मंगल नेक, शस्त्रधारी, सुर्ख रंग, नेक होने पर जिस्म में खून रूह की तरह जंगल में मंगल किया और बदी से हिरण की तरह भागा। मंगल बद हुआ तो कोई बदी न छोड़ी और हर एक को तलवार के घाट उतारा मगर मुआफ हरगिज़ न किया। शुतर बेमुहार कीनासाज़, रेगिस्तान का जहाज़ जिसे रेत से मुहब्बत है और पानी की परवाह नही।
अगर जन्म कुण्डली में सूरज बुध इकट्ठे हो तो मंगल नेक, अगर सूरज सनीचर इकट्ठे तो मंगल बद होगा। खाना पीना, भाई बन्दो की सेवा जंग व जदल, जिस्मानी दुख: बिमारी 28 सालां उम्र का ज़माना। तमाम जिस्म की दरमियानी जगह नाभि मंगल की राजधानी और सूरज की सीधी किरणों की जगह मानी गई है। इसलिये कुण्डली की नाभि खाना नं0 4 के ग्रह, मंगल की नेक और बुरी हालत का पता बतायेंगे यानि जैसे नं0 4 मे बैठे होने वाले का असर होगा वही हालत मंगल के खून की होगी। न सिर्फ दान इसका ज़रूरी पहलू और कुल दुनिया के भलाई के काम और भण्डारे खोलने की हिम्मत इसकी नेकी का पता बतायेंगे बल्कि कुल खानदान की लावल्दी दूर करेगा। अकेला बैठा हुआ मंगल मानिंद जंगल का शेर बहादुर होगा। मंगल नेक अपने असर की निशानी हमेशा उस ग्रह की चीज़ों के ज़रिए देगा जोकि कुण्डली में उम्दा हों और उस ग्रह का अपना वक्त असर देने का हो । मंगल बद मन्दे ग्रहों की चीज़ों, इसके मन्दा असर देने के वक्त बुरे असर की हवा का आना पहले बतला देगा। हर हालत में मंगल के असर में यकसां लगातार दरिमयाना रफतार न होगी। ख्वाह मंगल नेक शेर बहादुर के हमला की ताकत का हो। ख्वाह मंगल बद डरपोक हिरण की तरह कोसों ही दूर भागता हो।
बदी का तुख्म, खून का बदला खून से लेना हरदम ज़रूरी जब घी (शुक्र) और शहद (मंगल नेक) बराबर के हों तो ज़हर (मंगल बद) हाेंगा यानि सबसे पहले शुक्र और बाद में सूरज का फल यके बाद दीगरे मन्दा होगा। लेकिन अगर सूरज या चन्द्र की मदद मिल जावे तो मंगल बद न होगा। कोई दो पापी (सनीचर राहु, सनीचर केतु) या कोई दो बाहम दुश्मन (बुध केतु, सूरज शुक्र) मंगल के साथी होवें तो मंगल बद न होगा। जब अपनी मार पे आयेगा, एक का बुरा न करेगा बल्कि अगर हो सके तो कुल खानदान का बेड़ा गर्क करेगा। जब बुध मन्दा हो, मंगल बद ओर भी मन्दा होगा और खूनी शेर बहादुर की बजाये बकरियों में रहने वाला पालतू शेर की तरह अपनी असलियत से बेखबर होगा।
खाना नं0 4 और 8 का मंगल आमतौर पर बद ही होता है। उपाय के लिए हर रोज़ सुबह पानी से दांत सफा करना मददगार होगा। चन्द्र का उपाय या बढ़ के दरखत को दूध में मीठा डालकर गीली की हुई मिट्टी का तिलक पेट की खराबियों को दूर करेगा। आग के वाक्यात पर छत पर खाण्ड की बोरियां, शहद से मिट्टी का बर्तन भरकर बाहर शमशान में (लावल्दी के वक्त या औरत, औलाद की बरबादी), मृगशाला (लम्बी बिमारियों से छुटकारा), चांदी चकौर की मदद या जनूबी दरवाज़ा लोहे से कील देवें । काले, कान,े लावल्द, डेक के दरखत से दूरी पकड़ें। सूरज, चन्द्र, बृहस्पति की अशिया कायम करें। चिड़े चिड़ियों को मीठा देना और हाथी दांत पास रखना मुबारक होगा।
खुलासातन कुण्डली में अगर मंगल नेक तो कुशल मंगल और बद तो मंगल दंगल। मिसाल के तौर पर वरूण गांधी की कुण्डली।
