ज्योतिष में जब ग्रहों के उपायों की बात होगी तो लाल किताब का नाम सबसे पहले आयेगा। कुंडली में ग्रहों की नेक या मन्दी हालत के मुताबक ही आदमी पर अच्छा या बुरा असर होता है। ग्रहों के बुरे असर से बचने और अच्छे असर को बरकरार रखने के लिये लाल किताब में उपायों का तफसील से ज़िक्र किया गया है।
लेकिन सवाल यह है, ''क्या उपाये से कोई फायदा हो सकता है?'' रात को बिजली से रोशनी करना, बिमारी को दूर करने के लिये दवा लेना, मौसम के मुताबक सर्द गर्म कपड़े पहनना..............यह सब उपाये नही तो क्या है ? दरअसल ज़िन्दगी को बेहतर बनाने के लिये इन्सान लगातार उपाये कर रहा है । कुंडली की ग्रहचाल को दरूस्त करने के लिये लाल किताब के उपाये लाजवाब है। इन उपायों की चार किस्मों में रखा जा सकता है।
पहली किस्म के आम उपाये हैं जो मदद के लिये सभी कर सकते हैं । जैसे दुनियावी सुख के लिये गऊ ग्रास देना, परेशानी से बचने के लिये नारियल दरिया में बहाना, बिमारी से बचने के लिये हलवा कद्दू धर्मस्थान में देना । अचानक चोट या नुकसान से बचने के लिये सिगरेट से परहेज करना वगैरह।
दूसरी किस्म के उपाये कुंडली में मन्दे ग्रह की हालत के मुताबिक हैं। यानि कुंडली में देखना होगा कौन सा ग्रह किस खाने में बुरा असर दे रहा है। उसका उपाये लाल किताब के मुताबिक ही होगा। जैसे राहु खाना नं. 8 के लिए सिक्का दरिया में बहाने से, मंगल खाना नं. 8 के लिये बेवा की दुआ से, बुध खाना नं. 8 के लिये नाक छेदन से, शनि खाना नं. 6 के लिये तेल की कुज्जी पानी के नीचे तह ज़मीन में दबाने से, शनि खाना नं.1 के लिये सुर्मा ज़मीन में दबाने से फायदा होगा।
तीसरी किस्म में आते हैं फौरन उपाये। जब किसी मन्दे ग्रह का कोई उपाये काम न करे तो कुछ घण्टों के अन्दर अन्दर फैसले के लिये उसका फौरन उपाये करना होगा। जैसे सूरज के लिये गुड़, मंगल के लिये रेवड़ियां, बुध के लिये तांबे का पैसा, राहू के लिये कोयला दरिया में बहाना मददगार होगा।
चौथी किस्म में ऋण पित्री के उपाये आते हैं । इनकी ज़रूरत बहुत कम पड़ेगी । ऋण पित्री से मुराद कुण्डली वाले पर अपने बज़ुर्गों के पाप का खुफिया असर होता है। यानि गुनाह तो कोई करे मगर उसकी सज़ा कोई और भुगते। मगर भुगतेगा उस गुनाह को करने वाले का असल करीबी ताल्लुकदार ही। जैसी करनी वैसी भरनी। कुंडली में जो ग्रह खाना नं. 9 में बैठा हो, उसकी जड़ में बुध बैठ जाये या किसी ग्रह की जड़ में दुश्मन ग्रह बैठ जाये और साथ में वो खुद भी किसी दूसरे खाने में मन्दा हो जाये तो कुंडली पर बज़ुर्गों के पाप का बोझ होगा। जिसका उपाये जुदा जुदा हालत में जुदा जुदा होगा। जो खानदान के सब मैंम्बरों को साथ लेकर करना पड़ेगा।
आम तौर पर उपाये की मियाद कम से कम 40 दिन और ज्यादा 43 दिन लगातार होगी। मगर खानदान की बेहतरी के उपाये की मियाद लगातार की बजाये हफतावार होगी।
लाल किताब उर्दू ज़बान में गैबी ताकत से लिखी गई थी। जिसको समझने के लिये सोच भी गैबी चाहिये। यह किताब गागर में सागर समेटे हुये हैं। फरमान नं. 6 के मुताबिक शक्की हालत के ग्रह के बुरे असर से बचने के लिये शक्क का फायदा उठाया जा सकता है। मगर पक्की हालत के ग्रह का असर हमेशा के लिये मुकर्रर हो चुका है और उसके बुरे असर को तबदील करना इन्सानी ताकत से बाहर होगा। सिर्फ खास खास खुदा रसीदा और महदूद हस्तियां ही रेख में मेख लगा सकती हैं। लेकिन इसका भी कोई न कोई तबादला दिया गया । मन्दी ग्रह चाल को दरूस्त करके फायदा लिया जा सकता है। मगर यह दरूस्ती सबके बस की बात न होगी।
काबलियत और कोशिश के बावजूद अगर नतीजा हक में न आये या बिना वजह जहमत गले लगी रहे तो मदद के लिये कुंडली में किस्मत के ग्रह की तलाश करनी होगी। जो ग्रह रूकावट डाले उसका उपाये करना होगा तांकि ज़िन्दगी को बेहतर बनाया जा सके।
2 comments:
ठाकुर साहब प्रणाम!
'माया लाल किताब की' में आपके प्रयास की जितनी प्रसंशा की जाय उतनी कम है. आपके सभी आर्टिकल इतने विश्वसनीय लिखे गए हैं कि उनको बार बार पढने को दिल करता है. बधाई आपको इस बात की भी कि आपने असली लाल किताब की जानकारी को बिलकुल वैसा ही लिखा है जो असली लाल किताब में है. नहीं तो आजकल तो हर दूसरा ज्योतिषी लाल किताब के नाम पर अपनी मनमर्जी से कहीं भी कुछ भी जोड़ कर बता देता है.
शमशाद एहमद
thakurji ... aapne aache upay bataya hai
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