Friday, February 26, 2010

माया दौलत

दौलत आज के दौर में ज़िन्दगी की पहली और आखिरी ज़रूरत बन गई है।

फरमान नंबर 17 के मुताबिक :-

''फालतू धन सातवें1 होगा, चश्मा धन2 चौथे में हो ।
11 भरता धन से चौथा, तीसरे बह3 जाता हो ।
खाली घर चन्द्र का अपना, माया ज़र चन्द्र से हो ।
शनि होगा धन का राखा,बैठा जैसा टेवे हो ।
बन्द मुट्ठी4 साथ लाया, नौ बज़ुर्गों पाता हो ।
तीसरे घर परसु बनता, 11 परसा होता हो ।
5 पहले नौवें अपना, परसरामा बनता हो ।
तीजे दूजे झगड़े दुनियां, बे-आरामी करता हो।''

1   जब खाना नंबर 7 में कोई भी उम्दा ग्रह हो ।
2   चश्मे के शुरू, खत्म व पानी की उम्दगी व पायदारी चन्द्र की हालत पर होगी जैसा कि वह टेवे में हो। सूरज, बृहस्पति इस चश्मे की मुरम्मत में मदद देंगे। ग्रह नम्बर 11 हालत पर सफाई व आमदन व ग्रह नंबर 3 पर खर्चा व गन्दगी चश्मा होगी।
3     मंगल की हालत पर ।
4     खाना नम्बर 1, 7, 4 10 बन्द मुट्ठी की किस्मत रेलवे मुसाफिर का रखा सामान होगा। खाना नम्बर 9 ब्रेक रेलवे में रखवाया हुआ बज़ुर्गो के पास जन्म से पहले ही अमानत होगी। खाना नम्बर 10 बगैर मुसाफिर रेलवे पार्सल बज़ुर्गों की कमाई से हिस्सा लेते जाना और अलैहदगी (अलग होने) में अपनी किस्मत की हदबन्दी का मैदान होगा।

कुदरत के साथ लाई किस्मत का खज़ाना मुट्ठी के अन्दर बन्द किए हुए खानों या कुण्डली के 1, 7, 4, 10 घरों में होगा और जो हकीकी रिश्तेदारों से मिलेगा। वह खाना नम्बर 3 (भाई-बन्द, ताए-चाचे,), खाना नम्बर 5 (औलाद), खाना नम्बर 9 (वालदैन, बज़ुर्ग, खानदानी) और नम्बर 11 (जाती कमाई) में होगा। इसके अलावा जो बाकी रिश्तेदारों से ले सकेगा वह खाना नम्बर 2 (ससुराल), खाना नम्बर 6 (जानदार साथियों की ज़ाहिरा या गैबी मदद), लड़के-लड़कियों के रिश्तेदार या पैदाइश से पहले वालदैन के अपने रिश्तेदार (मसलन मामू नाना) और नम्बर 3 बेजान दुनियावी, आसमानी मदद से मिलेगा।

बचत

बृहस्पति-सूरज बज़रिया (द्वारा) रियाया (प्रजा)

बृहस्पति-शनि : आम दुनिया

सुरज - बुध्द : राज दरबार

          आमदन बढ़ती जाय
ग्रह खाना नम्बर 2 : खुद-ब-खुद हर तरफ
खाना नम्बर 11 में नर ग्रह या उत्तम ग्रह

खर्च

बृहस्पति-शुक्र, वृहस्पति-बुध्द खाना नम्बर 11 में मन्दे ग्रह,
खाना नम्बर 11, 12 दोनों खाली

सूरज-शनि बेशक गुरू या गुरू घर का ताल्लुक न होवे या दोनों से कोई उम्दा तो उम्दा बचत वर्ना मन्दा खर्च । खर्च घटावे तो आमदन घटे।



औसत ज़िन्दगी

1  टेवे में कोई भी उच्च ग्रह होवे ।
2 खाना नम्बर 4 या 5 या 6 खाली या वहां अकेला ग्रह ।
3 खाना नम्बर 1, 7, 8,10, 11 सब के सब पांचों में से हरेक में कोई भी ग्रह ।
- जन्म की हालत में अज़ाफा (वृध्दि) करके जायेगा।

दौलत की हैसियत

कुण्डली का खाना नम्बर 4 धन दौलत निकलने की जगह माना गया है यानि दौलत का निकास उन ग्रहों से होगा जो खाना नम्बर 4 में हो या खाना नम्बर 4 के दोस्त, ताल्लुकदार, साथी या मददगार हो । अगर खाना नम्बर 4 खाली ही हो तो चन्द्र को खाना नम्बर 4 में माना जायेगा।

दौलत के नाम
1 चन्द्र-मंगल मुश्तरका (इकट्ठे) श्रेष्ट धन होगा (खास करके खाना नम्बर 3 का) और दान कल्याण से बढ़ने वाला धन होगा। अगर यह दोनों ग्रह खाना नम्बर 10 या 11 में या शनि के ताल्लुक में हो जावें तो लालची होगा।

2 चन्द्र-बृहस्पति : दबा हुआ धन जो फिर चल पड़े और काम आवे । सोना चांदी छत्रधारी बढ के दरखत का साया का दूसरों को भी बड़ा भारी सहारा ।

3 चन्द-शनि : बृहस्पति के घरों में और बृहस्पति के साथ से उम्दा वर्ना स्याह मुंह माया, खुद स्याह मुंह बन्दर की तरह छलांग लगा कर चली जाने वाली और मुंह काला सुनाने वाली ।
4 मंगल - शुक्र : स्त्री धन जो माया कि स्त्री की तरफ (ससुराल) और स्त्री की किस्मत पर चले।
5 शनि-बृहस्पति : फकीरी व तालीमी (विद्या का ) ताल्लुक की माया। सन्यासी का धन शादी के दिन से बढ़ेगा।
6 मंगल- बृहस्पति : श्रेष्ट गृहस्थि धन, अपने मर्द के कबीले से ताल्लुक (सम्बन्ध)।
7 मंगल-शनि : डाक्टर का धन दौलत ।
8 मंगल-सूरज : जागीरदारी हकूमत का धन, तालीमी, रूहानी, ताल्लुक ।
9 शुक्र- बृहस्पति : बूर के लडडू , झाग के बताशे (दिखावे का धन) ।
10 सूरज- बृहस्पति : सब से ऊपर शाही धन ।

खाना नम्बर 2 के ग्रह दुश्मन ग्रहों के तख्त की मलकीयत का ज़माना धन हानि, चोरी बिना वजह, फालतू खर्चा और नुक्सान का सबब (बहाना) होता है । धन दौलत खाना नम्बर 11 के रास्ते आती और खाना नम्बर 3 के रास्ते चली जाती है या तीसरी पुश्त पर धन रेखा का रास्ता बदला हुआ होता है ।

माया तेरे तीन नाम, परसू, परसा, परस राम ।
खाना नम्बर 3 का ग्रह होगा - परसू
खाना नम्बर 11 का ग्रह होगा - परसा
खाना नम्बर 1,5,9 का ग्रह होगा - परस राम

जो ग्रह इन घरों में होवे वही रिश्तेदार इस हैसियत का होगा । खुलासा यह कि बन्द मुठ्ठी के अन्दर के घरों में कोई ग्रह न हो तो अपने साथ कुछ न लाया । सब ही ग्रह बन्द मुठ्ठी के अन्दर ही होवे तो मर्द की माया दरखत का साया उसके साथ ही उठ गया ।

खर्च-बचत
चन्द्र धन शनि खज़ानची होता है । दोनों की हालत जेब की हालत बतायेगी। मंगल और शनि जायदाद के मालिक हैं । चन्द्र बृहस्पति सोने चांदी की दौलत के मालिक हैं । आमदन का हाल देखा जायेगा खाना नम्बर 11 से और खर्च का हाल देखा जायेगा खाना नम्बर 12 से । बचत का हाल देखा जायेगा खाना नम्बर 9 से (बज़ुर्गों की तरफ का ताल्लुक) बचत जाती (अपनी) कमाई खाना नम्बर 2 से और बचत औलाद खाना नम्बर 5 से ।
खर्च पर काबू

