लाल किताब में कलम और स्याही का भी ज़िक्र है यानि कैसे कलम में कौन सी स्याही भरने से क्या असर है। लाल कलम में लाल स्याही को उत्तम कहा है। चंद लोग जो कभी पंडित जी से मिला करते थे, उनको तो पता ही होगा कि पंडित जी लोगों की बेहतरी के लिए अगर लाल कलम से कुछ लिख देते थे तो वह अक्सर हो जाता था। वैसे भी उनको बढ़िया कीमती कलमों का शौक था और उनकी लिखावट भी खूबसूरत थी।
एक बार मेरे ताया जी उनसे कुछ लाल कलम से लिखवाना चाहते थे। पंडित जी ने कहा कि सोच समझ कर लिखवाना क्योंकि पढ़ने वाला कई बार उल्टा पढ़ता है। इस बारे उन्होंने एक किस्सा भी बताया। किसी ने अपनी तरक्की के बारे में लिखवाया था, "टॉप सीट इन द ऑफिस"। कुछ दिन बाद उसका कुर्सी मेज दफ्तर की आखिरी मंजिल पर चला गया था जिससे उसको परेशानी हुई।
अब सवाल ये है कि पंडित जी कैसे लिखते थे? या फिर कौन लिख सकता है? आखिर इसमें क्या राज़ है? इसका किताब में इशारा किया गया है। समझदार के लिए इशारा ही काफी और नासमझदार से बस मुआफी। अब एक नासमझदार का किस्सा मैं बताता हूं।
एक साहिब थे जो पहले वैदिक जोतिश पढ़ते थे फिर लाल किताब पर आ गए। उनको पता चला कि पंडित जी काम करवाने के लिए लाल कलम से लिख देते थे। लिहाज़ा वह भी लाल बॉल पेन से लिखने लगे और पैसे वसूलने लगे। कुछ दिन बाद वह किसी केस में उलझ गए जिसकी वजह से उनको रोज़ पुलिस थाने में चक्कर लगाने पड़े। काम भी बंद हो गया उल्टा परेशानी आ गई। ये सिलसिला कई हफ्ते चलता रहा। इसके बाद उन्होंने लाल बॉल पेन को अलविदा कह दिया।