Wednesday, May 4, 2011

वैजयंती माला

बालीवुड हसीना, साठ के दशक की 'मधुमति', सुहाना सफर और यह मौसम हसीं, 'नया दौर' में मांग के साथ तुम्हारा, 'गंगा जमुना' की तरह 'संगम' होगा कि नही, मन में एक 'संघर्ष' जब दिल से दिल टकराता है, जिसकी जुल्फों से 'सूरज' भी गुस्ताखी करे। फिल्मी दुनियां की 'अमरपाली' जिसकी नृत्य कला से मुल्क का 'लीडर' भी मुतासिर था और न जाने क्या क्या। वह भी एक दौर था जब लाखों करोड़ो दिल वैजयंती माला की माला फेरा करते थे। यकीनन उसकी कुण्डली दिलचस्पी का सबब होगी। मुलाहज़ा फरमायें। समझदार के लिए इशारा ही काफी ।


बृहस्पति खाना नं0 2 सब को तारने वाला जगत गुरू और सूरज मंगल मुश्तर्का खाना नं0 10, मामूली तांबा भी सोना बन जाये। नतीजा 16 साला उम्र से ही धन दौलत, इज्ज़त, शोहरत और राज दरबार का साथ शुरू हो जावे। कुण्डली में दो दो सूरज यानि सूरज की तरह नाम चमके।


चन्द्र केतु मुश्तर्का खाना नं0 9, चन्द्र ग्रहण उसपे शनि की मन्दी नज़र खाना नं0 5 से, मां का साथ बचपन से ही छूट जाये। शुक्र बुध मुश्तर्का खाना नं0 11 और राहु खाना नं0 3, शादी में देरी और पति का साथ भी लम्बा न चले। यानि बुध अब शुक्र (पति) की कुर्बानी दे देवे। पति की मौत के बाद ससुराल से मुकद्मे बाज़ी मगर बृहस्पति की कृपा से जीत उसी की हुई। लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव भी जीते।कई सन्मान और फिल्मी एवार्ड हासिल किये। ज़िन्दगी में कभी हार न हुई। अपने वक्त की नम्बर वन एकट्रैस । सलाम गुरू तुझे सलाम।

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