Friday, February 26, 2010
माया दौलत
Friday, February 19, 2010
बुध शक्तिमान
बुध बैठा होने वाले घर का मालिक ग्रह जब नम्बर 9 में बैठ जावे तो बुध की तरह वह खाली चक्कर या बेकार निष्फल होगा। सिर्फ खाना नम्बर 4 के बुध में राहु केतु का असर नहीं, इसलिए राज योग है। बाकी हर जगह पाप बुध के दायरे मेें होगा। ज़हर भरा बुध जब बैठा हो खाना नम्बर 3 में कबीले पर भारी और खानदान पर मन्दा, नम्बर 8 में जानदार चीज़ों और जानों पर मन्दा, नम्बर 9 में टेवे वाले की अपनी ही हर हालत (माल व जान) पर मन्दा, नम्बर 11 में आमदन की नाली में रोढ़ा अटकावे, नम्बर 12 में कारोबार और रात की नींद बर्बाद करे। ज़हर से भरा खुद मारा जावे तो बेशक मगर 1 से 4 (सिवाये खाना नम्बर 3 जहां कि दूसराें के लिए थूकता हुआ कोढ़ी यानि मन्दा) पर मन्दा न होगा। नम्बर 5 से 10 में दहशत (डर) तो ज़रूर देगा। नम्बर 11, 12 में हड़काये कुत्तो की तरह जिसे काटे वो आगे हड़काकर भागने लगे। बुध अमूमन (आम तौर पर) खाना नम्बर 1, 2, 9 से 12 में सनीचर (शनि) की मदद करेगा। चाहे ज़हर मिला लोहा मार देने वाली ज़हर निर्धन करने वाला होगा। नम्बर 3 से 8 में सूरज की मदद, धन दौलत उम्दा चाहे 3 और 8 में हज़ारो दुख: खड़े करेगा।
बुध से मुराद बहन, बुआ, फूफी, मासी, साली, व्यापार और दूसरे बुध के काम होगा। बुध के बगैर तमाम ग्रहों में झुकने झुकाने की ताकत कायम न होगी।
पाप (राहु,केतु) बुध के दायरे में चलता है सिवाये खाना नम्बर 4 के जहां कि बुध राजयोग होगा क्योंकि वहां राहु, केतु पाप न करने की कसम खाते हैं । शुक्र मन्दे को ज़रूर मदद देगा मगर पाप मन्दे के वक्त खुद भी मन्दा होगा और मौत गूंजती होगी। बल्कि ऐसी हालत में अगर शुक्र भी ऐसे घरों में हो जहां कि बुध मन्दा गिना गया है तो वह शुक्र को भी बर्बाद कर देगा। अकेला बैठा हुआ बुध निकम्मा व बगैर ताकत होगा और उस ग्रह का फल देगा जिस ग्रह का वह पक्का घर है जहां कि बुध बैठा हो। धोखे से बचने के लिए यह बात साफ होनी चाहिए कि घर की मालकीयत दो तरह की होती है। एक तो बतौर घर का मालिक और दूसरी हालत में हर एक घर किसी न किसी ग्रह का पक्का घर मुकर्रर हैं । मसलन् खाना नम्बर 1 का मालिक तो मंगल है मगर यह पक्का घर सूरज का है । खाना नम्बर 3, 8, 9, 11, 12 का मन्दा बुध बेवकूफ कोढ़ी मल्लाह जो खतरे के वक्त अपनी बेड़ी को खुद ही गोता देने लगे और आमदन की नाली में रोढ़ा अटकाने वाला हो जावे।
बुध की नाली
हर तीसरे घर के ग्रह यानि 1, 3 कभी बाहम (आपस में) नहीं मिल सकते । इसलिये बाहम असर भी नही मिला सकते । लेकिन अगर बुध की नाली से कभी मिल जावें तो वह बाहम बुरा असर न देंगे। अगर नेक हो जावे तो बेशक हो जावें।
तोते की 35 (पैंती)
''लटपट 35 चतुर सुजान,
