Friday, March 5, 2010

साहबे औलाद

आज के दौर में वही वालदैन (माता पिता) पूरी तरह कामयाब हैं जिनकी औलाद भी कामयाब हो जावे। यही वजह है कि औलाद को कायम करने के लिए दौड़ लगी हुई है। मगर ग्रह क्या कहते हैं, यह भी देख लें तो बेहतर होगा।

ग्रहों से औलाद का ताल्लुक:-

बृहस्पति:- मसनुई (बनावटी) हालत सूरज शुक्र मुश्तर्का (इकट्ठे) । जिस्म में रूह के आने जाने का ताल्लुक (सम्बन्ध) या पैदायश औलाद मगर औलाद की ज़िन्दगी कायम रखने या मौत हो जाने का कोई बन्धन नहीं ।

सूरज:- मसनुई हालत शुक्र बुध मुश्तर्का । माता के पेट के अन्धेरे में रोशनी दे देना या पैदा होने के बाद दुनिया में उनकी या उनसे वालदैन की किस्मत को रौशन करना। खुलासा बज़रिया नर औलाद, अन्धेरे घरों में चिराग रौशन करने की ताकत, सेहत का मालिक।

चन्द्र:- मसनुई हालत सूरज बृहस्पति मुश्तर्का। उम्र, धन-दौलत और वालदैनी नेक ताल्लुक, वालदैनी खून नुतफ़ा का ताल्लुक (नर मादा हर दो औलाद का) ।

शुक्र:- मसनुई हालत राहु केतु मुश्तर्का । जिस्म या बुत की मिट्टी, गृहस्थी सुख, औलाद की पैदायश में मदद या खराबी, दुनियावी सुख ।

मंगल:- मसनुई हालत सूरज बुध मुश्तर्का मंगल नेक, सूरज सनीचर (शनि) मुश्तर्का मंगल बद। जिस्म में खून कायम रहने तक ज़िन्दगी का नाम और दुनिया में औलाद और उनके आगे औलाद दर औलाद कायम रखकर बेलों (पौधे) की तरह बढ़ाना और उनका नाम या उनके नाम से सब का नाम बढ़ाना या दुनिया में नाम बाकी या पैदा कर देना, कुंडली वाले में कुवते बाह से अलैहदा (अलग) बच्चा पैदा करने की ताकत, जिस्म में ज़ोर, रूह बुत को इकट्ठा पकड़े रखने की हिम्मत, बेल सब्ज़ी की तरह औलाद ज़िन्दा रखने का मालिक ।

बुध:- मसनुई हालत बृहस्पति राहु मुश्तर्का । औलाद का रिश्तेदारों से ताल्लुक लड़कियां, लड़कियों की नस्लों का बढ़ाना, खुद कुण्डली वाले में कुवते बाह खाली विषय की ताकत, कुण्डली वाले और औलाद के लिए दूसरों से मिलने मिलाने का मैदान खुला करना या खाली आकाश की तरह उन सब के लिए हर तरफ जगह खाली करके मैदान बढ़ा देना, इज्ज़त शोहरत।

सनीचर:- मसनुई हालत बृहस्पति शुक्र मुश्तर्का (केतु स्वभाव), मंगल बुध मुश्तर्का (राहु स्वभाव) । औलाद की पैदायश के शुरू होने का वक्त, जायदादी ताल्लुक, मौत के बहाने, ज़हमत बिमारी ।

राहु:- मसनुई हालत मंगल सनीचर मुश्तर्का (उच्च राहु) , सूरज सनीचर मुश्तर्का (नीच राहु)। बृहस्पति के असर के खिलाफ़ होना या बृहस्पति को चुप कराना । रूह का आना जाना बन्द कराना या मौतें या बहुत देर तक पैदायश औलाद को रोक देना या दीगर गैबी और छुपी छुपाई खराबियां या पांव तले भूचाल पैदा करने मगर लड़कियाें की मदद करता है, झगड़े फ़साद ।

केतु:- मसनुई हालत शुक्र सनीचर मुश्तर्का (उच्च केतु), चन्द्र सनीचर मुश्तर्का (नीच केतु) । औलाद की खुशहाली, फलना फूलना मगर औलाद की तायदाद (गिनती) में कमी का हिन्दसा रखना, मौते करके औलाद घटाने से मुराद नही वैसे ही औलाद गिनती ही की होगी या बहुत देर बाद होगी । लेकिन जो होगी या जब होगी उम्दा और मुकम्मल होगी। बशर्ते कि इसके दुश्मन ग्रह की दृष्टि न हो केतु पर । खुद कुण्डली वाले में बुध में कुवते बाह (सम्भोग शक्ति) और मंगल के खून से बच्चा पैदा करने की ताकत और बृहस्पति की औलाद की पैदायश, तीनों को इकट्ठा रखने वाली ताकत नुतफ़ा या वीर्य या नुतफ़ा की बुनियाद को नर मादा में मिलाने वाली तुफानी हवा या खाली नाली होगी। यही तीन ग्रह केतु की तीन टांगे हैं, जिनकी वजह से शुक्र का बीज कहलाता है । अगर कुण्डली वाले का जो ग्रह रद्दी या उम्दा हालत में होगा वही रद्दी या उम्दा हालत होगी। ऐश का

