Tuesday, December 10, 2013

आज का कौटिल्य

पिछले दिनों हरियाणा सूबे का एक 6 साला बालक अपने तेज़ दिमाग की वजह से खबरों में चर्चा का मौज़ू बना। वह अपनी उम्र के बालकों से बहुत आगे है। इतनी कम उम्र में उसके पास देश विदेश की बहुत सी जानकारियों का इतना बड़ा ज़खीरा, जिसे देखकर लोग अपने दांतों तले उंगली दबा लें। सूबे की सरकार ने उसे मान सम्मान और धन दौलत से नवाज़ा है। इस बालक का नाम है कौटिल्य । अब वह पिछले दौर के कौटिल्य की तरह सिर पर चोटी रखने लगा है। यह कोर्इ आम बालक नही है। इसकी कुण्डली यकीनन दिलचस्पी का सबब होगी।
   
                     
राहु खाना नं0 2 गुरू के घर, उसके हुक्म के जेर साया। किस्मत दोरंगी मानिंद पंगूड़ा ऊपर नीचे चलती हुर्इ। मिटटी सोना और सोना मिटटी दोनों ही ढंग का हाल। चन्द्र मंगल मुश्तर्का खाना नं0 6 उत्तम लक्ष्मी, माया दौलत होवे या दोस्तों की पूरी मदद। राजयोग या राज दरबार का उत्तम फल । आलिम, अक्लमन्द दर्जा कमाल, अक्ल का धनी मुतालका दुनिया से मदद। शनि केतु मुश्तर्का खाना नं0 8 इस्तकलाल, दोनो उत्तम और लम्बी उम्र। दिमागी खाना नं0 14 तकब्बुर खुदपसन्दी का मालिक। शुक्र खाना नं0 10 उम्दा फल।मिर्ज़ा हल्का सारंगी भारी। कामदेव से पूरी भरी हुई और मद्ध पर आई हुई औरत।

बृहस्पत सूरज बुध मुश्तर्का खाना नं0 12 अमूनन राजयोग, उत्तम फल। घर में गंगा, माया लक्ष्मी पांव पकड़े। जागीरों का मालिक ब्रहम ज्ञानी। इज्ज़त, दौलत और शोहरत का साथ। मगर बुध का कोर्इ भरोसा नही।

कुल मिलाकर ग्रहों का अनोखा खेल। समझदार के लिए इशारा ही काफी। ज्यादातर ग्रह खाना नं0 8, 2, 6, और 12 में हैं। जो एक दूसरे से मिलते मिलाते हुये बहुत कुछ कह रहे हैं। बहुत से दिमागी खाने जाग रहे हैं। लिहाज़ा दिमाग इतना तेज़ कि सामने वाला दंग रह जाये। छोटी उम्र में ही ज्ञान की गंगा और माया के दरिया में नहाये। इज्ज़त, दौलत और शोहरत का साथ मिले। किस्सा कोताह इस बालक को वंडर ब्वाय कहा जा सकता है।

इतना सब होने के बावजूद कुण्डली पर राहु का साया है और बुध भी शक्की है। जिसका मन्दा असर ग्रहों की उम्र के हिसाब से हो सकता है। खासकर जब बुध की अशिया का साथ हो जावे तो वह छुपी शरारत कर देगा। इसलिए इनका ख्याल रखना और (असली) लाल किताब के मुताबिक उपाय करना बेहतर होगा।
 

Thursday, November 7, 2013

नारियल

जब ग्रहों के उपायों की बात होगी तो लाल किताब का नाम सबसे पहले आयेगा और जब उपायों की मुताल्लका अशियां की बात होगी तो नारियल का नाम सबसे पहले आयेगा। नारियल के पेड़ आमतौर पर समुन्द्री साहिल वाले इलाके में पाये जाते हैं। भारत के अलावा नारियल दूसरे कई मुल्कों में भी पाया जाता है। जब नारियल कच्चा होता है तो उसका रंग हरा सा और पानी से भरा होता है। जनूब भारत में नारियल पानी आम पीया जाता है। जब पक जाता है तो इसका रंग भूरा सा और अन्दर का कुछ पानी गिरी में तबदील हो जाता है और जब नारियल सूख जाता है तो लक्कड़ सा बन जाता है।
आज से 25-30 साल पहले शुमाल भारत में नारियल फक्त अक्तूबर के महीने करवाचौथ के व्रत पर ही मिलता था। मगर अब यह सारा साल मिलता रहता है। नारियल का इस्तेमाल धर्म स्थान में, पूजा पाठ में, खाने पीने में और ग्रहों के उपायों में होता है । जहां तक उपाय की बात है नारियल को पापी ग्रहों से जोड़ा गया है। लिहाज़ा खानावार पापी ग्रहों के उपायों के लिए नारियल का दान देना, धर्म स्थान में रखना और नदी या दरिया में बहाना मददगार होता है। ग्रहण के वक्त नारियल चलते पानी में बहाना एक कारगर उपाय है। खासकर उनके लिये जिनकी कुण्डली में ग्रहण लगा हुआ हो। कुण्डली में सूरज और चन्द्र ग्रहण पापी ग्रहों से ही लगता है।
नारियल राहु की अशिया है। कुण्डली में अगर मंगल शनि मुश्तर्का हो तो मसनुई राहु उच्च और सूरज शनि मुश्तर्का हो मसनुई राहु नीच होगा। इसी तरह शुक्र शनि मुश्तर्का हों तो मसनुई केतु उच्च और चन्द्र शनि मुश्तर्का हों तो मसनुई केतु नीच होगा। मसनुई हालतों शनि मौजूद है। वैसे भी राहु और केतु, शनि के ऐजण्ट हैं और तीनो का पापी टोला कहा गया है। इसलिए पापी ग्रहों का उपाय नारियल से किया जाता है। परेशानी, मन्दी सेहत, आंखों की तकलीफ, जिस्मानी दर्द, रूपये पैसे की तंगी, राज दरबारी उलझन और ग्रहण की मन्दी हालत के वक्त नारियल के उपाय से फायदा लिया जा सकता है।

