शक्र मंगल शनि
मुश्तर्का, मालिक होवे लम्बी
उम्र का।
नेक होकर
जब बैठे हों
, गृहस्त
औलाद भी देते
हों।
दुश्मन अगर
मुकाबिल आये, मददगार आवे
बिन बुलाये।
अगर फांसी भी हो जावे, कोई गैबी शै बचावे।
पांव तले दे
तख्ता देवे,
तांकि गला न घुट जावे।
मौत
का यम
ले भी जावे, कब्र से
ज़िन्दा वापिस आवे।
दुख
तकलीफ़ से
बचता जाये, कामकाज
भी होता जाये।
सुख
जीवन में मिलें तमाम,
उम्र सारी रहे आराम।
नेक हालत
में गृहस्त, औलाद
और उम्र, तीनों
दुनियावी सुखों का उम्दा
फल होगा। ऐसी
ग्रहचाल के वक्त
उम्र लम्बी होने
में मदद मिलेगी।
अगर फांसी पर
भी लटका दिया
जावे तो गैबी
मदद पांव तले
तख्ता दे देगी
तांकि गला न
घुट जावे। अगर
कोई मारने आ
जाये तो मालिक
की कृपा से
बचाने वाला भी
खुद-ब-खुद
आ पहुंचेगा। जिस
तरह दुश्मन को
बुलाया न था,
उसी तरह मददगार
भी बिन बुलाये
आ जायेगा। ऐसा
शख्स दूसरों से
मदद और आराम
पाता रहेगा। मुसीबत
और बिमारी से
बचता बचाता हुआ
पूरी उम्र भोगेगा।
यहां तक कि
मौत के यम
के खिलाफ भी
मदद मिल जायेगी
और कब्र से
ज़िन्दा वापिस आ जावेगा।
बाप की मदद
और सुख सागर
लम्बा होगा। शुक्र
मंगल शनि मुश्तर्का
की कुछ मिसालें
दिलचस्पी का सबब
होंगी। समझदार के लिए
इशारा ही काफी।
कुण्डली नम्बर 1 वाली
एक खूबसूरत खातून
है। अब उम्र
40 साल के आस
पास हो गई
है मगर शादी
न हुई। लिहाज़ा
गृहस्त सुख न
मिला क्योंकि तीनों
ग्रह खाना नम्बर
3 में नेक नही
हैं।
कुण्डली नम्बर 2 वाले
की उम्र 26 साल
के आस पास
है। तीनो ग्रह
खाना नम्बर 7 में
हैं। कुण्डली में
चन्द्र ग्रहण भी है।
इसलिए ग्रहण का
उपाय करना बेहतर
होगा।