1 बृहस्पति-सूरज मुश्तरका नेक घर के या दोनो
साथी ग्रह या दोनो जुदा जुदा कायम या दोनो
जुदा जुदा अपने दोस्तों के साथ हों ।
2 ऐसे ही सूरज-बुध
3 ऐसे ही शनि-बृहस्पति
4 ऐसे ही बुध-शनि
बुध-बृहस्पति, शुक्र-बृहस्पति, शनि-सूरज मुश्तरका हो मगर साथी वगैरह न हों , खर्च खामख्वाह (बिना वजह) होता जाये आमदन ख्वाह हो या न हो । अगर बृहस्पति का साथ सूरज या शनि में से किसी को भी न मिले यानि सूरज या शनि दोनों मे से कोई एक भी बृहस्पति की राशि या दोस्ती वगैरह के ताल्लुक में न होंवे, खर्च व आमदन महदूद (सीमित) होगी । अगर खर्च घटावे तो आमदन खुद-ब-खुद घटे । यानि बचत वही है जो मुकरर (लिखी हुई) है ।

बन्द मुठ्ठी के अन्दर के खाने के ग्रहों वाला या खाना नम्बर 11 में कोई भी नर ग्रह वाला अपनी जाती कमाई से सब कुछ आमदन, खर्च व बचत करेगा। बाकियों के लिए यह शर्त न होगी। औसत ज़िन्दगी खाना नम्बर 11 व खाना नम्बर 12 की तफरीक (घटाव) का नतीजा होगा। कुण्डली में 9 ग्रहों में से जितने ग्रह उम्दा (कायम या दुरूस्त वगैरह) हों उतना हिस्सा नेक और जितने ग्रह मन्दे उतना हिस्सा बुरा होगा। दोनों की तफरीक व आखिरी औसत का नतीजा, फैसला होगा।
खाना नम्बर 9 के ग्रह ''तोहफा'' जो दूसरों के लिए जन्म पर साथ लायेगा और खाना नम्बर 2 के ग्रह ''तोशा'' (खज़ाना, कमाई) जो आखिरी दम अपने साथ जायेगा।

मिसाल के तौर पर मशहूर सन्नतकार धीरू भाई अम्बानी जी की कुण्डली पेश है। समझदार के लिए इशारा ही काफी है।




सूरज चन्द्र खाना नं. 1 मिसल राजा । बृहस्पति खाना नं. 10 और शनि खाना नं. 2 मेहनत से तरक्की । मंगल केतु खाना नं. 9 किस्मत से धन दौलत । शुक्र बुध खाना नं. 12 नेक नतीजे । राहु खाना नं. 3 रईस और साहिबे जायदाद। कुण्डली में दो-दो सूरज।

अम्बानी जी को कौन नही जानता ? एक मामूली आदमी से तरक्की करके अरबपति सन्नतकार बन गए। खाना नं. 7 खाली होने की वजह से शुरू में मेहनत करनी पड़ी। मगर बुध की उम्र के बाद तो छलांगे मारकर तरक्की की और कई खानदानी सन्नतकारों को पछाड़ दिया। उनका रिलायन्स कम्पनियों का ग्रुप मुल्क में नम्बर एक माना जाने लगा। वह कारोबार के राजा बन गए और उनकी गिनती दुनियां के अमीर आदमियों में होने लगी। दरअसल धन और दौलत का दूसरा नाम आज रिलायन्स है। जिसने भी शुरू में रिलायन्स के सौ शेयर भी लिये थे आज वह भी लखपति बन गया। अम्बानी जी मुल्क के अकेले ऐसे आदमी हुये जिन्होने कम समय में बहुत ज्यादा तरक्की की। मरने के बाद बेटों के लिए अरबों का कारोबार छोड़ गये। (सूरज खाना नं. 1) वह अपनी मिसाल आप थे।

Friday, February 19, 2010

बुध शक्तिमान


'' उल्ट पांव चमगादड़ लटका, खुफिया शरारत करता हो ।
घर पक्का जिस ग्रह का होगा, वहां वही बन बैठता हो।''

अक्ल के उल्ट काम कर कराके टेवे वाले को चमगादड़ की तरह लटका देना, कोई छुपी शरारत करके मुश्किल में डाल देना, जिस घर में बैठना उस घर के पक्के ग्रह की तोते की तरह नकल करना, मौका देखकर गिरगिट की तरह रंग बदल लेना वगैरह वगैरह बुध ग्रह की खास सिफतें हैं। इसीलिए पण्डित जी (लाल किताब की रचना करने वाले) बुध को उल्लू का पट्ठा कहा करते थे।

''घर 2,4 या 6 में बैठा, राज योगी बुध होता हो।
7वें घर में पारस होता, ग्रह साथी को तारता हो।
9,12,8 तीसरे, 11, थूके कोढ़ी बुध होता हो ।
घर पहले 10 घूमता राजा, परिवार दौलत 5 देता हो''।


बुध बैठा होने वाले घर का मालिक ग्रह जब नम्बर 9 में बैठ जावे तो बुध की तरह वह खाली चक्कर या बेकार निष्फल होगा। सिर्फ खाना नम्बर 4 के बुध में राहु केतु का असर नहीं, इसलिए राज योग है। बाकी हर जगह पाप बुध के दायरे मेें होगा। ज़हर भरा बुध जब बैठा हो खाना नम्बर 3 में कबीले पर भारी और खानदान पर मन्दा, नम्बर 8 में जानदार चीज़ों और जानों पर मन्दा, नम्बर 9 में टेवे वाले की अपनी ही हर हालत (माल व जान) पर मन्दा, नम्बर 11 में आमदन की नाली में रोढ़ा अटकावे, नम्बर 12 में कारोबार और रात की नींद बर्बाद करे। ज़हर से भरा खुद मारा जावे तो बेशक मगर 1 से 4 (सिवाये खाना नम्बर 3 जहां कि दूसराें के लिए थूकता हुआ कोढ़ी यानि मन्दा) पर मन्दा न होगा। नम्बर 5 से 10 में दहशत (डर) तो ज़रूर देगा। नम्बर 11, 12 में हड़काये कुत्तो की तरह जिसे काटे वो आगे हड़काकर भागने लगे। बुध अमूमन (आम तौर पर) खाना नम्बर 1, 2, 9 से 12 में सनीचर (शनि) की मदद करेगा। चाहे ज़हर मिला लोहा मार देने वाली ज़हर निर्धन करने वाला होगा। नम्बर 3 से 8 में सूरज की मदद, धन दौलत उम्दा चाहे 3 और 8 में हज़ारो दुख: खड़े करेगा।