Friday, October 4, 2013

दिमागी खलल

कुछ दिन पहले मैने एक टी.वी.सीरियल देखा। उसमें औरत दिमागी खलल की शिकार है जिसका मन्दा असर परिवार पर पड़ता है। उसका शौहर उसे डाक्टर के पास ले जाना चाहता है मगर वह झगड़ा करती है कि उसे हुआ क्या है ? वह बच्चों को भी बेवजह डांटती है। रफता रफता घर का माहौल खराब हो जाता है और सभी परेशान हो जाते हैं। बात इतनी बढ़ जाती है कि शौहर सोचता है वह सब को मारके खुदखुशी कर ले तो दुखों से छुटकारा मिल सकता है। दरअसल परेशानी में कोई भी ठीक नही सोच पाता ऐसे में एक ही रास्ता है, वक्त पर इलाज जिससे फायदा हो सकता है ऐसी ही कुछ कुण्डलियां जहां दिमागी खलल ज़ाहिर होता है, बतौर मिसाल पेश हैं  

                           

                  


कुण्डली नं0 1 वाले आदमी की बीवी ने चण्ढीगढ़ से बताया कि शौहर ढंग से काम काज नही करता उल्टा परेशान करता है। उसका काम काज कब तक ठीक होगा ? मैने जवाब दिया कि शौहर दिमागी खलल का शिकार है। इसे काम काज की नही इलाज की ज़रूरत है। वह हैरान रह गई। तकरीबन एक महीने के बाद उसने बताया कि शादी से पहले शौहर को दवा खिलाई गई थी कुण्डली नं0 2 वाली औरत के शौहर ने कांगड़ा से बताया कि बीवी कई साल से ठीक नही है। कई बार पूजा पाठ भी करवाये मगर फायदा नही हुआ। मैने जवाब दिया कि बीवी को पूजा पाठ की नही इलाज की ज़रूरत है दिमागी खलल अब मरज़ बन चुका था कुण्डली नं0 3 वाली लड़की ने दिमागी खलल की वजह से होशियारपुर में अपनी जान ही ले ली। कई महीने गुज़र गये पर घरवाले यह समझ सके आखिर लड़की को हुआ क्या था ? उसकी मौत एक राज़ बनकर रह गई। कुण्डली नं0 4 वाले लड़के की मां ने गाज़ियाबाद से बताया कि बेटे का पढ़ाई में मन नही लगता। अगर उसे कुछ कहते हैं तो असर उल्टा होता है। मैने उसको बेटे की दिक्कत बताते हुये उसका ख्याल रखने के लिए कहा तांकि कल को कोई मुश्किल आए। उसका उपाय भी बता दिया। अगर कल की बात का पता आज चल जाये तो आदमी उसके लिए तैयार हो जाता है। मगर ऐसे में अक्सर पता ही बाद में चलता है हां कुण्डली से पता पहले चल सकता है उपर दी गई कुण्डलियों को गौर से देखें तो पापी ग्रह मन्दे होकर बैठे हैं और दूसरे ग्रहों को भी खराब कर रहे हैं। ऐसे में ग्रहों का मन्दा असर आमतौर पर 18 साला उम्र से 24 साला उम्र तक ज़ाहिर होता है। नतीजा दिमागी खलल और खलल जब बिगड़ जाता है तो मरज़ बन जाता है। इससे पहले के खलल एक मरज़ बन जाये, मन्दे ग्रहों का उपाय ज़रूरी यह उपाय लाल किताब (असली) के मुताबिक ही होगा। समझदार के लिए इशारा ही काफी। 



