Friday, May 3, 2013

जनरल मुशरर्फ


पाकिस्तानी फौज के साबिका जनरल परवेज़ मुशरर्फ आजकल अख़बारों की सुर्खियों में हैं। वह चार साल के बाद अपने वतन वापिस लौटे। पाकिस्तान में होने वाले चुनाव के लिए उन्होने चार जगह से कागज़ दाखिल किये मगर रद्द हो गये। बल्कि कुछ कानूनी केस उनके खिलाफ खड़े हो गये। अदालत ने उनकी गिरफ्तारी का हुक्म जारी कर दिया। लिहाज़ा वह अपने ही फार्म हाऊस में कैद हो गये। सोचा था क्या, क्या हो गया ।

जनरल साहिब ने कूप करके सत्ता हासिल की थी। उन्होने आठ साल तक पाकिस्तान पर हकूमत की। उनका हुक्म चलता था और सलाम बजते थे। मगर अब कुछ भी नहीं। बस कैदी बनकर रह गये। आखिर ऐसा क्यों हुआ । यह जानने के लिए उनकी जन्म कुण्डली का जायज़ा लेना होगा। उनकी कुण्डली इस तरह बताई जाती है। समझदार के लिए इशारा ही काफी।




जन्म कुण्डली में तकरीबन सभी ग्रह अच्छी हालत में। मज़बूत राजयोग। लिहाज़ा फौज में आला ओहदे पर पहंुचे। फिर कूप करके तानाशाह बन गये। बाद में पाकिस्तान के सदर भी बने। बृहस्पत सूर्य खाना नं0 1, एक खास योग। राहु साथ बैठा है मगर दबा हुआ जो मौका मिलने पर छुपी शरारत कर सकता है। शुक्र बुध खाना नं0 2 मसनुई सूरज। मंगल खाना नं0 10 और शनि खाना नं0 12, लम्बी उम्र, जंगी ताकत और दलेरी का साथ। जब तक जिस्म पर फौजी वर्दी रही, सब ठीक रहा। सदर बनने के बाद वर्दी उतार दी। फिर हालात खराब होने लगे। शहनशाह के दरबार से आग का धूंआ बढ़ता ही गया। राहु का जंग सूरज के राज दरबार को खाने लगा और बृहस्पत का सोना भी पीतल बन गया। आखिर सत्ता छोड़नी पड़ी। फिर मुल्क से भी बाहर  हो गये।

इस साल वर्षफल में ज्यादातर ग्रह मन्दे। शनि खाना नं0 8 वारंट जारी करने वाला। बृहस्पत सूर्य राहु खाना नं0 10, राज दरबार में हर बात उलझी हुई नज़र आवे और किस्मत की चमक भी फीकी पड़ जावे। बुध खाना नं0 12 रात की नींद उजाड़ने वाला और सब उल्ट हो जावे। किस्सा कोताह ग्रहों ने मुजरिम बनाकर रख दिया। वह अपने ही मुल्क में कैद हो गये, जहां कभी राज किया करते थे। मारा ग्रहों ने जनरल मुशरर्फ तुझे, वर्ना वह रूतबा वह हकूमत किधर गई।

Saturday, April 6, 2013

संजय दत्त


खलनायक या मुन्ना भार्इ कुछ भी हो,संजय दत्त सन 1993 के मुम्बर्इ बम धमाको से बच न सका। उससे गैर कानूनी हथियार बरामद हुये थे। संजय के बाप मरहूम सुनील दत्त ने बेटे को बचाने की बहुत कोशिश की थी मगर नाकाम रहे। 13-14 साल मुकददमा चला और पांच साल की कैद हो गर्इ । जिसमें से 18 महीने की कैद संजय पहले ही काट चुका है। इस तरह अब 42 महीने की सज़ा बाकी है। एक तरफ बालीवुड तो दूसरी तरफ जेलखाना। आखिर ऐसा क्यों हुआ ? यह जानने के लिए संजय की कुण्डली का जायज़ा लेना होगा।

