Sunday, December 2, 2012

आरती


दिसम्बर 2009 को जालन्धर में ज्योतिष सम्मेलन हो रहा था। वहीं किसी के ज़रिए आरती से बात हुर्इ। एक खूबसूरत लड़की जो टेलिविज़न पर ए ंकर थी। उसने अपनी कुण्डली मुझे दिखार्इ। उसका सवाल था कि जि़न्दगी में तरक्की कहां तक होगी ? उसने गले में और हाथ में माला पहन रखी थी। मैने कहा कि बुध आपकी तरक्की में कहीं रू कावट न बन जाये। शायद उसको मेरी बात अच्छी न लगी।

जुलार्इ 2011 को धर्मशाला में ज्योतिष सम्मेलन हो रहा था । सम्मेलन में 200 के करीब ज्योतिषी मौजूद थे। उनको दिए हुये विषय पर बोलने के लिए कहा गया। गिनती के आदमी ही बोलने के लिए मंच पर आये। दूसरों को सवाल पूछने के लिए भी कहा गया। मैने भी विषय पर बात की (देखें तख् ते बादशाही) जिसमें दो मिसालें थी। तीसरी मिसाल मैने आरती की जोड़ दी और कहा कि वह आप में मौजूद है। जब मैं बोल चुका तो मुझे भी रोक लिया गया तांकि दूसरे मुझसे सवाल पूछ सकें। मैने कहा कि मेरी बात लाल किताब के मुताबिक है इसलिए वही मुझसे सवाल पूछे जिसने असली लाल किताब पढ़ी हो। एक बार तो खामोशी छा गर्इ। खैर मुझसे किसी ने सवाल न पूछा।

बाद में आरती ने मुझसे बात की । पिछले एक साल से उसके पास नौकरी न थी मगर उसने फिर वही पुराना वाला तरक्की वाला पूछ लिया। मैने जवाब दिया, जो मैं कहना चाहता हूं, आप वह सुनना नही चाहती। जो आप सुनना चाहती हैं, मैं वो कहना नही चाहता। इसके साथ ही बात खतम हो गर्इ।

अक्तूबर 2012 में लुधियाना में ज्योतिष सम्मेलन हुआ। आरती से फिर मुलाकात हो गर्इ। अब उसमें कुछ फर्क आ गया था। उसके पास कोर्इ नौकरी न थी । उसने बताया कि उसने माला उतार दी है। मैने हंसी में पूछ लिया कि अब क्या पहना है । उसने जवाब दिया कि सेहत के लिए ताबीज़ पहन रखा है। मैं चुप रहा क्याेंकि बुध अब भी शरारत कर रहा था। आरती की कुण्डली इस तरह है। समझ दार के लिए इशारा ही काफी।




बृहस्पत सूर्य मुश्तर्का खाना नं. 1 मगर खाना नं. 7 खाली । तख्त पर राजे 2 पर वजीर कोर्इ नही। छोटी उम्र 22-24 साल तक शादी हो जाती तो ठीक था बाद में कोर्इ भरोसा न होगा। राहु खाना नं. 4 और केतु खाना नं. 10 नेकदिल। शुक्र, मंगल, शनि मुश्तर्का खाना नं. 3, लम्बी उम्र, दुश्मनों के मुकाबिल दोस्त भी खुद बा खुद मदद पर आ जावें। चन्द्र, बुध मुश्तर्का खाना नं. 2, पानी में रेत। क्या घर में मनिदर या पूजा स्थान बना रखा है ?

पढ़ी लिखी खूबसूरत लड़की, अच्छी नौकरी और अच्छे घर की मगर अब तक शादी न हुर्इ। बाप का साथ भी लम्बा न चला । दूसरे लफ्ज़ों में मां वक्त से पहले बेवा हो गर्इ। कुछ सालों से नौकरी भी नही है। अब बुध की उम्र निकल गर्इ है। अगर दुरूस्ती कर ली जाये तो मसला हल हो सकता है।

Sunday, October 28, 2012

लाल किताब का हस्त रेखा से ताल्लुक


लाल किताब उदर्ू ज़ुबान में लिखी गर्इ थी। हालांकि किताब पर लेखक का नाम नही है पर इसकी रचना आलिम पंडित रू प चन्द जोशी जी ने की थी। पहली किताब सन 1939 में छपी थी, जिस पर लिखा है, हथेली की लकीरों से जन्म कुण्डली बनाने और जि़न्दगी के पूरे हालात देखने के लिए सामुदि्रक की लाल किताब। इस किताब में हथेली की लकीरों, बुजऱ्ों और दूसरे निशानात का जि़क्र किया गया है। वैसे तो यह हस्त रेखा की किताब है मगर इसमें ग्रहों का जि़क्र भी आता है।