Monday, September 9, 2013

राज कौर

हर कुण्डली में अक्सर कोई न कोई बात सीखने को मिलती है। पेश है ऐसी ही कुण्डली एक खूबसूरत लड़की की जो पढ़ी लिखी और सरकारी मुलाज़िम है मगर शादी में देरी हो गई।

           जन्म: 8.9.1978                         वर्षफल 35 साल


                
                                                             

            राज कौर जब मुझे पहली बार मिली तो उसकी उम्र 31साल थी। सवाल था शादी का। कुण्डली देखकर मैने उसको बताया कि बुध रूकावट डाल रहा है। उसका उपाय कर लिया जायेतो बात बन जायेगी पर बात आई गई हो गई।
            पिछले महीने राज फिर मुझे से मिली। सवाल वही था शादी का । पुरानी बातें ताज़ा हो गईं। उसने बताया कि कई उल्टे सीधे उपायों में रूपया पैसा और वक्त बर्बाद किया पर नतीजा कुछ न निकला बल्कि परेशानी ही हुई। उम्र भी 34-35 साल हो गई। अब बुध का उपाय कर लिया है। उसकी मां ने बताया कि उसे तो फिक्र में ठीक तरह नींद नही आती। थोड़े फर्क पर राज की दो छोटी बहने भी हैं। यानि राज की शादी एक मसला बन गई। खैर मैने तसल्ली देते हुए शुक्र का उपाय करने के लिए कहा।
            राज की कुण्डली पर नज़र डालें तो बुध खाना नं0 11 में है। 34 साला उम्र तक रूकावट जो अब दूर हो गई । बुध का उपाय भी कर लिया। अब रहा शुक्र जो खाना नं0 1 में चन्द्र के साथ मन्दा हो रहा है । चन्द्र शुक्र मुश्तर्का यानि दूध में दही, तो क्या बना ? दोनो खराब हो गए । दुरूस्ती के लिए इनका उपाय ज़रूरी । चन्द्र को 42 दिन शुक्र से जुदा किया जाये तो मंगल से मंगल गीतों की उम्मीद की जा सकती है और चन्द्र की बेल चल सकती है। समझदार के लिए इशारा ही काफी। यह उपाय असली लाल किताब के मुताबिक ही होगा।


Monday, August 12, 2013

सवाल

क्या मां कई सालों से बिमार है ?
हां ! उसकी दवा पर काफी खर्च होता है ।
क्या परिवार की रोज़ी रोटी सनीचर के किसी काम काज से चलती है ?
हां, जूतों का कारोबार है ।
क्या भाई है ?
हां, है ।
क्या अभी शादी नही हुई ?
हां, नही हुई ।

यह बातें नीचे दी गई कुण्डली से ताल्लुक रखती हैं।



समझदार के लिए इशारा ही काफी । कुण्डली में चन्द्र ग्रहण है जिसका मन्दा असर मां पर ज़ाहिर है। बाद में असर खुद पर होगा। बुध की नीयत ठीक नहीं। इसका असर खाना नं0 3,4,5,9 और 11 पर है। ऐसे में अच्छे की उम्मीद कम होगी। मंगल नेक नही है। कुण्डली वाले का बड़ा भाई शादीशुदा है। उसकी औरत रूठकर कई सालों से अपने मायके रहती है। खुद कुण्डली वाला नेक है मगर हालात नेक नही। जिसके लिए बुध का उपाय मददगार होगा। ग्रहण के उपाये से मां को आराम मिलेगा और खुद भी चैन पायेगा। मंगल को नेक करना होगा। फिर कहीं शादी की बात बनेगी।

Tuesday, July 9, 2013

मोदी

गुजरात के तीसरी बार बने मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी आजकल खबरों में हैं। हाल ही में पार्टी ने उनको चुनाव प्रचार कमेटी का सदर बनाया । जिसे लोगों ने उनको प्रधानमन्त्री का उम्मीदवार समझ लिया। लिहाज़ा पार्टी के कुछ नेता नाराज़ भी हुये। अडवानी जी ने तो अस्तीफा ही दे दिया पर बात न बनी क्योंकि अस्तीफा वापिस लेना पड़ा। तो क्या मोदी जी के सितारे बुलन्द हैं ? जिसके लिए उनकी जन्म कुण्डली का जायज़ा लेना होगा। उनकी कुण्डली इस तरह बताई जाती है।




