Friday, February 19, 2010

बुध शक्तिमान


'' उल्ट पांव चमगादड़ लटका, खुफिया शरारत करता हो ।
घर पक्का जिस ग्रह का होगा, वहां वही बन बैठता हो।''

अक्ल के उल्ट काम कर कराके टेवे वाले को चमगादड़ की तरह लटका देना, कोई छुपी शरारत करके मुश्किल में डाल देना, जिस घर में बैठना उस घर के पक्के ग्रह की तोते की तरह नकल करना, मौका देखकर गिरगिट की तरह रंग बदल लेना वगैरह वगैरह बुध ग्रह की खास सिफतें हैं। इसीलिए पण्डित जी (लाल किताब की रचना करने वाले) बुध को उल्लू का पट्ठा कहा करते थे।

''घर 2,4 या 6 में बैठा, राज योगी बुध होता हो।
7वें घर में पारस होता, ग्रह साथी को तारता हो।
9,12,8 तीसरे, 11, थूके कोढ़ी बुध होता हो ।
घर पहले 10 घूमता राजा, परिवार दौलत 5 देता हो''।


बुध बैठा होने वाले घर का मालिक ग्रह जब नम्बर 9 में बैठ जावे तो बुध की तरह वह खाली चक्कर या बेकार निष्फल होगा। सिर्फ खाना नम्बर 4 के बुध में राहु केतु का असर नहीं, इसलिए राज योग है। बाकी हर जगह पाप बुध के दायरे मेें होगा। ज़हर भरा बुध जब बैठा हो खाना नम्बर 3 में कबीले पर भारी और खानदान पर मन्दा, नम्बर 8 में जानदार चीज़ों और जानों पर मन्दा, नम्बर 9 में टेवे वाले की अपनी ही हर हालत (माल व जान) पर मन्दा, नम्बर 11 में आमदन की नाली में रोढ़ा अटकावे, नम्बर 12 में कारोबार और रात की नींद बर्बाद करे। ज़हर से भरा खुद मारा जावे तो बेशक मगर 1 से 4 (सिवाये खाना नम्बर 3 जहां कि दूसराें के लिए थूकता हुआ कोढ़ी यानि मन्दा) पर मन्दा न होगा। नम्बर 5 से 10 में दहशत (डर) तो ज़रूर देगा। नम्बर 11, 12 में हड़काये कुत्तो की तरह जिसे काटे वो आगे हड़काकर भागने लगे। बुध अमूमन (आम तौर पर) खाना नम्बर 1, 2, 9 से 12 में सनीचर (शनि) की मदद करेगा। चाहे ज़हर मिला लोहा मार देने वाली ज़हर निर्धन करने वाला होगा। नम्बर 3 से 8 में सूरज की मदद, धन दौलत उम्दा चाहे 3 और 8 में हज़ारो दुख: खड़े करेगा।


बुध से मुराद बहन, बुआ, फूफी, मासी, साली, व्यापार और दूसरे बुध के काम होगा। बुध के बगैर तमाम ग्रहों में झुकने झुकाने की ताकत कायम न होगी।
बुध्दि के काम तिज़ारत, व्यापार, हुनर, दस्तकारी, दिमागी लियाकतों (बुध्दिमत्ताा) से धन दौलत कमाने का 34 साला उम्र का ज़माना बुध की हकूमत होगा। किसी भी चीज़ के न होने की हालत, बुध का होना या उसकी हस्ती कहलाती है। यानि खाली जगह में बुध का दखल होगा। ज़हर से भरा बुध खाना नम्बर 1 से 4 में (सिवाये खाना नम्बर 3 के) साथ बैठे ग्रह पर कभी मन्दा असर न देगा। खुद बेशक बुरे असर अपने देवे मगर कोई ज़हर मिला वाकिया न करेगा। नम्बर 11 से 12 जिस ग्रह को काटे वह हड़काये कुत्तो की तरह दूसरों को भी आगे हड़काता चला जावे। चन्द्र राहु के झगड़े में बुध बर्बाद होगा। बुरे ग्रहों के साथ बैठा उस ग्रह का असर और भी बुरा कर देगा और भले ग्रह के साथ बैठने से न सिर्फ उस भले ग्रह को और भी भला कर देगा बल्कि खुद भी भला हो जायेगा। यानि जिससे मिलेगा उसकी ही ताकत का असर देगा। यह ग्रह दरखतों पर उल्ट पांव लटके हुये चमगादड़ की तरह अन्धेरे में जागकर खुफिया (छुपी) शरारत करता होगा। मकान में मन्दे बुध की पहली निशानी यह होगी कि नये बनाये मकान में किसी न किसी वजह से सिर्फ सीढ़ियां गिराकर दोबारा बनने का बहाना होगा। चार दीवारी और छत्ता नही बदली जायेगी।
मन्दे बुध वाले को नाक छेदन करवाना और फिटकरी वगैरह से दांत साफ रखना या छोटी लड़कियों को पूजना, सेवा रखना मददगार होगा। अगर घर के बहुत से मैम्बरों का बुध निकम्मा ही हो या खुद अपना बुध टेवे में अमूमन् मन्दे ही घरों में आता रहे तो बकरी की सेवा या बकरी का दान करना उत्ताम फल पैदा करेगा। अगर ज़ुबान में थुथलापन हो तो बद । इस थुथलापन के अलावा और कोई मन्दा फल न देगा चाहे टेवे में मन्दा होवे। घर में एक के बाद दूसरे पर लानत, बीमारी खड़ी हो जाने के वक्त बुध से बचाव के लिए हलवा कद्दू जो पक्का रंग ज़र्द (पीला) और अन्दर से खोखला हो चुका हो, सालम का सालम यानि पूरे का पूरा धर्म स्थान में देना मददगार होगा।


