Friday, June 22, 2018

पैसा

दुनिया में आदमी की पहली और आखिरी ज़रूरत पैसा ही है। पैदा होने से लेकर मरने तक पैसा ही काम आता है। अगर पैसा हो तो ज़िन्दगी में ज्यादातर मुश्किलें आसान हो जाती हैं या आती ही नहीं। इस काइनात में आदमी ही एक ऐसा प्राणी है जो पैसा कमाता है। पैसे का मतलब धन दौलत से ही है। आदमी पैसा कमाने के लिए तरह-तरह के काम करता है। पैसा कमाने के लिए कई तरीके अपनाता है। सुना है कि धार्मिक स्थानों के भिखारी भी अच्छे पैसे बना लेते हैं। ’’ गरीबों की सुनो, वह तुम्हारी सुनेगा तुम एक पैसा दोगे वो 10 लाख देगा।’’ मगर आज पैसे का सिक्का बाज़ार से गायब हो गया है। बस रूपए का सिक्का है वह भी स्टील का। बर्तानवी हकूमत के दौरान रूपया चाँदी का और पैसा तांबे का होता था। रूपये में 64 पैसे हुआ करते थे। सिक्कों पर हकूमत की मोहर होती थी। सन् 1944 के आस पास पैसे में सुराख कर दिया गया यानि तांबा कम करके उसकी कीमत में बचत की गई। आज़ादी के बाद सरकार ने रूपये में 100 पैसे कर दिए मगर छोटे-छोटे। कुछ साल बाद वह भी बन्द हो गये। तांबे की कीमत भी कई गुणा बढ़ गई थी।
आज पैसे का नाम कहानियों और किताबों में ही रह गया है। लाल किताब में मंदे बुध को दुरूस्त करने के लिए तांबे के पैसे का ज़िक्र है। मसलन् बुध खाना नम्बर 5 या 11 में हो तो तांबे का पैसा गले में डालने से मदद होगी। खास हालत में तांबे के पैसे में सुराख करके दरिया में बहाना मददगार होगा। आखिर क्या है यह तांबे का पैसा ? गोल पैसा तांबे का, तांबा सूरज तो गोलाई बुध, उस पे राजशाही या हकूमत की मोहर। बन्दर को भी लाल किताब में सूरज कहा गया है और उसकी पूंछ को बुध। यानि सूरज बुध का साथ खाना नम्बर 5 और 11 जो सूरज का खास मकाम है। सूरज बुध मुश्तर्का यानि मसनूई मंगल नेक जो कुशल मंगल कर देवे। अब आप तांबे के पैसे का राज़ समझ ही गये होंगे। क्या ही अच्छा हो अगर सरकार स्टील की बजाये तांबे के सिक्के जारी करे।

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