बुध से मुराद बहन, बुआ, फूफी, मासी, साली, व्यापार और दूसरे बुध के काम होगा। बुध के बगैर तमाम ग्रहों में झुकने झुकाने की ताकत कायम न होगी।
बुध्दि के काम तिज़ारत, व्यापार, हुनर, दस्तकारी, दिमागी लियाकतों (बुध्दिमत्ताा) से धन दौलत कमाने का 34 साला उम्र का ज़माना बुध की हकूमत होगा। किसी भी चीज़ के न होने की हालत, बुध का होना या उसकी हस्ती कहलाती है। यानि खाली जगह में बुध का दखल होगा। ज़हर से भरा बुध खाना नम्बर 1 से 4 में (सिवाये खाना नम्बर 3 के) साथ बैठे ग्रह पर कभी मन्दा असर न देगा। खुद बेशक बुरे असर अपने देवे मगर कोई ज़हर मिला वाकिया न करेगा। नम्बर 11 से 12 जिस ग्रह को काटे वह हड़काये कुत्तो की तरह दूसरों को भी आगे हड़काता चला जावे। चन्द्र राहु के झगड़े में बुध बर्बाद होगा। बुरे ग्रहों के साथ बैठा उस ग्रह का असर और भी बुरा कर देगा और भले ग्रह के साथ बैठने से न सिर्फ उस भले ग्रह को और भी भला कर देगा बल्कि खुद भी भला हो जायेगा। यानि जिससे मिलेगा उसकी ही ताकत का असर देगा। यह ग्रह दरखतों पर उल्ट पांव लटके हुये चमगादड़ की तरह अन्धेरे में जागकर खुफिया (छुपी) शरारत करता होगा। मकान में मन्दे बुध की पहली निशानी यह होगी कि नये बनाये मकान में किसी न किसी वजह से सिर्फ सीढ़ियां गिराकर दोबारा बनने का बहाना होगा। चार दीवारी और छत्ता नही बदली जायेगी।
मन्दे बुध वाले को नाक छेदन करवाना और फिटकरी वगैरह से दांत साफ रखना या छोटी लड़कियों को पूजना, सेवा रखना मददगार होगा। अगर घर के बहुत से मैम्बरों का बुध निकम्मा ही हो या खुद अपना बुध टेवे में अमूमन् मन्दे ही घरों में आता रहे तो बकरी की सेवा या बकरी का दान करना उत्ताम फल पैदा करेगा। अगर ज़ुबान में थुथलापन हो तो बद । इस थुथलापन के अलावा और कोई मन्दा फल न देगा चाहे टेवे में मन्दा होवे। घर में एक के बाद दूसरे पर लानत, बीमारी खड़ी हो जाने के वक्त बुध से बचाव के लिए हलवा कद्दू जो पक्का रंग ज़र्द (पीला) और अन्दर से खोखला हो चुका हो, सालम का सालम यानि पूरे का पूरा धर्म स्थान में देना मददगार होगा।


पाप (राहु,केतु) बुध के दायरे में चलता है सिवाये खाना नम्बर 4 के जहां कि बुध राजयोग होगा क्योंकि वहां राहु, केतु पाप न करने की कसम खाते हैं । शुक्र मन्दे को ज़रूर मदद देगा मगर पाप मन्दे के वक्त खुद भी मन्दा होगा और मौत गूंजती होगी। बल्कि ऐसी हालत में अगर शुक्र भी ऐसे घरों में हो जहां कि बुध मन्दा गिना गया है तो वह शुक्र को भी बर्बाद कर देगा। अकेला बैठा हुआ बुध निकम्मा व बगैर ताकत होगा और उस ग्रह का फल देगा जिस ग्रह का वह पक्का घर है जहां कि बुध बैठा हो। धोखे से बचने के लिए यह बात साफ होनी चाहिए कि घर की मालकीयत दो तरह की होती है। एक तो बतौर घर का मालिक और दूसरी हालत में हर एक घर किसी न किसी ग्रह का पक्का घर मुकर्रर हैं । मसलन् खाना नम्बर 1 का मालिक तो मंगल है मगर यह पक्का घर सूरज का है । खाना नम्बर 3, 8, 9, 11, 12 का मन्दा बुध बेवकूफ कोढ़ी मल्लाह जो खतरे के वक्त अपनी बेड़ी को खुद ही गोता देने लगे और आमदन की नाली में रोढ़ा अटकाने वाला हो जावे।

बुध का अण्डा अक्ल का बीज़ नहीं मगर अक्ल की नकल ही अण्डा है जो कुण्डली के खाना नम्बर 9 में पैदा होता है। ग्रह कुण्डली में खड़ा अण्डा (मैना, आम, बकरी) बुध कुण्डली के खाना नम्बर 2, 4, 6 में होगा। लेटा हुआ अण्डा (भेड़) बुध कुण्डली के खाना नम्बर 8, 10 में होगा। गन्दा अण्डा बुध कुण्डली के खाना नम्बर 12 में होगा। आम हालत (मां धी )बुध कुण्डली के खाना नम्बर 1 में होगा। चमगादड़ व किसी चीज़ का साया या अक्स मगर असल चीज़ जिसका साया या अक्स है, का पता न लगे कि वह कहां है, बुध कुण्डली के खाना नम्बर 3, 9 में होगा। दूध देना वाला बकरा मगर बकरी दाढ़ी वाली, बुध कुण्डली के खाना नम्बर 5 में होगा। चौड़े पत्ताों वाला दरखत, मैना का उपदेश, लाल कण्ठी वाला तोता, बृहस्पति की नक्ल, बुध कुण्डली के खाना नम्बर 11 में होगा।


बुध की नाली


हर तीसरे घर के ग्रह यानि 1, 3 कभी बाहम (आपस में) नहीं मिल सकते । इसलिये बाहम असर भी नही मिला सकते । लेकिन अगर बुध की नाली से कभी मिल जावें तो वह बाहम बुरा असर न देंगे। अगर नेक हो जावे तो बेशक हो जावें।
शुक्र बुध दोनों इकट्ठे ही मुबारक हैं और खाना नम्बर 7 दोनों का पक्का घर है। लेकिन जब जुदा जुदा हो जावें और अपने से सातवें पर होवें तो दोनों का फल रद्दी। लेकिन जब तक इस सातवें की शर्त से दूर हों मगर हों दोनो जुदा जुदा तो बुध जिस घर में बैठा हो, वह (बुध) उस घर के तमाम ग्रहों का और उस घर में उनके बैठे हुये का अपना अपना असर शुक्र के बैठा होने वाले घर में नाली लगाकर मिला देगा। यानि दोनों घरों का असर मिला मिलाया हुआ इकट्ठा गिना जायेगा। फर्क सिर्फ यह हुआ कि शुक्र अपने घर का असर उठाकर बुध बैठा होने वाले घर में नही ले जाता मगर बुध का अपने बैठा होने वाले घर का असर उठाकर शुक्र बैठा होने वाले घर में जा मिलाता है। किस्सा कोताह (अंत संक्षेप में) जब कभी शुक्र का राज हो तो शुक्र बैठा होने वाले घर में बुध बैठा होने वाले घर का असर साथ मिला हुआ गिना जायेगा। मगर बुध की तख्त की मालकियत के वक्त अकेले ही उन ग्रहों का असर होगा जिनमें कि बुध बैठा हो। शुक्र बैठा होने वाले घर के ग्रह का असर बुध वाले घर में मिला हुआ न गिना जायेगा। बुध शुक्र के इस तरह पर असर मिलाने के वक्त अगर बुध कुण्डली में शुक्र से बाद के घराें में बैठा हो तो, बुध का अपना जाति असर बुरा होगा । अगर बुध कुण्डली में शुक्र से पहले घरों में बैठा हुआ और उठाकर अपने बैठा होने वाले घर का असर ले जावे शुक्र बैठा होने वाले घर में तो अब बुध का लाया हुआ असर में जाती अपना असर बुरा न होगा बल्कि भला ही गिना जायेगा। इस मिलावट के वक्त अगर बुध वाले घर में शुक्र के दुश्मन ग्रह भी शामिल हों तो शुक्र इज़ाज़त ने देगा कि बुध अपने बैठा होने वाले घर का असर उठाकर शुक्र बैठा होने वाले घर में मिला देवे। यानि ऐसी हालत में बुध की नाली बन्द होगी और शुक्र को जब बुध की मदद न मिली तो शुक्र अब बुध के बगैर पागल होगा। लेकिन अगर बुध का साथ वहां शुक्र के दोस्त ग्रह हों तो शुक्र कोई रूकावट न देगा। बल्कि बुध को ज़रूर अपना असर शुक्र बैठा होने वाले घर में ले जाना पड़ेगा। हो सकता है कि ऐसी मिलावट में राहु केतु दोनों शामिल हो (यह हालत सिर्फ उस वक्त होगी जब राहु केतु अपने से सातवें घर होने की वजह से बुध और शुक्र भी आपस में सातवें घर होंगे ) तो मन्दा नतीजा होगा। खास करके उस वक्त जब बुध होवे शुक्र के बाद के घरों में और साथ ही राहु और केतु का दौरा भी आ जावे । यानि उन मे से कोई एक तख्त की मालकियत के दौरे के हिसाब से आ जावे तो उस वक्त (जबकि इस मिलावट में राहु केतु शुक्र बुध के साथ मिल रहें हैं और राहु केतु का अपना उधर राज पर इकट्ठे होने का भी वक्त है) कुण्डली वाले के लिए मार्क स्थान का भयानक ज़माना होगा। यानि मौत के बराबर का बुरा वक्त होगा। लेकिन अगर यह शर्तें पूरी न हों या बुध होवे शुक्र से पहले घरों में तो यह मन्दा ज़माना न होगा। मन्दा ज़माना सिर्फ राहु केतु के दौरे के वक्त होगा। शुक्र या बुध के दौरे (ग्रह के दौरे से मुराद ग्रह मतल्का का खाना नम्बर 1 में आने का ज़माना होगा) के वक्त यह लानत न होगी। इस बुध की नाली का खास फायदा मंगल से मतल्का (सम्बंधित) है। बाज़ (किसी) वक्त मंगल को सूरज की मदद मिलती हुई मालूम नही होती या चन्द्र का साथ होता हुआ मालूम नही होता, इस नाली की वजह से मंगल को मदद मिल जाती है और मंगल जो सूरज चन्द्र के बगैर मंगल बद होता है, मंगल नेक बन जाता है। इसी तरह मंगल बुध बाहम दुश्मन हैं । मंगल के बगैर शुक्र की औलाद कायम नही रहती । बुध जब मंगल के साथ होवे तो लाल कण्ठी वाला तोता होगा और खुद उठकर और मंगल को साथ उठाकर शुक्र से मिला देगा या शुक्र की औलाद बचा देगा। जिससे कण्डली वाला लाऔलाद (नि:सन्तान) न होगा। ऐसी हालत में बुध या शुक्र के बाहम पहले या बाद के घराें में होने पर बुध के जाति असर की बुराई की शर्त न होगी। भलाई का असर ज़रूर होगा। क्योंकि मंगल ने शुक्र के दौरे के पहले साल में अपना असर ज़रूर मिलाना है। गोया बुध की नाली 100 प्रतिशत, 50 प्रतिशत, 25 प्रतिशत और अपने से 7वें होने की दृष्टि से बाहर एक और ही शुक्र और बुध की बाहम दृष्टि है और यह है इसलिए कि शुक्र में बुध का फल मिला हुआ माना जाता है। मिलावट में राहु के साथ हो जाने के वक्त जब शुक्र ने बुध को बाहर ही रोक दिया तो शुक्र में बुध का फल न मिला तो बुध के बगैर शुक्र पागल होगा या शुक्र खाना नम्बर 8 के असर वाला होगा। इसी तरह शुक्र के बगैर बुध का असर सिर्फ फूल होगा फल न होगा। यानि कुवते वाह (संभोग शक्ति) होगी तो मंगल की बच्चा पैदा करने की ताकत का शुक्र को फायदा न मिलेगा।