दत्त परिवार पर लिखी गर्इ एक किताब के मुताबिक संजय का जन्म 29 जुलार्इ 1959 को शाम के 2 बजकर 45 मिन्ट पर मुम्बर्इ में हुआ था। जिसके मुताबिक उसकी जन्म कुण्डली इस तरह बनी । समझ दार के लिए इशारा ही काफी।





जन्म कुण्डली में अच्छे ग्रह मसलन बृहस्पत, चन्द्र वगैरह और मन्दे ग्रह मसलन बुध, राहु वगैरह का जि़न्दगी पर मिला जुला असर हुआ। बुध खाना नं0 9 में सूरज के साथ, लसूड़े की गिटक की तरह किस्मत का हाल। अच्छे ग्रहों की वजह से अच्छे परिवार में जन्म हुआ । मां बाप अपने दौर के मशहूर फिल्मी अदाकार थे। मगर मन्दे ग्रहों की वजह से मां बाप का साथ लम्बा न चला। मां की मौत बिमारी से हुर्इ। बाप भी बेटे की वजह से परेशान हुआ। संजय भी नशीली गोलियां और गैर कानूनी हथियारों का शिकार हुआ। सरकारी नौकरी तो नही थी मगर सरकारी रोटी जेल में ज़रूर खानी पड़ी। दर असल परेशानी राहु की उम्र 21-22 साल से शुरू हो गर्इ थी। जब बुध की उम्र 34-35 साल आर्इ तो बात पुलिस, अदालत और जेल तक जा पहुंची। वर्षफल साल 35 में जन्म कुण्डली के खाना नं0 9 का बुध खाना नं0 9 में और खाना नं0 11 का राहु खाना नं0 11 में । नतीजा सन 1994 में संजय को जेल में जाना पड़ा।

खाना नं0 5 और 10 के ग्रहों की टक्कर । शादी कर्इ बार हुर्इ। पहली औरत बिमारी से गुज़र गर्इ। दूसरी से तलाक हुआ और अब तीसरी है। दवार्इयों से ताल्लुक बना। पहले मां दवा खाती थी। फिर खुद दवा खाने लगा। बाद में पत्नी ने दवा खार्इ। खाना नं0 2 का शनि खाना न0 10 के शुक्र को मदद दे रहा है। अच्छे ग्रहों की वजह से फिल्मों में कामयाबी मिली। एक तरफ मन्दा हुआ तो दूसरी तरफ अच्छा भी हुआ।

जन्म कुण्डली में केतु खाना नं0 5 और सूरज बुध खाना नं0 9 में है। इस साल वर्षफल में केतु खाना नं0 4 और सूरज बुध खाना नं0 10 में । लिहाज़ा अदालत ने कैद की सज़ा सुना दी। मगर मंगल खाना नं0 12 से दुनियावी और बृहस्पत खाना नं0 8 से खुदार्इ मदद दे रहा है। जिनसे राहत की उम्मीद की जा सकती है।

Sunday, March 24, 2013

ग्रह खेल

पिछले एक मज़मून दो देवियां में मिलती जुलती कुण्डलियों का जि़क्र था। उनकी जि़न्दगी के हालात भी मिलते जुलते थे। ऐसी ही एक और मिसाल मिलती जुलती कुण्डलियों की पेश है, जिनकी जि़न्दगी के हालात भी मिलते जुलते हैं। ऐसी मिसालें ज्योतिष की सच्चार्इ को दोहराती हैं। इतना ही नही, जो लोग ज्योतिष को नही मानते, उनको भी सोचने के लिए मजबूर कर देती हैं।

जि़न्दगी में हर शख्स अपने बारे में अच्छा सोचता है और अच्छा ही चाहता है। मगर कर्इ बार हो कुछ और ही जाता है। यह किस्मत नही तो और क्या है ? दूसरे लफ्ज़ों में जि़न्दगी ग्रहों का खेल ही है। यह ज़ाहिर है इन कुण्डलियों से। समझ दार के लिए इशारा ही काफी।





