Tuesday, June 8, 2010

महात्मा गांधी

महात्मा गांधी जी मुल्क की एक महान शख्सियत थे जिनको आदर से बापू भी कहा जाता था। आज़ादी के बाद उनको बाबा-ए-कौम भी माना गया। यकीनन उनकी जन्म कुण्डली भी खास होनी चाहिए जो इस तरह हैं ।





कुण्डली में 9 में से 7 ग्रह केन्द्र के चारों खानों में । एक मज़बूत कुण्डली किसी गैर मामूली हस्ती की। बृहस्पति खाना न0 7, पिछले जन्म का साधु जो तपस्या के लिए जंगल में नही गया पर अपनी 45 साला उम्र तक कुछ खास नही। मंगल बुध शुक्र खाना नं0 1, पानी मे तैरने वाला पत्थर, राजा की हैसियत का मालिक और शुक्र, शुक्र का पतंग। खाना 10 में चन्द्र ग्रहण, धन दौलत से दूर। सूर्य खाना नं0 12, पराई आग में जल मरने वाला। शनि खाना नं0 2 से सन्यास और केतु खाना नं0 4 से सबर।


गांधी जी ने अपनी 45 साला उम्र के बाद ही अन्दोलन शुरू किये और मुल्क की सियासत को एक नई विचारधारा दी। बृहस्पति की वजह से घर परिवार की बजाय आश्रम में रहने लगे और धर्मी हो गये। शुक्र की वजह से अक्सर औरतों से घिरे रहते थे, जैसे सरला देवी, मीरा बेन, सुशीला नैयर, आभा, मनी गांधी वगैरह - वगैरह । कहा जाता है कि सरला देवी पर तो गांधी जी कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो गये थे और उनको भी गांधी जी में गहरी दिलचस्पी हो गई थी। दरअसल इस महान आदमी की ज़िन्दगी के कई पहलू थे जैसा कि कुण्डली में नज़र आता है।


जब गांधी जी की मौत हुई तो उनको 79वां साल चल रहा था। वर्षफल में चन्द्र ग्रहण के इलावा सूरज ग्रहण भी लग गया और राहु के हाथी ने मंगल के महावत को ज़मीन पर पटक दिया। लिहाज़ा पिस्तौल की गोली (राहु) का निशान बन गये। मरते वक्त बापू ने कहा राम ! राम ! राम ।

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