मंगल बद खाना नं0 4, जो पानी में भी आग लगा दे। जिसने दुनिया की कोई बदी न छोड़ी। बेमुहार ऊँठ की तरह गर्दिश का सैलानी। अपने ही परिवार की औरतों पर भारी। मां जवानी में बेवा हो गई। खुद मियां फज़ीहत औरों को नसीहत। वाह रे ! मंगल बद।
अगर जन्म कुण्डली में सूरज बुध इकट्ठे हो तो मंगल नेक, अगर सूरज सनीचर इकट्ठे तो मंगल बद होगा। खाना पीना, भाई बन्दो की सेवा जंग व जदल, जिस्मानी दुख: बिमारी 28 सालां उम्र का ज़माना। तमाम जिस्म की दरमियानी जगह नाभि मंगल की राजधानी और सूरज की सीधी किरणों की जगह मानी गई है। इसलिये कुण्डली की नाभि खाना नं0 4 के ग्रह, मंगल की नेक और बुरी हालत का पता बतायेंगे यानि जैसे नं0 4 मे बैठे होने वाले का असर होगा वही हालत मंगल के खून की होगी। न सिर्फ दान इसका ज़रूरी पहलू और कुल दुनिया के भलाई के काम और भण्डारे खोलने की हिम्मत इसकी नेकी का पता बतायेंगे बल्कि कुल खानदान की लावल्दी दूर करेगा। अकेला बैठा हुआ मंगल मानिंद जंगल का शेर बहादुर होगा। मंगल नेक अपने असर की निशानी हमेशा उस ग्रह की चीज़ों के ज़रिए देगा जोकि कुण्डली में उम्दा हों और उस ग्रह का अपना वक्त असर देने का हो । मंगल बद मन्दे ग्रहों की चीज़ों, इसके मन्दा असर देने के वक्त बुरे असर की हवा का आना पहले बतला देगा। हर हालत में मंगल के असर में यकसां लगातार दरिमयाना रफतार न होगी। ख्वाह मंगल नेक शेर बहादुर के हमला की ताकत का हो। ख्वाह मंगल बद डरपोक हिरण की तरह कोसों ही दूर भागता हो।
बदी का तुख्म, खून का बदला खून से लेना हरदम ज़रूरी जब घी (शुक्र) और शहद (मंगल नेक) बराबर के हों तो ज़हर (मंगल बद) हाेंगा यानि सबसे पहले शुक्र और बाद में सूरज का फल यके बाद दीगरे मन्दा होगा। लेकिन अगर सूरज या चन्द्र की मदद मिल जावे तो मंगल बद न होगा। कोई दो पापी (सनीचर राहु, सनीचर केतु) या कोई दो बाहम दुश्मन (बुध केतु, सूरज शुक्र) मंगल के साथी होवें तो मंगल बद न होगा। जब अपनी मार पे आयेगा, एक का बुरा न करेगा बल्कि अगर हो सके तो कुल खानदान का बेड़ा गर्क करेगा। जब बुध मन्दा हो, मंगल बद ओर भी मन्दा होगा और खूनी शेर बहादुर की बजाये बकरियों में रहने वाला पालतू शेर की तरह अपनी असलियत से बेखबर होगा।
खाना नं0 4 और 8 का मंगल आमतौर पर बद ही होता है। उपाय के लिए हर रोज़ सुबह पानी से दांत सफा करना मददगार होगा। चन्द्र का उपाय या बढ़ के दरखत को दूध में मीठा डालकर गीली की हुई मिट्टी का तिलक पेट की खराबियों को दूर करेगा। आग के वाक्यात पर छत पर खाण्ड की बोरियां, शहद से मिट्टी का बर्तन भरकर बाहर शमशान में (लावल्दी के वक्त या औरत, औलाद की बरबादी), मृगशाला (लम्बी बिमारियों से छुटकारा), चांदी चकौर की मदद या जनूबी दरवाज़ा लोहे से कील देवें । काले, कान,े लावल्द, डेक के दरखत से दूरी पकड़ें। सूरज, चन्द्र, बृहस्पति की अशिया कायम करें। चिड़े चिड़ियों को मीठा देना और हाथी दांत पास रखना मुबारक होगा।
खुलासातन कुण्डली में अगर मंगल नेक तो कुशल मंगल और बद तो मंगल दंगल। मिसाल के तौर पर वरूण गांधी की कुण्डली।
मंगल बद खाना नं0 4, जो पानी में भी आग लगा दे। जिसने दुनिया की कोई बदी न छोड़ी। बेमुहार ऊँठ की तरह गर्दिश का सैलानी। अपने ही परिवार की औरतों पर भारी। मां जवानी में बेवा हो गई। खुद मियां फज़ीहत औरों को नसीहत। वाह रे ! मंगल बद।