Friday, December 19, 2014

मस्नूई ग्रह

लाल किताब में मस्नूई ग्रह से मतलब है दो ग्रहों से बना हुआ बनावटी ग्रह। मसलन् कुण्डली में शुक्र बुध मुश्तर्का हांे तो वह मस्नूई सूरज हुआ। इस तरह कण्डली में दो सूरज हुए। एक तो पक्का ग्रह सूरज और दूसरा मस्नूई सूरज। पक्के ग्रह का असर अपनी मुताल्लिका चीज़ों पर होगा। मगर मस्नूई ग्रह अपनी मस्नूई हालत के दोनों ग्रहों के मुताल्लिका चीज़ों का असर भी दे जाता है। मसलन् सूरज पक्का ग्रह है और शुक्र बुध मुश्तर्का मस्नूई ग्रह सूरज है। अब सूरज अपना असर सेहत तरक्की खाना नम्बर 1-5 का असर देगा। लेकिन शुक्र बुध मुश्तर्का मस्नूई हालत में सूरज का असर शुक्र शादी और बुध लियाकत का भी हर दो ग्रह खाना नम्बर 7 का असर दे जायेगा। नष्ट ग्रह के वक्त उस ग्रह का मस्नूई हालत का ग्रह काम देता है। मसलन् सूरज राहु मुश्तर्का से सूरज नष्ट या मन्दा ही होगा। अगर उसी वक्त शुक्र बुध भी मुश्तर्का हों तो सूरज मन्दा न होगा। क्योंकि मस्नूई सूरज मदद दे देगा।
लाल किताब के फ़रमान नम्बर 10 के मुताबिक दो ग्रह मुश्तर्का होने से मस्नूई ग्रह बन जाता है। सूरज शुक्र मुश्तर्का से मस्नूई बृहस्पत, शुक्र बुध मुश्तर्का से सूरज, बृहस्पत सूरज से चन्द्र, राहु केतु से शुक्र, सूरज बुध से मंगल (नेक), सूरज सनीचर से मंगल (बद), बृहस्पत राहु से बुध, बृहस्पत शुक्र से सनीचर (केतु सुभाओ), मंगल बुध से सनीचर (राहु सुभाओ), मंगल सनीचर से राहु (ऊँच), सुरज सनीचर से राहु (नीच), शुक्र सनीचर से केतु (ऊँच) और चन्द्र सनीचर से केतु (नीच) बनता है।
मस्नूई ग्रहों का असर खास खास बातों पर होगा। मस्नूई ग्रह बृहस्पत औलाद की पैदायश का मालिक है। मस्नूई सूरज सेहत का मालिक, चन्द्र वालदैनी खून व नुत्फ़ा का ताल्लुक, शुक्र दुनियावी सुख बजरिया औलाद, मंगल औलाद को जि़न्दा रखने का मालिक, बुध इज्ज़त शोहरत, सनीचर सेहत बिमारी, राहु झगड़े फसाद और केतु ऐश का मालिक है।
मस्नूई ग्रह की हालत में उसके दो ग्रहों का असर जुदा जुदा कर लेना या दो का मुश्तर्का कर लेना हो सकता है। किस्मत की हेराफेरी पक्का ग्रह शायद ही कभी बदले पर मस्नूई ग्रह का बदलना मुमकिन है। मगर 21 साला उम्र से कोई तबदीली नही होती। यह बालिग होने का ज़माना है। किस्सा कोताह मसनूई ग्रह पक्के ग्रह को मदद ही देता है।
मस्नूई ग्रह किसी किसी कुण्डली में होता है। इसका असर पक्के ग्रह के हिसाब से होता है। ऐसी ही दो कुण्डलियां बतौर मिसाल पेश है।
कुण्डली नम्बर 1


कुण्डली नम्बर 2





पहली कुण्डली मुल्क के साबिक वज़ीरे आज़म जवाहर लाल नेहरू जी की जिसमें मस्नूई सूरज खाना नम्बर 4 में है। लिहाज़ा खाना नम्बर 5 का सूरज बहुत ताकतवर हुआ। वृहस्पत की किस्मत को सूरज की चमक ने इतना चमका दिया कि उनके सामने कोई टिक न पाया। नेहरू जी लम्बे अर्से तक सियासी दुनिया में सूरज की तरह चमकते रहे।
दूसरी कुण्डली मरहूम धीरू भाई अम्बानी जी की जिसमें मस्नूई सूरज खाना नम्बर 12 में है। लिहाज़ा खाना नम्बर 1 का सूरज बहुत ताकतवर हुआ। बहुत कम समय में एक आम आदमी से तरक्की करके वह बहुत बड़े सन्नतकार बन गये। उनका रिलायन्स कम्पनियों का गरूप मुल्क में नम्बर एक माना जाने लगा और उनकी गिनती दुनिया के अमीर आदमियों में होने लगी। अम्बानी जी लम्बे अर्से तक कारोबारी दुनिया में सूरज की तरह चमकते रहे।
इसके अलावा मस्नूई ग्रह वाली कुछ और कुण्डलिया भी मेरी नज़र से गुज़री हैं । मसलन् साबका वज़ीरे आज़म इंदिरा गाँधी , वी. पी. सिंह और डा. मनमोहन सिंह जी की कुण्डली में मस्नूई मंगल मौजूद है    जब कि वज़ीरे आज़म नेरिंदर मोदी जी कि कुण्डली में मस्नूई केतु मौजूद है   यह सब कुण्डलियाँ मस्नूई ग्रहों कि उम्दा मिसालें हैं 

Monday, December 1, 2014

राहे रवानगी

’’इस घर का जो रंग है खूनी, असर होता भी खूनी है ।
होता जभी ग्रह इस घर ज़ुल्मी, देता असर वह कष्टी है।’’