बृ0 म0 बु0
मालिक । केतु को लड़का भी माना जो अपने उच्च घरों में उम्दा फल

केतु

देता है लेकिन अगर बृहस्पति या मंगल खाना नम्बर 6,12 में हो जावें तो केतु ख्वाह (चाहे) उच्च उम्दा या नेक घरों में ही क्यों न बैठा हो, मन्दा फल देगा ।

पैदायश औलाद:-फरमान नम्बर 17 के मुताबिक

'' शुक्र मंगल बुध केतु राजा, शनि भी शामिल होता हो ।

पहले पांचवें नर ग्रह चन्द्र, मंगल दूजे केतु ग्यारा हो ।

जन्म वक्त औलाद का होगा, ज़िन्दा पैदा जो होती हो ।

बुध लड़की नर केतु लड़का देता, गिनती भले पर होती हो ।

केतु बैठा घर 11 टेवे, गुरू, चन्द्र

शनि

औलाद मन्दी या देरी होवे, लाश पैदा या मुर्दा हो ।

केतु, शनि, बुध

रवि, शुक्र, राहु

वक्त पैदायश लड़का/लड़की होवे, लेख उम्र उस लम्बा हो ।

केतु कायम तो लड़के कायम, लड़की कायम राहु करता हो।

छटे चन्द्र दे कन्या ज्यादा, चौथे केतु नर देता हो ॥ ''

यानि वर्षफल के हिसाब से, चन्द्र नष्ट तो औलाद नष्ट, बुध और केतु में से जो भी उम्दा हालत में हो लड़के या लड़की का फैसला उसी से, खाना नम्बर 5 में उम्दा ग्रह तो लड़का, केतु उम्दा तो औलाद उम्दा, राहु मन्दा तो औलाद मन्दी ।

वक्त औलाद:-

1 खाना नम्बर 5 मंदे ग्रहो से अगर रद्दी न हो रहा हो तो औलाद की पैदायश उम्दा वरना औलाद में अड़चन होगी।

2 केतु खाना नम्बर 2, 5, 7, 1, सनीचर नम्बर 1, 11 जब बहैसियत पापी ग्रह न बैठा हो, बगैर शर्त औलाद का योग देंगे।

3 बुध जब जब शुक्र का दोस्त मददगार हो तो लड़का वर्ना लड़की देगा।

वर्षफल के हिसाब से जब मंगल या शुक्र या केतु या बुध में से कोई खाना नम्बर 1 में आ जावे या अकेला केतु खाना नम्बर 11 में हो जावे या मंगल का वक्त और खाना नम्बर 2 में मंगल, शुक्र, केतु, बुध के मददगार ग्रहों की हालत हो तो औलाद होगी। बुध और केतु की अपनी अपनी हालत या दोनों में से जो उम्दा होवे नर या मादा का फैसला करेगा। उम्दा केतु लड़का, उम्दा बुध लड़की देगा। जब वर्षफल में औलाद का वक्त हो:-

(क) लड़के देगें शुक्र के दोस्त ग्रह यानि सनीचर, केतु, बुध मगर शुद शुक्र नही । जब वो उम्दा हों या 3 , 5, 11 में हों जावें ।

(ख) लड़कियां देगें बुध या बुध के दोस्त सूरज, शुक्र, राहु जब वो उम्दा हों या 3, 5, 11 में हों  जावें ।

बृहस्पति कायम तो सब औलाद कायम । राहु कायम तो सब लड़कियां कायम बशर्ते कि ग्रहों पर उनके दुश्मन ग्रहों की दृष्टि न पड़ रही हो । चन्द्र नम्बर 6 तो सब लड़कियां हों। केतु नम्बर 4 तो सब लड़के हों मगर आपस में वह साथी ग्रह न बन रहे हों । चन्द्र केतु इकट्ठे लड़के लड़कियां मसावी (बराबर) ।

बृहस्पति शुक्र मुश्तर्का, केतु स्वभाव सनीचर मसनुई तो औलाद ज्यादा और कायम होगी। लेकिन जब मंगल बुध मुश्तर्का, मसनुई सनीचर राहु के मन्दे स्वभाव का होवे तो औलाद माता के पेट में ही बर्बाद होती जावे। ऐसी हालत में अगर बृहस्पति, चन्द्र या सूरज नेक या उम्दा हो तो सनीचर की 36 साला उम्र में औलाद कायम होगी। लेकिन अगर ऐसी मदद न मिले तो केतु का जाती (अपना) फैसला (जन्म कुण्डली में बैठा होने के हिसाब से ) बहाल होगा। चन्द्र केतु नम्बर 5 लड़के कायम। राहु नम्बर 11 लड़कियां कायम बशर्ते सनीचर नीच, मन्दा या नम्बर 6 में न हो । राहु नम्बर 9 में, 21 साला उम्र से 42 तक सिर्फ एक लड़का कायम, बाद में और हो सकता है । राहु नम्बर 5 निहायत मन्दा ग्रह वास्ते औलाद । अगर चन्द्र या सूरज साथ साथी या मुश्तर्का दीवार के खाना नम्बर 4, 6 में न हों । सनीचर खाना नम्बर 7 में लड़के बशर्ते राहु नम्बर 11 में न हो या नर ग्रह मन्दे न हों ।

