Sunday, February 14, 2010

ग्रह चाल निराली

अपने खानदान को आगे बढ़ाने के लिए हर कोई लड़का चाहता है । हालांकि कई बार लड़की भी मां-बाप का नाम रोशन कर देती है। वक्त के साथ-साथ लड़के और लड़की का फर्क कम हो गया है। कभी कभी ज़िन्दगी में ऐसे वाक्यात हो जाते हैं जिनके बारे न तो कभी सोचा होता है और न ही कभी उम्मीद की होती है। मेरे एक सज्जन दोस्त इंजीनियर हैं। उनकी पत्नी भी पढ़ी लिखी बी.ए. पास है। उनके दो लड़कियां और एक लड़का हैं। दोनों लड़कियां इंजीनियर मगर लड़का अनपढ़ है ।

कुण्डली नं.1 इसी लड़के की है। राहु खाना नं. 8 चन्द्र और बृहस्पति दोनो के लिए मन्दा। राहु के साथ से बृहस्पति का सोना भी पीतल और चन्द्र राहु के झगड़े में बुध बरबाद। चन्द्र के घर खाना नं. 4 में मंगल बद और सूरज के घर खाना नं. 5 में शनि जिसकी मन्दी नज़र बृहस्पति के घर खाना नं. 9 पर । सूरज खाना नं.6 पाताल में बुध के साथ । खाना नं. 8 का मन्दा असर खाना नं. 2 के मारफत खाना नं. 6 में । कुण्डली में ग्रहण भी है ।

लड़के पैदा हुए 1 साल नही हुआ था कि बाप (सूरज) रीढ़ की हड्डी (केतु) के दर्द से बिस्तर पर आ गया। दर्द लगभग 1 साल रहा और आप्रेशन करवाने से ही आराम मिला। लड़के के चाचा की मौत के बाद बेवा चाची (मंगल खाना नं. 4) में मां-बाप के लिए काफी सिरदर्दी खड़ी की। फिर मां-बाप को पता चला कि लड़का तो बोलता ही नही । कई डाक्टरों को दिखाया और पता चला कि लड़के के कानों (केतु) में नुक्स है और उसको सुनता नही। जिसकी वजह से वह बोल नही सकता। यानि चन्द्र राहु के झगड़े में बुध (बोलचाल) बरबाद हो गया। इलाज से भी कोई फायदा नही हुआ। अब लड़के उम्र 22 साल हो गई है। अभी तक तो मां-बाप देखभाल कर रहे हैं । मगर बाद में क्या होगा ?

कुण्डली नं. 2 एक लड़की की है। मिलती जुलती समस्या । चन्द्र राहु खाना नं. 4, सूरज केतु मंगल शुक्र खाना नं. 10 और शनि खाना नं. 8 सब मन्दे। कुण्डली में ग्रहण भी है। चन्द्र राहु के झगड़े में बुध बर्बाद। लड़की की उम्र 3 साल की हो गई है मगर बोलती नही। मां-बाप को चिन्ता हुई। कई डाक्टरों को दिखाया गया। पता चला कि लड़की के कानों में नुक्स है और उसको सुनता नही। जिसकी वजह से वह बोल नही सकती। डाक्टरों ने बताया कि आप्रेशन करना पड़ेगा । लाखों रूपये का खर्चा है। मां-बाप को डाक्टरों से उम्मीद है। वह अगले माह मार्च में आप्रेशन करवाने की सोच रहे हैं । मगर ग्रहों से ज्यादा उम्मीद नही है। देखें अब क्या होता है ?
ऊपर दी गई दोनों कुण्डलियों में मन्दी ग्रह चाल ने ज़िन्दगी की चाल ही खराब कर दी। आखिर मानना पड़ेगा:
''किस्मत के खेल निराले मेरे भैया।
किस्मत का लिखा कौन टाले मेरे भैया ॥''

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