बुध के दांत

दांत कायम हों तो आवाज़ अपनी मर्ज़ी पर काबू में होगी । गोया बृहस्पति की हवाई ताकत (पैदायश औलाद) पर काबू होगा। मंगल भी साथ देगा । यानि जब तक दांत (बुध) न हों, चन्द्र मदद देगा। जब दांत न  थे तब दूध दिया । जब दांत दिये तो क्या अन्न (शुक्र) न देगा ? यानि बुध होवे तो शुक्र की खुद-ब-खुद (अपने आप) आने की उम्मीद होगी। लेकिन जब दांत आकर चले गये (और मुंह के ऊपर के जबाड़े के सामने के) तो अब मंगल बुध का साथ न होगा। न ही बृहस्पति पर काबू होगा या उस शख्स या औरत के अब औलाद का ज़माना खतम हो चुका होगा जबकि यह दांत आकर चले गये या खतम हो गये। दांत गये दांत कथा गई । बृहस्पति खत्म तो लावल्द (नि:संतान) हुआ।


तोते की 35 (पैंती)


''लटपट 35 चतुर सुजान,
कहो गंगा रामा श्री भागवान।''


तोते की 35  यह दोहा बचपन में कई बार सुना था । मगर इसका कोई ज्योतिषीय मतलब भी हो सकता है, यह बाद में लाल किताब से ही पता चला ।




बुध के ग्रह का भेद

तोते की 35 के कुण्डली के खानों को गौर से मुलाहज़ा (निरीक्षण) करें तो कुण्डली का खाना नम्बर 9 कहीं नही मिलेगा। बुध का यह खाना नम्बर 9, वह खुद खाना नम्बर 9 एक अजीब हालत का है । यही खाना नम्बर 9 एक चीज़ है जो इन्सान व हैवान में फर्क कर देता है और तमाम ग्रहों की बुनियाद है । या दोनों जहान की हवा बृहस्पति असल है। इस 35 के 11 खानें दर असल बुध के 12 खाना की हालत बताते हैं । यानि खाना नम्बर 10 के बुध को सनीचर, नम्बर 2 के बुध को बृहस्पति वगैरह जिस तरह कि इस तोते की 35 की कुण्डली में लिखे हैं, लेंगे। यानि असर के लिए बुध के अपने असर की बजाये दिए हुए ग्रहों की हालत का असर लेंगे। यानि बुध
जिस घर में बैठा हो वहां बैठा हुआ वह उस ग्रह का असर देगा जिस ग्रह का वह खाना नम्बर पक्का घर मुकर्रर (निश्चित)है।


बुध ग्रह को समझना - समझाना कोई आसान बात नही।यह कब क्या कर दे, इसका कोई भरोसा नही। उल्लू का पट्ठा जो ठहरा । चन्द जानी मानी कुण्डलियां , जहां बुध ने ज़िन्दगी की बाज़ी ही उल्ट दी, बतौर मिसाल पेश है। समझदार के लिए इशारा ही काफी होगा।



कुण्डली नम्बर 1 लाल कृष्ण अडवानी जी की है। पार्टी की तरफ से प्रधानमन्त्री के पद के उम्मीदवार थे। चुनाव के बाद वह प्रधानमन्त्री तो न बन सके उल्टा कुछ लोग अब उनको विपक्ष के नेता के पद से भी हटाने की बात कर रहे हैं । कुण्डली में बुध खाना नम्बर 12, किस्मत के फेर से रात की नींद उजाड़ने वाला, जिसे दुखिया देखकर आसमान भी रो देवे।


'' गई शब न आधी वह क्यों रो रहा है ।
लिखा सब फरिश्ता उल्ट हो रहा है ।''


कुण्डली नम्बर 2 बालीवुड शहनशाह अमिताभ बच्चन जी की है । ज़िन्दगी में कोई न कोई सिरदर्दी ही रही । कभी शूटिंग के वक्त चोट लग गई, कभी कारोबार में माली नुक्सान हो गया तो कभी बिमार हो कर हस्पताल पहुंच गये। रेखा जी के साथ दो चार फिल्मों में काम क्या किया कि उल्टे सीधे चर्चे होने लगे। कुण्डली में बुध खाना नम्बर 8, बीमारी , ज़हमत और लानत, खुफिया तबाही का फन्दा, माली नुक्सान करने वाला कोढ़ी । मगर सूरज, शुक्र, मंगल का साथ मददगार नही तो

'' कब्र तक की लानत, फरिश्ता भी भागे ।
जले आग ऐसी, नज़र जो न आवे ।''

कुण्डली नम्बर 3 बालीवुड सुन्दरी करिशमा कपूर जी की है । सगाई तो मुम्बई में की मगर शादी किसी ओर से दिल्ली में जा की । एक बेटी को जन्म दिया । सुना है अब पति से जुदा रह रही है । मां बाप भी जुदा हो गए थे। बुध खाना नम्बर 11, दौलतमन्द जन्म से, खुद बुध का ग्रह उल्लू का पट्ठा और कोढ़ी मगर 34 साला उम्र के बाद हीरा मददगार होगा। लेकिन केतु का साथ मन्दा । शुक्र खाना नम्बर नम्बर 1, शुक्र का पतंग । दिल पर काबू रखना ही ठीक होगा।

