाये घर की गन्दगी बहाने या

जमा करने का ज़रिया बनाया जा रहा होगा।
4 शुक्र: स्त्री ऋण : खाना नम्बर 2, 7 में सूरज, चन्द्र, राहु ।

पाप की वजह : कुटुम्बी पेट मार । औरत को बच्चा जनने की हालत में किसी लालच की वजह से जान से खत्म कर देना ।

आम निशानी: उस घर में गाय को पालना या अपने घर में रखने से खानदानी नफरत का असूल चलता होगा।


5 मंगल : रिश्तेदारी का ऋण : खाना नम्बर 1, 8 में बुध केतु ।
पाप की वजह : मित्र मार । ज़हर के वाक्यात करना या किसी की पकी पकाई खेती को आग लगा देना या किसी की भैंस आखीर बच्चा देने को आई, उसको मरवा दिया या मार देना । मकान बनाने पर आग लगा देना वगैरह ।आम निशानी : रिश्तेदारों के मिलने बरतने के असूल से नफरत या बच्चों की पैदायश और गृहस्थिी दिन त्यौहार के वक्त खुशी मनाने से गुरेज़ (दूर रहना या नफरत करना) होगा।


6 बुध: बेटी बहन का ऋण : खाना नम्बर 3, 6 में चन्द्र ।
पाप की वजह : ज़ुबानी धोखा । किसी की बेटी बहन की हत्या (हद से ज्यादा ज़ुल्म करना)।

आम निशानी : मासूम कम उम्र या गुमराह बच्चों  को फरोखत करना या उनका लालच में तबादला कर जायज़ कर लेना ऐसे ढंग पर जिसका आम दुनियादारों को भेद न खुल सके।



7 सनीचर (शनि) : ज़ालिमाना ऋण : खाना नम्बर 10, 11 में सूरज चन्द्र मंगल ।

पाप की वजह : जीव हत्या । मकान (शनि के मतल्लका अशिया) धोखे से ले लेना मगर उसकी कीमत किसी तरह भी अदा न करना ।

आम निशानी: घर के मकानों का बड़ा रास्ता अमूमन दक्षिण में होगा या लावल्दो से जगह लेकर मकान बनाया होगा या रास्ता व कुआं छतकर मकान बनायें होंगे।



8 राहु: अनजन्मे का ऋण : खाना नम्बर 12 में सूरज शुक्र मंगल ।

पाप की वजह : ससुराल या बाहमी दुनियावी ताल्लुकदारोें से धोखा फरेब या दगा के वाक्यात ऐसे ढंग पर किए हों कि दूसरे की कुल गर्क हो जावे ।

आम निशानी : घर से बाहर निकलते हुए दरवाज़े की दहलीज़ के नीचे से घर का गन्दा पानी बाहर निकलने के लिए नाली चलती होगी या दक्षिण की दीवार के साथ उजाड़, वीरान कब्रिस्तान या भड़भूंजे की भट्ठी होगी।

9 केतु: दरगाही (कुदरती)ऋण खाना नम्बर 6 में चन्द्र मंगल ।पाप की वजह: कुत्ता फकीर बदचलनी, बदफैली मगर ऐसे ढंग पर कि दूसरे की गरीब कुत्तो की तरह हद से ज्यादा दुर्दशा या तबाही हो जावे और ऐसी कारवाई में नीयत बद की बुनियाद होवे ।

आम निशानी: दूसरों की नर औलाद किसी न किसी खुफिया, गुमनाम बहाने से जाया (खत्म) करवाना । कुत्तों  को बिना वजह गोली से मरवाना या केतु की दूसरी मतल्लका अशिया या रिश्तेदारों की अपनी लालच की वजह से कुल नष्ट करवाना या करना, हर हालत में नीयत बद बुनियाद गिनते हैं ।


ऋण पितरी की पहली हालत:
जब बुध जड़ में बैठा हो :-बृहस्पति हो खाना नम्बर 9 में और बुध हो खाना नम्बर 12 में ।

सूरज हो खाना नम्बर 9 में और बुध हो खाना नम्बर 5 में ।

चन्द्र हो खाना नम्बर 9 में और बुध हो खाना नम्बर 4 में ।

शुक्र हो खाना नम्बर 9 में और बुध हो खाना नम्बर 2, 7 में ।

मंगल हो खाना नम्बर 9 में और बुध हो खाना नम्बर 1, 8 में ।

सनीचार हो खाना नम्बर 9 में और बुध हो खाना नम्बर 10,11 में ।

राहु हो खाना नम्बर 9 में और बुध हो खाना नम्बर 12 में ।
केतु हो खाना नम्बर 9 में और बुध हो खाना नम्बर 6 में ।

ऋण पितरी की दूसरी हालत :
जब ग्रह मतल्लका की जड़ में उसका दुश्मन बैठा हो:-बृहस्पति खाना नम्बर 2, 3, 5, 6, 9, 12 से बाहर कहीं भी हो और नम्बर 2 में सनीचर बाहैसियत पापी ग्रह या नम्बर 5 में शुक्र या नम्बर 9 में बुध या नम्बर 12 में राहु या नम्बर 3, 6 बुध शुक्र या सनीचर बाहैसियत पापी ।