पाप (राहु,केतु) बुध के दायरे में चलता है सिवाये खाना नम्बर 4 के जहां कि बुध राजयोग होगा क्योंकि वहां राहु, केतु पाप न करने की कसम खाते हैं । शुक्र मन्दे को ज़रूर मदद देगा मगर पाप मन्दे के वक्त खुद भी मन्दा होगा और मौत गूंजती होगी। बल्कि ऐसी हालत में अगर शुक्र भी ऐसे घरों में हो जहां कि बुध मन्दा गिना गया है तो वह शुक्र को भी बर्बाद कर देगा। अकेला बैठा हुआ बुध निकम्मा व बगैर ताकत होगा और उस ग्रह का फल देगा जिस ग्रह का वह पक्का घर है जहां कि बुध बैठा हो। धोखे से बचने के लिए यह बात साफ होनी चाहिए कि घर की मालकीयत दो तरह की होती है। एक तो बतौर घर का मालिक और दूसरी हालत में हर एक घर किसी न किसी ग्रह का पक्का घर मुकर्रर हैं । मसलन् खाना नम्बर 1 का मालिक तो मंगल है मगर यह पक्का घर सूरज का है । खाना नम्बर 3, 8, 9, 11, 12 का मन्दा बुध बेवकूफ कोढ़ी मल्लाह जो खतरे के वक्त अपनी बेड़ी को खुद ही गोता देने लगे और आमदन की नाली में रोढ़ा अटकाने वाला हो जावे।

बुध का अण्डा अक्ल का बीज़ नहीं मगर अक्ल की नकल ही अण्डा है जो कुण्डली के खाना नम्बर 9 में पैदा होता है। ग्रह कुण्डली में खड़ा अण्डा (मैना, आम, बकरी) बुध कुण्डली के खाना नम्बर 2, 4, 6 में होगा। लेटा हुआ अण्डा (भेड़) बुध कुण्डली के खाना नम्बर 8, 10 में होगा। गन्दा अण्डा बुध कुण्डली के खाना नम्बर 12 में होगा। आम हालत (मां धी )बुध कुण्डली के खाना नम्बर 1 में होगा। चमगादड़ व किसी चीज़ का साया या अक्स मगर असल चीज़ जिसका साया या अक्स है, का पता न लगे कि वह कहां है, बुध कुण्डली के खाना नम्बर 3, 9 में होगा। दूध देना वाला बकरा मगर बकरी दाढ़ी वाली, बुध कुण्डली के खाना नम्बर 5 में होगा। चौड़े पत्ताों वाला दरखत, मैना का उपदेश, लाल कण्ठी वाला तोता, बृहस्पति की नक्ल, बुध कुण्डली के खाना नम्बर 11 में होगा।


