दौलत आज के दौर में ज़िन्दगी की पहली और आखिरी ज़रूरत बन गई है।
फरमान नंबर 17 के मुताबिक :-
''फालतू धन सातवें1 होगा, चश्मा धन2 चौथे में हो ।
11 भरता धन से चौथा, तीसरे बह3 जाता हो ।
खाली घर चन्द्र का अपना, माया ज़र चन्द्र से हो ।
शनि होगा धन का राखा,बैठा जैसा टेवे हो ।
बन्द मुट्ठी4 साथ लाया, नौ बज़ुर्गों पाता हो ।
तीसरे घर परसु बनता, 11 परसा होता हो ।
5 पहले नौवें अपना, परसरामा बनता हो ।
तीजे दूजे झगड़े दुनियां, बे-आरामी करता हो।''
1 जब खाना नंबर 7 में कोई भी उम्दा ग्रह हो ।
2 चश्मे के शुरू, खत्म व पानी की उम्दगी व पायदारी चन्द्र की हालत पर होगी जैसा कि वह टेवे में हो। सूरज, बृहस्पति इस चश्मे की मुरम्मत में मदद देंगे। ग्रह नम्बर 11 हालत पर सफाई व आमदन व ग्रह नंबर 3 पर खर्चा व गन्दगी चश्मा होगी।
3 मंगल की हालत पर ।
4 खाना नम्बर 1, 7, 4 10 बन्द मुट्ठी की किस्मत रेलवे मुसाफिर का रखा सामान होगा। खाना नम्बर 9 ब्रेक रेलवे में रखवाया हुआ बज़ुर्गो के पास जन्म से पहले ही अमानत होगी। खाना नम्बर 10 बगैर मुसाफिर रेलवे पार्सल बज़ुर्गों की कमाई से हिस्सा लेते जाना और अलैहदगी (अलग होने) में अपनी किस्मत की हदबन्दी का मैदान होगा।
कुदरत के साथ लाई किस्मत का खज़ाना मुट्ठी के अन्दर बन्द किए हुए खानों या कुण्डली के 1, 7, 4, 10 घरों में होगा और जो हकीकी रिश्तेदारों से मिलेगा। वह खाना नम्बर 3 (भाई-बन्द, ताए-चाचे,), खाना नम्बर 5 (औलाद), खाना नम्बर 9 (वालदैन, बज़ुर्ग, खानदानी) और नम्बर 11 (जाती कमाई) में होगा। इसके अलावा जो बाकी रिश्तेदारों से ले सकेगा वह खाना नम्बर 2 (ससुराल), खाना नम्बर 6 (जानदार साथियों की ज़ाहिरा या गैबी मदद), लड़के-लड़कियों के रिश्तेदार या पैदाइश से पहले वालदैन के अपने रिश्तेदार (मसलन मामू नाना) और नम्बर 3 बेजान दुनियावी, आसमानी मदद से मिलेगा।
बचत
बृहस्पति-सूरज बज़रिया (द्वारा) रियाया (प्रजा)
बृहस्पति-शनि : आम दुनिया
सुरज - बुध्द : राज दरबार
आमदन बढ़ती जाय
ग्रह खाना नम्बर 2 : खुद-ब-खुद हर तरफ
खाना नम्बर 11 में नर ग्रह या उत्तम ग्रह
खर्च
बृहस्पति-शुक्र, वृहस्पति-बुध्द खाना नम्बर 11 में मन्दे ग्रह,
खाना नम्बर 11, 12 दोनों खाली
सूरज-शनि बेशक गुरू या गुरू घर का ताल्लुक न होवे या दोनों से कोई उम्दा तो उम्दा बचत वर्ना मन्दा खर्च । खर्च घटावे तो आमदन घटे।
औसत ज़िन्दगी
1 टेवे में कोई भी उच्च ग्रह होवे ।
2 खाना नम्बर 4 या 5 या 6 खाली या वहां अकेला ग्रह ।
3 खाना नम्बर 1, 7, 8,10, 11 सब के सब पांचों में से हरेक में कोई भी ग्रह ।
- जन्म की हालत में अज़ाफा (वृध्दि) करके जायेगा।
दौलत की हैसियत