कुण्डली नं0 1 वाली औरत पंजाब से और कुण्डली नं0 2 वाली उत्तर प्रदेश से है। दोनों कुण्डलियों में सूरज खानां नं0 1, चन्द्र खानां नं0 6 और शुक्र खाना नं0 12 में हैं। इसके अलावा पहली कुण्डली में चन्द्र के घर मंगल बद और दूसरी कुण्डली में पापी केतु है। पहली कुण्डली में राजा सूरज का टकराव अपने वज़ीर शनि से है तो दूसरी कुण्डली में वज़ीर ही नही है। चन्द्र का असर भी शुक्र पर मंदा ही होगा। आदमी की कुण्डली में शुक्र उसकी औरत और औरत की कुण्डली में शुक्र उसका आदमी है। किस्सा कोताह ग्रह फल का मिलता जुलता असर दोनों औरतों की जि़न्दगी पर साफ नज़र आता है।

दोनों पढ़ी लिखी, खूबसूरत और नेक हैं। दोनों की शादी लगभग एक ही उम्र में हुर्इ। दोनों के पति नौकरी करते थे। दोनों के औलाद (बेटा)  भी पैदा हुर्इ। फिर दोनो लगभग एक ही उम्र में बेवा हो गर्इं। पति की मौत के बाद दोनों नौकरी करने लगी। इस तरह अब दोनो अपना गुज़र कर रही हैं। पता नही ग्रह अपनी नज़र क्यों बदल लेते हैं ? दर असल  जि़न्दगी ग्रह खेल है, कल भी ग्र्रह खेल था, आज भी ग्रह खेल है।

Saturday, February 2, 2013

प्यार का बुखार

ग्रहों का भी अजीब खेल है। जिससे कभी दिल मिलने को बेकरार था आज उसी से बिछुड़ने के लिए बेचैन है। जिस पर कभी जान कुर्बान करते थे आज उसी से पल्ला झाड़ रहे हैं। यह बात एक ऐसे जोड़े की है जो प्यार की खूबसूरत दुनिया से निकल कर कानून के दरवाज़े तक जा पहुंचा। इन दोनों की कुण्डलियां इस तरह हैं ।


लड़का एक बड़ी दुकान में नौकरी करता था जहां लड़की एक दिन खरीदारी करने आई। वहीं पर दोनों पहली बार मिले। फिर बाहर मिलने लगे। रफता रफता मुलाकातों का सिलसिला प्यार में बदल गया। लड़की फिर लड़के के घर तक पहुंच गई। लड़के ने भी अपने घरवालों से कह दिया कि वह उससे शादी करना चाहता है। लड़के का बाप और भाई  इस शादी के हक में न थे । पर लड़का अपनी जि़दद पर अड़ा रहा। लिहाज़ा अप्रैल 2009 में दोनों ने लव मैरिज कर ली और लड़की लड़के के घर आ गई चाहे लड़के का परिवार शादी में शामिल न हुआ।    

शादी के 2-3 महीने बाद प्यार का बुखार उतरने लगा। ताल्लुकात में तल्खी आने लगी। घर का माहौल भी खराब होने लगा। लड़की ने गुस्से में आकर घर छोड़ने की धमकी दे डाली। फिर दोनों घर छोड़कर परिवार से जुदा रहने लगे। हालात इतने खराब हुये कि मां बाप ने दिसम्बर 2011 में लड़के को बेदखल कर दिया।

फिर लड़के लड़की का आपस में झगड़ा होने लगा और अप्रैल 2012 में दोनो जुदा जुदा रहने लगे। फिर भी झगड़ा खत्म न हुआ और बात पुलिस थाने तक पहुंची। वहां समझौता भी हुआ लेकिन बात न बनी। आखीर लड़की ने सितम्बर 2012 में लड़के पर तलाक का मुकददमा दायर कर दिया। अब सवाल यह है कि ऐसा क्यों हुआ ? जिसके लिए दोनो के ग्रहों का जायज़ा लेना होगा। समझदार के लिए इशारा ही काफी।