सूरज खाना नम्बर 1, 11 से बाहर और नम्बर 5 में शुक्र या पापी ।

चन्द्र खाना नम्बर 4 से बाहर और नम्बर 4 में शुक्र बुध सनीचर ।

शुक्र खाना नम्बर 1, 8 से बाहर और नम्बर 2, 7 में सूरज चन्द्र राहु ।

मंगल खाना नम्बर 7 से बाहर और नम्बर 1, 8 में बुध केतु ।

बुध खाना नम्बर 2, 12 से बाहर और नम्बर 3, 6 में चन्द्र ।

शनि खाना नम्बर 3, 4 से बाहर और नम्बर 10, 11 में सूरज चन्द्र मंगल ।राहु खाना नम्बर 6 से बाहर और नम्बर 12 में सूरज शुक्र मंगल । केतु खाना नम्बर 2 से बाहर और नम्बर 6 में चन्द्र मंगल ।


जन्म कुण्डली के मुताबिक ऊपर ज़िक्र की गई हर हालत में खाना नम्बर 2 ,5, 9, 12 की मन्दी हालत भी साथ हो तो ऋण पितरी होगा। ऋण पितरी हमेशा जन्म कुण्डली से देखा जायेगा।

ऋण पितरी के उपाये:


ऐसा पाप जो किया तो था बज़ुर्गों ने इसका हर्जाना भरना पड़ा मौजूदा पुश्त को । इसलिए ऐसे उपाये के वक्त तमाम का तमाम खानदान यहां तक खून का ताल्लुक हो, सबको इस उपाये में हिस्सा डालना मददगार बल्कि ज़रूरी होगा। अगर किसी वजह से कोई रिश्तेदार उपाये में शामिल न हो सके तो उसका हिस्सा दस गुणा डाल देना होगा।


बृहस्पति: कुल खानदान के हर एक सदस्य, जहां तक खून का असर हो, सबसे एक रूपया पैसा लेकर धर्म मन्दिर में एक ही दिन देना ।


सूरज: कुल खानदान के हर सदस्य से बराबर हिस्सा लेकर यज्ञ करना ।


चन्द्र: कुल खानादान के हर सदस्य से बराबर हिस्से की चांदी लेकर दरिया में एक ही दिन बहा दी जाये।


शुक्र: सौ गाय को जो अंगहीन न हो, कुल खानदान के सदस्यों के बराबर बराबर खर्च पर एक ही दिन भोजन वगैरह खिलाया जाये।


मंगल: कुल खानदान के हर सदस्य से रूपया पैसा लेकर अपने गांव में या घर के पास शनि के मुतल्लका काम करने वाले को देना ।


बुध: कुल खानदान के हर सदस्य से एक एक ज़र्द कोड़ी लेकर एक ही जगह इकट्ठी करके जलाकर उसकी राख को उसी दिन दरिया बहा दें ।


शनि: सौ अलग-अलग जगह की मछलियों को एक ही दिन में कुल खानदान के सदस्यों के खर्च से खाना देवें ।


राहु: कुल खानदान के सदस्यों से एक एक नारियल लेकर एक जगह इकट्ठे करके एक ही दिन दरिया में बहा दें ।


केतु: सौ कुतों  को एक ही दिन में कुल खानदान के सदस्यों के खर्च से खाना खिलायें । जन्म कुण्डली में ऋण पितरी देखने की ज़रूरत बहुत कम पड़ेगी । क्योंकि ऐसा प्राणी जो सालों साल लगातार मन्दा ज़माना देखता आ रहो हो भलां कब तक अपनी ज़िन्दगी कायम रख सकता है ।

Friday, March 19, 2010

ग्रहों के उपाये

ज्योतिष में जब ग्रहों के उपायों की बात होगी तो लाल किताब का नाम सबसे पहले आयेगा। कुंडली में ग्रहों की नेक या मन्दी हालत के मुताबक ही आदमी पर अच्छा या बुरा असर होता है। ग्रहों के बुरे असर से बचने और अच्छे असर को बरकरार रखने के लिये लाल किताब में उपायों का तफसील से ज़िक्र किया गया है।

लेकिन सवाल यह है, ''क्या उपाये से कोई फायदा हो सकता है?'' रात को बिजली से रोशनी करना, बिमारी को दूर करने के लिये दवा लेना, मौसम के मुताबक सर्द गर्म कपड़े पहनना..............यह सब उपाये नही तो क्या है ? दरअसल ज़िन्दगी को बेहतर बनाने के लिये इन्सान लगातार उपाये कर रहा है । कुंडली की ग्रहचाल को दरूस्त करने के लिये लाल किताब के उपाये लाजवाब है। इन उपायों की चार किस्मों में रखा जा सकता है।

पहली किस्म के आम उपाये हैं जो मदद के लिये सभी कर सकते हैं । जैसे दुनियावी सुख के लिये गऊ ग्रास देना, परेशानी से बचने के लिये नारियल दरिया में बहाना, बिमारी से बचने के लिये हलवा कद्दू धर्मस्थान में देना । अचानक चोट या नुकसान से बचने के लिये सिगरेट से परहेज करना वगैरह।