आखिरी किताब सन 1952 में छपी थी, जिस पर लिखा है, ।ेजतवसवहल इेंमक वद च्ंसउपेजतल  इल्मे सामुदि्रक्र की बुनियाद पर चलने वाली ज्योतिष की मदद से हाथ रेखा के  ज़रिए दुरूस्त की हुर्इ जन्म कुण्डली से जि़न्दगी के हालात देखने के लिए लाल किताब। इस किताब में कुण्डली के 12 खानों, 9 ग्रहों और ज्योतिष दूसरे उसूलों का जि़क्र तफ़सील में किया गया है। ग्रहों के अलावा रेखा का भी जि़क्र आता है। मसलन सनीचर खाना नं. 1 हो तो काग रेखा (गरीबी) की बात आती है। इसी तरह, केतु तीजे मंगल बारां , मच्छ मुआविन दोनों तारां।यानि केतु कुण्डली में खाना नं. 3 और मंगल खानां नं. 12 हो तो,मच्छ रेखा , गरीब को धन और अमीर को वालिए तख्त, हरदम बड़े परिवार, लोह लंगर सवाया। मुआविन, उम्र रेखा, कब्र से जि़न्दा वापिस आवे या फांसी लटके के पांव के तले तख् ता देना तांकि गला न घुट जावे। बिन बुलाए मददगार आ हाजि़र हों । ज़मीन और आसमान के दरमियान सब दुश्मन छुपकर गारों में गुज़ारा करेंगे, मंगल की मदद पर होंगे ख् वाह कैसे ही बैठे हों।

लाल किताब में हथेली से कुण्डली बनाने की बात की गर्इ है । मसलन सूरज के बुर्ज पर चौकोर का निशान हो तो मंगल कुण्डली में खाना नं. 1 हुआ । चन्द्र के बुर्ज से रेखा सीधी वृहस्पत के बुर्ज पर जाये तो चन्द्र खाना नं. 2 हुआ। मंगल नेक के बुर्ज पर केतु का निशान हो तो केतु खाना नं. 3 हुआ। शुक्र के बुर्ज पर राहु का निशान हो तो राहु खाना नं. 7 हुआ वगैरह वगैरह । इस तरह बनार्इ गर्इ कुण्डली से जि़न्दगी का हाल देखने की बात की गर्इ है। पर हथेली से जन्म कुण्डली बनाना कोर्इ आसान काम नही है।

किस्सा कोताह हस्त रेखा में ग्रहों का जि़क्र और ग्रहों में हस्त रेखा की बात आती है। इससे साफ ज़ाहिर है कि लाल किताब का हस्त रेखा से गहरा ताल्लुक है। दूसरे लफज़ों में हस्त रेखा ही लाल किताब की बुनियाद है। पैदायश का वक्त मालूम न होने की सूरत में हथेली से जन्म कुण्डली बनाकर जि़न्दगी का हाल देखा जा सकता है। अगर ज़रू रत पड़े तो मन्दे ग्रह का उपाय भी किया जा सकता है।

Tuesday, October 2, 2012

डाक्टर साहिब


डाक्टर मनमोहन सिंह वज़ीरे आज़म आजकल ज़रा मुशिकल में हैं। कर्इ तो घोटाले हो गये। कोयले का मुददा तो कोलगेट बन गया। जिससे उनके अक्स को धक्का लगा है। सरकार चलाने के लिए दूसरी पार्टियों का आसरा लेना पड़ता है क्योंकि उनकी अपनी पार्टी कांग्रेस का पार्लियमैंट में बहुमत नहीं है। फिर सबका ख्याल भी रखना पड़ता है। हाल ही में एक पार्टी नाराज़ होकर उनका साथ छोड़ गर्इ। अब क्या करें.......एक को मनाऊं तो दूजा रूठ जाता है। ऐसे में क्या होगा.....यह जानने के लिए डाक्टर साहिब की कुण्डली चाहिए। नैट पर जो उनकी कुण्डली मिली, वह कहां तक सही है, यह कहना मुशिकल है।





