जब छल्ले का जि़क्र हुआ तो पुराने सुहाने दिन याद आ गये। वह भी क्या उम्र है जब छल्ला दिया लिया जाता है। शायद कभी आपने भी छल्ला दिया लिया हो। फिल्मी गीतों में भी छल्ले का जि़क्र आता है। जैसे ’’या अंगूठी फैंक अपनी या छल्ला दे निशानी, घर की छत्त पर खड़ी खड़ी मैं हुई शर्म से पानी, ....... फिर क्या हुआ ? ......... अल्लाह अल्लाह अल्लाह वो ले गया चांदी छल्ला।’’ फिर लाल किताब में भी मन्दे ग्रहों की दुरूस्ती के लिए छल्ले का जि़क्र आता है। मसलन् कुण्डली में सूरज शुक्र बुध मुश्तर्का हों तो खालिस चांदी का छल्ला मददगार होगा। लेकिन जब बुध राहु की बात आती है तो छल्ला फौलाद का होगा। छल्ला तो छल्ला है चाहे चांदी का हो या फिर फौलाद का। चांदी तो समझ आती है पर यह फौलाद क्या हुआ ? दरअसल खालिस लोहे को अरबी ज़ुबान में फौलाद कहते हैं। किताब में छल्ले के साथ बेजोड़ शब्द का भी इस्तेमाल हुआ है। लिहाज़ा छल्ला खालिस और बेजोड़ होना चाहिए जिसको जोड़ या टांका न लगा हो।
अब छल्ला मिलेगा कहां ? एक सीधा साधा तरीका। चांदी का छल्ला चाहिए तो किसी सुनार के पास जायें। वह खालिस चांदी की शीट से टुकड़ा काट तराश कर छल्ला बना देगा। लेकिन अगर फौलाद का छल्ला चाहिए तो किसी ख़राद वाले के पास जाना पड़ेगा। वह साफ सुथरे लोहे के टुकड़े को ख़राद पर काट तराश कर छल्ला बना देगा। इस तरह छल्ला उंगली के नाप के मुताबिक बनवाया जा सकता है।
फौलाद का छल्ला अगर अच्छे लोहे से बना हो तो, पहनने के बाद इसे जंग न लगेगा बल्कि कुछ दिन बाद यह सफ़ा और चमकदार होने लगेगा। इसकी चमक किस्मत की सोई हुई लहर को जगा देगी। यह एक कारआमद उपाय है। मगर छल्ला किसी से मुफ़्त न लिया जावे। आखिर इस छल्ले का राज़ क्या है ?
बुध खाना नम्बर 12 में या बुध राहु मुश्तर्का या फिर जुदा जुदा घरों में मन्दे हों तो फौलाद का छल्ला जिस्म पर मददगार होगा। खाना नम्बर 12 राहु का घर भी है। फौलाद का छल्ला बुध शनि मुश्तर्का है। बुध खाना नम्बर 12 इतना ज़हरीला कि खाना नम्बर 6 के तमाम ग्रहों को बरबाद कर देवे। अक्ल (बुध) के साथ अगर होशियारी (शनि) का साथ नम्बर 2-12 मिल जावे तो ज़हर से मरे हुये के लिए भी आबे हयात होगा जो मुर्दों को भी सर्वजीव कर देवे। अब आप समझ ही गये होंगे राज़ छल्ले का।
अब छल्ला मिलेगा कहां ? एक सीधा साधा तरीका। चांदी का छल्ला चाहिए तो किसी सुनार के पास जायें। वह खालिस चांदी की शीट से टुकड़ा काट तराश कर छल्ला बना देगा। लेकिन अगर फौलाद का छल्ला चाहिए तो किसी ख़राद वाले के पास जाना पड़ेगा। वह साफ सुथरे लोहे के टुकड़े को ख़राद पर काट तराश कर छल्ला बना देगा। इस तरह छल्ला उंगली के नाप के मुताबिक बनवाया जा सकता है।
फौलाद का छल्ला अगर अच्छे लोहे से बना हो तो, पहनने के बाद इसे जंग न लगेगा बल्कि कुछ दिन बाद यह सफ़ा और चमकदार होने लगेगा। इसकी चमक किस्मत की सोई हुई लहर को जगा देगी। यह एक कारआमद उपाय है। मगर छल्ला किसी से मुफ़्त न लिया जावे। आखिर इस छल्ले का राज़ क्या है ?
बुध खाना नम्बर 12 में या बुध राहु मुश्तर्का या फिर जुदा जुदा घरों में मन्दे हों तो फौलाद का छल्ला जिस्म पर मददगार होगा। खाना नम्बर 12 राहु का घर भी है। फौलाद का छल्ला बुध शनि मुश्तर्का है। बुध खाना नम्बर 12 इतना ज़हरीला कि खाना नम्बर 6 के तमाम ग्रहों को बरबाद कर देवे। अक्ल (बुध) के साथ अगर होशियारी (शनि) का साथ नम्बर 2-12 मिल जावे तो ज़हर से मरे हुये के लिए भी आबे हयात होगा जो मुर्दों को भी सर्वजीव कर देवे। अब आप समझ ही गये होंगे राज़ छल्ले का।