दूसरी किस्म के उपाये कुंडली में मन्दे ग्रह की हालत के मुताबिक हैं। यानि कुंडली में देखना होगा कौन सा ग्रह किस खाने में बुरा असर दे रहा है। उसका उपाये लाल किताब के मुताबिक ही होगा। जैसे राहु खाना नं. 8 के लिए सिक्का दरिया में बहाने से, मंगल खाना नं. 8 के लिये बेवा की दुआ से, बुध खाना नं. 8 के लिये नाक छेदन से, शनि खाना नं. 6 के लिये तेल की कुज्जी पानी के नीचे तह ज़मीन में दबाने से, शनि खाना नं.1 के लिये सुर्मा ज़मीन में दबाने से फायदा होगा।

तीसरी किस्म में आते हैं फौरन उपाये। जब किसी मन्दे ग्रह का कोई उपाये काम न करे तो कुछ घण्टों के अन्दर अन्दर फैसले के लिये उसका फौरन उपाये करना होगा। जैसे सूरज के लिये गुड़, मंगल के लिये रेवड़ियां, बुध के लिये तांबे का पैसा, राहू के लिये कोयला दरिया में बहाना मददगार होगा।

चौथी किस्म में ऋण पित्री के उपाये आते हैं । इनकी ज़रूरत बहुत कम पड़ेगी । ऋण पित्री से मुराद कुण्डली वाले पर अपने बज़ुर्गों के पाप का खुफिया असर होता है। यानि गुनाह तो कोई करे मगर उसकी सज़ा कोई और भुगते। मगर भुगतेगा उस गुनाह को करने वाले का असल करीबी ताल्लुकदार ही। जैसी करनी वैसी भरनी। कुंडली में जो ग्रह खाना नं. 9 में बैठा हो, उसकी जड़ में बुध बैठ जाये या किसी ग्रह की जड़ में दुश्मन ग्रह बैठ जाये और साथ में वो खुद भी किसी दूसरे खाने में मन्दा हो जाये तो कुंडली पर बज़ुर्गों के पाप का बोझ होगा। जिसका उपाये जुदा जुदा हालत में जुदा जुदा होगा। जो खानदान के सब मैंम्बरों को साथ लेकर करना पड़ेगा।
आम तौर पर उपाये की मियाद कम से कम 40 दिन और ज्यादा 43 दिन लगातार होगी। मगर खानदान की बेहतरी के उपाये की मियाद लगातार की बजाये हफतावार होगी।

लाल किताब उर्दू ज़बान में गैबी ताकत से लिखी गई थी। जिसको समझने के लिये सोच भी गैबी चाहिये। यह किताब गागर में सागर समेटे हुये हैं। फरमान नं. 6 के मुताबिक शक्की हालत के ग्रह के बुरे असर से बचने के लिये शक्क का फायदा उठाया जा सकता है। मगर पक्की हालत के ग्रह का असर हमेशा के लिये मुकर्रर हो चुका है और उसके बुरे असर को तबदील करना इन्सानी ताकत से बाहर होगा। सिर्फ खास खास खुदा रसीदा और महदूद हस्तियां ही रेख में मेख लगा सकती हैं। लेकिन इसका भी कोई न कोई तबादला दिया गया । मन्दी ग्रह चाल को दरूस्त करके फायदा लिया जा सकता है। मगर यह दरूस्ती सबके बस की बात न होगी।

काबलियत और कोशिश के बावजूद अगर नतीजा हक में न आये या बिना वजह जहमत गले लगी रहे तो मदद के लिये कुंडली में किस्मत के ग्रह की तलाश करनी होगी। जो ग्रह रूकावट डाले उसका उपाये करना होगा तांकि ज़िन्दगी को बेहतर बनाया जा सके।

Friday, March 12, 2010

सफर का हुक्मनामा

कोई ज़माना था जब हिन्दुस्तान को सोने की चिड़िया कहा जाता था। 11वीं सदी में दूसरे मुल्कों के लोग सोने की खातिर यहां आने लगे। पहले मुसलमान, मुगल, पठान फिर अंग्रेज़ आए जिन्होने मुल्क पर सालों तक हुकुमत (राज) भी की। इसी दौरान कुछ लुटेरे जैसे महमूद गज़नवी, मुहम्मद गौरी, नादिर शाह, अहमदशाह अब्दाली वगैरह भी आए जिन्हों ने   इस मुल्क खूब लूटा और बेशुमार धन दौलत ले गए। मुल्क की आज़ादी के बाद बीसवीं सदी में हिन्दुस्तानी धन दौलत कमाने के लिए दूसरे मुल्कों में जाने लगे। आज अमरीका, कैनेडा, आस्ट्रेलिया जाने के लिए नौजवानों में बहुत जोश है। इसी बीच नौजवानों को दूसरे मूल्कों को भेजने के नाम पर ऐजण्टों ने ठग्गी भी शुरू कर दी है । इसलिए ग्रहों को देख लेना ज़रूरी होगा कि क्या किस्मत में दूसरे मुल्क का सफर है भी या नही?
दरियाई सफर का मालिक चन्द्र, हवाई सफर का मालिक बृहस्पति और खुश्की के सफर का निगरां (देखने वाला) शुक्र मगर सब ही सफरों का हुक्मनामा जारी करने वाला ग्रह केतु होगा। इसलिए हर एक किस्म के जुदा-जुदा सफर के लिए ग्रह मतल्लका (सम्बन्धित ) का भी ख्याल रखना होगा।