लड़के की कुण्डली में राहु पापी खाना नं0 7, शुक्र बुध खाना नं. 10 और मंगल बद खाना नं. 12 मे है। र्मिज़ा हल्का सारंगी भारी। लड़का गोरी चिटटी लड़की की काली ज़ुल्फों में फंस गया और घरवालों की मरज़ी के खिलाफ उससे शादी कर ली। मगर शादी का सुख कहां ? क्योंकि कुण्डली में लड़ाई झगड़ा और जुदाई या तलाक का पूरा योग है।

लड़की की कुण्डली में शुक्र चन्द्र के साथ खाना नं. 5 में रददी, बुध खाना नं. 3 में मन्दा और मंगल खाना नं. 6 में बद है। बुध का असर खाना नं. 4 धन दौलत, खाना नं. 5 औलाद, खाना नं. 9 किस्मत और खानां नं. 11 आमदन पर मन्दा । ऐसे में शादी का नतीजा भी मन्दा ही निकला। राहु खाना नं. 9 में मन्दा और खाना नं. 5 को भी मन्दा कर रहा है। लिहाज़ा शादी से कोई औलाद पैदा न हुई। अब जुदाई तो हो ही चुकी है कल को तलाक भी हो जायेगा। मिलते हैं दिल यहां मिलके बिछुड़ने को, खिलते हैं गुल यहां खिलके बिखरने को ।

Wednesday, January 2, 2013

मकान


"टेवे बैठे ग्रह 1 ता 9वें, दाएं दाखिला बोलते हैं,
चलते 12 से घर 9 आवें, असर बाएं देते हैं।"

जन्म कुण्डली के मुताबिक जो ग्रह खाना नं. 1 से 9 तक बैठे हों वह अपना असर मकान के दाखिल होते हुए दाएं हाथ की तरफ ज़ाहिर किया करते हैं और खाना नं. 12 से 10 तक बैठे हुए ग्रह मकान के बाएं तरफ अपना असर ज़ाहिर करते हैं। मकान की बुनियाद डालने के दिन से 3 या 18 साल की मियाद के बाद हर मकान अपना असर ज़रूर देगा। जन्म कुण्डली में बैठे हुए सनीचर का मकान पर खानावार असर इस तरह होगा ।
  1. टेवे वाला अगर मकान बनावे तो काग रेखा । जब सनीचर मन्दा हो तो कौवे की खुराक तक तरसता होवे । निर्धन सब तरफ बर्बादी होगी। लेकिन जब सनीचर उम्दा  नंबर 7, 10 खाली हो तो उम्दा फल होगा। 
  2. मकान जब और जैसा बने, बनने देवें, मुबारक होगा। 
  3. केतु पालन 3 कुत्ते रखे तो मकान बनेगा । वर्ना गरीबी का कुत्ता भौंकता रहे।
  4. अपने बनाये मकान खाना नं. 4 के मुताल्का रिश्तेदार माता खानदान को ज़हर देंगे या माता खानदान बर्बाद होने लग जायेगा।
  5. खुद बनाये हुये मकान औलाद की कुर्बानी लेंगे। मगर औलाद के बनाये हुये मकान टेवे वाले के लिए मुबारक होंगें।  अगर खुद ही बनाने हो तो सनीचर की जानदार अशिया (भैंस-भैंसा) बतौर दान देने या बतौर कुर्बानी जि़न्दा छोड़ देने के बाद मकान की बुनियाद रखें तो सनीचर का औलाद पर मन्दा असर न होगा। फिर भी अगर हो सके तो 48 साला उम्र के बाद ही मकान बनावे तो बेहतर होगा। 
  6. सनीचर के मियाद 36-39 साला उम्र के बाद मकान बनाना मुबारक होगा। वर्ना अपनी लड़कियों के रिश्तेदारों को तबाह करेगा। 
  7. अव्वल तो बने बनाये मकान ही बहुत मिलेंगे जो मुबारक होंगे। अगर उल्टा बिकने ही लगे तो सबसे पुराने मकान की दहलीज़ कायम रखना सब कुछ वापिस दिलवा देगा। 
  8. मकान बनना शुरू हो तो मौतें गूंजने लगे। सनीचर अब राहु केतु की हालत पर अच्छा या बुरा असर देगा। 
  9. टेवे वाले की औरत के पेट में बच्चे के वक्त अपनी कमाई से बनाया हुआ मकान पिता को आसूदा हाल या जि़न्दा न छोड़ेगा और जब टेवे वाले के पास 3 जुदा-जुदा रिहायशी मकान कायम हो जायेंगे तो उसका आखिरी वक्त (मौत) पहंुच चुका गिनेंगे। 
  10. जब तक मकान न बनावे सनीचर मकान बनाने के लिए सामान जमा करने की कीमत नगद रूपया देता जायेगा। लेकिन जब मकान बन जावे सनीचर बिस्तर तक भी उठाकर ले भागे बल्कि ढूंढने पर भी निशान न मिलेगा और आमदन खत्म होगी। 
  11. मकान अमूमन देरी से 55 साला उम्र के बाद बनेगा । दक्कन के दरवाज़े वाले मकान के साथ (रिहायश) से लम्बा अर्सा लेटना (गल सढ़कर मरना) पड़ेगा। 
  12. सांप (सनीचर) और बन्दर (सूरज) जो कभी अपना बिल या घर नही बनाते अब मकान बनाना सीख लेंगे। यानि अब मकान खुद ब खुद बनेंगे जो मुबारक होंगे। ख्वाह अब सनीचर के साथ सूरज भी नम्बर 12 में ही होवे। टेवे वाले को चाहिए कि बनते मकान को न रोके  जैसा बने, बन ही लेने देवें। 

