’’इस घर का जो रंग है खूनी, असर होता भी खूनी है ।
होता जभी ग्रह इस घर ज़ुल्मी, देता असर वह कष्टी है।’’
त्रिलोकी का भेद खाना नम्बर 3 से खाना नम्बर 9 में नौ ही ग्रहों से ज़ाहिर हुआ। जहां कि गैबी और ज़ाहिरा दोनो जहांन का मालिक बृहस्पत था। जिसने दुनिया को यह ख़बर देने के लिए गृहस्थियों का घर शुक्र का खाना नम्बर 2 को पक्का घर बनाया। जिसमें आने के बाद चले जाने का पैगाम या मौत का हुक्म भी खाना नम्बर 8 से आने लगा। इस गुरू बृहस्पत ने यह भेद कुत्ते के ज़रिए खाना नम्बर 6 में भेजा। कुत्ता बोला तो उसकी आवाज़ फिर वापिस आसमानी खाना नम्बर 12 में जा पहुंची। इस भेद की जो चीज़ खाना नम्बर 3 से 9 में और खाना नम्बर 8 से खाना 2 में ले गई वह दृष्टि देखना या मंगल सनीचर की नज़र का होना कहलाया। इस नज़र को बृहस्पत ने पहचाना और अपने साथी दुनियावी दरवेश कुुत्ते की आवाज़ बुध से ज़ाहिर कर दिया। बृहस्पत ने गैबी बात पहचानी। केतु ने बुध के रास्ते धन दौलत के सुख के खाने में ख़बर दे दी। दोनो दरवेशों की इस ताकत को बुध ने ज़ाहिर किया। इसलिए बुध का आकाश या आवाज़ नकारा खलक को आवाज़े खुदा समझा गया या बुध सब का भेद खोल देगा। अगर बुध अच्छा तो चन्द्र का बुरा फल न होगा। जब चन्द्र अच्छा तो शुक्र का बुरा फल न होगा। इसीलिए बुध अपना फल शुक्र में पहुंचा देता है। यानि बुध के बगैर शुक्र पागल होगा और शुक्र के बगैर बुध दीवाना पागल कुत्ता होगा जो अपने मालिक को छोड़कर (दीवाना कुत्ता मालिक का छोड़ जाता है) और अगर वह अपने ही घर जहां वह पागल हुआ बंधा होवे यानि खाना नम्बर 12 में तो मालिक को भी काट देगा। गोया बुध ही सब ग्रहों का भेदी है और बृहस्पत सबको जानने वाला है। यह दोनो ही ग्रह राहु केतु के सर और पांव को पहचान सकते हैं क्योंकि दोनों मुश्तर्का ग्रहचाली बच्चा माने हैं। खुलासातन खाना नम्बर 3 के ग्रह खाना नम्बर 8 की रद्दी हालत से बचाने वाले होंगे। ख्वाह वह नम्बर 3 के ग्रह खुद खाना नम्बर 11 की मन्दी हालत में ही क्यों न हों। या यूं कहो कि खाना नम्बर 3 कुण्डली वाले पर मन्दा न होगा अगर खुद उस ग्रह की मुताल्लिका चीज़ों का ताल्लुक मन्दा हो तो बेशक ।
जब नम्बर 3 में पापी ग्रह बैठें हो और नम्बर 8 व 6 भी मन्दे हो रहे हों तो अगर मौत नही तो बहाना मौत ज़रूर खड़ा कर देंगे। खाना नम्बर 12 का ग्रह ख्वाह नम्बर 3 वाले का दुश्मन ही हो, नम्बर 3 को मदद देगा। मसलन् मंगल नम्बर 12, केतु नम्बर 3 हो तो मच्छ रेखा वास्ते धन दौलत हालांकि मंगल और केतु बाहम दुश्मन हैं । इसी तरह बुध नम्बर 12 और शनि या बृहस्पत नम्बर 3 हों तो अमृतकुण्ड, हर तरह से बरकत का ज़माना होगा। अगर नम्बर 12 में शुक्र राहु मुश्तर्का हों तो ज़ाहिरा तौर पर 21 या 25 साला उम्र में बेवापन ज़ाहिर होगा। लेकिन अगर उसी वक्त खाना नम्बर 3 में शनि बैठा हो तो राहु का शुक्र पर बुरा असर न होगा। क्योंकि शनि शुक्र का मदद दे देगा। जब नम्बर 3 में मुश्तर्का ग्रह हों तो 12 व 3 के ग्रहों की बाहमी दोस्ती दुश्मनी बहाल होगी।
1 comment:
सर,
लाल किताब संबंधी आपके अनुभव मुझ जैसे अनेकों विद्यार्थियों के लिए सदैव प्रेरणा के स्रोत हैं ,और मेनी ये कामना हे की मै सदैव एक विद्यार्थी के रूप मे ऐसे ज्ञान के अंशों को प्राप्त करता रहूं।
प्रणाम !
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