चन्द्र से सफर
1 चन्द्र को सफेद रंग घोड़ा तसव्वुर (ख्याल) किया है जो दर असल दरियाई या समुन्द्री कहलाता है और समुन्द्र पर चांद का चांदनी की तरह दम के दम में फिर आता है । मगर खुश्की या शुक्र के घर से दुश्मनी करता है और ठोकरें मारता है।
2 जब चन्द्र से शुक्र का ताल्लुक (सम्बन्ध) हो जावे तो खुश्की या शुक्र के ताल्लुक के सफर अमूमन हाेंगे या चन्द्र को खुश्की का चक्र लगा रहेगा। चन्द्र खुद हमेशा सफर में रहता है और शुक्र तो दुश्मनी नही करता मगर चन्द्र ही दुश्मनी करता है। इसलिए चन्द्र का सफर खुद अपने लिए कभी नुक्सान वाला न होगा मगर सफर ज़रूर दरपेश रहेगा यानि करना पड़ेगा और अमूमन खुश्की का होगा।

3  ज़रूरी सफर, जब चन्द्र का सूरज या बृहस्पति से ताल्लुक होवे तो ऐसा सफर समुन्द्र पार,राज दरबार के काम से होगा। अगर बुध से ताल्लुक हो जावे तो तिजारती (व्यापारक) या कारोबारी सफर होगा।

सौ दिन तक की मियाद का सफर कोई सफर नही गिना जाता। नीचे दी गई हालतों में किया गया सफर मन्दे नतीजे देगा :-



वर्षफल के हिसाब से जब चन्द्र या केतु अच्छे घरों में हो या केतु पहले घरों में हो और चन्द्र होवे केतु के बाद वाले (साथी दीवार) घर में तो सफर कभी अपनी मर्ज़ी के बरखिलाफ (उल्ट ) न होगा और न ही कोई मन्दा नतीजा देगा। शर्त यह है कि चन्द्र खुद रद्दी न हो रहा हो । सफर का फैसला अमूमन केतु के बैठा होने वाले घर (वर्षफल के हिसाब से) के मुताबिक (अनुसार) होगा यानि जब केतु बैठा हो :-

घर  न.1
                   अपने आप को सफर के लिए तैयार रखो और बिस्तरा तक बांध लो। हुक्मनामा बेशक हो चुके मगर आखिर पर सफर न होगा। अगर हो भी जाये तो दोबारा वापिस आना पड़ेगा। सौ दिन के अन्दर तक आरज़ी (अस्थाई) तौर पर बाहर रहने का सफर हो सकता है । खासकर जब खाना नं0 7 खाली हो ।

घर न.2
तरक्की पाकर आसूधा (अच्छा ) हाल में सफर होगा। होंगी तो दोनों बाते होंगी (तरक्की और सफर)। वर्ना एक न होगी, जब तक खाना नम्बर 8 का मन्दा असर शामिल न हो।यानि खाना नं0 8 में केतु का दुश्मन ग्रह न हो ।

घर न.3
भाई बन्धुओं से दूर परदेस की ज़िन्दगी होगी जब खाना नं0 3 सोया हुआ हो यानि केतु पर किसी ग्रह की दृष्टि या साथ वगैरह न हो ।

घर न.4
अव्वल तो सफर न होगा और अगर होगा तो माता बैठी होने वाले शहर या माता के चरणों तक होगा। फिर भी होगा तो न ही मुकाम (जगह) की तबदीली और न ही सफर कभी मन्दा होगा जब तक खाना नं0 10 मन्दा न हो यानि खाना नं0 10 को कोई ग्रह मन्दा न कर रहा हो ।

घर न.5
मुकाम या शहर की तबदीली तो कभी देखी नही गई मगर महकमें के अन्दर या शहर, घर या कमरे की तबदीली हो जाये तो बेशक । हर हाल नतीजा मन्दा न होगा जब तक बृहस्पति नेक हो ।

घर न.6
सफर का हुक्मनामा हो हुआकर तबदीली शहर का हुक्म एक दफा तो ज़रूर मन्सूख (रद्द) होगा। जब तक केतु जागता हो यानि सफर होने की उम्मीद नहीं ।

घर न.7
जद्दी घरबार का सफर (तबदीली ज़रूरी तरक्की की शर्त नही) ज़रूर होगा। अगर वह (टेवे वाला) खुद-ब-खुद (अपने आप) खुशी से न जावे तो बीमार वगैरह होकर या बतौर लाश वहां जावे । किस्सा कोताह (आखिरकार) तबदीली शहर या सफर ज़रूर होगा और नतीजा नेक होगा जब तक खाना नं0 1 मन्दा न हो और केतु जागता हो।