खैर इस कुण्डली के मुताबिक 26 सितम्बर को उनका साल बदल गया है। इस साल के वर्षफल में कर्इ ग्रह मंदे हो गये । वह ग्रह भी  जिसका कोयले से ताल्लुक है। फिर बुध भी कुछ न कुछ मन्दा करके रहेगा। लाल किताब के मुताबिक, बुध घर तीजे जब हुआ जली अनोखी आंच, नौ उजड़े ग्यारह मरे गरके चार और पांच । किस्सा कोताह यह साल डाक्टर साहिब के लिए ठीक नही है। कुछ भी मन्दा हो सकता है अगर यह कुण्डली सही है।

Monday, September 3, 2012

फिज़ा



मुहब्बत की झूठी कहानी पे रोये, बड़ी चोट खार्इ जवानी पे रोये। सन 2008 की बात है जब अनुराधा ने 37 साला उम्र में फिज़ा यानि मुस्लमान बन के सूबे के वज़ीर चन्द्र उर्फ चांद से निकाह किया था। मगर 2 महीने के अन्दर ही चांद बादलो में गुम हो गया। चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात। तब से फिज़ा परेशान थी। आखीर अगस्त 2012 में उसकी परेशानी खत्म हो गर्इ। फिज़ा की कुण्डली इस तरह बतार्इ जाती है।



शुक्र खाना नं0 7 और खाना नं0 1 खाली, शुक्र का पतंग मगर कटा हुआ। बुध खाना नं0 9 मनहूस, कम उम्र , चमगादड़ के मेहमान आए यहां हम लटके वहां तुम लटको और चन्द्र का साथ यानि पानी में रेत, इश्क का गलबा। सनीचर खाना नं0 6 का मंदा असर खाना नं0 2 और 12 पर। फिर सूरज ग्रहण खाना नं0 8 में । ऐसे में क्या उम्मीद हो सकती है ..... समझदार के लिए इशारा ही काफी।

वर्षफल में उम्र के मालिक चन्द्र को भी ग्रहण लग गया। पापी ग्रह मन्दे और शुक्र भी मन्दा। दूसरे लफज़ों में बृहस्पत को छोड़कर सब ग्रह मन्दे हो गये। लिहाज़ा नतीजा भी मन्दा निकला और फिज़ा की मौत हो गर्इ। न सोचा न समझा न देखा न भाला, तेरी आरज़ू ने हमें मार डाला ।

Saturday, August 4, 2012

राजेश खन्ना


पिछले साल एक मज़मून "हीरो" फिल्म अदाकार राजेश खन्ना जी के बारे  लिखा था। यह उसका दूसरा हिस्सा है।

अपने ज़माने के सुपर स्टार राजेश खन्ना जी का 18 जुलाई 2012 को इन्तकाल हो गया। उन्होने 163 फिल्मों में काम किया। सन् 1969-1973 के दौरान उनकी 15 फिल्मे लगातार हिट रही। लिहाज़ा वह बालीवुड के सुपरस्टार कहलाये। एक रिकार्ड जो शायद आज भी कायम है।

"तुम पुकार लो तुम्हारा इन्तज़ार है ........ कहीं दूर जब दिन ढल जाये..........ज़िन्दगी का सफर है यह कैसा सफर"...........

किसका इन्तज़ार रहा, दिन कैसे ढले और ज़िन्दगी का सफर कैसे कटा। कई सवाल है जवाब कोई नही। उनकी ज़िन्दगी के 69 साल पूरे हो चुके थे और 70वां साल चल रहा था।





कुण्डली में चन्द्र ग्रहण । वर्षफल में चन्द्र पर पापी ग्रहों का ज़हरीला असर। यानि उम्र का मालिक चन्द्र पूरी तरह बर्बाद। बुध मन्दा खाना नं0 3 दुनिया से कूच के वक्त राहे रवानगी। जब आखिरी वक्त आया तो राजेश खन्ना जी ने कहा, "टाईम हो गया है..... पैकअप।"

"मौत आनी है आयेगी इक दिन,
जान जानी है जायेगी इक दिन,
ऐसी बातों से क्या घबराना।"