कुण्डली का खाना नम्बर 4 धन दौलत निकलने की जगह माना गया है यानि दौलत का निकास उन ग्रहों से होगा जो खाना नम्बर 4 में हो या खाना नम्बर 4 के दोस्त, ताल्लुकदार, साथी या मददगार हो । अगर खाना नम्बर 4 खाली ही हो तो चन्द्र को खाना नम्बर 4 में माना जायेगा।
दौलत के नाम
1 चन्द्र-मंगल मुश्तरका (इकट्ठे) श्रेष्ट धन होगा (खास करके खाना नम्बर 3 का) और दान कल्याण से बढ़ने वाला धन होगा। अगर यह दोनों ग्रह खाना नम्बर 10 या 11 में या शनि के ताल्लुक में हो जावें तो लालची होगा।
2 चन्द्र-बृहस्पति : दबा हुआ धन जो फिर चल पड़े और काम आवे । सोना चांदी छत्रधारी बढ के दरखत का साया का दूसरों को भी बड़ा भारी सहारा ।
3 चन्द-शनि : बृहस्पति के घरों में और बृहस्पति के साथ से उम्दा वर्ना स्याह मुंह माया, खुद स्याह मुंह बन्दर की तरह छलांग लगा कर चली जाने वाली और मुंह काला सुनाने वाली ।
4 मंगल - शुक्र : स्त्री धन जो माया कि स्त्री की तरफ (ससुराल) और स्त्री की किस्मत पर चले।
5 शनि-बृहस्पति : फकीरी व तालीमी (विद्या का ) ताल्लुक की माया। सन्यासी का धन शादी के दिन से बढ़ेगा।
6 मंगल- बृहस्पति : श्रेष्ट गृहस्थि धन, अपने मर्द के कबीले से ताल्लुक (सम्बन्ध)।
7 मंगल-शनि : डाक्टर का धन दौलत ।
8 मंगल-सूरज : जागीरदारी हकूमत का धन, तालीमी, रूहानी, ताल्लुक ।
9 शुक्र- बृहस्पति : बूर के लडडू , झाग के बताशे (दिखावे का धन) ।
10 सूरज- बृहस्पति : सब से ऊपर शाही धन ।
खाना नम्बर 2 के ग्रह दुश्मन ग्रहों के तख्त की मलकीयत का ज़माना धन हानि, चोरी बिना वजह, फालतू खर्चा और नुक्सान का सबब (बहाना) होता है । धन दौलत खाना नम्बर 11 के रास्ते आती और खाना नम्बर 3 के रास्ते चली जाती है या तीसरी पुश्त पर धन रेखा का रास्ता बदला हुआ होता है ।
माया तेरे तीन नाम, परसू, परसा, परस राम ।
खाना नम्बर 3 का ग्रह होगा - परसू
खाना नम्बर 11 का ग्रह होगा - परसा
खाना नम्बर 1,5,9 का ग्रह होगा - परस राम
जो ग्रह इन घरों में होवे वही रिश्तेदार इस हैसियत का होगा । खुलासा यह कि बन्द मुठ्ठी के अन्दर के घरों में कोई ग्रह न हो तो अपने साथ कुछ न लाया । सब ही ग्रह बन्द मुठ्ठी के अन्दर ही होवे तो मर्द की माया दरखत का साया उसके साथ ही उठ गया ।
खर्च-बचत
चन्द्र धन शनि खज़ानची होता है । दोनों की हालत जेब की हालत बतायेगी। मंगल और शनि जायदाद के मालिक हैं । चन्द्र बृहस्पति सोने चांदी की दौलत के मालिक हैं । आमदन का हाल देखा जायेगा खाना नम्बर 11 से और खर्च का हाल देखा जायेगा खाना नम्बर 12 से । बचत का हाल देखा जायेगा खाना नम्बर 9 से (बज़ुर्गों की तरफ का ताल्लुक) बचत जाती (अपनी) कमाई खाना नम्बर 2 से और बचत औलाद खाना नम्बर 5 से ।