घर न. 8
कोई खास खुशी का सफर न होगा। बल्कि अपनी मर्ज़ी के बरखिलाफ या मन्दा ही सफर होगा, जब तक खाना न.11में केतु के दुश्मन (चन्द्र या मंगल) न हो । केतु की इस मन्दी हवा का असर केतु के मतल्लका अशिया ( यानि कान, रीढ़ की हड्डी, टांगों की बिमारियां, जोड़ो का दर्द, गठिया वगैरह) या खुद केतु (जानवर या तीन दुनियावी कुत्तो) पर भी हो सकता है । चन्द्र का उपाय यानि धर्म मन्दिर में और कुत्तो को (एक ही रोज़ दोनों को) लगातार 15 रोज़ (दिन) तक हर रोज़ दूध देना या खाना नं0 2 को नेक कर लेना या नं0 2 का किसी ओर ग्रह से नेक होना मददगार होगा।

घर न.9
मुबारक (शुभ) हालत खुशी खुशी अपने जद्दी इलाकों (घर बार) की तरफ का और अपनी दिली मर्ज़ी पर सफर होगा। नतीजा हमेशा नेक व उत्ताम होगा जब तक खाना नं0 3 का मन्दा असर शामिल न हो।

घर न.10
शक्की हालत, सनीचर उम्दा तो दुगुना उम्दा । लेकिन अगर सनीचर मन्दा तो दुगना मन्दा, नुकसान वाला और बे-मौका (बिना समय का) सफर होगा। अगर खाना नं0 8 मन्दा हो तो मन्दी हवा के मायूस (दुख भरे )झौंके ज़रूर साथ होंगे। खाना नं0 2 मददगार होगा। चन्द्र का उपाय बजरिया खाना नं0 5 (औलाद या खुद सूरज को चन्द्र की अशिया यानि दूध पानी का अर्घ ) सूरज की तरफ मुंह करके पानी गिरा देना वगैरह मुबारक फल देगा।

घर न.11
सफर का हुक्मनामा ऊपर से बड़े अफसरों से चलकर नीचे तक पहुंच ही न सकेगा। सफर का मालिक केतु दुनियावी दरवेश कुत्ताा रास्ते में ही लेटा होगा। यानि असली मुकाम से वह पहले ही तबदील होकर किसी दूसरी जगह सफर के रास्ते में ही बैठा होगा। यहां से आगे सफर का सवाल दरपेश (सामने) होगा। फर्ज़ी हिलजुल होगी। अगर सफर हो ही जावे तो ग्यारह गुना उम्दा होगा जब तक खाना नं0 3 से मन्दा असर शामिल न होवे।

घर न.12
अपने बाल बच्चों के पास रहने और ऐश व आराम करने का ज़माना होगा। तरक्की ज़रूर होगी मगर तबदीली की शर्त न होगी। अगर सफर हो तो नफ़ा (लाभ) ही होगा। केतु अपना उच्च फल देगा और नतीजा मुबारक होगा जब खाना नं0 6 उम्दा और नं0 2 नेक हो और नं0 12 को ज़हर न देवे । यानि खाना नं0 6 और 2 के ग्रह खाना नं0 12 पर मन्दा असर न कर रहें हों ।
चन्द मिसाले

जब केतु सफर का हुक्मनामा जारी करता है तो कुण्डली वाला एक बार तो ज़रूर सफर पर रवाना हो जाता है। चन्द कुण्डलियां बतौर मिसाल पेश हैं । समझदार के लिए इशारा ही काफी होगा।



कुण्डली नं0 1 पंजाब के जाने माने ज्योतिषी गौतम ऋषि पराशर जी की है। सूरज के पक्के घर खाना नं0 1 में चन्द्र बृहस्पति और केतु खाना नं0 3 परदेस की ज़िन्दगी। सन् 1994 में केतु ने सफर का हुक्मनामा जारी कर दिया और सफर का सिलसिला आज भी जारी है। वह अब तक 18-19 बार कैनेडा, अमरीका और दूसरे मूल्कों का दौरा कर चुके हैं।


कुण्डली नं0 2 एक सिविल इंजनियर की है। चन्द्र के घर खाना नं0 4 में सूरज बृहस्पति और सूरज के पक्के घर खाना नं0 1 में चन्द्र। लिहाज़ा सफर ज़रूरी। सन् 1977 से 1986 तक सल्तनते ओमान में एक कंस्ट्रक्शन कम्पनी में नौकरी कीं। इसी दौरान 4-5 बार अपने मुल्क में भी आए।


कुण्डली नं0 3 एक मकैनिकल इंजनियर की है । चन्द्र अपने घर खाना नं0 4 में और सूरज का साथ । शुक्र खाना नं 3, कोई लड़की समुन्द्र पार से बुला रही है। लिहाज़ा अमरीका से एक पंजाबी लड़की से शादी हुई और सन् 1987 से वहीं बस गए। अब तक कई मुल्कों का सफर कर चुके हैं।


