Thursday, May 6, 2010

पूर्णिमा

पिछले हफते 12-13 साल बाद पूर्णिमा मिलने आई । मैंने सोचा ग्रहों के बारे कुछ पूछना होगा। मगर उसने ऐसा कुछ न पूछा बल्कि इधर उधर की बातें करने लगी। आखिर मैंने ही पूछ लिया, ज़िन्दगी कैसे चल रही है ? उसने बताया, '' पति का कारोबार बढ़ गया है। दो बेटे हैं जो अब स्कूल जाते हैं। कुल मिलाकर सब ठीक ठाक हैं। आप ने जो उपाय बताया था, कर लेती हूं।'' उसके मन में विश्वास और इज्ज़त की भावना थी। शायद इसलिए मिलने आई।
जब मैनें उसकी कुण्डली देखी थी तो उसका एक ही सवाल था, शादी के बारे में। क्योंकि उम्र 29 साल के करीब हो चुकी थी। 2 साल के फर्क पर छोटी बहन थी। इसलिए मां-बाप को भी चिन्ता थी। पूर्णिमा की कुण्डली इस तरह है।



बृहस्पति, मंगल, केतु खाना नं0 4, क्या भाई लंगड़ा है ? हां । चाचा, बाप का भाई भी लंगड़ा है। शुक्र खाना नं0 6 नीच और मंगल खाना नं0 4 बद, शादी में रूकावट या देरी। पहला उपाय चीनी से भरा बर्तन 6 दिन लगातार धर्म स्थान में रखना। दूसरा उपाय पेशाबगाह को दहीं से धोना।


कुछ दिनो बाद पूर्णिमा ने फोन पर बताया कि उसने पहला उपाय कर लिया और दूसरा शुरू कर दिया। कुछ महीनों बाद उसका बाप मुझे उसकी शादी का कार्ड देने आया। मेरा शुक्रिया करने के बाद उसने पूछा, '' अब और कोई उपाय तो नही करना ? '' मैने बताया कि शादी के वक्त उसके सिर पर सोने का जेवर होना चाहिए। यह सब उपाय हो गए थे। अब नतीजा सामने है। लाल किताब की कृपा से पूर्णिमा अब सुखी जीवन बिता रही है।

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