दिसम्बर 2013 को देहली में हुए चुनाव में कमाल हो गया । एक आम आदमी की आम पार्टी वजूद में आई, जिसके बारे किसी ने सोचा भी न था । साबका मुख्यमंत्री ने कहा था.....कौन है यह....पार्टी क्या है । मगर इसी कौन ने न सिर्फ उनकी सीट छीन ली बलिक उनकी कुर्सी पर भी कब्ज़ा कर लिया जिस पर वह लम्बे अर्से से विराजमान थी। आम आदमी की आम पार्टी ने मुल्क की खास पार्टी को धोबी पटका दे दिया। आप आम आदमी को जानते हैं। जी हां उसका नाम है अरविन्द केजरीवाल जिसने मुल्क की सियासत को नर्इ दिशा दी है। यकीनन आम आदमी की कुण्डली भी खास ही होगी। आम आदमी और साबका मुख्यमन्त्री की कुण्डलियां इस तरह बताई जाती हैं। समझदार के लिए इशारा ही काफी।
दोनों कुण्डलियों को गौर से देखा जाये तो नतीजा यही निकलता है कि अरविन्द जी की कुण्डली ज्यादा मज़बूत है जिसने वक्त आने पर अपना असर दिखाया। शीला जी की कुण्डली में हलका सा ग्रहण है। जब ग्रहण लगता है तो रोशनी कम हो जाती है। फिर ग्रह चाल का भी तकाज़ा होता है। ऐसे में उनके हाथ से सत्ता निकल गई।
अरविन्द जी की कुण्डली में चन्द्र खाना नं0 1 जब तक मां का आर्शीवाद लेता रहेगा, उम्र, रिज़क और दौलत की कभी कमी न होगी। मंगल खाना नं0 3 चिडि़या घर का शेर जिसे अपनी शेरी का पता नही, लेकिन जब पता चल जायेगा तो किसी से नही डरेगा। बृहस्पत सूरज शुक्र बुध मुश्तर्का खाना नं0 4 लाखो की गिनती में एक नामावर शख्स, राजा इन्द्र की तरह हकूमत का मालिक। औलाद के लिए धन दौलत जमा कर जावे। जहां दिल और आंख मिले मिलाते जाना । राजयोग यानि सरकार के घर से हर तरह की मदद और बरकत। केतु खाना नं0 5 औलाद और धन का साथ। शनि खाना नं0 12 सिर पर शेष नाग का साया हिफाज़त करने वाला। राहु खाना नं0 11 मन्दा, 21 साला उम्र तक बाप पर फिर आप पर भारी।
खुलासा यह कि राहु को छोड़कर कुण्डली के सब ग्रह अच्छी हालत के हैं। नतीजा अच्छी पढ़ाई लिखाई, आला सरकारी नौकरी, ज्योतिष में विश्वास, घर गृहस्थी और औलाद, इज्ज़त दौलत और शोहरत का साथ। मगर राहु का असर शक्की ही होगा। 42 ता 45 साला तक राहु परेशानी या नुक्सान की वजह या रास्ते का रोड़ा बने। बाद में भी यह शरारत कर सकता है । लिहाज़ा राहु का उपाय करते जाना मददगार होगा।
अरविन्द जी की जि़न्दगी में 42 से 45 साला उम्र के दरमियान एक नया मोड़ आया। आला सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर वह आम आदमी बन गये। फिर आम आदमी ने आम पार्टी बनाकर पहली बार देहली के चुनाव में हिस्सा लिया और सबको हैरान कर दिया। खास पार्टी को भी आम पार्टी की मदद पर आना पड़ा ताकि आम आदमी सरकार बना सके । इस तरह वह देहली के मुख्यमन्त्री बन गये। आम लोगों में उनकी इज्ज़त और शोहरत बढ़ने लगी। अब दूसरे सूबों के लोग उनकी तरफ उम्मीद भरी नज़रों से देखने लगे हैं। सियासी पार्टियों में भी हलचल शुरू हो गर्इ है। अरविन्द जी की कुण्डली की मज़बूती को देखते हुये ऐसा लगता है कि मुस्तकबिल में कोई बड़ी कुर्सी उनका इन्तज़ार कर रही है। सलाम आम आदमी को मेरा भी सलाम।