तोते की 35 यह दोहा बचपन में कई बार सुना था । मगर इसका कोई ज्योतिषीय मतलब भी हो सकता है, यह बाद में लाल किताब से ही पता चला ।
जिस घर में बैठा हो वहां बैठा हुआ वह उस ग्रह का असर देगा जिस ग्रह का वह खाना नम्बर पक्का घर मुकर्रर (निश्चित)है।
बुध ग्रह को समझना - समझाना कोई आसान बात नही।यह कब क्या कर दे, इसका कोई भरोसा नही। उल्लू का पट्ठा जो ठहरा । चन्द जानी मानी कुण्डलियां , जहां बुध ने ज़िन्दगी की बाज़ी ही उल्ट दी, बतौर मिसाल पेश है। समझदार के लिए इशारा ही काफी होगा।
'' गई शब न आधी वह क्यों रो रहा है ।
कुण्डली नम्बर 2 बालीवुड शहनशाह अमिताभ बच्चन जी की है । ज़िन्दगी में कोई न कोई सिरदर्दी ही रही । कभी शूटिंग के वक्त चोट लग गई, कभी कारोबार में माली नुक्सान हो गया तो कभी बिमार हो कर हस्पताल पहुंच गये। रेखा जी के साथ दो चार फिल्मों में काम क्या किया कि उल्टे सीधे चर्चे होने लगे। कुण्डली में बुध खाना नम्बर 8, बीमारी , ज़हमत और लानत, खुफिया तबाही का फन्दा, माली नुक्सान करने वाला कोढ़ी । मगर सूरज, शुक्र, मंगल का साथ मददगार नही तो
Sunday, February 14, 2010
ग्रह चाल निराली
Tuesday, February 9, 2010
कुण्डली की दुरूस्ती
Friday, February 5, 2010
शादी खाना आबादी
दोनो घुमावे कीली लोहे की, घर आठवें जो होती हो ।''
फरमान न0 8 के मुताबिक गृहस्थ की चक्की कुण्डली के खाना नं0 7 में चलती है और चक्की घुमाने वाली लोहे कीली खाना नं0 8 में होती है। नीचे वाला पत्थर शुक्र (रिज़क) और ऊपर घूमने वाला पत्थर बुध (अक्ल) होता है। इस घर सनीचर उच्च, सूरज नीच, बुध और शुक्र पक्की हालत के ग्रह होते हैं ।
दो गृहस्थियों को जुदा जुदा रखते हुए एक कड़ी से जोड़ने वाली चीज़ आम दुनियादारों की नज़र में शादी और ग्रह चाल में मंगल की ताकत का नाम रखा गया है। यही मंगल के खून की कड़ी, लड़की और औरत में फर्क की कड़ी है। इसी वजह से शादी में मंगल गाये जाते हैं । अगर मंगल नेक हो तो शादी खाना आबादी लेकिन अगर मंगल बद हो तो शादी की खुशी के बजाये स्त्री /लक्ष्मी का सुख सागर एक दुख: का भंवर होगा। मंगल बद का वीराना होगा जिसमें सूरज की रोशनी तक की चमक न होगी। दिन की बजाये सनीचर की स्याह रात का साथ होगा। मर्द की कुण्डली में शुक्र से मुराद उसकी बीवी और औरत की कुण्डली में शुक्र से मुराद उसका शौहर होगा।
योग शादी:- फरमान नं0 17 के मुताबिक
'' पहले दूसरे 10 ता 12 , बुध शुक्र जब बैठा हो;
शनि मदद देवे 1 या 10 से, साल शादी का होता हो ।
बुध शुक्र घर 7वें बैठे , शत्रु तीन न ग्यारह हो ;
कुण्डली जन्म घर वापिस आते, वक्त शादी आ होता हो ।
बुध नाली से जब दो मिलते, शनि मदद भी देता हो;
रद्दी कोई न दो जो इकट्ठे, योग शादी को होता हो ।
बुध शुक्र जब नष्ट या मन्दे, साथ ग्रह नर स्त्री हो ;
