दो गृहस्थियों को जुदा जुदा रखते हुये एक कड़ी से जोड़ने वाली चीज़ आम दुनियादारों की नज़र में शादी और ग्रहचाल में मंगल की ताकत का नाम रखा गया है। यही मंगल खून की कड़ी, लड़की और औरत में फर्क की कड़ी है। इसी वजह से शादी में मंगल गाये जाते हैं। अगर मंगल नेक हो तो शादी खाना आबादी लेकिन अगर बद हो तो शादी खाना खराबी होगी। मंगल बद के वक्त सूरज की रोशनी में चमक न होगी। मर्द की कुण्डली में शुक्र से मुराद उसकी बीवी और औरत की कुण्डली में शुक्र से मुराद उसका शौहर होगा।
फरमान नं0 8 के मुताबिक गृहस्थ की चक्की कुण्डली के खाना नं0 7 में चलती है और चक्की घुमाने वाली लोहे की कीली खाना नं0 8 में होती है। नीचे वाला पत्थर शुक्र (रिज़क) और ऊपर घूमने वाला पत्थर बुध (अक्ल) होते हैं।
दोस्ती दुश्मनी ग्रह दृष्टि वगैरह सबको नज़र में रखते हुये वर्षफल में खानावार हालत के हिसाब से जिस साल शुक्र /बुध को सनीचर की दोस्ती या सनीचर के आम दौरा का वक्त होवे तो शादी होने का योग होगा। आमतौर पर शादी का योग शुक्र से गिनंेगें। जब बुध इन उसूलों पर शादी का योग बनावे तो भी शादी का योग होगा सिवाये बुध खाना नं0 12 के। अगर कुण्डली में शुक्र/बुध बर्बाद या मन्दे हों और स्त्री ग्रह शुक्र चन्द्र के साथ नर ग्रह बृहस्पत या सूरज या मंगल मददगार साथी या मुश्तर्का हों तो जिस साल सनीचर की मदद या उसके आम दौरे का ताल्लुक हो जावे तो भी शादी का योग या वक्त होगा।
अमूमन जिस साल शुक्र या बुध तख्त के मालिक या खाना नं0 2,10 से 12 (सिवाये बुध नं0 12) में या अपने पक्के घर खाना नं0 7 में हो जावे लेकिन उस वक्त खाना नं0 3,11 शुक्र के दुश्मन ग्रह (सूरज चन्द्र राहु) न हो या वह अपने जन्म कुण्डली में स्थित होने वाले घर में ही आ जावें। शुक्र जब खाना नं0 4 में हो चाहे अकेला या किसी के साथ खाना नं0,7 शुक्र के दुश्मन ग्रह न आयें हों वर्ना शादी का कोई योग न होगा। दिए गए शादी के सालों (22,24,29,32,39,51,60) में जिस साल सूरज चन्द्र या राहु खाना नं0 2,7 में न हों तो शादी होगी। ऐसी हालत में अगर बृहस्पत नं0 7 में आ जावें तो औरत औलाद के काबिल न होगी। दिए हुये सालों में शादी का योग ज़रूर है मगर शादी मुबारक न होगी। शुक्र खाना नं0 4 की ऐसी हालत में शादी मुल्तवी हो सकती है।
जो ग्रह शुक्र को बर्बाद करे या खुद ऐसा मन्दा हो कि शादी के फल को गैर मुबारक साबत करे, मसलन् चन्द्र नं0 1 के वक्त 24 या 27वें साल और राहु नं0 7 के वक्त 21वें साल शादी मुबारक न होगी। सूरज जब शुक्र के लिए ज़हरीला हो तो सूरज की उम्र 22वें साल शादी मुबारक न होगी। अगर शुक्र रद्दी न हो तो शादी के लिए कोई वहम न लेंगेे। मगर अकेला सनीचर नं0 6 इस शर्त से बाहर होगा। खासकर जब शुक्र भी उस वक्त नं0 2 या 12 में हों। यानि उम्र का 18-19वां साल शादी के लिए गैर मुबारक होगा।
शुक्र बुध अपने जन्म कुण्डली वाले घर या नं0 1, 7 में आ जावें मगर शुक्र जन्म कुण्डली के खाना नं0 1 से 6 का न हो और उस वक्त नं0 3, 11 में सूरज, चन्द्र, राहु न हों तो शादी का योग होगा। जब खाना नं0 2,7 खाली हो तो बुध शुक्र ही खुद 2,7 में आने पर, बुध शुक्र बैठे घर का मालिक ग्रह नं0 2,7 में और बुध शुक्र उसकी जगह चले जावें, मसलन शुक्र बुध नं0 3 हो, मंगल नं0 9 में तो 17वें साल शुक्र बुध नं0 9 व मंगल नं0 7 होने पर शादी का योग होगा।