समझदार के लिए इशारा ही काफी । कुण्डली के केन्द्र खाली । अपने लिये सब कुछ खुद ही करना पड़े। चन्द्र मंगल मुश्तर्का खाना नं0 2 और खाना नं0 8 खाली, दूध में शहद की तरह नेक असर। बृहस्पत खाना नं0 5 और उसके दोस्त ग्रह खाना नं0 2 और खाना नं0 12 में मदद पर । शुक्र शनि मुश्तर्का खाना नं0 11 और खाना नं0 3 खाली, मस्मुई केतु उच्च और बुध खामोश। सूर्य बुध केतु मुश्तर्का खाना नं0 12 और राहु खाना नं0 6, राजयोग मगर रकीबों की तरफ से मुखालफत होती रहे। कुण्डली में हल्का सा सूर्य ग्रहण है जिसका साया राज दरबार पर होगा।

चन्द्र की उम्र 24 साल से काम काज शुरू करे। मंगल की उम्र 28 साल से आगे बढ़े। राहु की उम्र 42 साल से अपने लिये खास मुकाम बना ले। 50 साला उम्र से बृहस्पत खड़ा हो जावे। इसी दौरान मोदी जी पहली बार सूबे के मुख्यमन्त्री बने।कुल मिलाकर राज दरबार या परिवार । राज दरबार तो है शायद परिवार नहीं ।

अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं। अब सवाल यह है कि क्या मोदी जी मुल्क के वज़ीर-ए-आज़म बनेंगे ? उम्मीद तो है मगर बुध खाना नं0 12 का कोई भरोसा नही। अडवानी जी की कुण्डली में भी बुध खाना नं0 12 में है जिसने उनको प्रधानमन्त्री नहीं बनने दिया। इसलिए बुध का उपाय कर लेना ही बेहतर है। आमीन ।

Sunday, June 16, 2013

गीता

हर शख्स अपने मुस्तक्बिल के बारे अच्छा हीं तसव्वुर करता है। मगर कई बार हो कुछ और ही जाता है। कुछ ऐसा ही गीता के साथ हुआ। कुछ दिन पहले जब मुझे पता चला कि उसका अचानक इन्तकाल हो गया तो मन उदास सा हो गया। वह एक अच्छी और मेहनती लड़की थी। उसने भी अपने आने वाले कल के लिये सुहाने ख्वाब देखे थे। मगर उसके घर के हालात ठीक न थे। जिसकी वजह से उसे 14-15 साला उम्र से रोज़ी रोटी के लिये काम काज करना पड़ा। 17-18 साला उम्र में बिमार बाप का इन्तकाल हो गया जिससे उसकी जिम्मेदारी बढ़ गई। उसने इस साल मार्च में मुझे अपनी कुण्डली दिखाई। ग्रहों का जायजा लेते हुये मैंने कहा कि इस साल सेहत का खास ख्याल रखने की ज़रूरत है। उसकी कुण्डली इस तरह है।



समझदार के लिए इशारा ही काफी। चन्द्र खाना नं0 7 में और उसके घर खाना नं0 4 में शनि । खाना नं0 1 खाली। बृहस्पत मंगल मुश्तर्का खाना नं0 9 में और खाना नं0 3, 5 खाली। सूर्य शुक्र बुध राहु मुश्तर्का खाना नं0 6 पाताल में। उसपे सूर्य को ग्रहण। खाना नं0 6 में ग्रहों का मन्दा असर। आप और बाप का साथ लम्बा न चले। अगर चले तो बाप की सेहत खराब रहे। राहु खाना नं0 6 में साथी ग्रहों का फल खराब कर रहा है। ऐसी हालत में नतीजा अच्छा कैसे हो सकता है ?

कुण्डली के खाना नं0 6 के ग्रह इस साल वर्षफल में खाना नं0 8 मुकाम फानी में। शनि खाना नं0 3 राहे रवानगी यानि दुनिया  से चले जाने का रास्ता। ऐसे में मौत नहीं तो मौत का बहाना ज़रूर बने। नतीजा 31 मई 2013 को गीता की अचानक मौत हो गई। ज़िन्दगी बेवफा ही निकली।

Friday, May 3, 2013

जनरल मुशरर्फ


पाकिस्तानी फौज के साबिका जनरल परवेज़ मुशरर्फ आजकल अख़बारों की सुर्खियों में हैं। वह चार साल के बाद अपने वतन वापिस लौटे। पाकिस्तान में होने वाले चुनाव के लिए उन्होने चार जगह से कागज़ दाखिल किये मगर रद्द हो गये। बल्कि कुछ कानूनी केस उनके खिलाफ खड़े हो गये। अदालत ने उनकी गिरफ्तारी का हुक्म जारी कर दिया। लिहाज़ा वह अपने ही फार्म हाऊस में कैद हो गये। सोचा था क्या, क्या हो गया ।

जनरल साहिब ने कूप करके सत्ता हासिल की थी। उन्होने आठ साल तक पाकिस्तान पर हकूमत की। उनका हुक्म चलता था और सलाम बजते थे। मगर अब कुछ भी नहीं। बस कैदी बनकर रह गये। आखिर ऐसा क्यों हुआ । यह जानने के लिए उनकी जन्म कुण्डली का जायज़ा लेना होगा। उनकी कुण्डली इस तरह बताई जाती है। समझदार के लिए इशारा ही काफी।