वर्षफल के हिसाब से जिस साल सनीचर, राहु केतु से ताल्लुक वाले असूल से जाति सुभाओ में नेक असर का साबित हो रहा हो या राहु केतु के साथ ही बैठा हो तो मकानात बनेगें। लेकिन जब राहु केतु का साथ तो हो मगर सुभाओ के हिसाब से बुरे असर का साबित होवे तो बने बनाये मकान बिकवा या गिरवा देगा और उसका मन्दा असर होगा। खाना नं. 2 मकानात की हालत बतायेगा और खाना नं. 7 मकानों का सुख दुख बताता होगा।

मकान बनाने से पहले तमाम और कुल तह ज़मीन को एक ही गिनकर उसके गोशे या कोने देखे जावें। 4 गोशे वाला रकबा सबसे उत्तम होगा, जिसका हर एक कोना 900 का हो। तीन, पांच या ज्यादा कोने वाला रकबा मन्दा ही होगा। मकान की बुनियादें रखने से पहले तह ज़मीन पर चन्द्र के उपाय से खानदानी  नेक व बुरे नतीजे देख लेना भी ज़रूरी होगा। क्योंकि मकान की तह ज़मीन का मालिक चन्द्र होता है। मकान में आने जाने का सबसे बड़ा दरवाज़ा बतरफ मशरिक हो तो सबसे उत्तम मगर जनूब का दरवाज़ा मनहूस ही होगा। बन्द गली का आखिरी मकान भी मन्दा ही होगा। जन्म कुण्डली में दूसरें ग्रहों का जायज़ा ले लेना भी बेहतर होगा।

मिसाल के तौर पर एक सिविल इंजीनियर की जन्म कुण्डली जिसने सल्तनत-ए-ओमान में मकानात/इमारत बनाने वाली कम्पनी में कई साल काम किया। उसने अपना मकान  भी कई बार तोड़ा और कई बार बनाया। समझदार के लिए इशारा ही काफी।

चन्द्र सनीचर मुश्तर्का, चन्द्र ग्रहण खाना नं. 1 और खाना नं. 7,10 खाली। मकान में कई बार तोड़ फोड़ की । मकान को लेकर परिवार में झगड़ा हुआ जो अदालत तक गया। तह ज़मीन का बटवारा हुआ और मकान तोड़कर फिरसे बनाना पड़ा। इस तरह चन्द्र सनीचर के झगड़े में धन (चन्द्र) और मकान (सनीचर) दोनो का नुक्सान हुआ।

