Thursday, December 9, 2010

प्रधानमन्त्री

दिल्ली की एक ज्योतिष पत्रिका के मई 2009 के अंक में एक लेख छपा था, 'कौन बनेगा प्रधानमन्त्री ?'' इस में कई कुण्डलियों का खुलासा किया गया। सुषमा स्वराज जी  के बारे में ज्योतिषी जी ने लिखा, '' सुषमा जी पर वर्तमान समय में प्रभावी शनि और बुध की दशा 30-11-2009 तक चलेगी। इस अवधि में उनके प्रधानमन्त्री बनने की प्रबल सम्भावना है।'' आगे चलकर प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह जी के बारे में लिखा,'' दूसरी बार प्रधानमन्त्री बनने में कठिनाई होगी।''

खैर लोकसभा चुनाव हुए। सुषमा जी प्रधानमन्त्री तो दूर, मन्त्री भी न बन सकी। मगर मनमोहन सिंह जी बिना चुनाव लड़े दोबारा प्रधानमन्त्री बन गए। कोई कठिनाई न हुई। अब क्या कहें ? या तो कुण्डलियां ठीक नही या फिर ज्योतिषी जी गलती कर गए। चलिए लाल किताब के हिसाब से कुण्डलियों का जायज़ा लें।



सुषमा जी की कुण्डली के खाना नं0 10 में सुरज को ग्रहण राहु से और खाना नं0 5 में चन्द्र को ग्रहण सनीचर से। किस्मत का घर खाना नं0 9 में बुध, ''चमगादड़ के मेहमान आए, यहां हम लटके वहां तुम लटको।'' काला नंगा सिर भी मन्दा। ऐसी हालत में प्रधानमन्त्री बनने की बात कुछ समझ में न आए।


मनमोहन सिंह जी की कुण्डली के खाना नं0 10 में सुरज बुध मुश्तर्का, राज ताल्लुक और सरकारी मुलाजमत । किस्मत का घर खाना नं0 9 में बृहस्पति, सुनहरी खानदान, जैसे जैसे उम्र बढ़े वैसे वैसे तरक्की करे। मंगल और पापी ग्रह भी नेक। ऐसी हालत में प्रधानमन्त्री बनने की बात समझ में आए। अगर पगड़ी का रंग सफेद या हल्का शर्बती हो तो बेहतर होगा ।


ज्योतिष के नाम पर उल्टी सीधी बातें कहने से न सिर्फ ज्योतिष को धक्का लगता है बल्कि अपनी खुद की मिट्टी भी खराब होती है। इसलिए ऐसी बातों से बचना चाहिए।