विजय माल्या जी का जन्म एक अमीर परिवार में हुआ। उनके वालिद कई कम्पनियों के मालिक गिने जाते थे। उनके इन्तकाल के बाद सन् 1983 में विजय जी गरूप कम्पनियों के सदर बने। उनके दौर में कारोबार में काफी तरक्की हुई। कुछ और कम्पनियां भी गरूप से जुड़ीं। उनका कारोबार यू.बी. गरूप के नाम से मशहूर हुआ। ज्यादातर शराब की कम्पनियां होने की वजह से उनको लिकर बैरन भी कहा गया। सन् 1986 में उनकी मुलाकात एक हवा सुन्दरी से हुई। जिससे उन्होंने शादी कर ली। सन् 1987 में एक औलाद भी हुई मगर कुछ अर्से बाद उससे तलाक हो गया। खैर वक्त बदला सन् 1993 में उन्होंने दूसरी शादी दो बच्चों की मां से की। इस दौरान कामकाज में तरक्की होती गई।
सन् 2005 में उन्होंने हवाई जहाज़ों की कम्पनी किंग फिशर को गरूप में शामिल किया। मगर वह उनको रास न आई और 2013 तक आते आते उसकी हवा निकल गई। जिसका मन्दा असर पूरे गरूप पर हुआ। मुल्क के 17 बैंक भी अपने कर्ज़े का तकाज़ा करने लगे। कर्ज़ा वसूली के लिए बैंकों ने कानूनी कारवाई शुरू कर दी। अदालत में उनके खिलाफ वारण्ट गिरफ्तारी जारी कर दिया। मगर विजय जी पहले ही मुल्क से हवा हो चुके थे। वह राज्य सभा के मैंबर भी थे। लिहाज़ा उन्होंने इंग्लैण्ड से अपना इस्तीफा भेज दिया। बैंको का 9,000 करोड़ रूपया हवा में लटक गया और अदालत ने उनको पी0 ओ0 (भगौड़ा) करार दे दिया। अच्छे दौर के सुल्तान के बुरे दिन आ गये। यह सब कैसे हो गया और क्यों हुआ ? इसके लिए उनकी कुण्डली का जायज़ा लेना होगा। नैट पर जो उनकी कुण्डली मिली वह इस तरह है।
किस्मत के घर खाना नम्बर 9 में मंगल, बज़ुर्गों से चलता आया शाही तख़्त जन्म से ही तैयार हो जावे और 28 सालां उम्र में खुद मानिंद राजा, एक गिनती का आदमी। खाना नम्बर 11 से रंगीन मिजाज़ी। कुण्डली में तकरीबन सब ग्रह अच्छे हैं मगर बृहस्पत रद्दी ही होगा। जब तक सनीचर के मुताल्लिका कारोबार किया तो सब ठीक ठाक रहा मगर बृहस्पत के दूसरे दौर यानि 50 साला उम्र में जब उन्होंने हवाई कम्पनी शुरू की तो बृहस्पत की मन्दी हवा चलने लगी जो काफी कुछ उड़ा के ले गई। ’’आता है याद मुझको गुज़रा हुआ ज़माना, ज़ाहिल बना वही जो था माहिरे ज़माना।’’ अब सवाल यह है कि क्या ऐसे हालात में विजय जी उभर पायेंगे ?
अच्छे ग्रह मदद तो कर रहे हैं मगर मन्दे ग्रहों का उपाय कर लेना ही बेहतर होगा। समझदार के लिए इशारा ही काफी और नकलचीन से बस मुआफी।
सन् 2005 में उन्होंने हवाई जहाज़ों की कम्पनी किंग फिशर को गरूप में शामिल किया। मगर वह उनको रास न आई और 2013 तक आते आते उसकी हवा निकल गई। जिसका मन्दा असर पूरे गरूप पर हुआ। मुल्क के 17 बैंक भी अपने कर्ज़े का तकाज़ा करने लगे। कर्ज़ा वसूली के लिए बैंकों ने कानूनी कारवाई शुरू कर दी। अदालत में उनके खिलाफ वारण्ट गिरफ्तारी जारी कर दिया। मगर विजय जी पहले ही मुल्क से हवा हो चुके थे। वह राज्य सभा के मैंबर भी थे। लिहाज़ा उन्होंने इंग्लैण्ड से अपना इस्तीफा भेज दिया। बैंको का 9,000 करोड़ रूपया हवा में लटक गया और अदालत ने उनको पी0 ओ0 (भगौड़ा) करार दे दिया। अच्छे दौर के सुल्तान के बुरे दिन आ गये। यह सब कैसे हो गया और क्यों हुआ ? इसके लिए उनकी कुण्डली का जायज़ा लेना होगा। नैट पर जो उनकी कुण्डली मिली वह इस तरह है।
अच्छे ग्रह मदद तो कर रहे हैं मगर मन्दे ग्रहों का उपाय कर लेना ही बेहतर होगा। समझदार के लिए इशारा ही काफी और नकलचीन से बस मुआफी।
No comments:
Post a Comment