कुण्डली के खाना नम्बर 3 को लाल किताब में इस दुनिया से कूच के वक्त राहे रवानगी कहा गया है। हकीकी रिश्तेदार, बहन भाई, भाई बन्द, साले बहनोई, नज़र का असर (पत्थर फाड़े या तारे) जिगर खून, आम खुशी गमी की औसत हालत, सुभाओ गर्म, तर व बादी होगा। भाई का घर, ताये चाचे का मकान, मकान के  साजो सामान, जिस्मानी ताकत, मुताल्लिका बृहस्पत, ठगी, चोरी, अयारी, यारी मुहब्बत, नुक्सान, जंग व जदल, नेकी, इन्साफ मंुसिफी, बजऱ्ुगाना ताल्लुक, बच्चा पैदा करने की ताकत, परिवार, कबीला का बढ़ना व बढ़ाना, उठती जवानी का हाल, आकाश, दुनिया से माया के चले जाने का रास्ता, दूसरों की मदद से पैदा करदा दोस्त यार मददगार आदमी, जनूब, बुध शनि और मंगल जैसे हों वैसा ही फल होगा। यह सेहन है खाना नम्बर 11 का और इसका मुन्सिफ होगा बुध सब्ज़ मंगल। मर्द व औरत की जोड़ी या बाहमी ताल्लुक व उम्र का साथ ज़ाहिर होगा।
त्रिलोकी का भेद खाना नम्बर 3 से खाना नम्बर 9 में नौ ही ग्रहों से ज़ाहिर हुआ। जहां कि गैबी और ज़ाहिरा दोनो जहांन का मालिक बृहस्पत था। जिसने दुनिया को यह ख़बर देने के लिए गृहस्थियों का घर शुक्र का खाना नम्बर 2 को पक्का घर बनाया। जिसमें आने के बाद चले जाने का पैगाम या मौत का हुक्म भी खाना नम्बर 8 से आने लगा। इस गुरू बृहस्पत ने यह भेद कुत्ते के ज़रिए खाना नम्बर 6 में भेजा। कुत्ता बोला तो उसकी आवाज़ फिर वापिस आसमानी खाना नम्बर 12 में जा पहुंची। इस भेद की जो चीज़ खाना नम्बर 3 से 9 में और खाना नम्बर 8 से खाना 2 में ले गई वह दृष्टि देखना या मंगल सनीचर की नज़र का होना कहलाया। इस नज़र को बृहस्पत ने पहचाना और अपने साथी दुनियावी दरवेश कुुत्ते की आवाज़ बुध से ज़ाहिर कर दिया। बृहस्पत ने गैबी बात पहचानी। केतु ने बुध के रास्ते धन दौलत के सुख के खाने में ख़बर दे दी। दोनो दरवेशों की इस ताकत को बुध ने ज़ाहिर किया। इसलिए बुध का आकाश या आवाज़ नकारा खलक को आवाज़े खुदा समझा गया या बुध सब का भेद खोल देगा। अगर बुध अच्छा तो चन्द्र का बुरा फल न होगा। जब चन्द्र अच्छा तो शुक्र का बुरा फल न होगा। इसीलिए बुध अपना फल शुक्र में पहुंचा देता है। यानि बुध के बगैर शुक्र पागल होगा और शुक्र के बगैर बुध दीवाना पागल कुत्ता होगा जो अपने मालिक को छोड़कर (दीवाना कुत्ता मालिक का छोड़ जाता है) और अगर वह अपने ही घर जहां वह पागल हुआ बंधा होवे यानि खाना नम्बर 12 में तो मालिक को भी काट देगा। गोया बुध ही सब ग्रहों का भेदी है और बृहस्पत सबको जानने वाला है। यह दोनो ही ग्रह राहु केतु के सर और पांव को पहचान सकते हैं क्योंकि दोनों मुश्तर्का ग्रहचाली बच्चा माने हैं। खुलासातन खाना नम्बर 3 के ग्रह खाना नम्बर 8 की रद्दी हालत से बचाने वाले होंगे। ख्वाह वह नम्बर 3 के ग्रह खुद खाना नम्बर 11 की मन्दी हालत में ही क्यों न हों। या यूं कहो कि खाना नम्बर 3 कुण्डली वाले पर मन्दा न होगा अगर खुद उस ग्रह की मुताल्लिका चीज़ों का ताल्लुक मन्दा हो तो बेशक ।
जब नम्बर 3 में पापी ग्रह बैठें हो और नम्बर 8 व 6 भी मन्दे हो रहे हों तो अगर मौत नही तो बहाना मौत ज़रूर खड़ा कर देंगे। खाना नम्बर 12 का ग्रह ख्वाह नम्बर 3 वाले का दुश्मन ही हो, नम्बर 3 को मदद देगा। मसलन् मंगल नम्बर 12, केतु नम्बर 3 हो तो मच्छ रेखा वास्ते धन दौलत हालांकि मंगल और केतु बाहम दुश्मन हैं । इसी तरह बुध नम्बर 12 और शनि या बृहस्पत नम्बर 3 हों तो अमृतकुण्ड, हर तरह से बरकत का ज़माना होगा। अगर नम्बर 12 में शुक्र राहु मुश्तर्का हों तो ज़ाहिरा तौर पर 21 या 25 साला उम्र में बेवापन ज़ाहिर होगा। लेकिन अगर उसी वक्त खाना नम्बर 3 में शनि बैठा हो तो राहु का शुक्र पर बुरा असर न होगा। क्योंकि शनि शुक्र का मदद दे देगा। जब नम्बर 3 में मुश्तर्का ग्रह हों तो 12 व 3 के ग्रहों की बाहमी दोस्ती दुश्मनी बहाल होगी।