अरविन्द केजरीवाल
जन्म:16-8-1968
शीला दीक्षित
जन्म: 13-3-1938
दोनों कुण्डलियों को गौर से देखा जाये तो नतीजा यही निकलता है कि अरविन्द जी की कुण्डली ज्यादा मज़बूत है जिसने वक्त आने पर अपना असर दिखाया। शीला जी की कुण्डली में हलका सा ग्रहण है। जब ग्रहण लगता है तो रोशनी कम हो जाती है। फिर ग्रह चाल का भी तकाज़ा होता है। ऐसे में उनके हाथ से सत्ता निकल गई।
अरविन्द जी की कुण्डली में चन्द्र खाना नं0 1 जब तक मां का आर्शीवाद लेता रहेगा, उम्र, रिज़क और दौलत की कभी कमी न होगी। मंगल खाना नं0 3 चिडि़या घर का शेर जिसे अपनी शेरी का पता नही, लेकिन जब पता चल जायेगा तो किसी से नही डरेगा। बृहस्पत सूरज शुक्र बुध मुश्तर्का खाना नं0 4 लाखो की गिनती में एक नामावर शख्स, राजा इन्द्र की तरह हकूमत का मालिक। औलाद के लिए धन दौलत जमा कर जावे। जहां दिल और आंख मिले मिलाते जाना । राजयोग यानि सरकार के घर से हर तरह की मदद और बरकत। केतु खाना नं0 5 औलाद और धन का साथ। शनि खाना नं0 12 सिर पर शेष नाग का साया हिफाज़त करने वाला। राहु खाना नं0 11 मन्दा, 21 साला उम्र तक बाप पर फिर आप पर भारी।
खुलासा यह कि राहु को छोड़कर कुण्डली के सब ग्रह अच्छी हालत के हैं। नतीजा अच्छी पढ़ाई लिखाई, आला सरकारी नौकरी, ज्योतिष में विश्वास, घर गृहस्थी और औलाद, इज्ज़त दौलत और शोहरत का साथ। मगर राहु का असर शक्की ही होगा। 42 ता 45 साला तक राहु परेशानी या नुक्सान की वजह या रास्ते का रोड़ा बने। बाद में भी यह शरारत कर सकता है । लिहाज़ा राहु का उपाय करते जाना मददगार होगा।
अरविन्द जी की जि़न्दगी में 42 से 45 साला उम्र के दरमियान एक नया मोड़ आया। आला सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर वह आम आदमी बन गये। फिर आम आदमी ने आम पार्टी बनाकर पहली बार देहली के चुनाव में हिस्सा लिया और सबको हैरान कर दिया। खास पार्टी को भी आम पार्टी की मदद पर आना पड़ा ताकि आम आदमी सरकार बना सके । इस तरह वह देहली के मुख्यमन्त्री बन गये। आम लोगों में उनकी इज्ज़त और शोहरत बढ़ने लगी। अब दूसरे सूबों के लोग उनकी तरफ उम्मीद भरी नज़रों से देखने लगे हैं। सियासी पार्टियों में भी हलचल शुरू हो गर्इ है। अरविन्द जी की कुण्डली की मज़बूती को देखते हुये ऐसा लगता है कि मुस्तकबिल में कोई बड़ी कुर्सी उनका इन्तज़ार कर रही है। सलाम आम आदमी को मेरा भी सलाम।
1 comment:
sir,agar shukra,budh,brihaspati,surya ek sath agar 3 house mein ho to kya effect hota hai...pranam
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