Thursday, July 5, 2012

रेखा

कान में झुमका, चाल में ठुमका, कमर पे चोटी लटके, हो गया दिल का पुरज़ा पुरज़ा, लगे पचासी झटके, ओ तेरा रंग है नशीला, अंग अंग है नशीला। दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिए, बस एक बार मेरा कहा मान लीजिए। सलाम-ए-इश्क मेरी जान ज़रा कबूल कर लो, तुम हमसे प्यार करने की ज़रा सी भूल कर लो, मेरा दिल बेचैन है हम सफर के लिए ........ यह ज़िक्र है गुज़रे हुए दौर की मशहूर अदाकारा रेखा जी का। इनकी कुण्डली इस तरह बताई जाती हैः-






सूरज खाना नं0 1 धर्मी राजा मगर खाना नं0 7 खाली । मंगल राहु मुश्तर्का खाना नं0 4 मन्दे और चन्द्र खाना नं0 6 खारा पानी । शुक्र खाना नं0 3 दिलदादा और बृहस्पत खाना नं0 11 खजूर के दरखत की तरफ अकेला। बुध शनि मुश्तर्का खाना नं0 2 उड़ता हुआ सांप और केतु खाना नं0 10 चुपचाप । 


रेखा जी ने 16-17 साला उम्र में फिल्मी दुनिया में कदम रखा और फिर पीछे मुड़कर नही देखा। फिल्मों में काफी कामयाबी मिली जिसके चलते कई अवार्ड भी मिले। ज़िन्दगी के सफर में हमराह तो कई मिले पर हमसफर कोई न मिला। शादी भी हुई तो टूटने के लिए। अब उम्र 57 साल हो गई है और जवानी की धूप भी ढल गई। मगर फिर भी किसी से कम नही। 


मई के महीने में जब रेखा जी को राज्य सभा में नामज़द किया गया तो पार्लियमैंट में वाशिंग पाउडर का लतीफा चल पड़ा। जया.....रेखा ...सुषमा, सबकी पसन्द......... आप समझ ही गए होंगे । इस तरह रेखा जी एक बार फिर चर्चा में आ गई। 



Monday, June 11, 2012

आरूषि


14 साला उम्र में अपने ही घर नोएडा में 16 मर्इ 2008 को आरूषि की मौत हो गर्इ थी। पुलिस ने इसे कत्ल केस माना जिसका इल्ज़ाम मां बाप पर आ गया। तब से मां बाप परेशानी में अदालतों के चक्कर काट रहे हैं। बाप को कर्इ दिन जेल में रहना पड़ा।  फिर जाकर कहीं ज़मानत हुर्इ। जमानत न होने की वजह से फिर मां को भी जेल में जाना पड़ा। दूसरे लफज़ों में अदालतों का चक्कर अभी  जारी है। पता नही केस का फैसला कब होगा?

दुनियावी अदालतों के ऊपर ग्रहों की अदालत भी होती है जो बृहस्पत ने सनीचर के घर में लगा रखी है। जहां राहु मुलजि़म का चालान पेश करता है और केतु वकीले सफार्इ होता है। दोनों की सुनने के बाद मुनसिफ सनीचर अपना धर्मी फैसला करता है। दर असल ग्रह ही सारा निज़ाम चलाते हैं। आदमी के बस में कुछ खास  नही होता है। ऐसा ही आरूषि के केस में हुआ।











कुण्डली नं0 1 आरूषि की बतार्इ जाती है। उम्र के मालिक चन्द्र को राहु से ग्रहण और उसके अपने घर में सनीचर। सूरज को केतु से ग्रहण। फिर दोनों ग्रहण केन्द्र में। बुध खाना नं0 8 खुफिया तबाही का फन्दा। मरने के बाद भी मां बाप परेशान हैं।

कुण्डली नं0 2 मां की बतार्इ जाती है। राहु के साथ से बृहस्पत और चन्द्र दोनों मन्दे और चन्द्र के घर मंगल बद। नतीजा राहु केतु की उम्र तक परेशानियां। बृहस्पत के दूसरे दौर में राहत मिल सकती है।  बहरहाल मन्दे ग्रहों का उपाय कर लेना ही बेहतर होगा।





कुण्डली नं0 3 बाप की बतार्इ जाती है। किस्मत का रंग बिरंगा हाल । राहु खाना नं0 8 खूनी हाथी जो गिरफ्तारी का नगाड़ा बजादे। झगड़ा, फसाद, ज़हमत, और अदालती चक्करों में फज़ूल लम्बे खर्चे। किस्मत के मालिक बृहस्पत की हवा खाना नं0 6 यानि पताल में चल रही है जिसका कोर्इ फायदा नही। लिहाज़ा मन्दा ज़माना। राहत के लिए मन्दे ग्रहों का  उपाय कर लेना ही बेहतर होगा।

