Monday, August 30, 2010

किस्मत

''घर चलकर जो आवे दूजे, ग्रह किस्मत बन जाता है।

खाली पड़ा घर 10 जब टेवे, सोया हुआ कहलाता है। ''

किस्मत लक्ष्मी के नाम से मशहूर है जो बृहस्पति का दूसरा नाम है। 12 साल तक बच्चे और 70 साल के बाद किस्मत का एतबार नही। किस्मत एक ऐसी चीज़ है जो दुनियावी कारोबार में न हाथ की मदद ढूंढे और न ही उसमें आंख को काम करना पड़े। हर काम का नतीजा खुद-ब-खुद नेक हो जावे। धन्ना भगत, बृहस्पति नं0 2 की गायें राम चरावे। मगर सुदामा भगत, बृहस्पति नं0 9 अपने सखा कृष्ण के लिये तोहफा लेकर जावे।


खाना नं0 2 व खाना नं0 6 का फैसला खाना नं0 8 को साथ लेकर होगा। कुण्डली के बाद के घरों के ग्रहों के जागने के दिन से किस्मत का जागना, मुराद होगी। बन्द मुठ्ठी के अन्दर के खानाें (1,7,4,10) के ग्रह ख्वाह भले हों ख्वाह बुरे कुण्डली वाले की किस्मत के बुनियादी पत्थर होंगे। किस्मत के ग्रह का जागने का वक्त किस्मत के असर का वक्त होगा। किस्मत के ग्रह कई एक हों  सब बाहम पूरे मददगार होंगे। सब से अच्छी किस्मत, बृहस्पति का किस्मत का ग्रह होता है। ''बृहस्पति नं0 2 कायम और खाना नं0 9 में दुश्मन (बुध, शुक्र, राहु) न हों और न ही नं0 9 मन्दा हो रहा हो।''


किस्मत का ग्रह


सबसे उत्ताम दर्जा पर वह ग्रह होगा जो राशि का ऊँच फल देने का मुकर्रर है, जो हर तरफ से कायम, साफ और दुरूस्त हो और उसमें किसी तरह से किसी साथी ग्रह का बुरा असर न मिला हुआ होवे। उसके बाद पक्के घर का ग्रह, घर का मालिक दोस्त ग्रहों का बना हुआ दोस्त ग्रह किस्मत का मालिक ग्रह होगा।


किस्मत के ग्रह की तलाश


सबसे पहले 12 राशियों के उच्च फल देने वाले ग्रहों की तलाश करें। फिर 9 ग्रहों से जो उम्दा हो वो लें और बाद में बन्द मुठ्ठी के खानों (1,7,4,10) के ग्रहों से जो उम्दा हा,े लें । उच्च फल देने वालों में से जो सबसे तसल्ली बख्श और उच्च हो, लें । घर के मालिक ग्रहों से सबसे ज्यादा ताकतवर वाले को लें। अगर मुठ्ठी के चारों खाने खाली हों तो खाना नं0 9 के ग्रहों लेंगे। वह भी खाली हो तो, खाना नं0 3 के ग्रहों को लें। अगर वह भी खाली हो तो खाना नं0 11 के ग्रहों को लेंगे। अगर वह भी खाली हों तो खाना नं0 6 देखेंगे। अगर वह भी खाली हों तो खाना नं0 12 में तलाश करेंगे। अगर वह भी खाली हो तो खाना नं0 8 में बैठकर देखेंगे कि आया किस्मत का ग्रह, जिसमें ऊपर की तमाम शर्तें न हों, नष्ट ही तो नही हो गया ? यह तलाश जन्म और चन्द्र कुण्डली दोनों से होगी। किस्मत का ग्रह बातरतीब बृहस्पति के बाद सूरज के बाद चन्द्र के बाद शुक्र के बाद मंगल के बाद बुध के बाद सनीचर के बाद राहु के बाद केतु का असर देता है।







                             कुण्डली नं0 1 जन्म 28.12.1937      कुण्डली नं0 2 जन्म 28.9.1982
मिसाल के तौर पर कुण्डली नं0 1 रतन टाटा जी की है और कुण्डली नं0 2 रणबीर कपूर की है। दोनो ही कुण्डिलयों में किस्मत का ग्रह बृहस्पति और साथ में सूरज है। रतन टाटा जी ने अपने परिवार के कारोबार को बहुत आगे बढ़ाया है। ऐसी ही उम्मीद फिल्मी दुनियां में, रणबीर कपूर से की जा सकती है। समझदार के लिए इशारा ही काफी है।