14 साला उम्र में अपने ही घर नोएडा में 16 मर्इ 2008 को आरूषि की मौत हो गर्इ थी। पुलिस ने इसे कत्ल केस माना जिसका इल्ज़ाम मां बाप पर आ गया। तब से मां बाप परेशानी में अदालतों के चक्कर काट रहे हैं। बाप को कर्इ दिन जेल में रहना पड़ा। फिर जाकर कहीं ज़मानत हुर्इ। जमानत न होने की वजह से फिर मां को भी जेल में जाना पड़ा। दूसरे लफज़ों में अदालतों का चक्कर अभी जारी है। पता नही केस का फैसला कब होगा?
दुनियावी अदालतों के ऊपर ग्रहों की अदालत भी होती है जो बृहस्पत ने सनीचर के घर में लगा रखी है। जहां राहु मुलजि़म का चालान पेश करता है और केतु वकीले सफार्इ होता है। दोनों की सुनने के बाद मुनसिफ सनीचर अपना धर्मी फैसला करता है। दर असल ग्रह ही सारा निज़ाम चलाते हैं। आदमी के बस में कुछ खास नही होता है। ऐसा ही आरूषि के केस में हुआ।
कुण्डली नं0 1 आरूषि की बतार्इ जाती है। उम्र के मालिक चन्द्र को राहु से ग्रहण और उसके अपने घर में सनीचर। सूरज को केतु से ग्रहण। फिर दोनों ग्रहण केन्द्र में। बुध खाना नं0 8 खुफिया तबाही का फन्दा। मरने के बाद भी मां बाप परेशान हैं।
कुण्डली नं0 2 मां की बतार्इ जाती है। राहु के साथ से बृहस्पत और चन्द्र दोनों मन्दे और चन्द्र के घर मंगल बद। नतीजा राहु केतु की उम्र तक परेशानियां। बृहस्पत के दूसरे दौर में राहत मिल सकती है। बहरहाल मन्दे ग्रहों का उपाय कर लेना ही बेहतर होगा।
कुण्डली नं0 3 बाप की बतार्इ जाती है। किस्मत का रंग बिरंगा हाल । राहु खाना नं0 8 खूनी हाथी जो गिरफ्तारी का नगाड़ा बजादे। झगड़ा, फसाद, ज़हमत, और अदालती चक्करों में फज़ूल लम्बे खर्चे। किस्मत के मालिक बृहस्पत की हवा खाना नं0 6 यानि पताल में चल रही है जिसका कोर्इ फायदा नही। लिहाज़ा मन्दा ज़माना। राहत के लिए मन्दे ग्रहों का उपाय कर लेना ही बेहतर होगा।
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