’’माया लाल किताब की’’ बलाग की उम्र अब पांच साल से ज्यादा हो गई है। इस अर्से के दौरान 80 के करीब मजमून डाले गये, जिनका ताल्लुक लाल किताब से या फिर उन कुण्डलियों से है जिनका खुलासा लाल किताब के मुताबिक करने की कोशिश की गई। अब मुझे इस काम में कितनी कामयाबी मिली, यह आप बेहतर जानते हैं। वैसे तो आपने वक्तन, फवक्तन अपनी राये भेजकर मेरी हौसला अफज़ाई की है। मगर पिछले कुछ महीनो में आपने एक नई जानकारी दी। किसी ने बताया कि कोई इस बलाग की नक्ल करता है। किसी ने कहा कि आपकी कापी करता है। किसी ने कहा वह आपके बलाग से कुण्डलियां खुलासे समेत उठाकर अपने बलाग में डाल लेता है तो किसी ने कहा वह आपके अलफाज़ हूबहू उठा लेता है वगैरह ! वगैरह! अब इतने लोग गलत तो हो नही सकते। कुछ तो सच्चाई ज़रूर होगी। मगर एक बात पक्की है कि यह जानकारी इस बलाग की कामयाबी का पुख़्ता सबूत है। खैर मैं तहे दिल से आपका शुकरगुज़ार हूं। दरअसल आदमी जैसा होता है वैसा ही काम करता है।
लाल किताब मेरे लिये अहम है। जोतिष का एक मुकद्दस ग्रन्थ जिसमें नेक नीयत, ईमानदारी और मेहनत की बात की गई है। नेकी को अपनाना और बदी से बचना ही उम्दा जि़न्दगी का चलन है। किताब के मुताबिक हर ग्रह के दो पहलू हैं नेक और बद। देखा जाये तो जि़न्दगी में भी ऐसा ही होता है। मसलन् सुख दुख, नफ़ा नुक्सान, जीत हार, अच्छा बुरा, सही गलत, असली नकली वगैरह ! वगैरह ! दुनिया में अच्छाई और नेकी की ही कदर होती है। किताब भी इन्सानी कद्रो-कीमत और नेकी की बात करती है। इसलिए जि़न्दगी में नेक नतीजों के लिए अच्छे उसूलों की पालना भी ज़रूरी हो जाती है। किताब के उपाय भी नेक नीयत, हक और इन्साफ के लिए काम करते हैं न कि बदनीयत और बईमानी के लिए।
अब ईमानदारी से सोचिए। क्या झूठ बार बार बोलने से सच्च बन सकता है ? क्या पीतल को चमकाने से सोना बन जाता है ? क्या नकल भी असल की जगह ले सकती है ? क्या नकली फूलों से खुशबू आ सकती है ? शायद नही। कहने का मतलब आप समझ ही गये होंगे।
लाल किताब मेरे लिये अहम है। जोतिष का एक मुकद्दस ग्रन्थ जिसमें नेक नीयत, ईमानदारी और मेहनत की बात की गई है। नेकी को अपनाना और बदी से बचना ही उम्दा जि़न्दगी का चलन है। किताब के मुताबिक हर ग्रह के दो पहलू हैं नेक और बद। देखा जाये तो जि़न्दगी में भी ऐसा ही होता है। मसलन् सुख दुख, नफ़ा नुक्सान, जीत हार, अच्छा बुरा, सही गलत, असली नकली वगैरह ! वगैरह ! दुनिया में अच्छाई और नेकी की ही कदर होती है। किताब भी इन्सानी कद्रो-कीमत और नेकी की बात करती है। इसलिए जि़न्दगी में नेक नतीजों के लिए अच्छे उसूलों की पालना भी ज़रूरी हो जाती है। किताब के उपाय भी नेक नीयत, हक और इन्साफ के लिए काम करते हैं न कि बदनीयत और बईमानी के लिए।
अब ईमानदारी से सोचिए। क्या झूठ बार बार बोलने से सच्च बन सकता है ? क्या पीतल को चमकाने से सोना बन जाता है ? क्या नकल भी असल की जगह ले सकती है ? क्या नकली फूलों से खुशबू आ सकती है ? शायद नही। कहने का मतलब आप समझ ही गये होंगे।
1 comment:
Congratulations. To Thakur ji today its your effort that has been acknowledged and i believe its your ethics that plays major role in life ..lalkitab is all about good ethics and good practices...👍👍👍
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