जन्म कुण्डली में तकरीबन सभी ग्रह अच्छी हालत में। मज़बूत राजयोग। लिहाज़ा फौज में आला ओहदे पर पहंुचे। फिर कूप करके तानाशाह बन गये। बाद में पाकिस्तान के सदर भी बने। बृहस्पत सूर्य खाना नं0 1, एक खास योग। राहु साथ बैठा है मगर दबा हुआ जो मौका मिलने पर छुपी शरारत कर सकता है। शुक्र बुध खाना नं0 2 मसनुई सूरज। मंगल खाना नं0 10 और शनि खाना नं0 12, लम्बी उम्र, जंगी ताकत और दलेरी का साथ। जब तक जिस्म पर फौजी वर्दी रही, सब ठीक रहा। सदर बनने के बाद वर्दी उतार दी। फिर हालात खराब होने लगे। शहनशाह के दरबार से आग का धूंआ बढ़ता ही गया। राहु का जंग सूरज के राज दरबार को खाने लगा और बृहस्पत का सोना भी पीतल बन गया। आखिर सत्ता छोड़नी पड़ी। फिर मुल्क से भी बाहर  हो गये।

इस साल वर्षफल में ज्यादातर ग्रह मन्दे। शनि खाना नं0 8 वारंट जारी करने वाला। बृहस्पत सूर्य राहु खाना नं0 10, राज दरबार में हर बात उलझी हुई नज़र आवे और किस्मत की चमक भी फीकी पड़ जावे। बुध खाना नं0 12 रात की नींद उजाड़ने वाला और सब उल्ट हो जावे। किस्सा कोताह ग्रहों ने मुजरिम बनाकर रख दिया। वह अपने ही मुल्क में कैद हो गये, जहां कभी राज किया करते थे। मारा ग्रहों ने जनरल मुशरर्फ तुझे, वर्ना वह रूतबा वह हकूमत किधर गई।

Saturday, April 6, 2013

संजय दत्त


खलनायक या मुन्ना भार्इ कुछ भी हो,संजय दत्त सन 1993 के मुम्बर्इ बम धमाको से बच न सका। उससे गैर कानूनी हथियार बरामद हुये थे। संजय के बाप मरहूम सुनील दत्त ने बेटे को बचाने की बहुत कोशिश की थी मगर नाकाम रहे। 13-14 साल मुकददमा चला और पांच साल की कैद हो गर्इ । जिसमें से 18 महीने की कैद संजय पहले ही काट चुका है। इस तरह अब 42 महीने की सज़ा बाकी है। एक तरफ बालीवुड तो दूसरी तरफ जेलखाना। आखिर ऐसा क्यों हुआ ? यह जानने के लिए संजय की कुण्डली का जायज़ा लेना होगा।

दत्त परिवार पर लिखी गर्इ एक किताब के मुताबिक संजय का जन्म 29 जुलार्इ 1959 को शाम के 2 बजकर 45 मिन्ट पर मुम्बर्इ में हुआ था। जिसके मुताबिक उसकी जन्म कुण्डली इस तरह बनी । समझ दार के लिए इशारा ही काफी।





जन्म कुण्डली में अच्छे ग्रह मसलन बृहस्पत, चन्द्र वगैरह और मन्दे ग्रह मसलन बुध, राहु वगैरह का जि़न्दगी पर मिला जुला असर हुआ। बुध खाना नं0 9 में सूरज के साथ, लसूड़े की गिटक की तरह किस्मत का हाल। अच्छे ग्रहों की वजह से अच्छे परिवार में जन्म हुआ । मां बाप अपने दौर के मशहूर फिल्मी अदाकार थे। मगर मन्दे ग्रहों की वजह से मां बाप का साथ लम्बा न चला। मां की मौत बिमारी से हुर्इ। बाप भी बेटे की वजह से परेशान हुआ। संजय भी नशीली गोलियां और गैर कानूनी हथियारों का शिकार हुआ। सरकारी नौकरी तो नही थी मगर सरकारी रोटी जेल में ज़रूर खानी पड़ी। दर असल परेशानी राहु की उम्र 21-22 साल से शुरू हो गर्इ थी। जब बुध की उम्र 34-35 साल आर्इ तो बात पुलिस, अदालत और जेल तक जा पहुंची। वर्षफल साल 35 में जन्म कुण्डली के खाना नं0 9 का बुध खाना नं0 9 में और खाना नं0 11 का राहु खाना नं0 11 में । नतीजा सन 1994 में संजय को जेल में जाना पड़ा।

