उम्र की किश्ती का समुंद्र, जगत की धरती माता, दयालु शिव जी भोले नाथ । चन्द्र का सफेद रंग (दूध) समुंद्री व हवाई घोड़ा, अपनी ताकत की ज्यादती के सबब मैदान-ए-जंग(खाना नं. 3) मालिक की मौत (खाना नं. 8) और खुराक में कंकर (खाना नं. 7) आने पर दुनिया में तीन दफा जागा। इसलिए नौ ग्रह बारह राशि की नौ निधि व बारह सिध्दि का मालिक हुआ। इन्सान की पैदायश नौ महीने, घोड़े की पैदायश 12 महीने।
''बढ़े दिल मुहब्बत जो पांव पकड़ती,
उम्र नहर तेरी, चले ज़र उछलती।''
दिल का मालिक चन्द्र है जो सूरज से रोशनी लेता है और दुनिया में उसका नायाब उल सल्तनत है। सूरज ख्वाह कितना ही गर्म होकर हुक्म देवे मगर चन्द्र उसे ठण्डे दिल और शान्ति से बजा लाता है और हमेशा सुरज के पांव में रहना चाहता है। चन्द्र बेशक सूरज से दूर हो मगर सूरज के पांव में बहता रहता है। स्त्री (शुक्र) माई (चन्द्र) साले, बहनोई (मंगल नेक) और अपने भाई (मंगल बद) गुरू और पिता (बृहस्पत) सब के सब इस दिल के दरिया (चन्द्र ) की यात्रा को आते हैं जो सूरज की चमक से दबी हुई आंखों (सनीचर) और दिमाग (बुध) को शान्ति और ठण्डक (चन्द्र का असर) देता है। दूसरे लफज़ों में दरिया दिल के एक किनारे दुनिया के सब रिश्तादार और दूसरी तरफ इन्सान का अपना जिस्म व रूह (सूरज) और चश्म व सिर (सनीचर व बुध) बैठे हैं और दिल दरिया उन दोनों के दरमियान चलता हुआ दोनों तरफ में अपनी शान्ति से उम्र बढ़ा रहा है या जिस्म इन्सानी को बृहस्पत की हवा के सांस से हरकत में रखने वाली चीज़ यही दिल है। इसलिये उसके मालिक चन्द्र की चाल से उम्र के सालों की हदबंदियां मुकर्रर की हैं।
चांदी की तरह चमकती हुई चांदनी भरी रात चन्द्र का राज है। जिसके शुरू में राहु आखिर पर केतु और दरमियान में खुद शनि निगरां हैं। गोया पापी टोला (राहु केतु सनीचर इकट्ठे) अपनी जन्म वाली और जगत माता ही के दरबार में हर एक के आराम और खुद माता के अपने दूध में ज़हर डालने की शरारतों के लिए तैयार हैं। बेशक दूध (चन्द्र) और ज़हर (पापी ग्रह) मिल रहे हैं मगर फिर भी दरिया दिल चन्द्र माता दुनिया के समुंद्र के पानी में सूरज का अक्स ज़रूर होगा। जिसकी शहादत के लिए ज़माने की हवा या इन्सानी सांस का मालिक जगत गुरू बृहस्पत हर जगह मौजूद है।
अपने हाथों माता की सेवा करने का ज़माना 24 साला उम्र यानि चन्द्र । वक्त मुसीबत एक पर ही मन्दा होगा । खानदान ही नष्ट नही होने देगा। टेवे में जब पहले घरों में बृहस्पत और बाद के घरों में केतु हो तो चन्द्र मन्दा ही होगा। लेकिन जब तक बुध उम्दा होवे, चन्द्र का असर दूध की तरह उम्दा ही रहेगा और सोया हुआ चन्द्र भी उत्ताम फल देगा । खुद ऐसा चन्द्र तो जागता हुआ घोड़ा होगा। शुक्र देखे चन्द्र को, औरतों की मुखालिफत होगी। चन्द्र देखे शुक्र को फकीर साहिब कमाल, तमाम नशेबाज़ों का सरदार साहिब कमाल । सूरज का अक्स (जैसा भी टेवे में सूरज की हालत हो) ज़रूर ही चन्द्र के असर में साथ मिलता रहेगा और मंगल बद डरकर कोसो दूर भागता रहेगा। चन्द्र के घर अकेला बैठा हुआ ग्रह ख्वाह कोई भी हो , उत्ताम फल देगा । जब चन्द्र का घर नं. 4 खाली हो तो खुद चन्द्र सारी उम्र ही नेक फल देगा ख्वाह कैसी हालत का ही क्यों न हो या हो जावे। माता या किसी बड़े के पांव छूकर उसका आर्शीवाद लेना चन्द्र के उत्ताम फल पैदा करने की सबसे बढ़िया बुनियाद है।
कुण्डली में चन्द्र का अपना घर खाना नं. 4 है। चन्द्र खाना नं. 4 में खर्चने पर और बढ़ने वाला माया का दरिया या जिसक कदर खर्च करें दौलत उस कदर ओर बढ़े। माता असली या सौतेली का साथ नेक फल देगा। चन्द्र अब मानिन्द दूध होगा। शुभ काम शुरू करते वक्त दूध से भरा बर्तन बतौर कुंभ रख लेना निहायत मुबारक होगा। पापी ग्रह भी माता के दूध की कसम खाकर बुरा न करेंगे।