बुध की नाली


हर तीसरे घर के ग्रह यानि 1, 3 कभी बाहम (आपस में) नहीं मिल सकते । इसलिये बाहम असर भी नही मिला सकते । लेकिन अगर बुध की नाली से कभी मिल जावें तो वह बाहम बुरा असर न देंगे। अगर नेक हो जावे तो बेशक हो जावें।
शुक्र बुध दोनों इकट्ठे ही मुबारक हैं और खाना नम्बर 7 दोनों का पक्का घर है। लेकिन जब जुदा जुदा हो जावें और अपने से सातवें पर होवें तो दोनों का फल रद्दी। लेकिन जब तक इस सातवें की शर्त से दूर हों मगर हों दोनो जुदा जुदा तो बुध जिस घर में बैठा हो, वह (बुध) उस घर के तमाम ग्रहों का और उस घर में उनके बैठे हुये का अपना अपना असर शुक्र के बैठा होने वाले घर में नाली लगाकर मिला देगा। यानि दोनों घरों का असर मिला मिलाया हुआ इकट्ठा गिना जायेगा। फर्क सिर्फ यह हुआ कि शुक्र अपने घर का असर उठाकर बुध बैठा होने वाले घर में नही ले जाता मगर बुध का अपने बैठा होने वाले घर का असर उठाकर शुक्र बैठा होने वाले घर में जा मिलाता है। किस्सा कोताह (अंत संक्षेप में) जब कभी शुक्र का राज हो तो शुक्र बैठा होने वाले घर में बुध बैठा होने वाले घर का असर साथ मिला हुआ गिना जायेगा। मगर बुध की तख्त की मालकियत के वक्त अकेले ही उन ग्रहों का असर होगा जिनमें कि बुध बैठा हो। शुक्र बैठा होने वाले घर के ग्रह का असर बुध वाले घर में मिला हुआ न गिना जायेगा। बुध शुक्र के इस तरह पर असर मिलाने के वक्त अगर बुध कुण्डली में शुक्र से बाद के घराें में बैठा हो तो, बुध का अपना जाति असर बुरा होगा । अगर बुध कुण्डली में शुक्र से पहले घरों में बैठा हुआ और उठाकर अपने बैठा होने वाले घर का असर ले जावे शुक्र बैठा होने वाले घर में तो अब बुध का लाया हुआ असर में जाती अपना असर बुरा न होगा बल्कि भला ही गिना जायेगा। इस मिलावट के वक्त अगर बुध वाले घर में शुक्र के दुश्मन ग्रह भी शामिल हों तो शुक्र इज़ाज़त ने देगा कि बुध अपने बैठा होने वाले घर का असर उठाकर शुक्र बैठा होने वाले घर में मिला देवे। यानि ऐसी हालत में बुध की नाली बन्द होगी और शुक्र को जब बुध की मदद न मिली तो शुक्र अब बुध के बगैर पागल होगा। लेकिन अगर बुध का साथ वहां शुक्र के दोस्त ग्रह हों तो शुक्र कोई रूकावट न देगा। बल्कि बुध को ज़रूर अपना असर शुक्र बैठा होने वाले घर में ले जाना पड़ेगा। हो सकता है कि ऐसी मिलावट में राहु केतु दोनों शामिल हो (यह हालत सिर्फ उस वक्त होगी जब राहु केतु अपने से सातवें घर होने की वजह से बुध और शुक्र भी आपस में सातवें घर होंगे ) तो मन्दा नतीजा होगा। खास करके उस वक्त जब बुध होवे शुक्र के बाद के घरों में और साथ ही राहु और केतु का दौरा भी आ जावे । यानि उन मे से कोई एक तख्त की मालकियत के दौरे के हिसाब से आ जावे तो उस वक्त (जबकि इस मिलावट में राहु केतु शुक्र बुध के साथ मिल रहें हैं और राहु केतु का अपना उधर राज पर इकट्ठे होने का भी वक्त है) कुण्डली वाले के लिए मार्क स्थान का भयानक ज़माना होगा। यानि मौत के बराबर का बुरा वक्त होगा। लेकिन अगर यह शर्तें पूरी न हों या बुध होवे शुक्र से पहले घरों में तो यह मन्दा ज़माना न होगा। मन्दा ज़माना सिर्फ राहु केतु के दौरे के वक्त होगा। शुक्र या बुध के दौरे (ग्रह के दौरे से मुराद ग्रह मतल्का का खाना नम्बर 1 में आने का ज़माना होगा) के वक्त यह लानत न होगी। इस बुध की नाली का खास फायदा मंगल से मतल्का (सम्बंधित) है। बाज़ (किसी) वक्त मंगल को सूरज की मदद मिलती हुई मालूम नही होती या चन्द्र का साथ होता हुआ मालूम नही होता, इस नाली की वजह से मंगल को मदद मिल जाती है और मंगल जो सूरज चन्द्र के बगैर मंगल बद होता है, मंगल नेक बन जाता है। इसी तरह मंगल बुध बाहम दुश्मन हैं । मंगल के बगैर शुक्र की औलाद कायम नही रहती । बुध जब मंगल के साथ होवे तो लाल कण्ठी वाला तोता होगा और खुद उठकर और मंगल को साथ उठाकर शुक्र से मिला देगा या शुक्र की औलाद बचा देगा। जिससे कण्डली वाला लाऔलाद (नि:सन्तान) न होगा। ऐसी हालत में बुध या शुक्र के बाहम पहले या बाद के घराें में होने पर बुध के जाति असर की बुराई की शर्त न होगी। भलाई का असर ज़रूर होगा। क्योंकि मंगल ने शुक्र के दौरे के पहले साल में अपना असर ज़रूर मिलाना है। गोया बुध की नाली 100 प्रतिशत, 50 प्रतिशत, 25 प्रतिशत और अपने से 7वें होने की दृष्टि से बाहर एक और ही शुक्र और बुध की बाहम दृष्टि है और यह है इसलिए कि शुक्र में बुध का फल मिला हुआ माना जाता है। मिलावट में राहु के साथ हो जाने के वक्त जब शुक्र ने बुध को बाहर ही रोक दिया तो शुक्र में बुध का फल न मिला तो बुध के बगैर शुक्र पागल होगा या शुक्र खाना नम्बर 8 के असर वाला होगा। इसी तरह शुक्र के बगैर बुध का असर सिर्फ फूल होगा फल न होगा। यानि कुवते वाह (संभोग शक्ति) होगी तो मंगल की बच्चा पैदा करने की ताकत का शुक्र को फायदा न मिलेगा।

