Monday, March 28, 2016

किरन बेदी

इण्डियन पुलिस सर्विस में शामिल होने वाली पहली खातून किरन बेदी, तीन बहनों की बहन अमृतसर में पली बढ़ी। पढ़ाई लिखाई के साथ साथ इनको टैनिस खेलने का शौक भी था। सन् 1970 में एम.ए.पास करने के बाद कालेज में पढ़ाना शुरू किया। सन् 1972 में आई.पी.एस. बनी। टैनिस खेलते खेलते इनकी शादी टैनिस के एक खिलाड़ी से हो गई। सन् 1975 में एक बेटी भी पैदा हुई। पिछले साल उनकी जो कुण्डली मेरी नज़र से गुज़री, वह इस तरह है।



किस्मत का हाल रंग बिरंगा। लम्बी उम्र, हिम्मत का साथ और रिज़क की कोई कमी नही। आलाह सरकारी नौकरी मगर बुध का भरोसा नही। जाती किस्मत का असर अपनी औलाद के ज़रिए। इज्जत, दौलत और शोहरत का साथ मगर मन्दे वक्त में कोई मददगार नही। मिर्जा  हलका सारंगी भारी मगर अब सारंगी हल्की मिर्जा भारी होगा। कुल मिलाकर एक बहादुर की तरह उम्दा जि़न्दगी।
औरत होते हुए भी किरन बेदी जी ने बड़ी हिम्मत से पुलिस की नौकरी की। रूल असूल की पक्की। दिल्ली में जब ट्रैफिक पुलिस में तैनात थी तो वज़ीरे-ए-आज़म की गाड़ी गलत पार्किंग से उठवा ली थी। लिहाज़ा कुछ लोगों ने इनको क्रेन बेदी भी कहा। इसी तरह कुछ और तनाज़े मसलन् वकीलों की हड़ताल, तिहाड़ जेल, गोआ, मिज़ोरम और चण्डीगढ़ की पोस्टिंग को लेकर भी हुए। नौकरी के दौरान इनको कई ईनाम और तमगे भी मिले मगर अपनी कामयाबी का टैक्स भी देना पड़ा। सन् 2007 में दिल्ली के पुलिस कमिशनर की पोस्टिंग को लेकर तनाज़ा हुआ। सरकार ने जब उनसे जूनियर अफसर को इस पोस्ट पर तैनात किया तो किरन बेदी जी ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया।
कुछ साल बाद सियासत  दिलचस्पी में हो गई। वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई और सन् 2015 के दिल्ली असैम्बली के इन्तख़ाब में कूद पड़ी। हालांकि पार्टी में इनको मुख्यमन्त्री का उम्मीदवार बना दिया था मगर इन्तख़ाब में हार जाने की वजह से नतीजा कुछ न निकला।
किरन बेदी जी के वर्षफल पर नज़रसानी करें तो खाना नम्बर 9 का बुध खाना नम्बर 11 में चला गया और खाना नम्बर 8 का राहु वर्षफल में खाना नम्बर 8 में मन्दा जिसने बृहस्पत को भी खराब कर दिया। बुध को भी जब मौका मिला तो उसने शरारत कर दी। ’’अजब भूल भुलैय्या ज़बानी तमाशा, दिखाते बहरूपी बिस्तर ही ले भागा।’’ समझदार के लिए इशारा ही काफी और नकलचीन से बस मुआफी।