''बढ़े दिल मुहब्बत जो पांव पकड़ती,
उम्र नहर तेरी, चले ज़र उछलती।''
दिल का मालिक चन्द्र है जो सूरज से रोशनी लेता है और दुनिया में उसका नायाब उल सल्तनत है। सूरज ख्वाह कितना ही गर्म होकर हुक्म देवे मगर चन्द्र उसे ठण्डे दिल और शान्ति से बजा लाता है और हमेशा सुरज के पांव में रहना चाहता है। चन्द्र बेशक सूरज से दूर हो मगर सूरज के पांव में बहता रहता है। स्त्री (शुक्र) माई (चन्द्र) साले, बहनोई (मंगल नेक) और अपने भाई (मंगल बद) गुरू और पिता (बृहस्पत) सब के सब इस दिल के दरिया (चन्द्र ) की यात्रा को आते हैं जो सूरज की चमक से दबी हुई आंखों (सनीचर) और दिमाग (बुध) को शान्ति और ठण्डक (चन्द्र का असर) देता है। दूसरे लफज़ों में दरिया दिल के एक किनारे दुनिया के सब रिश्तादार और दूसरी तरफ इन्सान का अपना जिस्म व रूह (सूरज) और चश्म व सिर (सनीचर व बुध) बैठे हैं और दिल दरिया उन दोनों के दरमियान चलता हुआ दोनों तरफ में अपनी शान्ति से उम्र बढ़ा रहा है या जिस्म इन्सानी को बृहस्पत की हवा के सांस से हरकत में रखने वाली चीज़ यही दिल है। इसलिये उसके मालिक चन्द्र की चाल से उम्र के सालों की हदबंदियां मुकर्रर की हैं।
चांदी की तरह चमकती हुई चांदनी भरी रात चन्द्र का राज है। जिसके शुरू में राहु आखिर पर केतु और दरमियान में खुद शनि निगरां हैं। गोया पापी टोला (राहु केतु सनीचर इकट्ठे) अपनी जन्म वाली और जगत माता ही के दरबार में हर एक के आराम और खुद माता के अपने दूध में ज़हर डालने की शरारतों के लिए तैयार हैं। बेशक दूध (चन्द्र) और ज़हर (पापी ग्रह) मिल रहे हैं मगर फिर भी दरिया दिल चन्द्र माता दुनिया के समुंद्र के पानी में सूरज का अक्स ज़रूर होगा। जिसकी शहादत के लिए ज़माने की हवा या इन्सानी सांस का मालिक जगत गुरू बृहस्पत हर जगह मौजूद है।
अपने हाथों माता की सेवा करने का ज़माना 24 साला उम्र यानि चन्द्र । वक्त मुसीबत एक पर ही मन्दा होगा । खानदान ही नष्ट नही होने देगा। टेवे में जब पहले घरों में बृहस्पत और बाद के घरों में केतु हो तो चन्द्र मन्दा ही होगा। लेकिन जब तक बुध उम्दा होवे, चन्द्र का असर दूध की तरह उम्दा ही रहेगा और सोया हुआ चन्द्र भी उत्ताम फल देगा । खुद ऐसा चन्द्र तो जागता हुआ घोड़ा होगा। शुक्र देखे चन्द्र को, औरतों की मुखालिफत होगी। चन्द्र देखे शुक्र को फकीर साहिब कमाल, तमाम नशेबाज़ों का सरदार साहिब कमाल । सूरज का अक्स (जैसा भी टेवे में सूरज की हालत हो) ज़रूर ही चन्द्र के असर में साथ मिलता रहेगा और मंगल बद डरकर कोसो दूर भागता रहेगा। चन्द्र के घर अकेला बैठा हुआ ग्रह ख्वाह कोई भी हो , उत्ताम फल देगा । जब चन्द्र का घर नं. 4 खाली हो तो खुद चन्द्र सारी उम्र ही नेक फल देगा ख्वाह कैसी हालत का ही क्यों न हो या हो जावे। माता या किसी बड़े के पांव छूकर उसका आर्शीवाद लेना चन्द्र के उत्ताम फल पैदा करने की सबसे बढ़िया बुनियाद है।
सानिया मिर्ज़ा
जन्म 15 - 11 - 1986
जन्म 15 - 11 - 1986
कुण्डली में चन्द्र का अपना घर खाना नं. 4 है। चन्द्र खाना नं. 4 में खर्चने पर और बढ़ने वाला माया का दरिया या जिसक कदर खर्च करें दौलत उस कदर ओर बढ़े। माता असली या सौतेली का साथ नेक फल देगा। चन्द्र अब मानिन्द दूध होगा। शुभ काम शुरू करते वक्त दूध से भरा बर्तन बतौर कुंभ रख लेना निहायत मुबारक होगा। पापी ग्रह भी माता के दूध की कसम खाकर बुरा न करेंगे।