शनि राजा या मदद दे उनको, योग पूरा आ शादी हो।
शुक्र अकेला या मिल बैठे, कुण्डली जन्म में चौथे जो ;
सात दूजे न शत्रु होते, लेख शादी का उदय हो ।
घर 7वां 2 गुरू शुक्र का, खाली टेवे जब होता हो;
गुरू शुक्र भी 2 , 7 आया, साल शादी का बनता हो ।
घर पक्का जिस ग्रह का होवे, बुध शुक्र जहां बैठा हो;
अपनी जगह दे बुध शुक्र को, सात पावे या दूसरा हो।
बुध शुक्र भी 2, 7 आवे, मदद शनि न बेशक हो ;
नष्ट निकम्मा न वह होवे, वक्त शादी को होता हो ।
औरत टेवे में गुरू जो चौथे, योग जल्द हो जाता हो ;
रवि मंगल का साथ गुरू से, ससुर औरत न रहता हो ।''
दोस्ती दुश्मनी ग्रह दृष्टि वगैरह सब को नज़र में रखते हुये वर्षफल में खानावारी हालतके हिसाब से जिस साल शुक्र/बुध को सनीचर की दोस्ती या सनीचर के आम दौरे के वक्त (सनीचर नं01) होवे तो शादी होने का वक्त और योग होगा। आमतौर पर शादी का योग शुक्र से गिनेगें। लेकिन जब बुध इन असूलों पर शादी का योग बनावे तो भी शादी का योग होगा सिवाये बुध नं0 12 के । अगर कुण्डली में शुक्र बुध बर्बाद या मन्दे हों और स्त्री ग्रह शुक्र चन्द्र के साथ नर ग्रह बृहस्पति या सूरज या मंगल मददगार साथी या मुश्तर्का (इकट्ठे) हों तो जिस साल सनीचर की मदद या उसके आम दौरे ताल्लुक हो जाये तो भी शादी होने का वक्त होगा।
मसलन् जिस साल शुक्र या बुध तख्त का मालिक या खाना नं0 2, 10 से 12 (सिवाये बुध नं0 12) में या अपने पक्के घर खाना नं0 7 में हो जावे लेकिन उस वक्त खाना नं0 3 , 11 में शुक्र के दुश्मन ग्रह (सूरज, चन्द्र, राहु) न हो या वह अपने जन्म कुण्डली के बैठा होने वाले घर में ही आ जावे । शुक्र जब खाना नं0 4 में हो चाहे अकेला या किसी के साथ तो खाना नं0 2, 7 में शुक्र का दुश्मन सूरज, चन्द्र या राहु न आया हो वर्ना शादी का काई योग न होगा। दिए हुये शादी के सालों (22, 24, 29, 32, 39, 47, 51, 60) में जिस साल सूरज चन्द्र या राहु खाना नं0 2 , 7 में न हों तो शादी होगी। ऐसी हालत में अगर बृहस्पति नं0 7 में आ जावे तो औरत औलाद के काबिल न होगी। दिए हुये सालों में शादी का योग ज़रूर है मगर शादी मुबारक न होगी। शुक्र नं0 4 की ऐसी हालत में शादी मुतल्वी (स्थगित) हो सकतीहै।
मन्दे योग का विचार
जो ग्रह शुक्र को बर्बाद करे या खुद ऐसा मन्दा हो कि शादी के फल को गैर मुबारक साबित करे मसलन चन्द्र नं0 1 के वक्त 24 या 27वें साल और राहु नं0 7 के वक्त 21वें साल शादी मुबारक न होगी। सूरज जब शुक्र के लिए ज़हरीला हो तो सूरज की उम्र 22वें साल , सूरज का दिन में वक्त पूरी दोपहर के पहले का अर्सा, सूरज का दिन इतवार या वैसे ही शादी के रस्मो रिवाज करने के लिए दिन का वक्त मुबारक न होगा।