Wednesday, May 2, 2012

राजयोग


एक ज़माना था जब राजयोग राजा महाराजा की कुण्डली में होता था। मगर आज राजे तो रहे नही, इसलिए राजयोग का रूप भी कुछ बदल सा गया है। अब राजयोग से मतलब हैं सत्ताा, मान इज्ज़त, धन दौलत, सुख सुविधा, सरकार या कारोबार में ऊँचा मरतबा वगैरह। दूसरे लफज़ों में राजयोग आदमी को खास पहचान देता है।
         ''घर  पहला है तख्त  हज़ारी, ग्रह फल राजा कुण्डली का,
        जोतिष में इसे लगन भी कहते, झगड़ा जहां रूह माया का।''
    लाल किताब में कुण्डली के खाना नं0 1 को शाह सलामत का तख्ते बादशाही और तख्त पर बैठने वाले ग्रह को राजा कहा गया है। लगन, केन्द्र में नेक हालत के ग्रह और दोस्त ग्रहों की मदद, राजयोग की पहली निशानी है। ग्रहों की हालत जितनी अच्छी होगी राजयोग उतना ही मज़बूत या उच्च होगा। राजयोग की कुछ जानी मानी कुण्डलियां बतौर मिसाल पेश है। समझदार के लिए इशारा ही
 काफी । 


                                                           

कुण्डली नं0 1 और 2 मुल्क के साबका वज़ीर-ए-आज़म मरहूम जवाहर लाल नेहरू जी और इन्दिरा गांधी जी की है। दोनों कुण्डलियों में मज़बूत राजयोग है। 


                           
 कुण्डली नं0 3 साबका वज़ीरे-ए-आज़म मरहूम राजीव गांधी जी की,जिसमें पंचायत है। कुण्डली नं0 4 सोनिया गांधी जी की, जिसमें हल्का सा ग्रहण है।

कुण्डली नं0 5 साबका वज़ीरे-ए-आज़म अटल बिहारी वाजपेयी जी की है। कुण्डली नं0 6 लाल कृष्ण अडवानी जी की है । बुध ने साथ न दिया। 

 कुण्डली नं0 7 वज़ीरे-ए-आज़म डा0 मनमोहन सिंह जी की है। कुण्डली नं0 8 राहुल गांधी जी की है। पार्टी को उनसे बहुत उम्मीद है मगर बुध का कोई भरोसा नही है।

Monday, April 2, 2012

मुकाम फानी


    लाल किताब में खाना नं0 8 को मुकाम फानी कहा गया है। इस घर के ग्रह ''अदले का बदला'' के असूल पर अपना काम करेंगे। खाना नं08 मंगल का घर और सनीचर का हैड क्वार्टर है।
     अगर खाना नं0 8 में बृहस्पति, सूरज या चन्द्र में से कोई भी अकेला या दो या तीन मुश्तर्का बैठ जावें तो यह खाना न आगे खाना नं0 12 को और न पीछे खाना नं0 2 को देखेगा, बल्कि खाना नं0 8 का ऐसा असर सिर्फ इसी खाने में बन्द हुआ गिना जायेगा। गोया मौत के घर को योगी जंगी जीत लेगा।
     सनीचर, चन्द्र या मंगल अकेले अकेले इस घर में उम्दा मगर जब कोई दो या तीन मुश्तर्का हों तो सनीचर मौतों का भण्डारी, चन्द्र दौलत व सेहत को बर्बाद करने वाला और मंगल में खाना नं0 2-6 का मन्दा असर शामिल या वह मंगल बद हर तरह की लानत का देवता जलता ही होगा। बुध खाना नं0 8 हमेशा मन्दा । मंगल नं0 8 अमूमन् बुरा मगर मंगल बुध मुश्तर्का नं0 8 में उत्तम होंगे, जब तक नं0 2 में सनीचर न हो, वर्ना मंगल बद ही होगा जो मैदाने जंग मे मौत का बहाना खड़ा करेगा।
     खाना नं0 8 की मन्दी हालत खाना नं0 4 मार्फत नं0 2 होगा। जब तक खाना नं0 2 खाली हो तो मन्दी हालत नं0 8 तक महदूद होगी। खाना नं0 11 में अगर खाना नं0 8 के दुश्मन ग्रह हों तो नं0 8 का बुरा असर नं0 2 में न जायेगा।
     मिसाल के तौर पर बालीबुड शहनशाह अमिताभ बच्च्न जी की जन्म कुण्डली:-
                जन्म: 11-10-1942            70वां साल




