Monday, September 3, 2012

फिज़ा



मुहब्बत की झूठी कहानी पे रोये, बड़ी चोट खार्इ जवानी पे रोये। सन 2008 की बात है जब अनुराधा ने 37 साला उम्र में फिज़ा यानि मुस्लमान बन के सूबे के वज़ीर चन्द्र उर्फ चांद से निकाह किया था। मगर 2 महीने के अन्दर ही चांद बादलो में गुम हो गया। चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात। तब से फिज़ा परेशान थी। आखीर अगस्त 2012 में उसकी परेशानी खत्म हो गर्इ। फिज़ा की कुण्डली इस तरह बतार्इ जाती है।



शुक्र खाना नं0 7 और खाना नं0 1 खाली, शुक्र का पतंग मगर कटा हुआ। बुध खाना नं0 9 मनहूस, कम उम्र , चमगादड़ के मेहमान आए यहां हम लटके वहां तुम लटको और चन्द्र का साथ यानि पानी में रेत, इश्क का गलबा। सनीचर खाना नं0 6 का मंदा असर खाना नं0 2 और 12 पर। फिर सूरज ग्रहण खाना नं0 8 में । ऐसे में क्या उम्मीद हो सकती है ..... समझदार के लिए इशारा ही काफी।

वर्षफल में उम्र के मालिक चन्द्र को भी ग्रहण लग गया। पापी ग्रह मन्दे और शुक्र भी मन्दा। दूसरे लफज़ों में बृहस्पत को छोड़कर सब ग्रह मन्दे हो गये। लिहाज़ा नतीजा भी मन्दा निकला और फिज़ा की मौत हो गर्इ। न सोचा न समझा न देखा न भाला, तेरी आरज़ू ने हमें मार डाला ।