खाना नं0 5 और 10 के ग्रहों की टक्कर । शादी कर्इ बार हुर्इ। पहली औरत बिमारी से गुज़र गर्इ। दूसरी से तलाक हुआ और अब तीसरी है। दवार्इयों से ताल्लुक बना। पहले मां दवा खाती थी। फिर खुद दवा खाने लगा। बाद में पत्नी ने दवा खार्इ। खाना नं0 2 का शनि खाना न0 10 के शुक्र को मदद दे रहा है। अच्छे ग्रहों की वजह से फिल्मों में कामयाबी मिली। एक तरफ मन्दा हुआ तो दूसरी तरफ अच्छा भी हुआ।

जन्म कुण्डली में केतु खाना नं0 5 और सूरज बुध खाना नं0 9 में है। इस साल वर्षफल में केतु खाना नं0 4 और सूरज बुध खाना नं0 10 में । लिहाज़ा अदालत ने कैद की सज़ा सुना दी। मगर मंगल खाना नं0 12 से दुनियावी और बृहस्पत खाना नं0 8 से खुदार्इ मदद दे रहा है। जिनसे राहत की उम्मीद की जा सकती है।

Sunday, March 24, 2013

ग्रह खेल

पिछले एक मज़मून दो देवियां में मिलती जुलती कुण्डलियों का जि़क्र था। उनकी जि़न्दगी के हालात भी मिलते जुलते थे। ऐसी ही एक और मिसाल मिलती जुलती कुण्डलियों की पेश है, जिनकी जि़न्दगी के हालात भी मिलते जुलते हैं। ऐसी मिसालें ज्योतिष की सच्चार्इ को दोहराती हैं। इतना ही नही, जो लोग ज्योतिष को नही मानते, उनको भी सोचने के लिए मजबूर कर देती हैं।

जि़न्दगी में हर शख्स अपने बारे में अच्छा सोचता है और अच्छा ही चाहता है। मगर कर्इ बार हो कुछ और ही जाता है। यह किस्मत नही तो और क्या है ? दूसरे लफ्ज़ों में जि़न्दगी ग्रहों का खेल ही है। यह ज़ाहिर है इन कुण्डलियों से। समझ दार के लिए इशारा ही काफी।





कुण्डली नं0 1 वाली औरत पंजाब से और कुण्डली नं0 2 वाली उत्तर प्रदेश से है। दोनों कुण्डलियों में सूरज खानां नं0 1, चन्द्र खानां नं0 6 और शुक्र खाना नं0 12 में हैं। इसके अलावा पहली कुण्डली में चन्द्र के घर मंगल बद और दूसरी कुण्डली में पापी केतु है। पहली कुण्डली में राजा सूरज का टकराव अपने वज़ीर शनि से है तो दूसरी कुण्डली में वज़ीर ही नही है। चन्द्र का असर भी शुक्र पर मंदा ही होगा। आदमी की कुण्डली में शुक्र उसकी औरत और औरत की कुण्डली में शुक्र उसका आदमी है। किस्सा कोताह ग्रह फल का मिलता जुलता असर दोनों औरतों की जि़न्दगी पर साफ नज़र आता है।

दोनों पढ़ी लिखी, खूबसूरत और नेक हैं। दोनों की शादी लगभग एक ही उम्र में हुर्इ। दोनों के पति नौकरी करते थे। दोनों के औलाद (बेटा)  भी पैदा हुर्इ। फिर दोनो लगभग एक ही उम्र में बेवा हो गर्इं। पति की मौत के बाद दोनों नौकरी करने लगी। इस तरह अब दोनो अपना गुज़र कर रही हैं। पता नही ग्रह अपनी नज़र क्यों बदल लेते हैं ? दर असल  जि़न्दगी ग्रह खेल है, कल भी ग्र्रह खेल था, आज भी ग्रह खेल है।

Saturday, February 2, 2013

प्यार का बुखार

ग्रहों का भी अजीब खेल है। जिससे कभी दिल मिलने को बेकरार था आज उसी से बिछुड़ने के लिए बेचैन है। जिस पर कभी जान कुर्बान करते थे आज उसी से पल्ला झाड़ रहे हैं। यह बात एक ऐसे जोड़े की है जो प्यार की खूबसूरत दुनिया से निकल कर कानून के दरवाज़े तक जा पहुंचा। इन दोनों की कुण्डलियां इस तरह हैं ।


लड़का एक बड़ी दुकान में नौकरी करता था जहां लड़की एक दिन खरीदारी करने आई। वहीं पर दोनों पहली बार मिले। फिर बाहर मिलने लगे। रफता रफता मुलाकातों का सिलसिला प्यार में बदल गया। लड़की फिर लड़के के घर तक पहुंच गई। लड़के ने भी अपने घरवालों से कह दिया कि वह उससे शादी करना चाहता है। लड़के का बाप और भाई  इस शादी के हक में न थे । पर लड़का अपनी जि़दद पर अड़ा रहा। लिहाज़ा अप्रैल 2009 में दोनों ने लव मैरिज कर ली और लड़की लड़के के घर आ गई चाहे लड़के का परिवार शादी में शामिल न हुआ।    