कुण्डली नं04 में चन्द्र का सूरज और बृहस्पति से दृष्टि द्वारा ताल्लुक और केतु ने सफर करा दिया । कुण्डली वाला सन् 2000 से इटली में काम कर रहा है । इस दौरान तीन बार अपने मुल्क भी आया।


Friday, March 5, 2010

साहबे औलाद

आज के दौर में वही वालदैन (माता पिता) पूरी तरह कामयाब हैं जिनकी औलाद भी कामयाब हो जावे। यही वजह है कि औलाद को कायम करने के लिए दौड़ लगी हुई है। मगर ग्रह क्या कहते हैं, यह भी देख लें तो बेहतर होगा।

ग्रहों से औलाद का ताल्लुक:-

बृहस्पति:- मसनुई (बनावटी) हालत सूरज शुक्र मुश्तर्का (इकट्ठे) । जिस्म में रूह के आने जाने का ताल्लुक (सम्बन्ध) या पैदायश औलाद मगर औलाद की ज़िन्दगी कायम रखने या मौत हो जाने का कोई बन्धन नहीं ।

सूरज:- मसनुई हालत शुक्र बुध मुश्तर्का । माता के पेट के अन्धेरे में रोशनी दे देना या पैदा होने के बाद दुनिया में उनकी या उनसे वालदैन की किस्मत को रौशन करना। खुलासा बज़रिया नर औलाद, अन्धेरे घरों में चिराग रौशन करने की ताकत, सेहत का मालिक।

चन्द्र:- मसनुई हालत सूरज बृहस्पति मुश्तर्का। उम्र, धन-दौलत और वालदैनी नेक ताल्लुक, वालदैनी खून नुतफ़ा का ताल्लुक (नर मादा हर दो औलाद का) ।

शुक्र:- मसनुई हालत राहु केतु मुश्तर्का । जिस्म या बुत की मिट्टी, गृहस्थी सुख, औलाद की पैदायश में मदद या खराबी, दुनियावी सुख ।

मंगल:- मसनुई हालत सूरज बुध मुश्तर्का मंगल नेक, सूरज सनीचर (शनि) मुश्तर्का मंगल बद। जिस्म में खून कायम रहने तक ज़िन्दगी का नाम और दुनिया में औलाद और उनके आगे औलाद दर औलाद कायम रखकर बेलों (पौधे) की तरह बढ़ाना और उनका नाम या उनके नाम से सब का नाम बढ़ाना या दुनिया में नाम बाकी या पैदा कर देना, कुंडली वाले में कुवते बाह से अलैहदा (अलग) बच्चा पैदा करने की ताकत, जिस्म में ज़ोर, रूह बुत को इकट्ठा पकड़े रखने की हिम्मत, बेल सब्ज़ी की तरह औलाद ज़िन्दा रखने का मालिक ।

बुध:- मसनुई हालत बृहस्पति राहु मुश्तर्का । औलाद का रिश्तेदारों से ताल्लुक लड़कियां, लड़कियों की नस्लों का बढ़ाना, खुद कुण्डली वाले में कुवते बाह खाली विषय की ताकत, कुण्डली वाले और औलाद के लिए दूसरों से मिलने मिलाने का मैदान खुला करना या खाली आकाश की तरह उन सब के लिए हर तरफ जगह खाली करके मैदान बढ़ा देना, इज्ज़त शोहरत।

सनीचर:- मसनुई हालत बृहस्पति शुक्र मुश्तर्का (केतु स्वभाव), मंगल बुध मुश्तर्का (राहु स्वभाव) । औलाद की पैदायश के शुरू होने का वक्त, जायदादी ताल्लुक, मौत के बहाने, ज़हमत बिमारी ।

राहु:- मसनुई हालत मंगल सनीचर मुश्तर्का (उच्च राहु) , सूरज सनीचर मुश्तर्का (नीच राहु)। बृहस्पति के असर के खिलाफ़ होना या बृहस्पति को चुप कराना । रूह का आना जाना बन्द कराना या मौतें या बहुत देर तक पैदायश औलाद को रोक देना या दीगर गैबी और छुपी छुपाई खराबियां या पांव तले भूचाल पैदा करने मगर लड़कियाें की मदद करता है, झगड़े फ़साद ।

केतु:- मसनुई हालत शुक्र सनीचर मुश्तर्का (उच्च केतु), चन्द्र सनीचर मुश्तर्का (नीच केतु) । औलाद की खुशहाली, फलना फूलना मगर औलाद की तायदाद (गिनती) में कमी का हिन्दसा रखना, मौते करके औलाद घटाने से मुराद नही वैसे ही औलाद गिनती ही की होगी या बहुत देर बाद होगी । लेकिन जो होगी या जब होगी उम्दा और मुकम्मल होगी। बशर्ते कि इसके दुश्मन ग्रह की दृष्टि न हो केतु पर । खुद कुण्डली वाले में बुध में कुवते बाह (सम्भोग शक्ति) और मंगल के खून से बच्चा पैदा करने की ताकत और बृहस्पति की औलाद की पैदायश, तीनों को इकट्ठा रखने वाली ताकत नुतफ़ा या वीर्य या नुतफ़ा की बुनियाद को नर मादा में मिलाने वाली तुफानी हवा या खाली नाली होगी। यही तीन ग्रह केतु की तीन टांगे हैं, जिनकी वजह से शुक्र का बीज कहलाता है । अगर कुण्डली वाले का जो ग्रह रद्दी या उम्दा हालत में होगा वही रद्दी या उम्दा हालत होगी। ऐश का