Sunday, December 2, 2012

आरती


दिसम्बर 2009 को जालन्धर में ज्योतिष सम्मेलन हो रहा था। वहीं किसी के ज़रिए आरती से बात हुर्इ। एक खूबसूरत लड़की जो टेलिविज़न पर ए ंकर थी। उसने अपनी कुण्डली मुझे दिखार्इ। उसका सवाल था कि जि़न्दगी में तरक्की कहां तक होगी ? उसने गले में और हाथ में माला पहन रखी थी। मैने कहा कि बुध आपकी तरक्की में कहीं रू कावट न बन जाये। शायद उसको मेरी बात अच्छी न लगी।

जुलार्इ 2011 को धर्मशाला में ज्योतिष सम्मेलन हो रहा था । सम्मेलन में 200 के करीब ज्योतिषी मौजूद थे। उनको दिए हुये विषय पर बोलने के लिए कहा गया। गिनती के आदमी ही बोलने के लिए मंच पर आये। दूसरों को सवाल पूछने के लिए भी कहा गया। मैने भी विषय पर बात की (देखें तख् ते बादशाही) जिसमें दो मिसालें थी। तीसरी मिसाल मैने आरती की जोड़ दी और कहा कि वह आप में मौजूद है। जब मैं बोल चुका तो मुझे भी रोक लिया गया तांकि दूसरे मुझसे सवाल पूछ सकें। मैने कहा कि मेरी बात लाल किताब के मुताबिक है इसलिए वही मुझसे सवाल पूछे जिसने असली लाल किताब पढ़ी हो। एक बार तो खामोशी छा गर्इ। खैर मुझसे किसी ने सवाल न पूछा।

बाद में आरती ने मुझसे बात की । पिछले एक साल से उसके पास नौकरी न थी मगर उसने फिर वही पुराना वाला तरक्की वाला पूछ लिया। मैने जवाब दिया, जो मैं कहना चाहता हूं, आप वह सुनना नही चाहती। जो आप सुनना चाहती हैं, मैं वो कहना नही चाहता। इसके साथ ही बात खतम हो गर्इ।

अक्तूबर 2012 में लुधियाना में ज्योतिष सम्मेलन हुआ। आरती से फिर मुलाकात हो गर्इ। अब उसमें कुछ फर्क आ गया था। उसके पास कोर्इ नौकरी न थी । उसने बताया कि उसने माला उतार दी है। मैने हंसी में पूछ लिया कि अब क्या पहना है । उसने जवाब दिया कि सेहत के लिए ताबीज़ पहन रखा है। मैं चुप रहा क्याेंकि बुध अब भी शरारत कर रहा था। आरती की कुण्डली इस तरह है। समझ दार के लिए इशारा ही काफी।




बृहस्पत सूर्य मुश्तर्का खाना नं. 1 मगर खाना नं. 7 खाली । तख्त पर राजे 2 पर वजीर कोर्इ नही। छोटी उम्र 22-24 साल तक शादी हो जाती तो ठीक था बाद में कोर्इ भरोसा न होगा। राहु खाना नं. 4 और केतु खाना नं. 10 नेकदिल। शुक्र, मंगल, शनि मुश्तर्का खाना नं. 3, लम्बी उम्र, दुश्मनों के मुकाबिल दोस्त भी खुद बा खुद मदद पर आ जावें। चन्द्र, बुध मुश्तर्का खाना नं. 2, पानी में रेत। क्या घर में मनिदर या पूजा स्थान बना रखा है ?