शादी के 2-3 महीने बाद प्यार का बुखार उतरने लगा। ताल्लुकात में तल्खी आने लगी। घर का माहौल भी खराब होने लगा। लड़की ने गुस्से में आकर घर छोड़ने की धमकी दे डाली। फिर दोनों घर छोड़कर परिवार से जुदा रहने लगे। हालात इतने खराब हुये कि मां बाप ने दिसम्बर 2011 में लड़के को बेदखल कर दिया।

फिर लड़के लड़की का आपस में झगड़ा होने लगा और अप्रैल 2012 में दोनो जुदा जुदा रहने लगे। फिर भी झगड़ा खत्म न हुआ और बात पुलिस थाने तक पहुंची। वहां समझौता भी हुआ लेकिन बात न बनी। आखीर लड़की ने सितम्बर 2012 में लड़के पर तलाक का मुकददमा दायर कर दिया। अब सवाल यह है कि ऐसा क्यों हुआ ? जिसके लिए दोनो के ग्रहों का जायज़ा लेना होगा। समझदार के लिए इशारा ही काफी।

लड़के की कुण्डली में राहु पापी खाना नं0 7, शुक्र बुध खाना नं. 10 और मंगल बद खाना नं. 12 मे है। र्मिज़ा हल्का सारंगी भारी। लड़का गोरी चिटटी लड़की की काली ज़ुल्फों में फंस गया और घरवालों की मरज़ी के खिलाफ उससे शादी कर ली। मगर शादी का सुख कहां ? क्योंकि कुण्डली में लड़ाई झगड़ा और जुदाई या तलाक का पूरा योग है।

लड़की की कुण्डली में शुक्र चन्द्र के साथ खाना नं. 5 में रददी, बुध खाना नं. 3 में मन्दा और मंगल खाना नं. 6 में बद है। बुध का असर खाना नं. 4 धन दौलत, खाना नं. 5 औलाद, खाना नं. 9 किस्मत और खानां नं. 11 आमदन पर मन्दा । ऐसे में शादी का नतीजा भी मन्दा ही निकला। राहु खाना नं. 9 में मन्दा और खाना नं. 5 को भी मन्दा कर रहा है। लिहाज़ा शादी से कोई औलाद पैदा न हुई। अब जुदाई तो हो ही चुकी है कल को तलाक भी हो जायेगा। मिलते हैं दिल यहां मिलके बिछुड़ने को, खिलते हैं गुल यहां खिलके बिखरने को ।

Wednesday, January 2, 2013

मकान


"टेवे बैठे ग्रह 1 ता 9वें, दाएं दाखिला बोलते हैं,
चलते 12 से घर 9 आवें, असर बाएं देते हैं।"

