Tuesday, September 8, 2015

गैर मुल्की सफर

कोई ज़माना था जब दूसरे मुल्कों के लोग धन-दौलत के लिए  हिन्दोस्तान आया करते थे। अब यहां के लोग रोज़ी रोटी या काम काज के लिए दूसरे मुल्कों को जाते हैं। इस तरह गैर मुल्की सफर हो जाता है। लाल किताब के मुताबिक समुद्री सफर का मालिक चन्द्र, हवाई सफर का मालिक बृहस्पत और खुश्की के सफर का निगरंा शुक्र है। मगर सब सफरों का हुक्मनामा जारी करने कराने वाला ग्रह केतु होगा। हर किस्म के सफर के लिए ग्रह मुताल्लिका का भी ख्याल रखना होगा।
चन्द्र को सफेद घोड़ा तसव्वुर किया गया है जो दरअसल दरियाई कहलाता है। जब चन्द्र से शुक्र का ताल्लुक हो जावे तो खुश्की का सफर अमूमन होगा। मगर जब चन्द्र का सूरज या बृहस्पत से ताल्लुक हो जावे तो सफर समुद्र पार या गैर मुल्की सफर राज दरबार के काम से होगा। अगर बुध से ताल्लुक हो जावे तो कारोबारी सफर होगा। इस तरह जुदा जुदा ग्रह के ताल्लुक से जुदा जुदा किस्म का सफर होगा।
सौ दिन की मियाद तक का सफर कोई सफर नही गिना जाता। वर्षफल के हिसाब से जब चन्द्र और केतु अच्छे या अच्छे घरों में हों तो सफर के नेक नतीजे होंगे। सफर का फैसला अमूमन केतु के बैठा होने वाले घर के मुताबिक होगा। मसलन् केतु बैठा हो खाना नम्बर 2, 3, 7, 9, 10 में तो आम तौर पर नेक असर देगा। लेकिन खाना नम्बर 8 में बैठा केतु मन्दा असर देगा। बाकी घरों में केतु का असर शक्की ही होगा। बात को समझने के लिए चंद गैर मुल्की सफर वाली कुण्डलियां बतौर मिसाल पेश हैं। समझदार के लिए इशारा ही काफी।


कुण्डली नम्बर 1 एक जोतिशी की है। चन्द्र बृहस्पत खाना नम्बर 1, केतु नम्बर 3 और खाना नम्बर 11, 12 खाली। यह कई बार गैर मुल्की सफर कर चुके हैं।
कुण्डली नम्बर 2 एक मकैनिकल इंजीनियर की है। चन्द्र सूरज खाना नम्बर 4, केतु खाना नम्बर 10, बृहस्पत खाना नम्बर 9 और शुक्र खाना नम्बर 3, कोई लड़की समुन्द्र पार से बुला रही है। लिहाज़ा शादी करके सन् 1987 में अमरीका में बस गये।
कुण्डली नम्बर 3 एक कम्प्यूटर इंजीनियर की है। चन्द्र शुक्र खाना नम्बर 9, केतु खाना नम्बर 4 और बृहस्पत खाना नम्बर 11, पहले मुल्की सफर करते रहे फिर बाद में सन् 2013 में गैर मुल्की सफर पर कैनेडा चले गये। अब वहीं बसने का इरादा है।
कुण्डली नम्बर 4 एक खातून की है। चन्द्र खाना नम्बर 2, सूरज खाना नम्बर 4 और केतु खाना नम्बर 7, इस साल मई में आस्ट्रेलिया चली गई। वर्षफल में केतु खाना नम्बर 8 में मन्दा। लिहाज़ा सफर का नतीजा अच्छा न निकला। इसलिए मन उदास है।
                      आ अब लौट चले, नैन बिछाए बाहें पसारे, तुझको पुकारे देश तेरा...... आ जा रे।

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