कुण्डली के खाना न0 8 में चार ग्रह मुश्तर्का। सूरज (राज दरबार), शुक्र (औरत व दौलत), मंगल (सुख दुख) और बुध (तिज़ारत) का मिला जुला असर। ग्रहों का अजीब खेल। ज़िदगी में कोई न कोई सिर दर्दी ही रही। कभी चोट लग गई, कभी माली नुक्सान हो गया तो कभी सेहत खराब हो गई और हस्पताल में भर्ती हो गये। मगर सूरज की मदद और खाना नं0 5 खाली, बचाव होता गया। 

Saturday, March 3, 2012

पण्डित जी


लाल किताब के बारे कुछ सवाल उठते हैं। जैसे असली किताब उर्दू वाली पर लेखक का नाम नहीं है। खोज़ करने पर पता चला कि मरहूम पण्डित रूप चन्द जोशी जी किसके जन्मदाता थे। उनके जीवनकाल में बहुत कम लोग लाल किताब या पण्डित जी के बारे में जानते थे। पंजाब के बाहर तो लाल किताब का कोई वजूद न था। समय गुज़रता गया । पण्डित जी के इंतकाल के कुछ साल बाद लाल किताब के बारे में कुछ पता लगने लगा जब हिन्दी में नकल या नकली किताबें बाज़ार में आने लगी और वह भी लेखक के नाम के साथ। फिर एक दो किताबें ऐसी भी आईं जिनके बारे दावा किया गया कि वह असली लाल किताब का हिन्दी रूपान्तर हैं । नकली किताबों की इस भीड़ में असली किताब तो पहले ही गायब हो गई थी। अब तो बस नकली का बोलबाला है। लेकिन नकल में असल की खुशबू कहां ?
     मुझे कई बार पण्डित जी से मिलने का मौका मिला। वह कुण्डली देखने के पैसे नही लेते थे। हालांकि वह कोई अमीर आदमी न थे। फौज में नौकरी ज़रूर की थी। वह गिने चुने लोगों की ही कुण्डली देखते थे। अगर लाल कलम से कुछ लिख देते थे तो वह अक्सर पूरा हो जाता था। उनके जीवन काल में ही एक आदमी उनके गांव फरवाला में लाल किताब लेकर बैठ गया और कुण्डली देखने के पैसे लेने लगा। पण्डित जी को बुरा लगा और गुस्सा भी आया। पण्डित जी के इन्तकाल के बाद उस आदमी का काम चलने लगा। रफता रफता लोग उसे ही लाल किताब वाला ज्योतिषी समझने लगे। आज कुछ ज्योतिषी फख़र से कहते हैं कि वह पण्डित जी से मिले थे। दर असल वह पण्डित जी से नही उस आदमी से मिले थे।
     हैरत की बात है कि एक आम आदमी ने ज्योतिष की एक खास ओ खास गैर मामूली किताब लिख डाली। एक नई चीज़, गागर में सागर, एक अनोखी किताब जो किसी आम आदमी का काम नही हो सकता। ऐसा काम तो कोई खुदा रसीदा इन्सान ही कर सकता है। इसके बावजूद दौलत और शोहरत पण्डित जी से दूर रही। समय के साथ साथ लाल किताब मकबूल हुई। आज कुछ ज्योतिषी लाल किताब के नाम पर दौलत और शोहरत बटोर रहे हैं। कईयों की रोज़ी रोटी चल रही है। हालांकि ज्यादातर ने न तो असली किताब कभी देखी और न ही उनको उर्दू आवे । मगर वह नकली किताब के बलबूते लाल किताब के माहिर बन बैठे हैं।
     सोचने की बात है कि जिस नेक इन्सान ने लाल किताब जैसी ज्योतिष की अनोखी किताब लिखी उसे दुनिया में दौलत और शोहरत न मिली। मगर आज नकली किताब वालों की चांदी है। आखिर ऐसा क्यों हुआ ? इसका जवाब पण्डित जी की कुण्डली ही दे सकती है । अगर लाल किताब के किसी तालिब ने उनकी कुण्डली देखी हो तो वह ग्रहों का खेल समझ ही गया होगा।
           '' समा करे नर क्या करे, समा बड़ा बलवान,
             असर ग्रह सब पर होगा, परिन्द पशु इन्सान।''