बुध के दांत

दांत कायम हों तो आवाज़ अपनी मर्ज़ी पर काबू में होगी । गोया बृहस्पति की हवाई ताकत (पैदायश औलाद) पर काबू होगा। मंगल भी साथ देगा । यानि जब तक दांत (बुध) न हों, चन्द्र मदद देगा। जब दांत न  थे तब दूध दिया । जब दांत दिये तो क्या अन्न (शुक्र) न देगा ? यानि बुध होवे तो शुक्र की खुद-ब-खुद (अपने आप) आने की उम्मीद होगी। लेकिन जब दांत आकर चले गये (और मुंह के ऊपर के जबाड़े के सामने के) तो अब मंगल बुध का साथ न होगा। न ही बृहस्पति पर काबू होगा या उस शख्स या औरत के अब औलाद का ज़माना खतम हो चुका होगा जबकि यह दांत आकर चले गये या खतम हो गये। दांत गये दांत कथा गई । बृहस्पति खत्म तो लावल्द (नि:संतान) हुआ।


तोते की 35 (पैंती)


''लटपट 35 चतुर सुजान,
कहो गंगा रामा श्री भागवान।''


तोते की 35  यह दोहा बचपन में कई बार सुना था । मगर इसका कोई ज्योतिषीय मतलब भी हो सकता है, यह बाद में लाल किताब से ही पता चला ।




बुध के ग्रह का भेद

तोते की 35 के कुण्डली के खानों को गौर से मुलाहज़ा (निरीक्षण) करें तो कुण्डली का खाना नम्बर 9 कहीं नही मिलेगा। बुध का यह खाना नम्बर 9, वह खुद खाना नम्बर 9 एक अजीब हालत का है । यही खाना नम्बर 9 एक चीज़ है जो इन्सान व हैवान में फर्क कर देता है और तमाम ग्रहों की बुनियाद है । या दोनों जहान की हवा बृहस्पति असल है। इस 35 के 11 खानें दर असल बुध के 12 खाना की हालत बताते हैं । यानि खाना नम्बर 10 के बुध को सनीचर, नम्बर 2 के बुध को बृहस्पति वगैरह जिस तरह कि इस तोते की 35 की कुण्डली में लिखे हैं, लेंगे। यानि असर के लिए बुध के अपने असर की बजाये दिए हुए ग्रहों की हालत का असर लेंगे। यानि बुध
जिस घर में बैठा हो वहां बैठा हुआ वह उस ग्रह का असर देगा जिस ग्रह का वह खाना नम्बर पक्का घर मुकर्रर (निश्चित)है।


बुध ग्रह को समझना - समझाना कोई आसान बात नही।यह कब क्या कर दे, इसका कोई भरोसा नही। उल्लू का पट्ठा जो ठहरा । चन्द जानी मानी कुण्डलियां , जहां बुध ने ज़िन्दगी की बाज़ी ही उल्ट दी, बतौर मिसाल पेश है। समझदार के लिए इशारा ही काफी होगा।



