Thursday, March 3, 2011

बीमारी

नफ़ा नुक्सान, फतह शिकस्त, सुख दुख, सेहत बीमारी, ज़िन्दगी के हर दो पहलू हैं। वर्षफल के हिसाब से खाना नं. 3, 5, 8 , 11 की मन्दी हालत से मन्दे नतीजे होंगे। अगर यह सब खाने खाली हों तो खाना नं. 4 भेदी होगा।


बीमारी का आगाज़ खाना नं. 8 से शुरू होगा। खाना नं.2-4 बहाना होंगे। खाना नं. 10 इसमें लहरें बढ़ा देगा। खाना नं. 5 रूपए पैसे का खर्च और खाना नं. 3 दुनिया से चले जाने का हुक्म सुना देगा। खाना नं. 3 के ग्रह खाना नं. 8 की मन्दी हालत से बचाने वाले होंगे  बशर्ते कि खाना नं. 11 के दुश्मन ग्रहों से वह मन्दा न हो। आखिरी अपील सुनने का मालिक चन्द्र होगा। अगर चन्द्र खाना नं. 4 में बैठा हो और राहु केतु खाना नं. 2-8 या 6-12 में बैठे हों तो उम्र के ताल्लुक में कोई मन्दा असर न लेंगे।


चूंकि बीमारी का बहाना खानां. 2 से शुरू होता है और उसमें लहरें खाना नं. 10 पैदा करेगा। इसलिए जब खाना नं. 2 बाहम दुश्मन ग्रह बैठे हों या उनका असर खाना नं. 8 में बैठे हुए दुश्मन ग्रहों के सबब से मन्दा हो रहा हो तो ऐसी ज़हर का खाना नं. 2 पर कोई बुरा असर न होगा । मगर उसी वक्त खाना नं. 10 खाली न हो तो खाना नं. 2 में पैदाशुदा ज़हर बीमारी का बहाना और उसमें लहरों की रफ्तार में ज़रूर दखल देगी। लेकिन अगर खाना नं. 10 खाली हो तो नं. 2 के बाहम दुश्मन ग्रहों का बीमारी के ताल्लुक में कोई दखल न होगा।


मन्दे ग्रह जिस दिन खाना नं. 3 या 9 में आवें, बुरा वाक्य होगा। जिसकी बुनियाद पर राहु केतु की शरारत होगी। राहु की बुरी भली तासीर का पता बुध और केतु की नेक व बद नियत का सुराग बृहस्पति बता देगा। जिसकी रोकथाम खाना नं. 8 से और मुकम्मल इलाज खाना नं. 5 करेगा। लेकिन अगर खाना नं. 5 खाली हो तो उम्दा सेहत होगी और अगर बीमार हो भी जाए तो खुद-ब-खुद ही तन्दरूस्त हो जायेगा। खुलास्तन खाना नं. 3 बीमारी के बहाना से अगर बर्बादी देता है तो खाना नं. 5 मुर्दा जिस्म में रूह वापिस डाल देता है। इन दोनों खाना नं. 3 और 5 की बुनियाद खाना नं. 9 होगा। अगर खाना नं. 3 व 5 दोनो ही खाली हों तो नं. 2,6,8,12 का मुश्तर्का फैसला, नतीजा होगा। जिसकी आखिरी अपील चन्द्र पर होगी। बृहस्पति मन्दा हो तो खाना नं. 5 पर मन्दा असर होता है।


खाना नं. 3 , 9 मन्दे हो तो नं. 5 मन्दा होगा। लेकिन अगर खाना नं. 9 में सूरज या चन्द्र हो तो नं. 5 उम्दा होगा। खाना नं. 10 के लिए नं. 5, 6 के ग्रह ज़हरी दुश्मन होंगे । जन्म कुण्डली में जब सूरज या चन्द्र के साथ शुक्र बुध या कोई पापी बैठा हो तो जिस वक्त वह नं. 1, 6, 7, 8, 10 में आवें,सेहत के ताल्लुक में मन्दा वक्त होगा।


ग्रह व बीमारी का ताल्लुक


जब कोई बीमारी तंग करे तो फौरन उसके मुताल्लका (सम्बन्धित) ग्रह का उपाय करें तो मदद हो जायेगी। मुश्तर्का (इकट्ठे) ग्रहों की हालत में उस ग्रह का उपाय करें जिसके असर से दूसरा ग्रह भी बर्बाद हो रहा हो । मसलन् बृहस्पति राहु मन्दे के वक्त राहु का उपाय मददगार होगा।