पढ़ी लिखी खूबसूरत लड़की, अच्छी नौकरी और अच्छे घर की मगर अब तक शादी न हुर्इ। बाप का साथ भी लम्बा न चला । दूसरे लफ्ज़ों में मां वक्त से पहले बेवा हो गर्इ। कुछ सालों से नौकरी भी नही है। अब बुध की उम्र निकल गर्इ है। अगर दुरूस्ती कर ली जाये तो मसला हल हो सकता है।

Sunday, October 28, 2012

लाल किताब का हस्त रेखा से ताल्लुक


लाल किताब उदर्ू ज़ुबान में लिखी गर्इ थी। हालांकि किताब पर लेखक का नाम नही है पर इसकी रचना आलिम पंडित रू प चन्द जोशी जी ने की थी। पहली किताब सन 1939 में छपी थी, जिस पर लिखा है, हथेली की लकीरों से जन्म कुण्डली बनाने और जि़न्दगी के पूरे हालात देखने के लिए सामुदि्रक की लाल किताब। इस किताब में हथेली की लकीरों, बुजऱ्ों और दूसरे निशानात का जि़क्र किया गया है। वैसे तो यह हस्त रेखा की किताब है मगर इसमें ग्रहों का जि़क्र भी आता है।

आखिरी किताब सन 1952 में छपी थी, जिस पर लिखा है, ।ेजतवसवहल इेंमक वद च्ंसउपेजतल  इल्मे सामुदि्रक्र की बुनियाद पर चलने वाली ज्योतिष की मदद से हाथ रेखा के  ज़रिए दुरूस्त की हुर्इ जन्म कुण्डली से जि़न्दगी के हालात देखने के लिए लाल किताब। इस किताब में कुण्डली के 12 खानों, 9 ग्रहों और ज्योतिष दूसरे उसूलों का जि़क्र तफ़सील में किया गया है। ग्रहों के अलावा रेखा का भी जि़क्र आता है। मसलन सनीचर खाना नं. 1 हो तो काग रेखा (गरीबी) की बात आती है। इसी तरह, केतु तीजे मंगल बारां , मच्छ मुआविन दोनों तारां।यानि केतु कुण्डली में खाना नं. 3 और मंगल खानां नं. 12 हो तो,मच्छ रेखा , गरीब को धन और अमीर को वालिए तख्त, हरदम बड़े परिवार, लोह लंगर सवाया। मुआविन, उम्र रेखा, कब्र से जि़न्दा वापिस आवे या फांसी लटके के पांव के तले तख् ता देना तांकि गला न घुट जावे। बिन बुलाए मददगार आ हाजि़र हों । ज़मीन और आसमान के दरमियान सब दुश्मन छुपकर गारों में गुज़ारा करेंगे, मंगल की मदद पर होंगे ख् वाह कैसे ही बैठे हों।

लाल किताब में हथेली से कुण्डली बनाने की बात की गर्इ है । मसलन सूरज के बुर्ज पर चौकोर का निशान हो तो मंगल कुण्डली में खाना नं. 1 हुआ । चन्द्र के बुर्ज से रेखा सीधी वृहस्पत के बुर्ज पर जाये तो चन्द्र खाना नं. 2 हुआ। मंगल नेक के बुर्ज पर केतु का निशान हो तो केतु खाना नं. 3 हुआ। शुक्र के बुर्ज पर राहु का निशान हो तो राहु खाना नं. 7 हुआ वगैरह वगैरह । इस तरह बनार्इ गर्इ कुण्डली से जि़न्दगी का हाल देखने की बात की गर्इ है। पर हथेली से जन्म कुण्डली बनाना कोर्इ आसान काम नही है।

किस्सा कोताह हस्त रेखा में ग्रहों का जि़क्र और ग्रहों में हस्त रेखा की बात आती है। इससे साफ ज़ाहिर है कि लाल किताब का हस्त रेखा से गहरा ताल्लुक है। दूसरे लफज़ों में हस्त रेखा ही लाल किताब की बुनियाद है। पैदायश का वक्त मालूम न होने की सूरत में हथेली से जन्म कुण्डली बनाकर जि़न्दगी का हाल देखा जा सकता है। अगर ज़रू रत पड़े तो मन्दे ग्रह का उपाय भी किया जा सकता है।