'' नरख सोना बढ़ता, लगे जब कसौटी,
वक्त नाश अपने, अक्ल पहले सोती।''

कुण्डली नम्बर 4 हरियाणा सूबे की अनुराधा जी की है । चन्द माह पहले फिज़ा यानि मुसलमान बनके सूबे के एक शादीशुदा वज़ीर चन्द्र जी उर्फ चांद से निकाह कर लिया । फिर चन्द रोज़ बाद चांद बादलो में गुम हो गया। यानि चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात । बुध खाना नम्बर 9, मनहूस, किस्मत के घर चमगादड़ के मेहमान आए यहां हम लटके वहां तुम लटको । और चन्द्र का साथ, पानी (चन्द्र) में रेत (बुध), इश्क का गल्बा (चक्कर) । शुक्र खाना नम्बर 7 और खाना नम्बर 1 खाली, शुक्र का पतंग मगर कटा हुआ।

'' अजब भूल भुलैया, जुबानी तमाशा।
दिखाते बहरूपी ले बिस्तर ही भागा।''

अब क्या करें ...........बुध का उपाय ज़रूरी । नही तो न सही, लटके रहो ।
निगाहों में जो परेशानियां हैं,
बुध चन्द्र की मेहरबानियां हैं ।


Sunday, February 14, 2010

ग्रह चाल निराली

अपने खानदान को आगे बढ़ाने के लिए हर कोई लड़का चाहता है । हालांकि कई बार लड़की भी मां-बाप का नाम रोशन कर देती है। वक्त के साथ-साथ लड़के और लड़की का फर्क कम हो गया है। कभी कभी ज़िन्दगी में ऐसे वाक्यात हो जाते हैं जिनके बारे न तो कभी सोचा होता है और न ही कभी उम्मीद की होती है। मेरे एक सज्जन दोस्त इंजीनियर हैं। उनकी पत्नी भी पढ़ी लिखी बी.ए. पास है। उनके दो लड़कियां और एक लड़का हैं। दोनों लड़कियां इंजीनियर मगर लड़का अनपढ़ है ।

कुण्डली नं.1 इसी लड़के की है। राहु खाना नं. 8 चन्द्र और बृहस्पति दोनो के लिए मन्दा। राहु के साथ से बृहस्पति का सोना भी पीतल और चन्द्र राहु के झगड़े में बुध बरबाद। चन्द्र के घर खाना नं. 4 में मंगल बद और सूरज के घर खाना नं. 5 में शनि जिसकी मन्दी नज़र बृहस्पति के घर खाना नं. 9 पर । सूरज खाना नं.6 पाताल में बुध के साथ । खाना नं. 8 का मन्दा असर खाना नं. 2 के मारफत खाना नं. 6 में । कुण्डली में ग्रहण भी है ।

लड़के पैदा हुए 1 साल नही हुआ था कि बाप (सूरज) रीढ़ की हड्डी (केतु) के दर्द से बिस्तर पर आ गया। दर्द लगभग 1 साल रहा और आप्रेशन करवाने से ही आराम मिला। लड़के के चाचा की मौत के बाद बेवा चाची (मंगल खाना नं. 4) में मां-बाप के लिए काफी सिरदर्दी खड़ी की। फिर मां-बाप को पता चला कि लड़का तो बोलता ही नही । कई डाक्टरों को दिखाया और पता चला कि लड़के के कानों (केतु) में नुक्स है और उसको सुनता नही। जिसकी वजह से वह बोल नही सकता। यानि चन्द्र राहु के झगड़े में बुध (बोलचाल) बरबाद हो गया। इलाज से भी कोई फायदा नही हुआ। अब लड़के उम्र 22 साल हो गई है। अभी तक तो मां-बाप देखभाल कर रहे हैं । मगर बाद में क्या होगा ?

कुण्डली नं. 2 एक लड़की की है। मिलती जुलती समस्या । चन्द्र राहु खाना नं. 4, सूरज केतु मंगल शुक्र खाना नं. 10 और शनि खाना नं. 8 सब मन्दे। कुण्डली में ग्रहण भी है। चन्द्र राहु के झगड़े में बुध बर्बाद। लड़की की उम्र 3 साल की हो गई है मगर बोलती नही। मां-बाप को चिन्ता हुई। कई डाक्टरों को दिखाया गया। पता चला कि लड़की के कानों में नुक्स है और उसको सुनता नही। जिसकी वजह से वह बोल नही सकती। डाक्टरों ने बताया कि आप्रेशन करना पड़ेगा । लाखों रूपये का खर्चा है। मां-बाप को डाक्टरों से उम्मीद है। वह अगले माह मार्च में आप्रेशन करवाने की सोच रहे हैं । मगर ग्रहों से ज्यादा उम्मीद नही है। देखें अब क्या होता है ?
ऊपर दी गई दोनों कुण्डलियों में मन्दी ग्रह चाल ने ज़िन्दगी की चाल ही खराब कर दी। आखिर मानना पड़ेगा:
''किस्मत के खेल निराले मेरे भैया।
किस्मत का लिखा कौन टाले मेरे भैया ॥''

Tuesday, February 9, 2010

कुण्डली की दुरूस्ती

लाल किताब के फरमान नं 12 के तहत कुण्डली की बनावट और दुरूस्ती की बात की गई है। इल्मे ज्योतिष के मुताबिक बनाई हुई जन्म कुण्डली के लग्न के खाना नं0 को एक का हिन्दसा देकर जब कुण्डली बन चुकी तो मालूम हो जायेगा कि लग्न से हर ग्रह कौन कौन से घर में है। इस तरह बैठे हुये ग्रहों का मुताबिक मकान कुण्डली भी बनाई और हर एक ग्रह के मुतल्लका चीजों से पड़ताल की या खून के रिश्तेदारों के हाल से सब ग्रहों का फल मिलाया। अब तमाम हालात आम उम्र और सालावार देखलें। जिस घर में कोई एक नर ग्रह भी पूरे तौर पर तसल्ली का मालूम हो, उसे उस घर में मुर्कर करके बाकी सब ग्रहों को बा-तरतीब लिख दें। अब लग्न सारणी के मुताबिक देखलें कि जन्म वक्त दर असल क्या हुआ। साथ ही इस तरह दुरूस्त किये हुये टेवे का फलादेश बोलकर देख लें कि आया गुजरा हुआ, हाल मिल गया। ग्रह स्पष्टी के लिए हर ग्रह में इसके खानावार असर की दी हुई चीज़ो का ताल्लुक भी देख लें। जब पूरी तसल्ली हो जाये तो मकान कुण्डली के मुताबिक भी अब टेवा दुरूस्त हो गया।

मिसाल के तौर पर सरकारी कालेज होशियारपुर के एक आला मुलाज़िम ने बताया कि उसका जन्म 24 फरवरी 1960 को सुबह हुआ था। जन्म वक्त का पता नही और जन्म लग्न बनाना है। पंचांग देखने पर पता चला कि उस दिन सुबह 3 बजे से 8 बजे तक तीन लग्न बने। अब देखना है कि उसका जन्म लग्न कौन सा है।

सब से पहले मंगल जो पहली कुण्डली के खाना नं0 2 में है। लाल किताब के मुताबिक पैदायश से वह खुद बड़ा भाई होगा। मगर ऐसा नही हुआ। दूसरी कुण्डली में मंगल खाना नं0 1 में है। अब छोटे बड़े भाईयों भी कोई शर्त नही। यह हाल मिल गया। कुण्डली वाले के बड़े भाई दो।

तीसरी कुण्डली में मंगल खाना नं0 12 में हैं जो बड़े भाई को ज़िन्दा न रहने देगा पर जन्म में पहले उसका बड़ा भाई ज़रूर होगा। मगर ऐसा भी नही हुआ।