खर्च पर काबू
1 बृहस्पति-सूरज मुश्तरका नेक घर के या दोनो
साथी ग्रह या दोनो जुदा जुदा कायम या दोनो
जुदा जुदा अपने दोस्तों के साथ हों ।
2 ऐसे ही सूरज-बुध
3 ऐसे ही शनि-बृहस्पति
4 ऐसे ही बुध-शनि
बुध-बृहस्पति, शुक्र-बृहस्पति, शनि-सूरज मुश्तरका हो मगर साथी वगैरह न हों , खर्च खामख्वाह (बिना वजह) होता जाये आमदन ख्वाह हो या न हो । अगर बृहस्पति का साथ सूरज या शनि में से किसी को भी न मिले यानि सूरज या शनि दोनों मे से कोई एक भी बृहस्पति की राशि या दोस्ती वगैरह के ताल्लुक में न होंवे, खर्च व आमदन महदूद (सीमित) होगी । अगर खर्च घटावे तो आमदन खुद-ब-खुद घटे । यानि बचत वही है जो मुकरर (लिखी हुई) है ।
बन्द मुठ्ठी के अन्दर के खाने के ग्रहों वाला या खाना नम्बर 11 में कोई भी नर ग्रह वाला अपनी जाती कमाई से सब कुछ आमदन, खर्च व बचत करेगा। बाकियों के लिए यह शर्त न होगी। औसत ज़िन्दगी खाना नम्बर 11 व खाना नम्बर 12 की तफरीक (घटाव) का नतीजा होगा। कुण्डली में 9 ग्रहों में से जितने ग्रह उम्दा (कायम या दुरूस्त वगैरह) हों उतना हिस्सा नेक और जितने ग्रह मन्दे उतना हिस्सा बुरा होगा। दोनों की तफरीक व आखिरी औसत का नतीजा, फैसला होगा।
खाना नम्बर 9 के ग्रह ''तोहफा'' जो दूसरों के लिए जन्म पर साथ लायेगा और खाना नम्बर 2 के ग्रह ''तोशा'' (खज़ाना, कमाई) जो आखिरी दम अपने साथ जायेगा।
मिसाल के तौर पर मशहूर सन्नतकार धीरू भाई अम्बानी जी की कुण्डली पेश है। समझदार के लिए इशारा ही काफी है।
सूरज चन्द्र खाना नं. 1 मिसल राजा । बृहस्पति खाना नं. 10 और शनि खाना नं. 2 मेहनत से तरक्की । मंगल केतु खाना नं. 9 किस्मत से धन दौलत । शुक्र बुध खाना नं. 12 नेक नतीजे । राहु खाना नं. 3 रईस और साहिबे जायदाद। कुण्डली में दो-दो सूरज।
अम्बानी जी को कौन नही जानता ? एक मामूली आदमी से तरक्की करके अरबपति सन्नतकार बन गए। खाना नं. 7 खाली होने की वजह से शुरू में मेहनत करनी पड़ी। मगर बुध की उम्र के बाद तो छलांगे मारकर तरक्की की और कई खानदानी सन्नतकारों को पछाड़ दिया। उनका रिलायन्स कम्पनियों का ग्रुप मुल्क में नम्बर एक माना जाने लगा। वह कारोबार के राजा बन गए और उनकी गिनती दुनियां के अमीर आदमियों में होने लगी। दरअसल धन और दौलत का दूसरा नाम आज रिलायन्स है। जिसने भी शुरू में रिलायन्स के सौ शेयर भी लिये थे आज वह भी लखपति बन गया। अम्बानी जी मुल्क के अकेले ऐसे आदमी हुये जिन्होने कम समय में बहुत ज्यादा तरक्की की। मरने के बाद बेटों के लिए अरबों का कारोबार छोड़ गये। (सूरज खाना नं. 1) वह अपनी मिसाल आप थे।
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