वालदैन व औलाद का बाहमी (आपसी) ताल्लुक:-सनीचर नम्बर 3 सूरज नम्बर 5 औलाद से दुखिया होगा। जन्म कुण्डली में अगर सूरज के साथ उसके दोस्त ग्रह बैठें हो तो वह शख्स अपने बाप से उम्दा हालत का होगा। लेकिन अगर सूरज के साथ उसके दुश्मन ग्रह बैठें हो तो ऐसे शख्स की औलाद उससे मन्दी हालत की होगी।

औलाद का वालदैन को सुख:-बृहस्पति और चन्द्र अकेले अकेले बैठें होने के वक्त अगर कुण्डली में चन्द्र पहले हो तो माता की उम्र लम्बी होगी वर्ना पिता लम्बी उम्र भोगेगा। जन्म कुण्डली के हिसाब से सूरज खाना नम्बर 6 और सनीचर हो खाना नम्बर 12 में तो औरत पर औरत मरती जावे या मां बच्चों का ताल्लुक ही न देखे या सुख से पहले चलती जावे। बुध मारता होवे बृहस्पति को या बुध बृहस्पति के घरों में या बृहस्पति के साथ ही तो बच्चे पिता पर भारी (दुख या मौत का सबब) होंगे।

साहबे औलाद दर औलाद होगा:-

'' गुरू, शुक्र, बुध, शनि, रवि से, ऊँच कायम कोई उम्दा हो ।

पूत बढ़ते पुश्तों बढ़ते, उम्र लम्बी सब सुखिया हो ।

पांच पहले 3 ग्रह जब उम्दा, औलाद सुखी सुख पाता हो ।

सेहत, दौलत, धन, आयु, सबका, नेक भला और उम्दा हो।

गुरू केतु जब शनि को देखे, असर तीनों का उम्दा हो ।

धन, आयु, औलाद इकट्ठे, सुख औरत का पूरा हो ॥''

यानि ऐसी हालत में औलाद, सेहत, धन दौलत, औरत और उम्र, हर तरह का सुख होगा। बेटे के आगे बेटा होता जावे और पुश्त आगे बढ़ती जावे । जब तक बृहस्पति उम्दा औलाद सुखिया होगी।

लावल्द (बे-औलाद) कभी न होगा:-

'' दूजे छटे जब शुक्र जागे, मदद गुरू रवि पाता हो ।

मच्छ रेखा परिवार कबीले, औलाद दौलत सब उम्दा हो ।

छटे रवि घर 12 होते, साथी मंगल बुध बनता हो ।

तीन राहु, घर दोस्त बदले लावल्द कभी न होता हो ॥''

लावल्द ही होगा :-

''बुध, मंगल

शुक्र, केतु

गुरू शुक्र घर 7वें बैठें , माता चन्द्र 8 बैठी हो ।

चन्द्र शुक्र हों मुकाबिल बैठे, शत्रु साथ या पापी हो ।

छते कुएं घर कायम होते, टेवा शक्की लावल्दी हो ।

शुक्र राहु घर 5वां पाते, कन्या कायम एक होती हो ।

चन्द्र केतु हो 11 बैठे, निशानी लावल्दी होती हो ॥''

ऊपर के जबाड़े के सामने के तीन दांत खत्म हो गये हों तो बुध नष्ट हो चुका हुआ लेंगे। कुआं छतकर या बन्द करके ऊपर मकान बनाना लावल्दी का सबब होगा।

हिजड़ा मर्द:-

'' सात शनि चन्द्र पहले, पांच शुक्र रवि चौथे हो।

चार ग्रह औलाद न फलते, हिजड़े मर्द न होते जो ॥''

जब चन्द्र हो खाना नम्बर 1, सनीचर नम्बर 7, सूरज नम्बर 4 और शुक्र नम्बर 5 में तो नामर्द होगा।

बांझ औरत

''शुक्र दूसरे 6वें बैठा, बुध मंगल न साथी हो।

शनि मिले न साथ गुरू का, आठ दृष्टि खाली हो ।

बांझ औरत वह खुसरा होगी, औलाद नरीना कतई हो ।

बाकी सिफत कुल उम्दा उसकी, उत्ताम लक्ष्मी होती हो ॥''

यानि खाना नम्बर 2, 6 का शुक्र हर तरह से अकेला हो तो औरत बांझ या नाकाबिले औलाद होगी चाहे उसमें बाकी सिफतें हों ।

कुण्डली में मन्दे ग्रहों को बदलना तो इन्सानी ताकत से बाहर है लेकिन उसकी ग्रह चाल को लाल किताब के उपायों से दुरूस्त करके फायदा लिया जा सकता है ।





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