अब ख्याल दूसरी कुण्डली पर ही आया। उसके बाकी ग्रहों का फल भी मिलाया गया जो मिल गया। उसी के हिसाब से कुण्डली वाले के मकान का जायजा लिया गया। मकान खुद ब खुद बनना था। हां बना बनाया मकान कुछ साल पहले खरीदा । हमसाया का मकान गिरा हुआ या कुत्तो के टट्टी फिरने की जगह की तरह बर्बाद। हां साथ वाला मकान बहुत सालों से बन्द पड़ा था या गैर आबाद है और दुसरी तरफ प्लाट खाली है। मकान का हाल भी मिल गया।

सब ग्रहों का फल और मकान का हाल मिल जाने से नतीजा यही निकला कि नं0 12 ही मुलाज़िम का सही जन्म लग्न है। इस तरह कुण्डली की बनावट को परखा जा सकता है। और अगर ज़रूरत पड़े तो दुरूस्त भी किया जा सकता है।

Friday, February 5, 2010

शादी खाना आबादी

''आकाश ज़मीन दो पत्थर 7वें, रिज़क अक्ल की चक्की हो;
दोनो घुमावे कीली लोहे की, घर आठवें जो होती हो ।''

फरमान न0 8 के मुताबिक गृहस्थ की चक्की कुण्डली के खाना नं0 7 में चलती है और चक्की घुमाने वाली लोहे कीली खाना नं0 8 में होती है। नीचे वाला पत्थर शुक्र (रिज़क) और ऊपर घूमने वाला पत्थर बुध (अक्ल) होता है। इस घर सनीचर उच्च, सूरज नीच, बुध और शुक्र पक्की हालत के ग्रह होते हैं ।
दो गृहस्थियों को जुदा जुदा रखते हुए एक कड़ी से जोड़ने वाली चीज़ आम दुनियादारों की नज़र में शादी और ग्रह चाल में मंगल की ताकत का नाम रखा गया है। यही मंगल के खून की कड़ी, लड़की और औरत में फर्क की कड़ी है। इसी वजह से शादी में मंगल गाये जाते हैं । अगर मंगल नेक हो तो शादी खाना आबादी लेकिन अगर मंगल बद हो तो शादी की खुशी के बजाये स्त्री /लक्ष्मी का सुख सागर एक दुख: का भंवर होगा। मंगल बद का वीराना होगा जिसमें सूरज की रोशनी तक की चमक न होगी। दिन की बजाये सनीचर की स्याह रात का साथ होगा। मर्द की कुण्डली में शुक्र से मुराद उसकी बीवी और औरत की कुण्डली में शुक्र से मुराद उसका शौहर होगा।
योग शादी:- फरमान नं0 17 के मुताबिक
'' पहले दूसरे 10 ता 12 , बुध शुक्र जब बैठा हो;
शनि मदद देवे 1 या 10 से, साल शादी का होता हो ।
बुध शुक्र घर 7वें बैठे , शत्रु तीन न ग्यारह हो ;
कुण्डली जन्म घर वापिस आते, वक्त शादी आ होता हो ।
बुध नाली से जब दो मिलते, शनि मदद भी देता हो;
रद्दी कोई न दो जो इकट्ठे, योग शादी को होता हो ।
बुध शुक्र जब नष्ट या मन्दे, साथ ग्रह नर स्त्री हो ;
शनि राजा या मदद दे उनको, योग पूरा आ शादी हो।
शुक्र अकेला या मिल बैठे, कुण्डली जन्म में चौथे जो ;
सात दूजे न शत्रु होते, लेख शादी का उदय हो ।
घर 7वां 2 गुरू शुक्र का, खाली टेवे जब होता हो;
गुरू शुक्र भी 2 , 7 आया, साल शादी का बनता हो ।
घर पक्का जिस ग्रह का होवे, बुध शुक्र जहां बैठा हो;
अपनी जगह दे बुध शुक्र को, सात पावे या दूसरा हो।
बुध शुक्र भी 2, 7 आवे, मदद शनि न बेशक हो ;
नष्ट निकम्मा न वह होवे, वक्त शादी को होता हो ।
औरत टेवे में गुरू जो चौथे, योग जल्द हो जाता हो ;
रवि मंगल का साथ गुरू से, ससुर औरत न रहता हो ।''

दोस्ती दुश्मनी ग्रह दृष्टि वगैरह सब को नज़र में रखते हुये वर्षफल में खानावारी हालतके हिसाब से जिस साल शुक्र/बुध को सनीचर की दोस्ती या सनीचर के आम दौरे के वक्त (सनीचर नं01) होवे तो शादी होने का वक्त और योग होगा। आमतौर पर शादी का योग शुक्र से गिनेगें। लेकिन जब बुध इन असूलों पर शादी का योग बनावे तो भी शादी का योग होगा सिवाये बुध नं0 12 के । अगर कुण्डली में शुक्र बुध बर्बाद या मन्दे हों और स्त्री ग्रह शुक्र चन्द्र के साथ नर ग्रह बृहस्पति या सूरज या मंगल मददगार साथी या मुश्तर्का (इकट्ठे) हों तो जिस साल सनीचर की मदद या उसके आम दौरे ताल्लुक हो जाये तो भी शादी होने का वक्त होगा।
मसलन् जिस साल शुक्र या बुध तख्त का मालिक या खाना नं0 2, 10 से 12 (सिवाये बुध नं0 12) में या अपने पक्के घर खाना नं0 7 में हो जावे लेकिन उस वक्त खाना नं0 3 , 11 में शुक्र के दुश्मन ग्रह (सूरज, चन्द्र, राहु) न हो या वह अपने जन्म कुण्डली के बैठा होने वाले घर में ही आ जावे । शुक्र जब खाना नं0 4 में हो चाहे अकेला या किसी के साथ तो खाना नं0 2, 7 में शुक्र का दुश्मन सूरज, चन्द्र या राहु न आया हो वर्ना शादी का काई योग न होगा। दिए हुये शादी के सालों (22, 24, 29, 32, 39, 47, 51, 60) में जिस साल सूरज चन्द्र या राहु खाना नं0 2 , 7 में न हों तो शादी होगी। ऐसी हालत में अगर बृहस्पति नं0 7 में आ जावे तो औरत औलाद के काबिल न होगी। दिए हुये सालों में शादी का योग ज़रूर है मगर शादी मुबारक न होगी। शुक्र नं0 4 की ऐसी हालत में शादी मुतल्वी (स्थगित) हो सकतीहै।
मन्दे योग का विचार

जो ग्रह शुक्र को बर्बाद करे या खुद ऐसा मन्दा हो कि शादी के फल को गैर मुबारक साबित करे मसलन चन्द्र नं0 1 के वक्त 24 या 27वें साल और राहु नं0 7 के वक्त 21वें साल शादी मुबारक न होगी। सूरज जब शुक्र के लिए ज़हरीला हो तो सूरज की उम्र 22वें साल , सूरज का दिन में वक्त पूरी दोपहर के पहले का अर्सा, सूरज का दिन इतवार या वैसे ही शादी के रस्मो रिवाज करने के लिए दिन का वक्त मुबारक न होगा।
अगर शुक्र रद्दी न हो तो शादी के लिए कोई वहम ने लेंगे। मगर अकेला सनीचर नं0 6 इस शर्त से बाहर होगा खासकर जब शुक्र भी उस वक्त नं0 2 या 12 में हो यानि उम्र का 18-19वां साल शादी के लिए गैर मुबारक ही होगा।
शादी का शुभ वक्त वर्षफल के हिसाब से :


लेकिन अगर बुध नं0 9 , 10, 12, में हो तो शादी और शादी का फल (औलाद, दुनियावी आराम) के ताल्लुक में योग मन्दा होगा खासकर जब उस वक्त राहु या केतु में से कोई खाना नं0 1,7 में बैठ जावे।