कुण्डली नम्बर 1 लाल कृष्ण अडवानी जी की है। पार्टी की तरफ से प्रधानमन्त्री के पद के उम्मीदवार थे। चुनाव के बाद वह प्रधानमन्त्री तो न बन सके उल्टा कुछ लोग अब उनको विपक्ष के नेता के पद से भी हटाने की बात कर रहे हैं । कुण्डली में बुध खाना नम्बर 12, किस्मत के फेर से रात की नींद उजाड़ने वाला, जिसे दुखिया देखकर आसमान भी रो देवे।


'' गई शब न आधी वह क्यों रो रहा है ।
लिखा सब फरिश्ता उल्ट हो रहा है ।''


कुण्डली नम्बर 2 बालीवुड शहनशाह अमिताभ बच्चन जी की है । ज़िन्दगी में कोई न कोई सिरदर्दी ही रही । कभी शूटिंग के वक्त चोट लग गई, कभी कारोबार में माली नुक्सान हो गया तो कभी बिमार हो कर हस्पताल पहुंच गये। रेखा जी के साथ दो चार फिल्मों में काम क्या किया कि उल्टे सीधे चर्चे होने लगे। कुण्डली में बुध खाना नम्बर 8, बीमारी , ज़हमत और लानत, खुफिया तबाही का फन्दा, माली नुक्सान करने वाला कोढ़ी । मगर सूरज, शुक्र, मंगल का साथ मददगार नही तो

'' कब्र तक की लानत, फरिश्ता भी भागे ।
जले आग ऐसी, नज़र जो न आवे ।''

कुण्डली नम्बर 3 बालीवुड सुन्दरी करिशमा कपूर जी की है । सगाई तो मुम्बई में की मगर शादी किसी ओर से दिल्ली में जा की । एक बेटी को जन्म दिया । सुना है अब पति से जुदा रह रही है । मां बाप भी जुदा हो गए थे। बुध खाना नम्बर 11, दौलतमन्द जन्म से, खुद बुध का ग्रह उल्लू का पट्ठा और कोढ़ी मगर 34 साला उम्र के बाद हीरा मददगार होगा। लेकिन केतु का साथ मन्दा । शुक्र खाना नम्बर नम्बर 1, शुक्र का पतंग । दिल पर काबू रखना ही ठीक होगा।

'' नरख सोना बढ़ता, लगे जब कसौटी,
वक्त नाश अपने, अक्ल पहले सोती।''

कुण्डली नम्बर 4 हरियाणा सूबे की अनुराधा जी की है । चन्द माह पहले फिज़ा यानि मुसलमान बनके सूबे के एक शादीशुदा वज़ीर चन्द्र जी उर्फ चांद से निकाह कर लिया । फिर चन्द रोज़ बाद चांद बादलो में गुम हो गया। यानि चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात । बुध खाना नम्बर 9, मनहूस, किस्मत के घर चमगादड़ के मेहमान आए यहां हम लटके वहां तुम लटको । और चन्द्र का साथ, पानी (चन्द्र) में रेत (बुध), इश्क का गल्बा (चक्कर) । शुक्र खाना नम्बर 7 और खाना नम्बर 1 खाली, शुक्र का पतंग मगर कटा हुआ।

'' अजब भूल भुलैया, जुबानी तमाशा।
दिखाते बहरूपी ले बिस्तर ही भागा।''

अब क्या करें ...........बुध का उपाय ज़रूरी । नही तो न सही, लटके रहो ।
निगाहों में जो परेशानियां हैं,
बुध चन्द्र की मेहरबानियां हैं ।


7 comments:

Anonymous said...

thank you Mr. Thakur, keep writing.....

one suggestion .... if you have a good book about lalkitab can you please provide us here so that we can learn lal kitab with fundamentals....will be much more helpful for beginners..

Vijay Goel said...

This article is very difficult to understand, it would be better if you had explained more elaborately in a simple language.

Anonymous said...

dear sir

I think u should write a lal kitab in hindi so that the next generation can get the benefit from it.

Anonymous said...

Dear sir
its very nice dat some one is writing from originality........

Anonymous said...

I needed to thank you for this fantastic read!! I
definitely appreciating every small touch of
it I have you bookmarked to check out new material you post.

Anonymous said...

Great line up. We will be linking to this great
article on our site. Keep up the great writing.

Anonymous said...

देवेंद्र सिंह ठाकुर जी ने अपने ब्लॉग में बड़ी सरल भाषा में बुध ग्रह की प्रकृति को स्पष्ट किया है और साफ लफ्जों में समझाया है , इसको समझने के लिए थोड़ा सा बुद्धि पर जोर डालने की आवश्यकता है बस -------

Post a Comment