अगर शुक्र रद्दी न हो तो शादी के लिए कोई वहम ने लेंगे। मगर अकेला सनीचर नं0 6 इस शर्त से बाहर होगा खासकर जब शुक्र भी उस वक्त नं0 2 या 12 में हो यानि उम्र का 18-19वां साल शादी के लिए गैर मुबारक ही होगा।
शादी का शुभ वक्त वर्षफल के हिसाब से :
लेकिन अगर बुध नं0 9 , 10, 12, में हो तो शादी और शादी का फल (औलाद, दुनियावी आराम) के ताल्लुक में योग मन्दा होगा खासकर जब उस वक्त राहु या केतु में से कोई खाना नं0 1,7 में बैठ जावे।
3 शुक्र बुध अपने जन्म कुण्डली वाले घर या नं0 1, 7 में आ जावें मगर शुक्र जन्म कुण्डली के खाना नं01 से 6 का न हो और उस वक्त नं0 3, 11 में सूरज चन्द्र राहु न हों ।
4 जब नं0 2, 7 खाली हो तो बुध शुक्र ही खुद 2, 7 में आने पर, बुध शुक्र बैठे घर का मालिक ग्रह नं0 2, 7 में और बुध शुक्र ऐसी जगह चला जावे जैसे शुक्र बुध नं0 3 हों, मंगल नं0 9 में तो 17वें साल, शुक्र बुध नं0 9, मंगल नं0 7 होने पर शादी का योग होगा।
5 औरत की कुण्डली में बृहस्पति नं0 4 तो जल्द शादी हो जावेगी और सूरज मंगल का साथ गुरू से हो तो उसका ससुर न होगा।
6 राहु खाना नं0 1 या 7 या किसी तरह शुक्र से मिल रहा हो तो 21 साला उम्र की शादी बेमानी (व्यर्थ) होगी । यही हालत सूरज शुक्र के मिलने पर 22 से 25 साला उम्र की शादी पर होगी। जिसके लिए उपाय ज़रूरी ।
7 जो लड़की अपने जद्दी घर घाट से उत्तार के शहर में (लड़के के जद्दी खानदान के रिहायश की जगह) ब्याही जावे तो अमूमन दुखिया होगी जब लड़की के पिता की कुण्डली में बुध नं0 6 में हो ।
8 जिस बाप की जन्म कुण्डली में चन्द्र खाना नं0 11 में हो और वह अपनी लड़की की शादी का कन्यादान तड़के (सुबह सवेरे केतू के वक्त) करे तो बाप और बेटी दोनों में से शायद ही कोई सुखिया रहेगा। यही हालत उस शौहर के साथ होगी जिस की जन्म कुण्डली में चन्द्र खाना नं0 11 में हो और वह अपनी शादी का दान लड़की के वालदैन (माता पिता) से तड़के लेवे ।
9 सनीचर खाना नं0 7 वाले की शादी अगर 22 साला उम्र तक न हो तो उसकी नज़र बेबुनियाद (अन्धापन ) होगी।
10 बृहस्पति खाना नं0 1 और नं07 खाली हो तो छोटी उम्र की शादी मुबारक होगी।
एक औरत होगी:
'' शनि शुक्र हो मदद पर बैठे, नर ग्रह शत्रु साथ न हो;
बुध शुक्र दो ऊंच या अच्छे, शनि सूरज को देखता हो।
बुध पहलें या 6वें बैठा , असर शुक्र न मन्दा हो ;
शुक्र गृहस्थी पूरा होगा, एक शादी ही करता हो ।
बुध दबाया हो ख्वाह मन्दा, शुक्र टेवे ख्वाह उम्दा हो;
बाद 28 फल शादी होता, औलाद नरीना मन्दा हो।''
खसम कहानी:-(पति खाने वाली)
'' शत्रु शुक्र बुध हर दो देखे, मिलती बैठक ख्वाह एलहदा हो;
सूरज केतु आ बुध पर चमके, खसम खानी वह औरत हो ।''
औरत और चाहिये:-
'' मन्दा शुक्र या दुश्मन साथी, रवि शनि को देखता हो;
बुध बैठा 5, 8वें पापी, साथ शुक्र 2 चौथा हो ।
नीच गुरू हो 10वें मिट्टी, रवि भी 5वें बैठा हो;
