Thursday, December 17, 2015

हमशीरा

लाल किताब का एक शेयर है, ’’ समां करे नर क्या करे, समा बड़ा बलवान; असर ग्रह सब पर होगा, परिन्द पशु इन्सान।’’ कहते हैं  जब खुदा भी इन्सानी जामे में ज़मीन पर आया तो ग्रहों का असर उस पर भी हुआ। ग्रहों के इस खेल को किसी ने वक्त कहा तो किसी ने किस्मत। फिर किस्मत के जुदा जुदा रंग जुदा जुदा लोगों में देखने को मिलते हैं जिसको जानने के लिए ज़रिया है जोतिश । आइए एक बार फिर ग्रहों का खेल जोतिश की निगाह से देखें।

                               
यह कुण्डलियां दो बहनों की हैं। अब उम्र 40 साल से उपर हो गई मगर बात बहन तक ही अटकी हुई है। बाप बचपन में गुज़र गया और मां वक्त से पहले बेवा हो गई। दोनों के पास सूरत है तालीम है और इंग्लैण्ड में नौकरी है। मगर शादी की अभी तक कोई बात न बनी। तो क्या यह बीवी न बनंेगी ? लाल किताब के मुताबिक गृहस्थ की चक्की खाना नम्बर 7 में चलती है और चक्की को घुमाने वाली कीली खाना नम्बर 8 में होती है। तो क्या चक्की न चलेगी ? आखिर शादी जि़न्दगी का ज़रूरी पहलू है।
पहली कुण्डली में खाना नम्बर 7 में दो ग्रह मगर खाना नम्बर 1 खाली है। दूसरी कुण्डली में खाना नम्बर 1 में दो ग्रह तो खाना नम्बर 7 खाली है। दोनों कुण्डलियों में खाना नम्बर 8 में पापी ग्रह हैं। शुक्र ने शादी का योग न बनाया और मंगल ने भी मंगल गीत न गाये। लिहाज़ा गृहस्थ की चक्की न चली। फिर शादी की उम्र भी निकल गई है। अब क्या फर्क पड़ता है शादी हो या न हो । कारवां गुज़र गया बहार देखते रहे।