Thursday, November 7, 2013

नारियल

जब ग्रहों के उपायों की बात होगी तो लाल किताब का नाम सबसे पहले आयेगा और जब उपायों की मुताल्लका अशियां की बात होगी तो नारियल का नाम सबसे पहले आयेगा। नारियल के पेड़ आमतौर पर समुन्द्री साहिल वाले इलाके में पाये जाते हैं। भारत के अलावा नारियल दूसरे कई मुल्कों में भी पाया जाता है। जब नारियल कच्चा होता है तो उसका रंग हरा सा और पानी से भरा होता है। जनूब भारत में नारियल पानी आम पीया जाता है। जब पक जाता है तो इसका रंग भूरा सा और अन्दर का कुछ पानी गिरी में तबदील हो जाता है और जब नारियल सूख जाता है तो लक्कड़ सा बन जाता है।
आज से 25-30 साल पहले शुमाल भारत में नारियल फक्त अक्तूबर के महीने करवाचौथ के व्रत पर ही मिलता था। मगर अब यह सारा साल मिलता रहता है। नारियल का इस्तेमाल धर्म स्थान में, पूजा पाठ में, खाने पीने में और ग्रहों के उपायों में होता है । जहां तक उपाय की बात है नारियल को पापी ग्रहों से जोड़ा गया है। लिहाज़ा खानावार पापी ग्रहों के उपायों के लिए नारियल का दान देना, धर्म स्थान में रखना और नदी या दरिया में बहाना मददगार होता है। ग्रहण के वक्त नारियल चलते पानी में बहाना एक कारगर उपाय है। खासकर उनके लिये जिनकी कुण्डली में ग्रहण लगा हुआ हो। कुण्डली में सूरज और चन्द्र ग्रहण पापी ग्रहों से ही लगता है।
नारियल राहु की अशिया है। कुण्डली में अगर मंगल शनि मुश्तर्का हो तो मसनुई राहु उच्च और सूरज शनि मुश्तर्का हो मसनुई राहु नीच होगा। इसी तरह शुक्र शनि मुश्तर्का हों तो मसनुई केतु उच्च और चन्द्र शनि मुश्तर्का हों तो मसनुई केतु नीच होगा। मसनुई हालतों शनि मौजूद है। वैसे भी राहु और केतु, शनि के ऐजण्ट हैं और तीनो का पापी टोला कहा गया है। इसलिए पापी ग्रहों का उपाय नारियल से किया जाता है। परेशानी, मन्दी सेहत, आंखों की तकलीफ, जिस्मानी दर्द, रूपये पैसे की तंगी, राज दरबारी उलझन और ग्रहण की मन्दी हालत के वक्त नारियल के उपाय से फायदा लिया जा सकता है।