औरत पर औरत मरती, साथ शनि ख्वाह मिलता हो। ''
जब शुक्र बुध नष्ट हो तो शादी का योग देखने के लिए शुक्र की जगह चन्द्र और बुध के एवज़ में नर ग्रह लेंगें जो जन्म कुण्डली में उम्दा हों । शुक्र के दायें या बायें पापी ग्रह हों या शुक्र बैठा होने वाले घर से चौथे, 8वें मंगल सूरज सनीचर में से कोई एक या इकट्ठे हों तो औरत जलकर मरे या शुक्र का फल जल जावे । ऐसी हालत में औरत की बजाये गाय का तबादला या गऊदान मददगार होगा। जन्म कुण्डली में शुक्र कायम या अपने दोस्तो यानि बुध सनीचर केतु के साथ साथी या दृष्टि में हों, उनसे मदद लेवें तो औरत एक ही कायम।
दुश्मन ग्रहों से अगर शुक्र रद्दी तो तायदाद (गिनती) औरत ज्यादा । सूरज बुध राहु मुश्तरका शादियां एक से ज्यादा मगर फिर भी गृहस्थ का सुख मन्दा । बुध खाना नं0 8 में तायदाद औरत ज्यादा मगर सब औरतें ज़िन्दा होवें । जितनी दफा बर्षफल में सूरज और सनीचर का बाहमी (आपस में) टकराव आ जावे उतनी तायदाद तक शादियां होंगी खासकर सूरज नं0 6 और सनीचर नं0 12 हो तो औरत पर औरत मरती जावे या मां बच्चों का ताल्लुक न देखे या सुख देखने से पहले ही मरती जावे यानि बुध नं0 8 या शुक्र नं0 4 मगर 2 , 7 खाली, औरतें (बीवियां) एक से ज्यादा मगर सब ज़िन्दा।
बुध शुक्र दोनो ही नेक हालत के और मंगल नेक का साथ हो तो शादी औलाद का फल नेक व उम्दा होगा।
चन्द मिसालें:
कुछ जानी मानी कुण्डलियां बतौर मिसाल पेश हैं । समझदार के लिए इशारा ही काफी होगा।
1 अटल बिहारी वाजपेयी जी की कुण्डली में खाना नं0 7 खाली जिसका मालिक शुक्र खाना नं0 2 में चन्द्र के साथ मन्दा । बुध खाना नं0 3 में रद्दी और मंगल खाना नं0 6 मन्दा । लिहाज़ा शादी न हुई ।
2 लता मंगेशकर जी की कुण्डली में खाना नं0 7 खाली जिसका मालिक शुक्र खाना नं0 4 में मन्दा । मंगल खाना नं0 6 में और शनि खाना नं0 8 में मन्दा । लिहाज़ा शादी न हुई।
3 इन्दिरा गांधी जी की कुण्डली में खाना नं0 7 में चन्द्र जिस पर शनि का मन्दा साया। शुक्र राहु के साथ खाना नं0 6 में मन्दा। मंगल की वजह से शादी तो हुई मगर पति का साथ लम्बा न चला ।
4 ऐ0पी0जे0 अबदुल कलाम जी की कुण्डली में खाना नं0 7 खाली जिसका मालिक शुक्र खाना नं0 11 में कमज़ोर । शनि खाना नं0 1 और बुध खाना नं0 10 में मन्दा । लिहाज़ा शादी न हुई ।
5 सोनिया गांधी जी की कुण्डली मे खाना नं0 7 खाली जिसका मालिक शुक्र खाना नं0 4 में मन्दा । मंगल खाना नं0 6 में मन्दा । शादी तो हुई मगर पति का साथ लम्बा न चला।
6 आशा भौंसले जी की कुण्डली में खाना नं0 7 में मंगल। शुक्र खाना नं0 6 में बृ0 के साथ मन्दा । दोबारा शादी करने पर भी पति का साथ लम्बा न चला।
शादी का होना, न होना या होकर खराब हो जाना किसी के बस की बात नही। यह सब तो ग्रहों का खेल है । मगर लाल किताब के उपायों से ग्रहचाल को दुरूस्त करके फायदा लिया जा सकता है।