3 शुक्र बुध अपने जन्म कुण्डली वाले घर या नं0 1, 7 में आ जावें मगर शुक्र जन्म कुण्डली के खाना नं01 से 6 का न हो और उस वक्त नं0 3, 11 में सूरज चन्द्र राहु न हों ।

4 जब नं0 2, 7 खाली हो तो बुध शुक्र ही खुद 2, 7 में आने पर, बुध शुक्र बैठे घर का मालिक ग्रह नं0 2, 7 में और बुध शुक्र ऐसी जगह चला जावे जैसे शुक्र बुध नं0 3 हों, मंगल नं0 9 में तो 17वें साल, शुक्र बुध नं0 9, मंगल नं0 7 होने पर शादी का योग होगा।

5 औरत की कुण्डली में बृहस्पति नं0 4 तो जल्द शादी हो जावेगी और सूरज मंगल का साथ गुरू से हो तो उसका ससुर न होगा।

6 राहु खाना नं0 1 या 7 या किसी तरह शुक्र से मिल रहा हो तो 21 साला उम्र की शादी बेमानी (व्यर्थ) होगी । यही हालत सूरज शुक्र के मिलने पर 22 से 25 साला उम्र की शादी पर होगी। जिसके लिए उपाय ज़रूरी ।

7 जो लड़की अपने जद्दी घर घाट से उत्तार के शहर में (लड़के के जद्दी खानदान के रिहायश की जगह) ब्याही जावे तो अमूमन दुखिया होगी जब लड़की के पिता की कुण्डली में बुध नं0 6 में हो ।

8 जिस बाप की जन्म कुण्डली में चन्द्र खाना नं0 11 में हो और वह अपनी लड़की की शादी का कन्यादान तड़के (सुबह सवेरे केतू के वक्त) करे तो बाप और बेटी दोनों में से शायद ही कोई सुखिया रहेगा। यही हालत उस शौहर के साथ होगी जिस की जन्म कुण्डली में चन्द्र खाना नं0 11 में हो और वह अपनी शादी का दान लड़की के वालदैन (माता पिता) से तड़के लेवे ।

9 सनीचर खाना नं0 7 वाले की शादी अगर 22 साला उम्र तक न हो तो उसकी नज़र बेबुनियाद (अन्धापन ) होगी।

10 बृहस्पति खाना नं0 1 और नं07 खाली हो तो छोटी उम्र की शादी मुबारक होगी।

एक औरत होगी:

'' शनि शुक्र हो मदद पर बैठे, नर ग्रह शत्रु साथ न हो;
बुध शुक्र दो ऊंच या अच्छे, शनि सूरज को देखता हो।
बुध पहलें या 6वें बैठा , असर शुक्र न मन्दा हो ;
शुक्र गृहस्थी पूरा होगा, एक शादी ही करता हो ।
बुध दबाया हो ख्वाह मन्दा, शुक्र टेवे ख्वाह उम्दा हो;
बाद 28 फल शादी होता, औलाद नरीना मन्दा हो।''
खसम कहानी:-(पति खाने वाली)

'' शत्रु शुक्र बुध हर दो देखे, मिलती बैठक ख्वाह एलहदा हो;
सूरज केतु आ बुध पर चमके, खसम खानी वह औरत हो ।''
औरत और चाहिये:-
'' मन्दा शुक्र या दुश्मन साथी, रवि शनि को देखता हो;
बुध बैठा 5, 8वें पापी, साथ शुक्र 2 चौथा हो ।
नीच गुरू हो 10वें मिट्टी, रवि भी 5वें बैठा हो;
औरत पर औरत मरती, साथ शनि ख्वाह मिलता हो। ''
जब शुक्र बुध नष्ट हो तो शादी का योग देखने के लिए शुक्र की जगह चन्द्र और बुध के एवज़ में नर ग्रह लेंगें जो जन्म कुण्डली में उम्दा हों । शुक्र के दायें या बायें पापी ग्रह हों या शुक्र बैठा होने वाले घर से चौथे, 8वें मंगल सूरज सनीचर में से कोई एक या इकट्ठे हों तो औरत जलकर मरे या शुक्र का फल जल जावे । ऐसी हालत में औरत की बजाये गाय का तबादला या गऊदान मददगार होगा। जन्म कुण्डली में शुक्र कायम या अपने दोस्तो यानि बुध सनीचर केतु के साथ साथी या दृष्टि में हों, उनसे मदद लेवें तो औरत एक ही कायम।
दुश्मन ग्रहों से अगर शुक्र रद्दी तो तायदाद (गिनती) औरत ज्यादा । सूरज बुध राहु मुश्तरका शादियां एक से ज्यादा मगर फिर भी गृहस्थ का सुख मन्दा । बुध खाना नं0 8 में तायदाद औरत ज्यादा मगर सब औरतें ज़िन्दा होवें । जितनी दफा बर्षफल में सूरज और सनीचर का बाहमी (आपस में) टकराव आ जावे उतनी तायदाद तक शादियां होंगी खासकर सूरज नं0 6 और सनीचर नं0 12 हो तो औरत पर औरत मरती जावे या मां बच्चों का ताल्लुक न देखे या सुख देखने से पहले ही मरती जावे यानि बुध नं0 8 या शुक्र नं0 4 मगर 2 , 7 खाली, औरतें (बीवियां) एक से ज्यादा मगर सब ज़िन्दा।
बुध शुक्र दोनो ही नेक हालत के और मंगल नेक का साथ हो तो शादी औलाद का फल नेक व उम्दा होगा।
चन्द मिसालें:
कुछ जानी मानी कुण्डलियां बतौर मिसाल पेश हैं । समझदार के लिए इशारा ही काफी होगा।




1 अटल बिहारी वाजपेयी जी की कुण्डली में खाना नं0 7 खाली जिसका मालिक शुक्र खाना नं0 2 में चन्द्र के साथ मन्दा । बुध खाना नं0 3 में रद्दी और मंगल खाना नं0 6 मन्दा । लिहाज़ा शादी न हुई ।

2 लता मंगेशकर जी की कुण्डली में खाना नं0 7 खाली जिसका मालिक शुक्र खाना नं0 4 में मन्दा । मंगल खाना नं0 6 में और शनि खाना नं0 8 में मन्दा । लिहाज़ा शादी न हुई।

3 इन्दिरा गांधी जी की कुण्डली में खाना नं0 7 में चन्द्र जिस पर शनि का मन्दा साया। शुक्र राहु के साथ खाना नं0 6 में मन्दा। मंगल की वजह से शादी तो हुई मगर पति का साथ लम्बा न चला ।

4 ऐ0पी0जे0 अबदुल कलाम जी की कुण्डली में खाना नं0 7 खाली जिसका मालिक शुक्र खाना नं0 11 में कमज़ोर । शनि खाना नं0 1 और बुध खाना नं0 10 में मन्दा । लिहाज़ा शादी न हुई ।

5 सोनिया गांधी जी की कुण्डली मे खाना नं0 7 खाली जिसका मालिक शुक्र खाना नं0 4 में मन्दा । मंगल खाना नं0 6 में मन्दा । शादी तो हुई मगर पति का साथ लम्बा न चला।

6 आशा भौंसले जी की कुण्डली में खाना नं0 7 में मंगल। शुक्र खाना नं0 6 में बृ0 के साथ मन्दा । दोबारा शादी करने पर भी पति का साथ लम्बा न चला।
शादी का होना, न होना या होकर खराब हो जाना किसी के बस की बात नही। यह सब तो ग्रहों का खेल है । मगर लाल किताब के उपायों से ग्रहचाल को दुरूस्त करके फायदा लिया जा सकता है।

Monday, February 1, 2010

जन्मकुंडली में ग्रहण

जिस तरह ग्रहचाल से आकाश में सूरज व चन्द्र को ग्रहण लग जाता है उसी तरह जन्म कुंडली में जब सूरज व चन्द्र के साथ कोई पापी ग्रह (शनि, राहु, केतु) बैठ जाय तो ग्रहण लग जाता है। सूरज-राहु और चन्द्र-केतु मुश्तरका से मुकम्मल ग्रहण बनता है। जिसका असर कुंडली वाले पर सालों तक रहता है। आमतौर पर ग्रहण कोई न कोई परेशानी ही देता है।
सूरज ग्रहण
लाल किताब के मुताबिक:-
''ग्रहण रवि की किस्मत होती, वर्ना उम्र छोटी मरता हो ।
उम्र राहु औलाद हो शक्की, राज कमाई जलता हो॥''

