Tuesday, June 22, 2010

शुक्र की दो रंगी मिट्टी

खाना नं01
काग रेखा या मच्छ रेखा, यक तरफा ख्याल का मालिक, तख्त का मालिक, रज़िया बेगम रानी मगर एक हब्शी गुलाम पर मर मिटी।


खाना नं02
उम्दा ग्रहस्थ हर तरफ से सिवाये बच्चे बनाने के, अपनी ही खूबसूरती और तबीयत के आप मालिक, खुद परस्ती, स्कूल मिस्टरैस, हर एक की दिलदादा औरत मगर वह खुद किसी को पसंद न करे।

खाना नं03
मर्द की हिम्मत-हैसियत,गाय की जगह बैल का काम देवे, ऐसी कशिश कि ऐसे टेवे वाले पर कोई न कोई औरत फरेफता (मोहित) हो ही जाया करती है।

खाना नं0 4
एक जगह दो औरत या दो मर्द मगर मर्द औरत दोनों ही ऐसी दो गाय या दो बैल कि बच्चा दोनो ही से न बने ।


खाना नं0 5
बच्चों भरा परिवार या ऐसे बच्चों का पैदा करने वाला जो उसे बाप न कहे या न कह सके।

खाना नं0 6
न औरत न मर्द, लक्ष्मी भी ऐसी जिसकी कोई कीमत न देवे या खुसरा मर्द या बांझ औरत ।


शुक्र खाना नं0 1 से 6 तक उठती जवानी में ऐश व इश्क की लहरों से मिटट्ी की पूजना में अन्धा होगा।

खाना नं0 7
सिर्फ साथी का असर, जो और जैसे तुम वह और वैसे ही हम ।


खाना नं0 8
जलती मिटट्ी और हर सुख में नाशुकरा, उत्तम तो भवसागर से पार कर दे।

खाना नं0 9
खुद शुक्र की अपनी बिमारी के ज़रिए धन हानि मगर घर में ऐश व आराम के सामान या धन की कमी न होगी।


खाना नं0 10
खुद सनीचर मगर औरत तो ऐसी जो मर्द को निकाल कर ले जावे, अगर मर्द तो ऐसा कि वह किसी न किसी दूसरी औरत जात को अपनी मन्जूरे नज़र रखा ही करता है।

खाना नं0 11
लट्टू की तरह घूम जाने वाली हालत मगर बचपन की मोह माया की भोली भाली तबीयत की मूरत और रिज़क के चश्मा का निकास।


खाना नं0 12
भवसागर से पार करने वाली गाय, औरत,लक्ष्मी जिसकी खुद अपनी सेहत के ताल्लुक में या सारी ही उम्र रोते निकल गई ।

शुक्र खाना नं0 7 से 12 तक बुढ़ापे में नसीहतें करे।

हेमा मालिनी




यह कुण्डली बालीवुड सुन्दरी हेमा मालिनी जी की है। शुक्र खाना नं0 2, अपनी ही खूबसूरती और तबीयत की आप मालिक, हर एक की दिलदादा औरत मगर वह खुद किसी को पसन्द न करे। अपने वक्त की ड्रीम गर्ल यानि सपनों की रानी जो आज भी लाखों दिलों की धड़कन है।

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