Monday, February 1, 2010
जन्मकुंडली में ग्रहण
सूरज ग्रहण
लाल किताब के मुताबिक:-
''ग्रहण रवि की किस्मत होती, वर्ना उम्र छोटी मरता हो ।
उम्र राहु औलाद हो शक्की, राज कमाई जलता हो॥''
किसमत (बृहस्पति ) की चमक (सूरज) मध्दम या उम्र छोटी, 45 साल तक औलाद शक्की, राजदरबार या कारोबार हल्का ही होगा। सूरज के लिये राहु का साथ उसके आगे एक चलती रहने वाली दीवार की तरह सूरज ग्रहण का जमाना होगा। यानि सूरज की रोशनी तो होगी मगर उस धूप में गर्मी न होगी। दिन होते हुये वह धूप रात के चांद की चान्दनी की तरह मालूम होगी। राज दरबार में हर बात उलझी हुई नज़र आती मालूम होगी। मगर ग्रहण के दूर होते ही जिस तरह सूरज की रोशनी में गर्मी बहाल हो जाती है, उसी तरह यही हाल किस्मत के के मैदान में होगा। यानि राहु का बुरा असर खत्म होते ही सब कुछ फिर से उसी तरह ही उम्दा हालत पर हो जायेगा जैसा कि ग्रहण शुरू होने से पहले था। ग्रहण का मन्दा अर्सा अमूमन दो साल और कुल अर्सा 22 साल हो सकता है।
ग्रहण के वक्त राहु भुचाल और सूरज आग होगा। जिस घर में बैठे हो न सिर्फ वहां ही मन्दा असर होगा बल्कि साथ लगता घर भी जलता होगा। उत्ताम सेहत और लम्बी उम्र दोनों ही शक्की होगी । किस्मत के मैदान में सूरज ग्रहण की हालत का नज़ारा होगा। दिमागी खराबियों की वजह से फजूल खर्च होगा। ग्रहण का मन्दा ज़माना अमूमन उस वक्त पूरे ज़ोर पर होगा जब सूरज राहु दोनों मुश्तरका खाना नम्बर 9 या 12 में हो ।
सूरज ग्रहण (सूरज राहु मुश्तरका) के वक्त कुंडली में अगर शुक्र बुध भी इकट्ठे हों तो ग्रहण का बुरा असर न होगा। राज दरबार से किसी न किसी तरह मदद मिलती और धन दौलत की आमदन होती रहेगी।
चन्द्र ग्रहण
'' चन्द्र दादी केतु पोता, मेल दोनों न होता हो।
लेख विधाता हो दो इकट्ठे, एक दोनों से दुखिया हो॥''
चन्द्र केतु के मिलाप में केतु मन्दा बल्कि दोनों खराब होंगे। चन्द्र के लिये केतु का साथ उस के आगे चलती हुई दीवार की तरह चन्द्र ग्रहण का ज़माना होगा। यानि माता चन्द्र एक धर्मात्मा होती हुई भी बदनाम और नज़र आयेंगी। दोनों ग्रहों का मन्दा असर जानो माल पर होगा। ग्रहण का मन्दा अर्सा अमूमन एक साल और कुल अर्सा 24 साल हो सकता है।
चन्द्र-केतु, दूध में कुत्तो का पेशाब। अन्धा घोड़ा, लंगड़ी माता की तरह मन्दा हाल या माता की सेहत और नर औलाद की उम्र दोनों का ही झगड़ा होगा या दादी पोते का मेल न होगा। टेवे वाले की नर औलाद और उसकी (टेवे वाले की) माता का बच्चे के जन्म से 40-43 दिन पहले और 40-43 दिन बाद में इकट्ठे रहना मुबारक न होगा बल्कि मन्दा ही असर होगा जो जानो तक भारी गिना गया है। रात को दूध का इस्तेमाल गैर मुबारक होगा। पेशाब के ऊपर पेशाब करना तकलीफ देगा।
