Sunday, October 28, 2012

लाल किताब का हस्त रेखा से ताल्लुक


लाल किताब उदर्ू ज़ुबान में लिखी गर्इ थी। हालांकि किताब पर लेखक का नाम नही है पर इसकी रचना आलिम पंडित रू प चन्द जोशी जी ने की थी। पहली किताब सन 1939 में छपी थी, जिस पर लिखा है, हथेली की लकीरों से जन्म कुण्डली बनाने और जि़न्दगी के पूरे हालात देखने के लिए सामुदि्रक की लाल किताब। इस किताब में हथेली की लकीरों, बुजऱ्ों और दूसरे निशानात का जि़क्र किया गया है। वैसे तो यह हस्त रेखा की किताब है मगर इसमें ग्रहों का जि़क्र भी आता है।

आखिरी किताब सन 1952 में छपी थी, जिस पर लिखा है, ।ेजतवसवहल इेंमक वद च्ंसउपेजतल  इल्मे सामुदि्रक्र की बुनियाद पर चलने वाली ज्योतिष की मदद से हाथ रेखा के  ज़रिए दुरूस्त की हुर्इ जन्म कुण्डली से जि़न्दगी के हालात देखने के लिए लाल किताब। इस किताब में कुण्डली के 12 खानों, 9 ग्रहों और ज्योतिष दूसरे उसूलों का जि़क्र तफ़सील में किया गया है। ग्रहों के अलावा रेखा का भी जि़क्र आता है। मसलन सनीचर खाना नं. 1 हो तो काग रेखा (गरीबी) की बात आती है। इसी तरह, केतु तीजे मंगल बारां , मच्छ मुआविन दोनों तारां।यानि केतु कुण्डली में खाना नं. 3 और मंगल खानां नं. 12 हो तो,मच्छ रेखा , गरीब को धन और अमीर को वालिए तख्त, हरदम बड़े परिवार, लोह लंगर सवाया। मुआविन, उम्र रेखा, कब्र से जि़न्दा वापिस आवे या फांसी लटके के पांव के तले तख् ता देना तांकि गला न घुट जावे। बिन बुलाए मददगार आ हाजि़र हों । ज़मीन और आसमान के दरमियान सब दुश्मन छुपकर गारों में गुज़ारा करेंगे, मंगल की मदद पर होंगे ख् वाह कैसे ही बैठे हों।

लाल किताब में हथेली से कुण्डली बनाने की बात की गर्इ है । मसलन सूरज के बुर्ज पर चौकोर का निशान हो तो मंगल कुण्डली में खाना नं. 1 हुआ । चन्द्र के बुर्ज से रेखा सीधी वृहस्पत के बुर्ज पर जाये तो चन्द्र खाना नं. 2 हुआ। मंगल नेक के बुर्ज पर केतु का निशान हो तो केतु खाना नं. 3 हुआ। शुक्र के बुर्ज पर राहु का निशान हो तो राहु खाना नं. 7 हुआ वगैरह वगैरह । इस तरह बनार्इ गर्इ कुण्डली से जि़न्दगी का हाल देखने की बात की गर्इ है। पर हथेली से जन्म कुण्डली बनाना कोर्इ आसान काम नही है।

किस्सा कोताह हस्त रेखा में ग्रहों का जि़क्र और ग्रहों में हस्त रेखा की बात आती है। इससे साफ ज़ाहिर है कि लाल किताब का हस्त रेखा से गहरा ताल्लुक है। दूसरे लफज़ों में हस्त रेखा ही लाल किताब की बुनियाद है। पैदायश का वक्त मालूम न होने की सूरत में हथेली से जन्म कुण्डली बनाकर जि़न्दगी का हाल देखा जा सकता है। अगर ज़रू रत पड़े तो मन्दे ग्रह का उपाय भी किया जा सकता है।

Tuesday, October 2, 2012

डाक्टर साहिब


डाक्टर मनमोहन सिंह वज़ीरे आज़म आजकल ज़रा मुशिकल में हैं। कर्इ तो घोटाले हो गये। कोयले का मुददा तो कोलगेट बन गया। जिससे उनके अक्स को धक्का लगा है। सरकार चलाने के लिए दूसरी पार्टियों का आसरा लेना पड़ता है क्योंकि उनकी अपनी पार्टी कांग्रेस का पार्लियमैंट में बहुमत नहीं है। फिर सबका ख्याल भी रखना पड़ता है। हाल ही में एक पार्टी नाराज़ होकर उनका साथ छोड़ गर्इ। अब क्या करें.......एक को मनाऊं तो दूजा रूठ जाता है। ऐसे में क्या होगा.....यह जानने के लिए डाक्टर साहिब की कुण्डली चाहिए। नैट पर जो उनकी कुण्डली मिली, वह कहां तक सही है, यह कहना मुशिकल है।





खैर इस कुण्डली के मुताबिक 26 सितम्बर को उनका साल बदल गया है। इस साल के वर्षफल में कर्इ ग्रह मंदे हो गये । वह ग्रह भी  जिसका कोयले से ताल्लुक है। फिर बुध भी कुछ न कुछ मन्दा करके रहेगा। लाल किताब के मुताबिक, बुध घर तीजे जब हुआ जली अनोखी आंच, नौ उजड़े ग्यारह मरे गरके चार और पांच । किस्सा कोताह यह साल डाक्टर साहिब के लिए ठीक नही है। कुछ भी मन्दा हो सकता है अगर यह कुण्डली सही है।