Thursday, February 2, 2012

6 ग्रह

कुण्डली में 2-3 ग्रह मुश्तर्का अक्सर मिल जाते हैं मगर 5-6 ग्रह मुश्तर्का कम ही मिलते हैं। अगर कुण्डली में 5-6 ग्रह किसी खाने में मुश्तर्का हो जायें तो यकीनन दिलचस्पी का सबब होगा। ऐसे प्राणी का आम परिवार में जन्म हुआ हो तो भी हैसियत वाला बन जायेगा। ऐसी ही एक गैर मामूली कुण्डली बतौर मिसाल पेश है।




जन्म : 21-1-1962

संगीता ने जब अपनी कुण्डली मेरे सामने रखी तो मेरा ध्यान खाना नं0 8 पर गया जिसमें 6 ग्रह मुश्तर्का हैं। अब उसकी उम्र 50 साल के आस पास है। मैने कहा कि घर परिवार, कोठी कार और अच्छा कारोबार, सब कुछ है । आपको कोई कमी नहीं । एक धर्मी टेवा जिसमें पापी ग्रह मन्दा असर न देंगे। उसने बताया कि सब कुछ है पर मन कभी कभी बेचैन हो जाता है। इसके लिए मैंने उसे ग्रहण का उपाय करने की सलाह दी। कुछ महीने बाद दोबारा मिलने पर उसने बताया कि उसे उपाय से काफी फायदा हुआ है।
संगीता के जन्म के बाद उसकी मां की सेहत खराब रहने लगी, जिसे ठीक होने में तकरीबन 2 साल लगे। उसकी शादी 21 साला उम्र के करीब हुई। शादी के बाद पति का काम काज बढ़ने लगा और काफी तरक्की हुई। वक्त के साथ-साथ औलाद पैदा हुई, कोठी बन गई, दो गाड़ियां भी आ गई और आराम के सब साधन कायम हो गये। यानि ग्रहों ने अपना नेक फल दिया।


ऐसा प्राणी खुद साख्ता अमीर होता है। मगर यहां तो किस्मत का तराजू तोलने वाले गैबी देवता ने भी काफी धन दौलत दिया। किस्सा कोताह, किस्मत की कहानी, ग्रहों की ज़ुबानी, आपके सामने है।

Tuesday, January 3, 2012

देव आनन्द

''मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया,

हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया''


देव साहिब ने ज़िन्दगी का साथ बाखूबी निभाया। साहिर की यह गज़ल''हम दोनों'' फिल्म में देव साहिब पर फिलमाई गई थी। बालीबुड की शायद पहली फिल्म जिसमें हीरो का डबल रोल था। देव साहिब ने अपना फिल्मी सफर सन् 1946 से शुरू किया और फिर पीछे मुड़कर नही देखा। वह ज़िन्दगी के आखीर तक फिल्मी दुनियां में सरगरम रहे। तकरीबन 115 फिल्मों में काम किया। ज्यादातर फिल्में हिट रही। कुछ फलाप भी र्हुईं पर सफर जारी रहा। गाईड फिल्म तो संग मील साबित हुई । वह सदाबहार हीरो के तौर पर मशहूर हुए। उनको कई अवार्ड भी मिले। फिल्मी दुनिया में उनके सितारे चमकते रहे।


                                  जन्म: 26-9-1923                                 वर्षफल: 89


देव साहिब की जो कुण्डली नैट पर मिली वह पता नही कितनी ठीक है। पर फिर भी कई बातें मिलती हैं। अगर साल 89 के वर्षफल पर नज़र डालें तो दुनियां से चले जाने का वक्त आ गया था। मसलन् शुक्र व पापी ग्रह मन्दे और उम्र का मालिक चन्द्र भी निकम्मा। खाना नं0 8 के ग्रह मन्दे और खाना नं0 3 खाली, दुनिया से कूच के वक्त राहे रवानगी। लिहाज़ा 3 दिसम्बर 2011 को देव साहिब का लंदन में इन्तकाल हो गया।


''जो मिल गया उसी को मुकदद्र समझ लिया,

जो खो गया मैं उसको भुलाता चला गया ।''