Thursday, February 3, 2011

सोनिया गांधी

सोनिया जी पिछले 10-12 सालों से मुल्क की सियासत मे सरगरम हैं और कांग्रेस पार्टी की सदर हैं । सन् 2004 के आम चुनाव के बाद वह मुल्क की प्रधानमन्त्री बनते-बनते रह गईं और अपनी जगह डा0 मनमोहन सिंह जी को प्रधानमन्त्री बनवा दिया, जिसके बारे मे उम्मीद न थी। थोड़े अर्से बाद कुछ ज्योतिषियों ने भविष्यवाणियां करनी शुरू कर दी कि सोनिया जी प्रधानमन्त्री बनेंगी। वह अब बनेंगी, तब बनेगी। मगर कब बनेगी ? वक्त गुज़रता गया मगर ऐसा कुछ न हुआ। सन् 2009 के आम चुनाव आ गए। पार्टी ने डा0 सिंह जी को पहले ही प्रधानमन्त्री के ओहदे के लिए नामज़द कर दिया। लिहाज़ा चुनाव के बाद डा0 सिंह जी बिना चुनाव लड़े दोबारा प्रधानमन्त्री बन गए। खुद सोनिया जी पार्टी की सदर बनी रही। इस तरह सब भविष्यवाणियां गलत साबित हुई। कईयों को यह समझ नही आता कि आखिर वह खुद प्रधानमन्त्री क्यों नहीं बनती? जवाब के लिए सोनिया जी की जानी मानी कुण्डली का जायज़ा ''लाल किताब' के मुताबिक लेना होगा।
जन्म 9-12-1946


शनि खाना नं0 1, खाना नं0 7, 10 खाली और मंगल खाना नं0 6 मच्छ रेखा यानि बेशुमार धन दौलत । बृहस्पति खाना नं0 4, लाखों की गिनती में एक नामावर शख्स जो इज्जत, दौलत, शोहरत और जायदाद का मालिक होवे मगर शुक्र का साथ पति के लिए मन्दा। सूरज बुध खाना नं0 5, राजयोग मगर केतु से ग्रहण जो सूरज की रोशनी को हल्का कर देवे। राहु खाना नं0 11 मन्दा जो नुक्सान करे या कोई न कोई मसला भूत बनके परेशान करे। चन्द्र खाना नं0 12, पानी पर पानी बरसता रहा, बीकानेर बेचारा तरसता रहा। किस्मत की अजब कहानी। सोनिया जी सत्ता के आस पास तो रही मगर सत्ता में नहीं।
खुलासा यह कि पापी ग्रह राहु केतु रास्ते की रूकावट हैं। इसलिए पापी ग्रहों को उपाय कर लेना ही बेहतर। वरना सोनिया जी का प्रधानमन्त्री की कुर्सी पर बैठना शक्की ही होगा।

'लाल किताब है जोतिष निराली, जो किस्मत सोई को जगा देती है
लिखत जब विधाता किसी की हो शक्की, उपाओ मामूली बता देती है।''