Sunday, March 24, 2013

ग्रह खेल

पिछले एक मज़मून दो देवियां में मिलती जुलती कुण्डलियों का जि़क्र था। उनकी जि़न्दगी के हालात भी मिलते जुलते थे। ऐसी ही एक और मिसाल मिलती जुलती कुण्डलियों की पेश है, जिनकी जि़न्दगी के हालात भी मिलते जुलते हैं। ऐसी मिसालें ज्योतिष की सच्चार्इ को दोहराती हैं। इतना ही नही, जो लोग ज्योतिष को नही मानते, उनको भी सोचने के लिए मजबूर कर देती हैं।

जि़न्दगी में हर शख्स अपने बारे में अच्छा सोचता है और अच्छा ही चाहता है। मगर कर्इ बार हो कुछ और ही जाता है। यह किस्मत नही तो और क्या है ? दूसरे लफ्ज़ों में जि़न्दगी ग्रहों का खेल ही है। यह ज़ाहिर है इन कुण्डलियों से। समझ दार के लिए इशारा ही काफी।





कुण्डली नं0 1 वाली औरत पंजाब से और कुण्डली नं0 2 वाली उत्तर प्रदेश से है। दोनों कुण्डलियों में सूरज खानां नं0 1, चन्द्र खानां नं0 6 और शुक्र खाना नं0 12 में हैं। इसके अलावा पहली कुण्डली में चन्द्र के घर मंगल बद और दूसरी कुण्डली में पापी केतु है। पहली कुण्डली में राजा सूरज का टकराव अपने वज़ीर शनि से है तो दूसरी कुण्डली में वज़ीर ही नही है। चन्द्र का असर भी शुक्र पर मंदा ही होगा। आदमी की कुण्डली में शुक्र उसकी औरत और औरत की कुण्डली में शुक्र उसका आदमी है। किस्सा कोताह ग्रह फल का मिलता जुलता असर दोनों औरतों की जि़न्दगी पर साफ नज़र आता है।

दोनों पढ़ी लिखी, खूबसूरत और नेक हैं। दोनों की शादी लगभग एक ही उम्र में हुर्इ। दोनों के पति नौकरी करते थे। दोनों के औलाद (बेटा)  भी पैदा हुर्इ। फिर दोनो लगभग एक ही उम्र में बेवा हो गर्इं। पति की मौत के बाद दोनों नौकरी करने लगी। इस तरह अब दोनो अपना गुज़र कर रही हैं। पता नही ग्रह अपनी नज़र क्यों बदल लेते हैं ? दर असल  जि़न्दगी ग्रह खेल है, कल भी ग्र्रह खेल था, आज भी ग्रह खेल है।