’’घर पहला है तख़्त हज़ारी, ग्रह फल राजा कुण्डली का;
जोतिष में इसे लग्न भी कहते, झगड़ा जहां रूह माया का।’’
खाना नम्बर 1 में सूरज उच्च, शनि नीच और मंगल घर का ग्रह का होगा। मगर खाना नम्बर 7 में शनि उच्च, सूरज नीच और शुक्र घर का ग्रह होगा। अगर खाना नम्बर 7 खाली हो तो खाना नम्बर 1 के उच्च ग्रहों का असर शक्की ही होगा। तख़्त पर बैठा हुआ ग्रह राजा और खाना नम्बर 7 में बैठा हुआ ग्रह उसका वज़ीर होगा। अगर तख्त पर एक ग्रह और खाना नम्बर 7 में ज्यादा ग्रह बैठे हों तो राजा वज़ीरी होती है। मगर जब उल्ट हो जावे तो सातवें की जड़ कट जाती है। मसलन् खाना नम्बर 1 में चार ग्रह बृहस्पत चन्द्र बुध राहु और खाना नम्बर 7 में अकेला केतु हो तो 34 साला उम्र तक नर औलाद नदारद या पैदा होकर मरती जावे और 48 साला उम्र तक एक ही लड़का कायम हो। अगर 48 साला उम्र से दूसरा लड़का कायम हो जावे तो लड़की बेवा, बेईज्जत या दीगर मन्दे नतीजों से बरबाद होगी। कुण्डली वाला अगर चार और जानों को रोटी का हिस्सा देवे तो नर औलाद कायम होगी और औलाद पैदा होने के दिन से चारो ग्रह मुश्तर्का राजयोग होंगे वर्ना उम्दा असर की बजाये खाक या हर तरह लानत नसीब होगी। जब खाना नम्बर 1 में ज्यादा ग्रह हों तो खाना नम्बर 1 का मुन्सिफ शुक्र होगा।
जिस वक्त टेवे मेे असल मंगल के अलावा मसनूई मंगल नेक या बद दोनों ही मौजूद हों तो नम्बर 1 देखेगा खाना नम्बर 11 को । अगर नम्बर 11 खाली हो तो नम्बर 1 ग्रह अपना असर करने के ताल्लुक में बुध की चाल पर चलेगा। जब नम्बर 8 खाली हो तो 1 वाले ग्रह की आंखों को रोकने के लिए कोई रूकावट न होगी और वह खुद ही अपनी आंखों से देखभाल करता होगा। तख़्त पर बैठे हुये ग्रहचाली हुक्मरान राजा के अहद में उसके लिए खाना नम्बर 1 लैंन्स ,नम्बर 8 फोक्सिंग ग्लास और नम्बर 11 रैगुलेटर होगा।