बृ0 म0 बु0
मालिक । केतु को लड़का भी माना जो अपने उच्च घरों में उम्दा फल

केतु

देता है लेकिन अगर बृहस्पति या मंगल खाना नम्बर 6,12 में हो जावें तो केतु ख्वाह (चाहे) उच्च उम्दा या नेक घरों में ही क्यों न बैठा हो, मन्दा फल देगा ।

पैदायश औलाद:-फरमान नम्बर 17 के मुताबिक

'' शुक्र मंगल बुध केतु राजा, शनि भी शामिल होता हो ।

पहले पांचवें नर ग्रह चन्द्र, मंगल दूजे केतु ग्यारा हो ।

जन्म वक्त औलाद का होगा, ज़िन्दा पैदा जो होती हो ।

बुध लड़की नर केतु लड़का देता, गिनती भले पर होती हो ।

केतु बैठा घर 11 टेवे, गुरू, चन्द्र

शनि

औलाद मन्दी या देरी होवे, लाश पैदा या मुर्दा हो ।

केतु, शनि, बुध

रवि, शुक्र, राहु

वक्त पैदायश लड़का/लड़की होवे, लेख उम्र उस लम्बा हो ।

केतु कायम तो लड़के कायम, लड़की कायम राहु करता हो।

छटे चन्द्र दे कन्या ज्यादा, चौथे केतु नर देता हो ॥ ''

यानि वर्षफल के हिसाब से, चन्द्र नष्ट तो औलाद नष्ट, बुध और केतु में से जो भी उम्दा हालत में हो लड़के या लड़की का फैसला उसी से, खाना नम्बर 5 में उम्दा ग्रह तो लड़का, केतु उम्दा तो औलाद उम्दा, राहु मन्दा तो औलाद मन्दी ।

वक्त औलाद:-

1 खाना नम्बर 5 मंदे ग्रहो से अगर रद्दी न हो रहा हो तो औलाद की पैदायश उम्दा वरना औलाद में अड़चन होगी।

2 केतु खाना नम्बर 2, 5, 7, 1, सनीचर नम्बर 1, 11 जब बहैसियत पापी ग्रह न बैठा हो, बगैर शर्त औलाद का योग देंगे।

3 बुध जब जब शुक्र का दोस्त मददगार हो तो लड़का वर्ना लड़की देगा।

वर्षफल के हिसाब से जब मंगल या शुक्र या केतु या बुध में से कोई खाना नम्बर 1 में आ जावे या अकेला केतु खाना नम्बर 11 में हो जावे या मंगल का वक्त और खाना नम्बर 2 में मंगल, शुक्र, केतु, बुध के मददगार ग्रहों की हालत हो तो औलाद होगी। बुध और केतु की अपनी अपनी हालत या दोनों में से जो उम्दा होवे नर या मादा का फैसला करेगा। उम्दा केतु लड़का, उम्दा बुध लड़की देगा। जब वर्षफल में औलाद का वक्त हो:-

(क) लड़के देगें शुक्र के दोस्त ग्रह यानि सनीचर, केतु, बुध मगर शुद शुक्र नही । जब वो उम्दा हों या 3 , 5, 11 में हों जावें ।

(ख) लड़कियां देगें बुध या बुध के दोस्त सूरज, शुक्र, राहु जब वो उम्दा हों या 3, 5, 11 में हों  जावें ।

बृहस्पति कायम तो सब औलाद कायम । राहु कायम तो सब लड़कियां कायम बशर्ते कि ग्रहों पर उनके दुश्मन ग्रहों की दृष्टि न पड़ रही हो । चन्द्र नम्बर 6 तो सब लड़कियां हों। केतु नम्बर 4 तो सब लड़के हों मगर आपस में वह साथी ग्रह न बन रहे हों । चन्द्र केतु इकट्ठे लड़के लड़कियां मसावी (बराबर) ।

बृहस्पति शुक्र मुश्तर्का, केतु स्वभाव सनीचर मसनुई तो औलाद ज्यादा और कायम होगी। लेकिन जब मंगल बुध मुश्तर्का, मसनुई सनीचर राहु के मन्दे स्वभाव का होवे तो औलाद माता के पेट में ही बर्बाद होती जावे। ऐसी हालत में अगर बृहस्पति, चन्द्र या सूरज नेक या उम्दा हो तो सनीचर की 36 साला उम्र में औलाद कायम होगी। लेकिन अगर ऐसी मदद न मिले तो केतु का जाती (अपना) फैसला (जन्म कुण्डली में बैठा होने के हिसाब से ) बहाल होगा। चन्द्र केतु नम्बर 5 लड़के कायम। राहु नम्बर 11 लड़कियां कायम बशर्ते सनीचर नीच, मन्दा या नम्बर 6 में न हो । राहु नम्बर 9 में, 21 साला उम्र से 42 तक सिर्फ एक लड़का कायम, बाद में और हो सकता है । राहु नम्बर 5 निहायत मन्दा ग्रह वास्ते औलाद । अगर चन्द्र या सूरज साथ साथी या मुश्तर्का दीवार के खाना नम्बर 4, 6 में न हों । सनीचर खाना नम्बर 7 में लड़के बशर्ते राहु नम्बर 11 में न हो या नर ग्रह मन्दे न हों ।