चन्द्र ग्रहण (चन्द्र केतु मुश्तरका) के वक्त कुंडली में अगर बुध उम्दा हो तो ग्रहण का मन्दा असर न होगा।
ग्रहण के उपाये
ग्रहण के दौरान और वैसे भी पापी ग्रहों की चीज़े (नारियल वगैरह) चलते पानी (दरिया या नदी) में बहाते रहना मददगार होगा। बुध कायम कर लेने से कुदरती मदद होगी । सूरज या बुध की चीज़ों का दान मुबारक होगा।
चन्द मिसालें:-
पहली मिसाल आरूषि की कुण्डली नम्बर 1 जिसमें दोनों सूरज और चन्द्र ग्रहण हैं और वो भी केन्द्र में । बृहस्पति के अलावा सभी ग्रह मन्दे । लिहाज़ा 14 साल की कम उम्र में उत्तार प्रदेश में उसकी हत्या हो गई । पुलिस ने हत्या का इल्ज़ाम उसके पिता राजेश तलवार पर लगा दिया और पिता को कई दिन जेल में रहना पड़ा। आरूषि की मौत माता (चन्द्र) और पिता (सूरज) के लिये सिर दर्द बन गईं ।
दूसरी मिसाल अमन काचरू की कुंण्डली नम्बर 2 जिसमें दोनों सूरज और चन्द्र ग्रहण हैं और वो भी केन्द्र में । बृहस्पति के अलावा सभी ग्रह मन्दे । लिहाज़ा 19 साल की उम्र में रैगिंग की वजह से मैडीकल कालेज कांगड़ा में अमन की मौत हो गई। माता और पिता दोनों ही परेशानी में डूब गए।
तीसरी मिसाल जनरल परवेज़ मुशर्रफ की कुंण्डली नम्बर 3 जिसमें सूरज ग्रहण है और बुध शुक्र भी मुश्तरका हैं । राहु के अलावा सभी ग्रह उम्दा। लिहाज़ा फौज़ में ऊँचे ओहदे पर पहुंचे और फिर कूप करने के बाद पाकिस्तान पर तानाशाह की तरह 8 साल हकूमत की। मगर शहनशाह के दरबार से आग का धुंआ बढ़ता ही गया। राहु का जंग सूरज के राजदरबार को खाने लगा और बृहस्पति का सोना भी पीतल बन गया। आखिर मजबूर होकर उनको सत्ता छोड़नी पड़ी।
जनरल साहिब की कुंण्डली का खुलासा करते हुये दिल्ली के एक ज्योतिषी ने अपनी पत्रिका के दिसम्बर 2007 के अंक में लिखा था, '' उन पर मंगल की दशा प्रभावी है जो 12 जनवरी 2009 तक रहेगी। अत: मंगल की दशा में परवेज़ मुशर्रफ के हाथ से सत्ताा का निकलना नामुमकिन ही लगता है । जनवरी 2009 में राहु की दशा प्रारम्भ होगी । राहु में राहु की दशा दिसम्बर 2011 तक तथा राहु में गुरू की दशा 18 फरवरी 2014 तक चलेगी। राहु गुरू दोनों लग्न में स्थित हैं । इस स्थिति के कारण कुण्डली बहुत प्रबल है।'' लेकिन सत्ता उनके हाथ से 2008 में ही निकल गई। शायद ज्योतिषी जी ग्रहण को देख न सके क्योंकि उनकी अपनी कुंण्डली में भी सूरज ग्रहण है।
अगली मिसाल सोनिया गांधी जी की कुंण्डली नम्बर 4 जिसमें राजयोग के साथ साथ सूरज ग्रहण भी है । लिहाज़ा सत्ता के आस पास रही। दिल्ली की ज्योतिष पत्रिका ने अक्तूबर 2007 के अंक में उनके अप्रैल 2008 तक प्रधानमन्त्री बनने की बात कही । मगर ग्रहण ने ऐसा होने न दिया। कुंण्डली में शुक्र भी मन्दा जिसकी वजह से वह वक्त से पहले बेवा हो गई।