जन्म कुण्डली के मुताबिक जो ग्रह खाना नं. 1 से 9 तक बैठे हों वह अपना असर मकान के दाखिल होते हुए दाएं हाथ की तरफ ज़ाहिर किया करते हैं और खाना नं. 12 से 10 तक बैठे हुए ग्रह मकान के बाएं तरफ अपना असर ज़ाहिर करते हैं। मकान की बुनियाद डालने के दिन से 3 या 18 साल की मियाद के बाद हर मकान अपना असर ज़रूर देगा। जन्म कुण्डली में बैठे हुए सनीचर का मकान पर खानावार असर इस तरह होगा ।
  1. टेवे वाला अगर मकान बनावे तो काग रेखा । जब सनीचर मन्दा हो तो कौवे की खुराक तक तरसता होवे । निर्धन सब तरफ बर्बादी होगी। लेकिन जब सनीचर उम्दा  नंबर 7, 10 खाली हो तो उम्दा फल होगा। 
  2. मकान जब और जैसा बने, बनने देवें, मुबारक होगा। 
  3. केतु पालन 3 कुत्ते रखे तो मकान बनेगा । वर्ना गरीबी का कुत्ता भौंकता रहे।
  4. अपने बनाये मकान खाना नं. 4 के मुताल्का रिश्तेदार माता खानदान को ज़हर देंगे या माता खानदान बर्बाद होने लग जायेगा।
  5. खुद बनाये हुये मकान औलाद की कुर्बानी लेंगे। मगर औलाद के बनाये हुये मकान टेवे वाले के लिए मुबारक होंगें।  अगर खुद ही बनाने हो तो सनीचर की जानदार अशिया (भैंस-भैंसा) बतौर दान देने या बतौर कुर्बानी जि़न्दा छोड़ देने के बाद मकान की बुनियाद रखें तो सनीचर का औलाद पर मन्दा असर न होगा। फिर भी अगर हो सके तो 48 साला उम्र के बाद ही मकान बनावे तो बेहतर होगा। 
  6. सनीचर के मियाद 36-39 साला उम्र के बाद मकान बनाना मुबारक होगा। वर्ना अपनी लड़कियों के रिश्तेदारों को तबाह करेगा। 
  7. अव्वल तो बने बनाये मकान ही बहुत मिलेंगे जो मुबारक होंगे। अगर उल्टा बिकने ही लगे तो सबसे पुराने मकान की दहलीज़ कायम रखना सब कुछ वापिस दिलवा देगा। 
  8. मकान बनना शुरू हो तो मौतें गूंजने लगे। सनीचर अब राहु केतु की हालत पर अच्छा या बुरा असर देगा। 
  9. टेवे वाले की औरत के पेट में बच्चे के वक्त अपनी कमाई से बनाया हुआ मकान पिता को आसूदा हाल या जि़न्दा न छोड़ेगा और जब टेवे वाले के पास 3 जुदा-जुदा रिहायशी मकान कायम हो जायेंगे तो उसका आखिरी वक्त (मौत) पहंुच चुका गिनेंगे। 
  10. जब तक मकान न बनावे सनीचर मकान बनाने के लिए सामान जमा करने की कीमत नगद रूपया देता जायेगा। लेकिन जब मकान बन जावे सनीचर बिस्तर तक भी उठाकर ले भागे बल्कि ढूंढने पर भी निशान न मिलेगा और आमदन खत्म होगी। 
  11. मकान अमूमन देरी से 55 साला उम्र के बाद बनेगा । दक्कन के दरवाज़े वाले मकान के साथ (रिहायश) से लम्बा अर्सा लेटना (गल सढ़कर मरना) पड़ेगा। 
  12. सांप (सनीचर) और बन्दर (सूरज) जो कभी अपना बिल या घर नही बनाते अब मकान बनाना सीख लेंगे। यानि अब मकान खुद ब खुद बनेंगे जो मुबारक होंगे। ख्वाह अब सनीचर के साथ सूरज भी नम्बर 12 में ही होवे। टेवे वाले को चाहिए कि बनते मकान को न रोके  जैसा बने, बन ही लेने देवें। 

वर्षफल के हिसाब से जिस साल सनीचर, राहु केतु से ताल्लुक वाले असूल से जाति सुभाओ में नेक असर का साबित हो रहा हो या राहु केतु के साथ ही बैठा हो तो मकानात बनेगें। लेकिन जब राहु केतु का साथ तो हो मगर सुभाओ के हिसाब से बुरे असर का साबित होवे तो बने बनाये मकान बिकवा या गिरवा देगा और उसका मन्दा असर होगा। खाना नं. 2 मकानात की हालत बतायेगा और खाना नं. 7 मकानों का सुख दुख बताता होगा।

मकान बनाने से पहले तमाम और कुल तह ज़मीन को एक ही गिनकर उसके गोशे या कोने देखे जावें। 4 गोशे वाला रकबा सबसे उत्तम होगा, जिसका हर एक कोना 900 का हो। तीन, पांच या ज्यादा कोने वाला रकबा मन्दा ही होगा। मकान की बुनियादें रखने से पहले तह ज़मीन पर चन्द्र के उपाय से खानदानी  नेक व बुरे नतीजे देख लेना भी ज़रूरी होगा। क्योंकि मकान की तह ज़मीन का मालिक चन्द्र होता है। मकान में आने जाने का सबसे बड़ा दरवाज़ा बतरफ मशरिक हो तो सबसे उत्तम मगर जनूब का दरवाज़ा मनहूस ही होगा। बन्द गली का आखिरी मकान भी मन्दा ही होगा। जन्म कुण्डली में दूसरें ग्रहों का जायज़ा ले लेना भी बेहतर होगा।

मिसाल के तौर पर एक सिविल इंजीनियर की जन्म कुण्डली जिसने सल्तनत-ए-ओमान में मकानात/इमारत बनाने वाली कम्पनी में कई साल काम किया। उसने अपना मकान  भी कई बार तोड़ा और कई बार बनाया। समझदार के लिए इशारा ही काफी।

चन्द्र सनीचर मुश्तर्का, चन्द्र ग्रहण खाना नं. 1 और खाना नं. 7,10 खाली। मकान में कई बार तोड़ फोड़ की । मकान को लेकर परिवार में झगड़ा हुआ जो अदालत तक गया। तह ज़मीन का बटवारा हुआ और मकान तोड़कर फिरसे बनाना पड़ा। इस तरह चन्द्र सनीचर के झगड़े में धन (चन्द्र) और मकान (सनीचर) दोनो का नुक्सान हुआ।