Saturday, February 20, 2016

दिलीप कुमार

युसुफ खान उर्फ दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसम्बर 1922 को पेशावर, पाकिस्तान में हुआ। उनके वालिद फलों का कारोबार किया करते थे। उनकी शुरू की जि़न्दगी तंगी में ही गुज़री। रोज़ी रोटी के लिए वह पुणे में एक कंटीन में काम करने लगे। वहीं पर उस दौर की मशहूर फिल्मी अदाकारा देविका रानी ने उनको देखा और युसुफ खान से दिलीप कुमार बना दिया। उनकी पहली फिल्म ’’ज्वार भाटा’’ सन् 1944 में  बनी। जो फ्लाप ही रही। कुछ फिल्मों के बाद सन् 1955 में देवदास फिल्म से वह फिल्मी दुनिया में कायम हो गये और ट्रैजिडी किंग कहलाये। सन् 1960 में  मुगल-ए-आज़म फिल्म बनी जिसने कई रिकार्ड तोड़ दिये। लिहाज़ा दिलीप साहिब बालीवुड के अदाकार-ए-आज़म बन गये। इसके बाद उनकी कई मकबूल फिल्में बनी और उनको फिल्मी दुनिया का बेताज बादशाह कहा जाने लगा।
उनकी कुछ अहम फिल्में दाग, आन, नया दौर, कोहिनूर, गंगा-जमुना, मधुमती, लीडर, दिल दिया दर्द लिया, संघर्ष, दास्तान, राम और श्याम, आदमी वगैरह और फिर बाद में क्रान्ति, शक्ति, विधाता, कर्मा वगैरह भी आईं। उनकी आखिरी फिल्म सन् 1998 किला थी। फिल्मी सफर के चलते उनको कई फिल्मी और कौमी एवार्ड मिले।
दिलीप साहिब की शादी सन् 1966 में अदाकारा सायरा बानो से हुई।  शादी के वक्त दिलीप साहिब की उम्र 44 साल और सायरा की उम्र 22 साल थी। सायरा से एक मुर्दा औलाद भी हुई। बाद में सन् 1980 में उन्होने दूसरी शादी भी की जो तलाक पर ख़त्म हो गई। इसमें कोई शक नही कि दिलीप साहिब अपने दौर के सबसे बड़े बालीवुड अदाकार हैं। वह अपने वक्त में सबसे ज्यादा उजरत लिया करते थे। उनकी जो कुण्डली मेरी नज़र से गुज़री वह इस तरह है मगर कहां तक सही है, यह कहना मुश्किल है।


 ग्रहों के मुतबिक जन्म बड़े परिवार में होवे और उम्र का साथ लम्बा चले। अपनी 22 साला उम्र से जाति कमाई शुरू हो जावे फिर 34 साला उम्र से बहुत तरक्की करे और इज्ज़त, दौलत व शोहरत उनका पीछा करे। मगर बुध का खाली चक्कर सूरज की मदद लेकर शुक्र को खराब करे और केतु नीच जिसका असर उनकी गृहस्ति हालत पर होवे। लिहाज़ा शादी में काफी देर हो गई। औलाद भी हुई तो बुढापे में वह भी मुर्दा। फिर दूसरी शादी बेमाना ही निकली। ज्यादा कुछ कहना ठीक न होगा। समझदार के लिए इशारा ही काफी और नकलचीन से बस मुआफ़ी।