वालदैन व औलाद का बाहमी (आपसी) ताल्लुक:-सनीचर नम्बर 3 सूरज नम्बर 5 औलाद से दुखिया होगा। जन्म कुण्डली में अगर सूरज के साथ उसके दोस्त ग्रह बैठें हो तो वह शख्स अपने बाप से उम्दा हालत का होगा। लेकिन अगर सूरज के साथ उसके दुश्मन ग्रह बैठें हो तो ऐसे शख्स की औलाद उससे मन्दी हालत की होगी।

औलाद का वालदैन को सुख:-बृहस्पति और चन्द्र अकेले अकेले बैठें होने के वक्त अगर कुण्डली में चन्द्र पहले हो तो माता की उम्र लम्बी होगी वर्ना पिता लम्बी उम्र भोगेगा। जन्म कुण्डली के हिसाब से सूरज खाना नम्बर 6 और सनीचर हो खाना नम्बर 12 में तो औरत पर औरत मरती जावे या मां बच्चों का ताल्लुक ही न देखे या सुख से पहले चलती जावे। बुध मारता होवे बृहस्पति को या बुध बृहस्पति के घरों में या बृहस्पति के साथ ही तो बच्चे पिता पर भारी (दुख या मौत का सबब) होंगे।

साहबे औलाद दर औलाद होगा:-

'' गुरू, शुक्र, बुध, शनि, रवि से, ऊँच कायम कोई उम्दा हो ।

पूत बढ़ते पुश्तों बढ़ते, उम्र लम्बी सब सुखिया हो ।

पांच पहले 3 ग्रह जब उम्दा, औलाद सुखी सुख पाता हो ।

सेहत, दौलत, धन, आयु, सबका, नेक भला और उम्दा हो।

गुरू केतु जब शनि को देखे, असर तीनों का उम्दा हो ।

धन, आयु, औलाद इकट्ठे, सुख औरत का पूरा हो ॥''

यानि ऐसी हालत में औलाद, सेहत, धन दौलत, औरत और उम्र, हर तरह का सुख होगा। बेटे के आगे बेटा होता जावे और पुश्त आगे बढ़ती जावे । जब तक बृहस्पति उम्दा औलाद सुखिया होगी।

लावल्द (बे-औलाद) कभी न होगा:-

'' दूजे छटे जब शुक्र जागे, मदद गुरू रवि पाता हो ।

मच्छ रेखा परिवार कबीले, औलाद दौलत सब उम्दा हो ।

छटे रवि घर 12 होते, साथी मंगल बुध बनता हो ।

तीन राहु, घर दोस्त बदले लावल्द कभी न होता हो ॥''

लावल्द ही होगा :-

''बुध, मंगल

शुक्र, केतु

गुरू शुक्र घर 7वें बैठें , माता चन्द्र 8 बैठी हो ।

चन्द्र शुक्र हों मुकाबिल बैठे, शत्रु साथ या पापी हो ।

छते कुएं घर कायम होते, टेवा शक्की लावल्दी हो ।

शुक्र राहु घर 5वां पाते, कन्या कायम एक होती हो ।

चन्द्र केतु हो 11 बैठे, निशानी लावल्दी होती हो ॥''

ऊपर के जबाड़े के सामने के तीन दांत खत्म हो गये हों तो बुध नष्ट हो चुका हुआ लेंगे। कुआं छतकर या बन्द करके ऊपर मकान बनाना लावल्दी का सबब होगा।

हिजड़ा मर्द:-

'' सात शनि चन्द्र पहले, पांच शुक्र रवि चौथे हो।

चार ग्रह औलाद न फलते, हिजड़े मर्द न होते जो ॥''

जब चन्द्र हो खाना नम्बर 1, सनीचर नम्बर 7, सूरज नम्बर 4 और शुक्र नम्बर 5 में तो नामर्द होगा।

बांझ औरत

''शुक्र दूसरे 6वें बैठा, बुध मंगल न साथी हो।

शनि मिले न साथ गुरू का, आठ दृष्टि खाली हो ।

बांझ औरत वह खुसरा होगी, औलाद नरीना कतई हो ।

बाकी सिफत कुल उम्दा उसकी, उत्ताम लक्ष्मी होती हो ॥''

यानि खाना नम्बर 2, 6 का शुक्र हर तरह से अकेला हो तो औरत बांझ या नाकाबिले औलाद होगी चाहे उसमें बाकी सिफतें हों ।

कुण्डली में मन्दे ग्रहों को बदलना तो इन्सानी ताकत से बाहर है लेकिन उसकी ग्रह चाल को लाल किताब के उपायों से दुरूस्त करके फायदा लिया जा सकता है ।