औरत की कुण्डली में बृहस्पत नं0 4 हो तो शादी जल्द हो जावेगी और सूरज मंगल का साथ गुरू से हो तो उसका ससुर न होगा। राहु खाना नं0 1 या 7 या किसी तरह शुक्र से मिल रहा हो तो 21 साला उम्र की शादी बेमाना होगी। यही हालत सूरज शुक्र के मिलने पर 22ता 25 साला उम्र की शादी पर होगी। जिसके लिये उपाय ज़रूरी होगा। सनीचर खाना नं0 7 वाले की शादी अगर 22 साला उम्र तक न हो तो उसकी नज़र बेबुनियाद होगी। बृहस्पत खाना नं0 1 और नं0 7 खाली हो तो छोटी उम्र की शादी मुबारक होगी।
शुक्र के दायें या बायें पापी ग्रह हो या शुक्र बैठा होने वाले घर से चैथे व 8वें मंगल या सूरज या सनीचर से कोई एक या इकट्ठे हो तो औरत जलकर मरे या शुक्र का
फल जल जावे। ऐसी हालत में औरत का तबादला गाय से या गऊदान मुबारक होगा। जन्म कुण्डली में शुक्र कायम या अपने दोस्तों यानि बुध सनीचर केतु के साथ साथी या दृष्टि में हो, उनसे मदद लेंवे तो औरत एक ही कायम। दुश्मन ग्रहों से शुक्र अगर रद्दी तो तादाद औरत ज्यादा। सूरज बुध राहु मुश्तर्का, शादियां एक से ज्यादा मगर फिर भी गृहस्थ का सुख मन्दा। बुध खाना नं0 8 में तादाद औरत ज्यादा मगर सब औरतें जि़न्दा होवें । जितनी दफा वर्षफल में सूरज और सनीचर का बाहमी टकराव आ जावे उतनी तादाद तक शादियां होंगी। खासकर जब सूरज नं0 6 और सनीचर नं0 12 हो तो औरत पर औरत मरती जावे या मां बच्चों का ताल्लुक न देखे या सुख देखने से पहले ही मरती जावे।
शुक्र बुध दोनों ही नेक हालत के और मंगल नेक का साथ हो तो शादी औलाद का फल नेक व उम्दा होगा। बात को समझने के लिए चंद औरतों की कुण्डलियां बतौर मिसाल पेश हैं । समझदार के लिए इशारा ही काफी।
कुण्डली नं0 1 जन्मः7-11-1968
कुण्डली नं02 जन्मः 14-4-1976
कुण्डली नं0 3 जन्मः 7-7-1978
कुण्डली नं0 4 जन्मः 8-9-1978
कुण्डली नं0 5 जन्मः 15-10-1967
कुण्डली नं06 जन्मः 8-5-1971
कुण्डली नं0 1 में खाना नं0 7 खाली जिसका मालिक शुक्र खाना नं0 6 में मन्दा और मंगल खानां नं0 4 में बद। शादी में ज़रा देर मगर दोनो ग्रहों के उपाय करने के बाद 30 सालां उम्र में शादी हो गई।
कुण्डली नं0 2 में खाना नं0 7 में राहु मन्दा। खाना न0 7 का मालिक शुक्र भी खाना नं0 12 में चन्द्र खाना नं0 6 से तंग। लिहाज़ा शादी जल्दी टूट गई। कई साल बाद दोनो ग्रहों के उपाय किये गये तब दूसरी शादी 37 साला उम्र में हुई।
कुण्डली नं0 3 खाना नं0 7 खाली और खाना नं0 1 में बृहस्पत सूरज मुश्तर्का। अगर 24 साला उम्र में शादी हो जाती तो ठीक था।
कुण्डली नं0 4 में खाना नं0 7 खाली जिसका मालिक शुक्र खाना नं0 1 में चन्द्र के साथ तंग। 34 साला उम्र तक बुध भी मन्दा। बुध की उम्र के बाद चन्द्र को शुक्र से जुदा किया गया तो शादी की बात बन गई।
कुण्डली नं0 5 में खाना नं0 7 में सनीचर । सूरज खाना नं0 1 का सनीचर से टकराव जिसमें शुक्र की मिट्टी खराब । फिर शुक्र खाना नं0 12 में चन्द्र खाना नं0 6 से तंग। मंगल खानां नं0 4 में बद। शादी तो हुई पर पति का साथ लम्बा न चला।
कुण्डली नं0 6 में खाना नं0 7 खाली और खाना नं0 1 में सूरज बुध। शुक्र खाना नं0 12 में चन्द्र खाना नं0 6 से तंग। मंगल खाना नं0 10 में राहु के साथ मन्दा। शादी तो हुई पर पति का साथ लम्बा न चला ।
शादी का होना न होना या होकर खराब हो जाना ग्रहों का खेल है। मगर लाल किताब के उपायों से ग्रहचाल दुरूस्त करके फायदा लिया जा सकता है।
No comments:
Post a Comment