Wednesday, May 2, 2012

राजयोग


एक ज़माना था जब राजयोग राजा महाराजा की कुण्डली में होता था। मगर आज राजे तो रहे नही, इसलिए राजयोग का रूप भी कुछ बदल सा गया है। अब राजयोग से मतलब हैं सत्ताा, मान इज्ज़त, धन दौलत, सुख सुविधा, सरकार या कारोबार में ऊँचा मरतबा वगैरह। दूसरे लफज़ों में राजयोग आदमी को खास पहचान देता है।
         ''घर  पहला है तख्त  हज़ारी, ग्रह फल राजा कुण्डली का,
        जोतिष में इसे लगन भी कहते, झगड़ा जहां रूह माया का।''
    लाल किताब में कुण्डली के खाना नं0 1 को शाह सलामत का तख्ते बादशाही और तख्त पर बैठने वाले ग्रह को राजा कहा गया है। लगन, केन्द्र में नेक हालत के ग्रह और दोस्त ग्रहों की मदद, राजयोग की पहली निशानी है। ग्रहों की हालत जितनी अच्छी होगी राजयोग उतना ही मज़बूत या उच्च होगा। राजयोग की कुछ जानी मानी कुण्डलियां बतौर मिसाल पेश है। समझदार के लिए इशारा ही
 काफी । 


                                                           

कुण्डली नं0 1 और 2 मुल्क के साबका वज़ीर-ए-आज़म मरहूम जवाहर लाल नेहरू जी और इन्दिरा गांधी जी की है। दोनों कुण्डलियों में मज़बूत राजयोग है। 


                           
 कुण्डली नं0 3 साबका वज़ीरे-ए-आज़म मरहूम राजीव गांधी जी की,जिसमें पंचायत है। कुण्डली नं0 4 सोनिया गांधी जी की, जिसमें हल्का सा ग्रहण है।

कुण्डली नं0 5 साबका वज़ीरे-ए-आज़म अटल बिहारी वाजपेयी जी की है। कुण्डली नं0 6 लाल कृष्ण अडवानी जी की है । बुध ने साथ न दिया। 

 कुण्डली नं0 7 वज़ीरे-ए-आज़म डा0 मनमोहन सिंह जी की है। कुण्डली नं0 8 राहुल गांधी जी की है। पार्टी को उनसे बहुत उम्मीद है मगर बुध का कोई भरोसा नही है।