किसमत (बृहस्पति ) की चमक (सूरज) मध्दम या उम्र छोटी, 45 साल तक औलाद शक्की, राजदरबार या कारोबार हल्का ही होगा। सूरज के लिये राहु का साथ उसके आगे एक चलती रहने वाली दीवार की तरह सूरज ग्रहण का जमाना होगा। यानि सूरज की रोशनी तो होगी मगर उस धूप में गर्मी न होगी। दिन होते हुये वह धूप रात के चांद की चान्दनी की तरह मालूम होगी। राज दरबार में हर बात उलझी हुई नज़र आती मालूम होगी। मगर ग्रहण के दूर होते ही जिस तरह सूरज की रोशनी में गर्मी बहाल हो जाती है, उसी तरह यही हाल किस्मत के के मैदान में होगा। यानि राहु का बुरा असर खत्म होते ही सब कुछ फिर से उसी तरह ही उम्दा हालत पर हो जायेगा जैसा कि ग्रहण शुरू होने से पहले था। ग्रहण का मन्दा अर्सा अमूमन दो साल और कुल अर्सा 22 साल हो सकता है।

ग्रहण के वक्त राहु भुचाल और सूरज आग होगा। जिस घर में बैठे हो न सिर्फ वहां ही मन्दा असर होगा बल्कि साथ लगता घर भी जलता होगा। उत्ताम सेहत और लम्बी उम्र दोनों ही शक्की होगी । किस्मत के मैदान में सूरज ग्रहण की हालत का नज़ारा होगा। दिमागी खराबियों की वजह से फजूल खर्च होगा। ग्रहण का मन्दा ज़माना अमूमन उस वक्त पूरे ज़ोर पर होगा जब सूरज राहु दोनों मुश्तरका खाना नम्बर 9 या 12 में हो ।
सूरज ग्रहण (सूरज राहु मुश्तरका) के वक्त कुंडली में अगर शुक्र बुध भी इकट्ठे हों तो ग्रहण का बुरा असर न होगा। राज दरबार से किसी न किसी तरह मदद मिलती और धन दौलत की आमदन होती रहेगी।
चन्द्र ग्रहण
'' चन्द्र दादी केतु पोता, मेल दोनों न होता हो।
लेख विधाता हो दो इकट्ठे, एक दोनों से दुखिया हो॥''
चन्द्र केतु के मिलाप में केतु मन्दा बल्कि दोनों खराब होंगे। चन्द्र के लिये केतु का साथ उस के आगे चलती हुई दीवार की तरह चन्द्र ग्रहण का ज़माना होगा। यानि माता चन्द्र एक धर्मात्मा होती हुई भी बदनाम और नज़र आयेंगी। दोनों ग्रहों का मन्दा असर जानो माल पर होगा। ग्रहण का मन्दा अर्सा अमूमन एक साल और कुल अर्सा 24 साल हो सकता है।

चन्द्र-केतु, दूध में कुत्तो का पेशाब। अन्धा घोड़ा, लंगड़ी माता की तरह मन्दा हाल या माता की सेहत और नर औलाद की उम्र दोनों का ही झगड़ा होगा या दादी पोते का मेल न होगा। टेवे वाले की नर औलाद और उसकी (टेवे वाले की) माता का बच्चे के जन्म से 40-43 दिन पहले और 40-43 दिन बाद में इकट्ठे रहना मुबारक न होगा बल्कि मन्दा ही असर होगा जो जानो तक भारी गिना गया है। रात को दूध का इस्तेमाल गैर मुबारक होगा। पेशाब के ऊपर पेशाब करना तकलीफ देगा।
चन्द्र ग्रहण (चन्द्र केतु मुश्तरका) के वक्त कुंडली में अगर बुध उम्दा हो तो ग्रहण का मन्दा असर न होगा।

ग्रहण के उपाये

ग्रहण के दौरान और वैसे भी पापी ग्रहों की चीज़े (नारियल वगैरह) चलते पानी (दरिया या नदी) में बहाते रहना मददगार होगा। बुध कायम कर लेने से कुदरती मदद होगी । सूरज या बुध की चीज़ों का दान मुबारक होगा।
चन्द मिसालें:-


पहली मिसाल आरूषि की कुण्डली नम्बर 1 जिसमें दोनों सूरज और चन्द्र ग्रहण हैं और वो भी केन्द्र में । बृहस्पति के अलावा सभी ग्रह मन्दे । लिहाज़ा 14 साल की कम उम्र में उत्तार प्रदेश में उसकी हत्या हो गई । पुलिस ने हत्या का इल्ज़ाम उसके पिता राजेश तलवार पर लगा दिया और पिता को कई दिन जेल में रहना पड़ा। आरूषि की मौत माता (चन्द्र) और पिता (सूरज) के लिये सिर दर्द बन गईं ।

दूसरी मिसाल अमन काचरू की कुंण्डली नम्बर 2 जिसमें दोनों सूरज और चन्द्र ग्रहण हैं और वो भी केन्द्र में । बृहस्पति के अलावा सभी ग्रह मन्दे । लिहाज़ा 19 साल की उम्र में रैगिंग की वजह से मैडीकल कालेज कांगड़ा में अमन की मौत हो गई। माता और पिता दोनों ही परेशानी में डूब गए।

तीसरी मिसाल जनरल परवेज़ मुशर्रफ की कुंण्डली नम्बर 3 जिसमें सूरज ग्रहण है और बुध शुक्र भी मुश्तरका हैं । राहु के अलावा सभी ग्रह उम्दा। लिहाज़ा फौज़ में ऊँचे ओहदे पर पहुंचे और फिर कूप करने के बाद पाकिस्तान पर तानाशाह की तरह 8 साल हकूमत की। मगर शहनशाह के दरबार से आग का धुंआ बढ़ता ही गया। राहु का जंग सूरज के राजदरबार को खाने लगा और बृहस्पति का सोना भी पीतल बन गया। आखिर मजबूर होकर उनको सत्ता छोड़नी पड़ी।

जनरल साहिब की कुंण्डली का खुलासा करते हुये दिल्ली के एक ज्योतिषी ने अपनी पत्रिका के दिसम्बर 2007 के अंक में लिखा था, '' उन पर मंगल की दशा प्रभावी है जो 12 जनवरी 2009 तक रहेगी। अत: मंगल की दशा में परवेज़ मुशर्रफ के हाथ से सत्ताा का निकलना नामुमकिन ही लगता है । जनवरी 2009 में राहु की दशा प्रारम्भ होगी । राहु में राहु की दशा दिसम्बर 2011 तक तथा राहु में गुरू की दशा 18 फरवरी 2014 तक चलेगी। राहु गुरू दोनों लग्न में स्थित हैं । इस स्थिति के कारण कुण्डली बहुत प्रबल है।'' लेकिन सत्ता उनके हाथ से 2008 में ही निकल गई। शायद ज्योतिषी जी ग्रहण को देख न सके क्योंकि उनकी अपनी कुंण्डली में भी सूरज ग्रहण है।

अगली मिसाल सोनिया गांधी जी की कुंण्डली नम्बर 4 जिसमें राजयोग के साथ साथ सूरज ग्रहण भी है । लिहाज़ा सत्ता के आस पास रही। दिल्ली की ज्योतिष पत्रिका ने अक्तूबर 2007 के अंक में उनके अप्रैल 2008 तक प्रधानमन्त्री बनने की बात कही । मगर ग्रहण ने ऐसा होने न दिया। कुंण्डली में शुक्र भी मन्दा जिसकी वजह से वह वक्त से पहले बेवा हो गई।