ग्रह मुताल्ल्का बीमारियां


बृहस्पति
सांस, फेफड़े के अमराज़ (मर्ज़)
सूरज
दिल धड़कना सूरज कमज़ोर जब चन्द्र की मदद न मिले। पागलपन, मुंह से झाग निकलना, अंग की ताकत बेहिस (बेकार) हो जाना। सूरज नं. 6 बुध नं. 12 ब्लड प्रैशर की बीमारी ।
चन्द्र
दिल की बीमारियां, दिल धड़कना, आंख के डेले की बीमारियां।
शुक्र
ज़िल्द के अमराज़ खुजली, चम्बल वगैरह। नाक छेदन से मदद होगी।
मंगल
नासूर, पेट की बीमारियां, हैज़ा, पित्त, मेदा ।
मंगल बद
भगंदर (फोड़ा), नासूर ।
बुध
चेचक, दिमागी ढांचा की बीमारिया, खुशबू या बदबू का पता न लगना, नाड़ों, ज़ुबान या दांत की बीमारियां।
सनीचर
बीनाई (नज़र) की बीमारियां, खांसी , दमा, चश्म की बीमारियां। दरिया में नारियल बहाना मददगार
राहु
बुखार, दीमागी अमराज़, प्लेग, हादसा, अचानक चोट ।
केतु
अज़ू (जोड़), रेह (गैस), दर्द जोड़, आम फोड़े फुंसी, रसौली, सुजाक, आतशक (गर्मी,लू) , पेशाब की बीमारी, बेहद एहतिलाम, कान के अमराज़ रीढ़ की हड्डी, हर्निया, अज़ू का उतर जाना या भारी हो जाना।
{बृहस्पति राहु , बृहस्पति बुध}
दमा , सांस की तकलीफ़
{राहु केतु , चन्द्र राहु}
बवासीर ,पागलपन, निमोनिया
{बृहस्पति राहु , सूर्य शुक्र}
दम, तपेदिक
{ बुध बृहस्पति, मंगल सनीचर }
कोढ़ खून के अमराज़, जिस्म का फट जाना।
{शुक्र राहु}
नामर्दी (नपुंसक) ।
{शुक्र केतु}
एहतिलाम (स्वप्न दोष) ।
{बृहस्पति मंगल बद}
यरकान ।
{चन्द्र बुध या , मंगल का टकाराव}
ग्लैंडज़
अगर घर से बीमारी दूर ही न होती हो या एक बाद दूसरा बीमार हो जावे तो:-


1. घर के तमाम मैम्बरों और आये मेहमानों (औस्तन) की तादाद से चंद एक ज्यादा मीठी रोटियां, चाहे छोटी-छोटी हों पका कर महीनें में एक दफ़ा बाहर जानवरों, कुत्तों, कौवों वगैरह को डाल दिया करें।
2. हलवा कद्दू पका हुआ, ज़र्द रंग और अन्दर से खोखला तीन महीने में एक बार धर्म स्थान में रख दिया करें।
3. अगर कोई मरीज़ शिफ़ा (आराम) ना पावे तो रात को उसके सिरहाने रूपया पैसा रखकर सुबह भंगी को 40-43 दिन देवें। यह पिछले जन्म का लेन देन का टैक्स होता है।
4. जब कभी शमशान या कब्रिस्तान में से गुज़रने का मौका मिले तो रूपया पैसा वहां गिरा दिया करें। निहायत गैबी मदद होगी।
खुदा सब को तन्दरूस्ती बखशे । हां ! अगर कभी ज़रूरत पड़ ही जाये तो मन्दे ग्रह का उपाय (असली) लाल किताब के मुताबिक ही करना बेहतर होगा। मिसाल के तौर पर अमर सिंह जी की कुण्डली जिनको दिसम्बर 2010 में शाम के वक्त अचानक हादसे में सिर में गहरी चोट लगी और कुछ दिन बेहोश रहे। तकरीबन एक महीना अस्पताल में रहे। अब घर में इलाज चल रहा है।


जन्म कुण्डली में खाना नं. 2 और 8 में ग्रह, बुध का कोई एतबार नही। वर्षफल में यह ग्रह खाना नं. 5 और 10 में मन्दे और आपसी टकराव। नतीजा चोट, दुख तकलीफ और नुक्सान। खाना नं. 3 राहे रवानगी यानि दुनिया से चले जाने का रास्ता जो मंगल ने रोक रखा है। जान बच गई। बृहस्पति खाना नं. 2 गैबी मदद। मगर दुख अभी दूर नही हुआ। जन्म का उपाय करवा दिया गया। वर्ष का उपाय बता दिया गया।